द लीडर : बॉम्बे हाईकोर्ट ने 82 साल के कवि वरवरा राव को छह महीने की अंतरिम जमानत दे दी है. वह पिछले करीब दो साल से जेल में बंद थे. राव की ओर से पेश वरिष्ठ वकील इंदिरा जय सिंह ने उनकी सेहत का हवाला देते हुए अंतरिम जमानत का अनुरोध किया था. कोर्ट ने सशर्त जमानत देते हुए कहा कि इस दरम्यान वे मुंबई से बाहर नहीं जाएंगे. और जरूरत पड़ने पर जांच में सहयोग करेंगे. उन्हें छह महीने तक राव को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के दायरे में रहना होगा.
31 दिसंबर 2017 को महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में एल्गार परिषद की ओर से कार्यक्रम आयोजित किया गया था. इसमें कथित रूप से भड़काऊ भाषण दिए जाने का इल्जाम है. इसके अगले दिन यानी 1 जनवरी 2018 को कोरेगांव में हिंसा भड़क गई थी.
इस मामले में अगस्त 2018 में वरवरा राव, वकील सुधा भारद्वाज, आनंद तेलतुबंड़े आदि को गिरफ्तार किया गया था. तब से वह जेल में बंद हैं. उनकी सेहत का हवाला देते हुए पहले भी रिहाई की मांग उठती रही है.
इमरजेंसी में भी जेल गए थे राव
तेलगु भाषा के लेखक और कवि वरवरा राव को देश में आपातकाल के दौरान भी जेल जाना पड़ा था. 1973 में उन्हें, आंतरिक सुरक्षा रखरखाव कानून (मीसा) के तहत गिरफ्तार किया गया था.
इसके बाद 1986 में राव को रामनगर साजिश कांड में गिरफ्तार किया गया. उन पर अक्सर ये आरोप लगता रहा है कि वे नक्सलियों के समर्थक हैं. यहां तक कि उनके साहित्य पर भी सवाल उठते रहे हैं.
भीमा कोरेगांव युद्ध, जिसकी यादगार में जश्न पर भड़क उठी थी हिंसा
भीमा कोरेगांव मामले की जांच एनआइए कर रही है. पिछले दिनों अमेरिका के वॉशिंगटन पोस्ट ने आर्सेनल कंसलिटंग लैब की जांच रिपोर्ट के आधार पर ये दावा किया था कि भीमा कोरेगांव मामले में बंद रोना विल्सन के कंप्यूटर में सबूत प्लांट करके रखे गए थे.
इसके लिए रोना के कंप्यूटर की दो साल तक निगरानी की गई थी. इस खबर ने भीमा कोरेगांव प्रकरण की ओर पूरी दुनिया का ध्यान खींचा था.
हालांकि वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के बाद एनआइए ने कहा था कि मामले में पर्याप्त सबूत हैं. इलेक्ट्रॉनिक सबूतों के अलावा अन्य साक्ष्य भी जुटाए गए हैं.