Thursday, October 17, 2024
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अगर केंद्र सरकार ग्लेशियरों पर शोध प्रोजेक्ट बंद न करती तो शायद टल जाती उत्तराखंड आपदा

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देहरादून, मनमीत : हिमालयी राज्य उत्तराखंड (Uttarakhand ) में आने वाली तमाम ग्लेशियर आपदा की सूचना हमें पहले मिल सकती है. केवल सूचना भर नहीं, बल्कि ग्लोबल वार्मिंग से कैसे हिमालय का बचाव किया जाये. इसके लिये दुनिया जहान से तमाम वैज्ञानिक एक साथ जुट सकते थे. अगर पिछले साल केंद्र सरकार उत्तरांखड में नेशनल ग्लेशियोलॉजी सेंटर परियोजना बंद न करती. या ये परियोजना पूरी हो गई होती तो आज समूचे हिमालयी क्षेत्र में आपदा से पहले बचाव की कवायदें की जा सकती थी. रैणी तपोवन आपदा के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शनिवार देर शाम को हुई नीति आयोग की बैठक में राज्य ग्लेशियोलॉजी सेंटर खोलने का आग्रह किया है. (Uttarakhand Disaster Government Research Project)

केंद्रीय विज्ञान एवं तकनीकी मंत्रालय की ओर से जून के आखिरी सप्ताह में आये पत्र में इस परियोजना से हाथ खड़े कर दिए गए थे. सरकार ने 2009 में पानी के स्रोत का अध्ययन करने के लिए एक अत्याधुनिक परियोजना की शुरुआत की थी, जिस पर सिंधु, यमुना, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी घाटियों में 800 मिलियन से अधिक लोग निर्भर हैं. ”


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इस परियोजना को केंद्रीय वित्तीय मंत्रालय से लगभग 211 करोड़ रुपये का बजट जारी हो चुका था. नेशनल ग्लेशियोलॉजी सेंटर के लिए उत्तराखंड में मसूरी के नजदीक करीब 200 हेक्टेयर भूमि तय कर दी गयी थी. संस्थान के लिये वैज्ञानिक और अन्य स्टॉफ का ढांचा मंजूर होने के साथ ही डीपीआर फाइनल हो गई थी.

वर्ल्ड ग्लेशियर मॉनीटरिंग सर्विस में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ ग्लेशियर वैज्ञानिक डॉ. डीपी डोभाल बताते हैं कि ‘उत्तरी और दक्षिण ध्रुव के बाद हिमालय थर्ड पोल के तौर पर जाना जाता है. हिमालय से भारत की अर्थव्यवस्था जुड़ी है. अगर हिमालय वैसा नहीं रहेगा, जैसा आज है तो निश्चित तौर पर अर्थव्यवस्था के साथ ही जैव विविधिता पर गंभीर संकट आयेगा. जिससे भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया प्रभावित होगी.

2004 से पहले जब ग्लोबल वार्मिंग के कारण हिमालय में ग्लेशियरों के पिघलने की बात प्रमाणित हुई थी तो, ये तय हुआ कि देश का अपना ग्लेशियोलॉजी सेंटर होना चाहिये. उसके बाद 2009 में ग्लेशियोलॉजिकल रिसर्च के क्षेत्र में बड़ी प्रगति करने के लिए सरकार 10 वीं योजना के दौरान हिमालयन ग्लेशियोलॉजी में फील्ड ऑपरेशन और अनुसंधान के लिए एक राष्ट्रीय केंद्र स्थापित करने की योजना को स्वीकृति मिली. ग्लेशियोलॉजी सेंटर बनने के बाद, सभी ग्लेशियोलॉजिकल गतिविधियां, अनुसंधान और अनुप्रयोगों का एक केंद्र बन जाता, जो एक हिमस्खलन पर ग्लेशियोलॉजी शोध करती.’


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2010 के बाद से नेशनल ग्लेशियोलॉजी सेंटर की अवधारणा पर काम शुरू हुआ. पहले ये तय करने में ही काफी समय लगा कि सेंटर कहां स्थापित किया जाये, वेस्टर्न हिमालय या सेंट्रल में. वेस्टर्न हिमालय में जम्मू कश्मीर और हिमाचल आते हैं. वैज्ञानिकों के एक पक्ष ने तर्क दिया की ईस्टर्न हिमालय में ये राष्ट्रीय शोध केंद्र स्थापित होना चाहिये. लेकिन आखिर में कई दौर की बैठकों के बाद तय हुआ कि सेंट्रल हिमालय यानी उत्तराखंड में ही इस रिसर्च सेंटर को स्थापित किया जाये.

इसके पीछे ये मजबूत तर्क था कि उत्तराखंड की राजधानी में ही सर्वे ऑफ इंडिया का मुख्यालय है. और दूसरा वहां पर वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान भी मौजूद है. बाद में वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान को ही इस परियोजना की नोडल एजेंसी बनाया गया. वाडिया संस्थान ही इस परियोजना के निर्माण पर मुख्य भूमिका भी निभा रहा था.

वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के पूर्व महानिदेशक और इस परियोजना में शुरूआत से जुड़े प्रोफेसर बीआर अरोड़ा बताते हैं कि ग्लेशियोलॉजी सेंटर में होने वाले शोध से ये पता चलता कि ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभाव को कैसे रोका जा सकता है. ग्लोबल वार्मिंग के कारण हिम रेखा (स्नो लाइन) 50 मीटर तक पीछे खिसक गई है. जिसके नकारत्मक प्रभाव अब हिमालय के जलवायु और जैविक विविधता पर पड़ने लगे हैं.


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इस परियोजना में देश के बड़े ग्लेशियर वैज्ञानिक एक सेंटर पर आकर शोध करते. केंद्र को स्थापित करने के लिए देहरादून में स्थित वाडिया हिमालय भू वैज्ञानिक संस्थान को नोडल एजेंसी बनाया गया था. लगभग सभी तैयारियां होने के बाद अचानक 25 जुलाई को केंद्रीय विज्ञान एंव प्रोद्यौगिकी मंत्रालय की ओर से वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान को पत्र आया. जिसको पढ़ने के बाद इस परियोजना से जुड़े वैज्ञानिकों में निराशा छा गई.

पत्र में लिखा था कि सरकार ने इस परियोजना को बंद करने का निर्णय लिया है. इसके बाद जो शोध होंगे, वो छोटे स्तर पर वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान में होंगे. वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. कलाचंद साईं बताते हैं कि ये केद्र सरकार का निर्णय है. हम अपने स्तर पर वाडिया में शोध कार्य करते रहेंगे.

उत्तराखंड आपदा : लापता 204 लोगों के मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए अधिसूचना जारी

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मनमीत, देहरादून : उत्तराखंड के चमोली जिले के तपोवन में 7 फरवरी को आई भीषण आपदा में लापता लोगों के परिजनों के लिये दुखद खबर है. राज्य सरकार ने अभी तक लापता सभी लोगों को मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए केंद्र से मिले दिशानिर्देशों पर अधिसूचना जारी कर दी है. गुमशुदा लोगों की तीन श्रेणियां बनाकर मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने की कार्रवाई की जाएगी.

अधिसूचना के अनुसार, 30 दिन के भीतर दावों और आपत्तियों का समाधान किया जाएगा. इसके लिए प्रदेश के सभी जिलों के परगना मजिस्ट्रेट या उप जिलाधिकारी को अभिहित अधिकारी और जिलाधिकारी को अपीलीय अधिकारी नामित किया गया है. 7 फरवरी से अभी तक चले रेस्क्यू अभियान में 204 लोगों के लापता होने की बात सामने आई थी, जिसमें 68 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं.

और 39 शवों की शिनाख्त हो चुकी है. इसके अलावा एनडीआरएफ और एसडीआरएफ 136 लोगों की तलाश कर रही है. टनल के साथ अन्य क्षेत्रों पर राहत-बचाव अभियान चल रहा है.

लापता लोगों की होगी तीन श्रेणी

स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार चमोली आपदा में लापता लोगों के तीन श्रेणियों में मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी. इसमें पहली श्रेणी आपदा प्रभावित क्षेत्र के स्थायी निवासी, दूसरी श्रेणी प्रदेश के अन्य जिलों के निवासी जो आपदा के समय प्रभावित क्षेत्र में थे. तीसरी श्रेणी में दूसरे राज्यों के पर्यटक या लोग शामिल हैं.

मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आपदा में लापता लोगों के परिजनों या अन्य उत्तराधिकारी की ओर से नोटरी शपथ पत्र के साथ निवास के मूल जनपद में लापता होने या मृत्यु होने प्रथम सूचना रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी.


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यदि इस तरह की रिपोर्ट आपदा प्रभावित क्षेत्र में पूर्व से ही पंजीकृत की गई है तो अभिहित अधिकारी एसडीएम की ओर से रिपोर्ट को जांच के लिए लापता व्यक्ति के मूल जनपद के एसडीएम को भेजी जाएगी.

वहीं, दूसरे राज्यों के लापता लोगों के परिजनों की ओर से अपने राज्य में घटना के 15 दिन के भीतर एफआईआर दर्ज होनी चाहिए. साथ ही लापता व्यक्ति सात फरवरी से पहले प्रभावित क्षेत्र की यात्रा पर रहा है.

समस्त दस्तावेजों की जांच और आपत्तियों का समाधान करने के बाद प्रभावित क्षेत्र के अभिहित अधिकारी एसडीएम की ओर से मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे.


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दादरा नागर से सांसद मोहन ढेलकर का मुंबई के मरीन ड्राइव के एक होटल में मिला शव

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द लीडर : दादरा नागर हवेली से सांसद मोहन ढेलकर मुंबई के मरीन ड्राइव स्थित एक होटल में मृत पाए गए हैं. पुलिस ने शव कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी है. पृथमदृष्टया पुलिस इसे खुदकशी मान रही है. इस आधार पर कि मोहन के कमरे से एक सुसाइड नोट मिला है.

58 वर्षीय मोहन ढेलकर ने ट्रेड यूनियन के नेता के तौर पर अपनी पहचान बनाई. और सात बार लोकसभा के सांसद बने. पहली बार 1989 में वे निर्दलीय सांसद चुने गए थे. और 2019 में वे सातवीं बार लोकसभा में चुनकर पहुंचे थे.

पुलिस के मुताबिक मौत की असल वजह पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आने पर ही साफ होगी. मामले की जांच की जा रही है.

भीमा कोरेगांव : जेल में बंद 82 साल के कवि वरवरा राव की जमानत, इमरजेंसी में भी रहे थे कैद

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द लीडर : बॉम्बे हाईकोर्ट ने 82 साल के कवि वरवरा राव को छह महीने की अंतरिम जमानत दे दी है. वह पिछले करीब दो साल से जेल में बंद थे. राव की ओर से पेश वरिष्ठ वकील इंदिरा जय सिंह ने उनकी सेहत का हवाला देते हुए अंतरिम जमानत का अनुरोध किया था. कोर्ट ने सशर्त जमानत देते हुए कहा कि इस दरम्यान वे मुंबई से बाहर नहीं जाएंगे. और जरूरत पड़ने पर जांच में सहयोग करेंगे. उन्हें छह महीने तक राव को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के दायरे में रहना होगा.

31 दिसंबर 2017 को महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में एल्गार परिषद की ओर से कार्यक्रम आयोजित किया गया था. इसमें कथित रूप से भड़काऊ भाषण दिए जाने का इल्जाम है. इसके अगले दिन यानी 1 जनवरी 2018 को कोरेगांव में हिंसा भड़क गई थी.

इस मामले में अगस्त 2018 में वरवरा राव, वकील सुधा भारद्वाज, आनंद तेलतुबंड़े आदि को गिरफ्तार किया गया था. तब से वह जेल में बंद हैं. उनकी सेहत का हवाला देते हुए पहले भी रिहाई की मांग उठती रही है.

इमरजेंसी में भी जेल गए थे राव

तेलगु भाषा के लेखक और कवि वरवरा राव को देश में आपातकाल के दौरान भी जेल जाना पड़ा था. 1973 में उन्हें, आंतरिक सुरक्षा रखरखाव कानून (मीसा) के तहत गिरफ्तार किया गया था.

इसके बाद 1986 में राव को रामनगर साजिश कांड में गिरफ्तार किया गया. उन पर अक्सर ये आरोप लगता रहा है कि वे नक्सलियों के समर्थक हैं. यहां तक कि उनके साहित्य पर भी सवाल उठते रहे हैं.


भीमा कोरेगांव युद्ध, जिसकी यादगार में जश्न पर भड़क उठी थी हिंसा


 

भीमा कोरेगांव मामले की जांच एनआइए कर रही है. पिछले दिनों अमेरिका के वॉशिंगटन पोस्ट ने आर्सेनल कंसलिटंग लैब की जांच रिपोर्ट के आधार पर ये दावा किया था कि भीमा कोरेगांव मामले में बंद रोना विल्सन के कंप्यूटर में सबूत प्लांट करके रखे गए थे.

इसके लिए रोना के कंप्यूटर की दो साल तक निगरानी की गई थी. इस खबर ने भीमा कोरेगांव प्रकरण की ओर पूरी दुनिया का ध्यान खींचा था.

हालांकि वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के बाद एनआइए ने कहा था कि मामले में पर्याप्त सबूत हैं. इलेक्ट्रॉनिक सबूतों के अलावा अन्य साक्ष्य भी जुटाए गए हैं.

ट्रैक्टर से विधानसभा पहुंचे तेजस्वी, राहुल बोले-मोदी सरकार आपकी जेब खाली करके मित्रों को देने का महान काम मुफ्त में कर रही

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द लीडर : डीजल-पेट्रोल के मुद्​दे पर केंद्र और राज्यों के विपक्षी दल कसरत के साथ सरकार को घेरने में जुट गए हैं. सोमवार को बिहार में विपक्ष के नेता नेजस्वी यादव ट्रैक्टर चलाकर विधानसभा पहुंचे, तो मध्यप्रदेश में कांग्रेस के विधायक साईकिल से विधानसभा गए. केरल के वायनाड में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्रैक्टर चलाकर महंगाई का विरोध और किसानों के प्रति समर्थन जताया है. इसी बीच दिल्ली में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा भी महंगाई पर अपना विरोध दर्ज कराने के लिए साईकिल से दफ्तर गए.

इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार निशाना साधते कहा कि, ‘पेट्रोल पंपर पर गाड़ी में तेल डलाते समय जब आपकी नजर तेजी से बढ़ते मीटर पर पड़े. तब ये जरूर याद रखिएगा कि कच्चे तेल का दाम बढ़ा नहीं है, बल्कि कम हुआ है. पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर है. आपकी जेल खाली करके मित्रों को देने का महान काम मोदी सरकार मुफ्त में कर रही है.’

बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि, ‘सरकार महंगाई कम करने का वादा करके सत्ता में आई थी. नितीश कुमार पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों पर चुप क्यों हैं. उनको इस पर बयान देना चाहिए.’ तेजस्वी ट्रैक्टर चलाकर विधानसभा पहुंचे और सदन के बाहर पत्रकारों से बातचीत में ये बातें कहीं.

वहीं, मध्य प्रदेश में कांग्रेस के विधायक जीतू पटवारी, पीसी शर्मा, कुणाल चौधरी पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों के विरोध में साईकिल से विधानसभा पहुंचे. जीतू पटवारी ने कहा कि मंगलवार को सभी विधायक गांधी प्रतिमा पर विरोध प्रदर्शन करेंगे. सत्ता में बैठे लोगों में देश चलाने की क्षमता नहीं है.

मध्य प्रदेश, राजस्थान में पेट्रोल 100 रुपये के भाव पहुंच चुका है. पिछले 12 दिनों से लगातार इसके दामों में उछाल बना है. हालांकि केंद्र सरकार बढ़ती कीमतों को लेकर अपनी सफाई दे चुकी हैं. जिसमें कुछ नेताओं के अटपटे बयान भी सामने आए हैं. मसलन, डीजल-पेट्रोल महंगा है तो पब्लिक ट्रांसपोर्ट अपनाएं.

पुडुचेरी : उप-राज्यपाल किरण बेदी की बर्खास्तगी के बाद, मुख्यमंत्री वी नारायणसामी का इस्तीफा, जानते हैं कांग्रेस ने कैसे गंवाई एक और राज्य की सत्ता

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द लीडर : पुडुेचरी में पिछले कई महीनों से जारी राजनीतिक कलह का अंत कांग्रेस की सरकारी गिरने से हुआ है. सोमवार को मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. इसी के साथ कांग्रेस ने पुडुचेरी के रूप में एक और राज्य की सत्ता गंवा दी है, जो उसके मनोबल के लिए बड़ा झटका है.

हाल ही में केंद्र सरकार ने पुडुचेरी की उप-राज्यपाल किरण बेदी को बर्खास्त कर दिया था. इसलिए क्योंकि, राज्य के अधिकांश नेता उप-राज्यपाल के तौर पर किरणबेदी से नाखुश थे.

यहां तक कि किरणबेदी को पद से हटाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री वी नारायणसामी राजभवन के बाहर तीन दिन तक धरने पर बैठे रहे. इस आरोप के साथ कि राज्यपाल, राज्य की निर्वाचित सरकार को चलने नहीं दे रही हैं. इसमें विपक्षी नेता भी मुख्यमंत्री के समर्थन में खड़े हुए थे.

हालांकि बीते सप्ताह जब किरणबेदी को उप-राज्यपाल पद से बर्खास्त किया गया. तो इस कार्रवाई के कयास इसी रूप में लगाए जा रहे हैं कि केंद्र सरकार ने राज्य के अंसुष्ट नेताओं को साधने के लिए ये कदम उठाया.


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इसी क्रम में कांग्रेस से इस्तीफों की झड़ी लगने लगी. और कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई. नव नियुक्त उप-राज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन ने मुख्यमंत्री वी नारायणसामी को बहुत साबित करने का निर्देश दिया था.

अपने दावे के अनुरूप सोमवार को सदन में बहुमत साबित करने पहुंचे मुख्यमंत्री सदन से बायकाॅट कर गए. इस पर विधानसभा स्पीकर ने ऐलान कर दिया कि नारायणसामी सरकार ने अपना बहुमत खो दिया है. मुख्यमंत्री ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया.

कांग्रेस-डीएमके दोनों के विधायकों ने छोड़ा साथ

33 सदस्यीय विधायकों वाली विधानसभा में कांग्रेस और-द्रमुक के विधायकों संख्या महज 11 रह गई थी. जबकि विपक्ष के पास 14 विधायक थे. ऐन वक्त पर कांग्रेस के विधायक के लक्ष्मी नारायणसामी और द्रमुक के विधायक वेंकटेशन ने भी इस्तीफा दे दिया था. इससे पहले कांग्रेस के चार अन्य विधायक इस्तीफा दे चुके थे.

बंगाल : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे की पत्नी से पूछताछ करने पहुंची सीबीआइ

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द लीडर : कोयला तस्करी से जुड़े एक मामले में सीबीआइ ( सेंट्रल इन्वेस्टीगेशन ब्यूरो ) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे, सांसद अभिषेक बनर्जी के घर तक पहुंच गई है. रविवार को अभिषेक की पत्नी रुजीरा बनर्जी को नोटिस देने के बाद पूछताछ कर रही है. सीबीआइ की इस कार्रवाई ने बंगाल में राजनीतिक तपिश बढ़ा दी है.

बंगाल में आगामी अप्रैल-मई माह में विधानसभा चुनाव हैं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच मुख्य मुकाबला है. इसको लेकर दोनों दल एक-दूसरे पर हमलावर हैं.


बंगाल में नहीं तो क्या पाकिस्तान में बोलेंगे जय श्रीराम, शाह का ममता पर वार-गुंडे जिताते हैं इनको चुनाव


 

हालिया घटनाक्रम तब सामने आया है, जब बंगाल की एक विशेष अदालत ने सांसद अभिषेक बनर्जी की मानहानि से जुड़ी एक याचिका पर गृहमंत्री अमित शाह को 22 फरवरी को व्यक्तिगत रूप से या वकील के जरिये पेश होने का आदेश दे रखा है. इससे ठीक एक दिन पहले सीबीआइ ने अभिषेक बनर्जी के घर दस्तक दे दी है.

दरअसल, सीबीआइ कोयला तस्करी के मामले की जांच कर रही है. इससे पहले बिहार, झारखंड और बंगाल के कई ठिकानों पर छापेमारी की जा चुकी है. इसी मामले में रुजीरा बनर्जी की भूमिका सामने आई थी. जिसको लेकर सीबीआइ उनसे पूछताछ कर रही है.


बंगाल : भाजपा की परिवर्तन यात्रा में जेपी नड्डा ने ममता सरकार पर प्रशासन के राजनीतिकरण और पुलिस के अपराधीकरण का आरोप जड़ा


 

भाजपा, अभिषेक बनर्जी को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर लगातार निशाना साधती रही है. पिछले दिनों टीएमसी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए शुभेंदु अधिकारी ने भी अभिषेक बनर्जी पर गंभीर आरोप लगाए थे. शुभेंदु के पार्टी छोड़ने के कारणों में से एक बड़ा कारण अभिषेक ही बताए जाते हैं.

बहरहाल, ताजा घटनाक्रम ने अभिषेक बनर्जी ही नहीं बल्कि पार्टी की भी मुश्किलें बढ़ा दी हैं.

दिल्ली दंगा : दिल्ली हाईकोर्ट ने रवीश कुमार के शो में चलाए गए वीडियो को आधार बनाकर तीन आरोपियों को दी जमानत

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द लीडर : दिल्ली दंगे के आरोप में बंद तीन आरोपियों को जमानत देने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट ने एनडीटीवी के एक वीडियो को आधार बनाया है. अदालत ने कहा कि दिखाए गए वीडियो में जुनैद, चांद मुहम्मद और इरशाद के खिलाफ प्रत्यक्ष, परिस्थितिजन्य या फॉरेंसिंक, किसी तरह के सबूत नहीं हैं. ये वीडियो रविश कुमार ने अपने प्राइम टाइम कार्यक्रम में चलाया था. एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक तीनों आरोपियों को न्यायालय ने जमानत दे दी है.

पिछले साल फरवरी 2020 में दिल्ली में पूर्वी दिल्ली में दंगे भड़क गए थे. दिल्ली पुलिस ने जुनैद, चांद मुहम्मद और इरशाद को गिरफ्तार किया था, जो अभी जेल में बंद हैं. इस आरोप के साथ कि तीनों एक मकान के छत पर थे और गोली लगने से शाहिद की मौत हो गई थी.

आरोपियों की ओर से अदालत में पेश वकील सलीम मलिक ने उनके बचाव में एनडीटीवी का वो वीडियो पेश किया था. जिसके आधार पर अदालत ने माना कि आरोपियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं बनते हैं.


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दिल्ली में भड़के इन दंंगों में करीब 53 लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों घायल हुए थे. इसके साथ ही बड़े पैमानों पर लोगों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा था. मकान, दुकानें जला दी गई थीं.

इसलिए भड़का था दंगा

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देशभर में आंदोलन चल रहा था. दिल्ली के शाहीन बाग के बाद ये आंदोलन दिल्ली के अन्य क्षेत्रों तक फैला. इसी को लेकर विवाद शुरू हुआ, जो दंगों तक जा पहुंचा था. दंगें और उसके बाद कार्रवाई को लेकर पुलिस की भूमिका पर लगातार सवाल उठते रहे हैं. और इसको लेकर समय-समय पर आलोचना होती रही है.


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कुंभ मेला इस बार 28 दिनों का होगा और चार ही स्नान होंगे, कोई भजन या भंडारा नहीं होगा

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मनमीत 

देहरदून : कुंभ मेले के इतिहास में इस बार ऐसा पहली बार होगा कि आयोजन महज 28 दिनों को होगा और शाही स्नान भी केवल चार होंगे. उत्तराखंड सरकार ने साधु संतों से चर्चा के बाद यह निर्णय लिया है. कुंभ मेला एक अप्रैल से 28 तक आयोजित किया जाएगा. जल्द ही उत्तराखंड सरकार कुंभ मेले की तारीख को लेकर अधिसूचना जारी करेगी.

मेलाधिकारी दीपक रावत ने बताया कि कुंभ मेला एक से 28 अप्रैल तक आयोजित किया जाएगा. पहले हरिद्वार में आयोजित कुंभ चार माह तक की अवधि का होता रहा है. वहीं, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भी कुंभ मेले के संबंध में स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) यानी मानक प्रचालन प्रक्रिया जारी कर चुका है. कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बनाई गई इस एसओपी का पालन करना होगा.

दरअसल, उच्च न्यायालय ने भी कोविड 19 को देखते हुए राज्य सरकार को कुंभ की अवधि सीमित करने के लिए कहा था. इस संबंध में साधु संतों से बातचीत करने के बाद यह निर्णय लिया गया है कि कुंभ एक अप्रैल से 28 अप्रैल तक होगा. गौरतलब है कि हरिद्वार में इस बार कुंभ 12 साल बाद की बजाए 11 साल के बाद हो रहा है. वैसे कुंभ 12 साल बाद होता है.

बैरागी अखाड़ों को सौंपी लकड़ी

कुंभ के दौरान उन विशाल लकड़ियों का विशेष महत्व होता है जिनपर अखाड़ों की धर्मध्वजा स्थापित होती है. मेलाधिकारी ने सबसे पहले बैरागी अखाड़ों में स्थापित होने वाली धर्मध्वजा के लिए लकड़ियां सौंपी. धर्मध्वजा स्थापित होने के बाद ही अखाड़ों में कुंभ के मांगलिक कार्य प्रारंभ होते हैं.

मंदिर एक रंग में रंगेगे और पुजारी पहनेंगे एक जैसी वेशभूषा

श्री गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने कहा है कि कुंभ मेला में हर की पैड़ी क्षेत्र के सभी मंदिर एक रंग में रंगे नजर आएंगे. साथ ही मंदिरों के पुजारी भी एक जैसी वेशभूषा में दिखेंगे. इसके प्रयास शनिवार से ही शुरु कर दिए गए है. छोटी छोटी बातों का भी ध्यान रख रहे है. पूरी दुनिया को हर की पैड़ी नई रूप में दिखेगी. धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप ही रंगों का प्रयोग होगा.

तन्मय ने कहा कि हर की पैड़ी को भव्य व दिव्य स्वरूप प्रदान किया जा रहा है. जिससे कुंभ में आने वाला श्रद्धालु यहां से मंत्रमुग्ध होकर लौटे. कुंभ 2021 में हरिद्वार शहर को नया रूप दिया जा रहा है. रंग व रोशनी की दिव्य व भव्यता में विशेष भूमिका होती है.


हॉवर्ड इंडिया कांफ्रेंस में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने क्यों कहा कि आदिवासी हिंदू नहीं हैं


 

उन्होंने कहा कि हर की पैडी के सभी मंदिरों में भगवा व पीला रंग उपयोग किया जायेगा. जैसे पुरोहितों के तख्त व छतरी भी इसी रंग में रंगी गई है. इन दिनों वह आकर्षण का केंद्र भी बनी है. ऐसे ही रंगों में मंदिरों को रंगा जाएगा. सभी पुजारी एक वेशभूषा में दिखें. जल्द ही ड्रेस कोड लागू होगा.

सभी पुजारी व तख्त में बैठने वाले एक अलग ड्रेस कोड में दिखेंगे.मेला क्षेत्र के लिए मेला प्रधिकरण की ओर से सेंट्रल साउंड सिस्टम की व्यवस्था की जा रही है. श्री गंगा सभा का प्रयास है कि सिस्टम के माध्मय से गंगा आरती का प्रसारण उसमे किया जाए.

होंगे केवल चार शाही स्नान

हरिद्वार कुंभ का पहला शाही स्नान, महाशिवरात्रि के अवसर पर 11 मार्च को होगा. 11 मार्च शिवरात्रि को पहले शाही स्नान पर संन्यासियों के सात और 27 अप्रैल वैशाख पूर्णिमा पर बैरागी अणियों के तीन अखाड़े कुंभ में स्नान करते हैं. 12 अप्रैल सोमवती अमावस्या और 14 अप्रैल मेष संक्रांति के मुख्य शाही स्नान पर सभी 13 अखाड़ों का हरिद्वार कुंभ में स्नान होगा.

नहीं होंगे भंडारे और भजन

कोरोना महामारी के दौर में आयोजित होने वाला यह कुंभ मेला बीते अन्य कुंभ मेलों से काफी अलग होगा. इस बार कुंभ मेले के दौरान किसी भी स्थान पर संगठित रूप से भजन एवं भंडारेे की मनाही रहेगी.

हॉवर्ड इंडिया कांफ्रेंस में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने क्यों कहा कि आदिवासी हिंदू नहीं हैं

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द लीडर : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हॉवर्ड इंडिया कांफ्रेंस में आदिवासियों को हिंदू मानने से इनकार किया है. सोरेन ने कहा कि आदिवासी न कभी हिंदू थे, न हैं. हमारी यानी आदिवासियों की पूजा पद्धति, रस्मों-रिवाज सब अलग हैं. उन्होंने कहा कि आदिवासी और दलितों को लेकर आज भी लोगों की सोच में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है.

आइआइटी और आइआइएम जैसे संस्थानों में आदिवासियों के प्रतिनिधत्व से जुड़े एक सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि दलित, आदिवासियों को सदियों से दबाकर रखा गया है. उन्हें आगे बढ़ने से रोका गया. शक्लें जरूर बदलीं, मगर इस समाज के प्रति लोगों के नजरियों में कोई बदलाव नहीं महसूस करता हूं. मैं आदिवासी समाज का प्रतिनिधत्व करता हूं. और मुख्यमंत्री हूं. मैं नहीं जानता कल का दिन हमारा अच्छा रहेगा.

क्योंकि दलित-आदिवासी समाज को आज भी ये ताने दिए जाते हैं कि तुम इस काम के काबिल नहीं हो. उन्हें बुरी नजर से देखा जाता है. ये सबसे बड़ी चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि ट्राइबल समुदाय को आजादी से लेकर अब तक कोई मान्यता नहीं मिली है. अभी जनगणना शुरू होने वाली है. उसमें आदिवासी का कॉलम ही नहीं है. आदिवासी खुद को क्या लिखेगा. ये सवाल बना है.


आंबेडकर क्यों चाहते थे कि पारंपरिक ग्रामीण अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो जाए


 

आदिवासियों को लेकर कहा कि हमारी विरासत अलग है. हमें जंगल-पेड़ों में भगवान नजर आता है. जबिक दूसरे लोगों में इसमें दौलत दिखाई पड़ती है. हाशिये पर खड़े आदिवासी और दलित समुदाय ताकतवर लोगों से नहीं लड़ सकते हैं.

एक अन्य सवाल पर उन्होंने पर कहा कि अगर दलित और आदिवासी समुदाय तरक्की करेगा. तो अमीरों के घर में नौकरी कौन करेगा. उनकी गाड़ियां कौन चलाएगा. मकान बनाने वाले कहां से आएंगे. घर की सफाई कौन करेगा.

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम राज्य में एक ट्राइबल यूनविर्सटी खोलने की योजना पर काम कर रहे हैं. आदिवासी समाज के दस बच्चों के शैक्षिक विकास के लिए फॉरेन स्कॉलरशिप योजना प्रारंभ की है. युवाओं के लिए भी कई योजनाएं बनाई हैं. नई खेल योजनाएं ला रहे हैं.


क्यों सिर्फ भाषण, नारे और उन्माद देशभक्ति नहीं है


 

यूएपीए पर पूछे गए सवाल पर सोरेन ने कहा कि मौजूदा केंद्र सरकार ने अपने राजनीतिक लक्ष्य को साधने के लिए कानून को अपनी जेब में रखा है. हमारे यहां के सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी को जेल में बंद कर रखा है. जिस शख्स की याददाश्त तक नहीं हैं. बोल नहीं पाते. उन्हें जेल में बंद कर दिया. जेएनयू में क्या तबाही मचा दी.