Thursday, October 17, 2024
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ऋषिगंगा की बाढ़ : घायल हिमालय की एक और चीत्कार और चेतावनी

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दिनेश जुयाल : 

जिस ऋषिगंगा प्रोजेक्ट और तपोवन हाइड्रो प्रोजेक्ट को रोकने के लिए उत्तराखड (Uttarakhand) के लोगों ने लंबी लड़ाई लड़ी और जिन्हें सुप्रीमकोर्ट (Supreme Court) ने भी एक बार रोक दिया था. उन्हें गुस्साए हिमालय ने आखिरकार अपनी गंगा में वेग लाकर बहा दिया. 2014 में इनके साथ ही 24 बांधों का काम रोका गया था. 2013 में पूरे उत्तराखंड में जल प्रलय जैसी हुई जिसे पूरा देश सिर्फ केदारनाथ हादसे के रूप में याद करता है, तब भी इन दोनों परियोजनाओं को नुकसान हुआ. विकास के नाम पर अंधी व्यवस्था दांव पेंच में लगी रही और एक-एक कर परियोजनाओं को फिर हरी झंडी मिलने लगी. (Rishiganga Floods Warning Injured Himalayas)

ऋषिगंगा पर एक प्रोजेक्ट तो बन गया लेकिन दो रोक दिए गए. जाहिर ये बने होते तो ये भी बह गए होते. 530 मेगावाट के तपोवन हाइड्रो प्रोजेक्ट पर काम चल ही रहा था. यहां भी कई हजार करोड़ फिर से बह गए. अपनी पुस्तक में प्रोफेसर शेखर पाठक जिस उत्तराखंड को चुप प्रदेश बताते हैं. दरअसल वह पिछले 45-50 सालों से तो लगातार हिमालय को बचाने की धाद दे ही रहा रहा है.

इन धाद देने वालों में एक आवाज खुद उनकी भी है. हिमालय पुत्रों की ये आवाजें इस देश की सर्वोच्च अदालत में एक बार नहीं कई बार गूंजी, लेकिन समय पर ठीक से सुनी नहीं गई और फिर हिमालय ने बड़े हादसों के रूप में चेतावनियां दी. 2013 की केदारनाथ आपदा और अब ऋषिगंगा की बाढ़ ऐसी ही चेतावनियां हैं. इन आवाजों की, चीत्कारों की और चेतावनियों की लंबी फेहरिस्त है.

चार धाम नाम की जिस परियोजना पर दिल्ली और देहरादून के शाह इतरा रहे हैं उस पर भी सुप्रीम कोर्ट की हाईपावर कमेटी की सिफारिशों पर पानी डालते हुए काम जारी है और यह एक ऐसा कथित विकास हो रहा है जिसका खामियाजा आने वाली कई पीड़ियों को भुगतना पड़ेगा.


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ये ताजा हादसा चिपको आंदोलन की जननी गौरा देवी के गांव के पास हुआ है. यही वह जमीन है जहां से हिमालय के संरक्षण के लिए अनपढ़ महिलाओं ने 1974 में पेड़ों से लिपट कर चिपको आंदोलन शुरू किया था. कई पुरस्कारों से नवाजे गए सुंदरलाल बहुगुणा और चंडीप्रसीद भट्ट की प्रेरणास्थली है.

Uttarakhand Disaster update
उत्तराखंड आपदा में राहत बचाव में जुटे सेना के जवान.

उत्तराखंड में स्थानीय जरूरतों और हिमालय की संवेदनशीलता के हिसाब से विकास के लिए उत्तराखंड राज्य आंदोलन की शुरुआत भी इसी जमीन को माना जाना चाहिए क्योंकि इसी चिपको आंदोलन में उसका बीज था. आज उस रैणी गांव समेत करीब तीस गांव और मजरे शेष भारत से कट गए हैंं. फौज को चीन सीमा तक पहुंचाने वाला पुल भी नहीं बचा.

नंदा देवी पर्वत माला के घेरे ऊंची चट्टानों के बीच से बहुत ही वेग और पतली धार से निकलने वाली ऋषिगंगा यहीं से कुछ आगे बाहर निकलती है. परियोजना के लिए बन रही सुरंगों के धमाकों से परेशान यहां के लोगों की आवाज सुनकर ही पर्यावरणविद चंड़ी प्रसीद भट्ट और वैज्ञानिक नवीन जुयाल सुप्रीम कोर्ट तक गए थे.


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विकास की अंधी सोच को आगाह किया, किसी ने नहीं सुना और नतीजा सामने है. आसपास के 11 गाव वाले ऋषिगंगा परियोजना के 46 लोग यहीं आसपास से नदी की धार में खो गए. यहां से और आगे तपोवन के पास बन रहे तपोवन हाइड्रो प्रोजेक्ट में कंपनी के लोगों ने 203 लापता लोगों की सूची बनाई है.

लोग ऐसे ही कह दे रहे हैं कि नदी में कोई हिमखंड गिरा होगा या हिमनद टूटा होगा. हो सकता है ऋषिताल ही टूट गया हो. उत्तराखंड में रिमोट सेंसिंग केंद्र की जिम्मेदारी है कि ग्लेशियरों की गतिविधियों पर नजर रखें लेकिन उनकी नजर में कुछ नहीं हैं. हादसे से साफ है कि ये एक प्लैश फ्लड था, यानी अचानक कहीं रुका हुआ पानी पूरे वेग से बाहर निकला.

अब अगर वहां कुछ दिनों से कोई झील बन रही थी या किसी झील में एवलांच या ग्लेशियर के टुकड़े के गिरने से दबाव बना तो उसमें समय लगा होगा. केदारनाथ हादसे की तरह इस हादसे की सही वजह कुछ समय बाद ही पता चलेगी.
अब सवाल ये कि हिमालय की इस नई चेतावनी के बाद सरकार क्या कर रही है और क्या करेगी? प्रधानमंत्री ने तुंरत बंगाल से ही इस आपदा पर चिंता जाहिर कर दी थी और उत्तराखंड के लोगों के साथ होने का अहसास दिलाया.


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मुख्यमंत्री ने हवाई दौरा कर आश्वस्त किया था कि मैदानों तक बाढ़ नहीं पहुंचेगी. पहाड़ों के बीच ही नदी सामान्य हो गई है. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ , बीएसएफ और प्रशासनिक मशीनरी काम में जुट गई. कुछ शव, कुछ मानव अंग किनारों से बटोरे गए हैं. नुकसान का आकलन हो रहा है.

आपदा राहत की एक खेप का ऐलान हो चुका. आगे क्या करेंगे? क्या ऋषिगंगा प्रोजेक्ट फिर से बनेगा? क्या तपोवन हाइड्रो प्रोजेक्ट को हुए करोड़ों के नुकसान की भरपाई के बाद फिर वही 530 मेगावाट के प्रोजेक्ट पर काम शुरू होगा, या अब की बार उससे भी बड़ा बांध बनाने की सोचेंगे? लगता तो ऐसा ही है. आपदा में अवसर तलाशने वाले अपनी जुगत में होगे.

इस सबक के बाद सरकार कुछ अलग भी सोच सकती है क्या? क्या दूसरी परियोजनाओं की फिर से समीक्षा होगी? कुछ बांध परियोजनाएं रद्द होंगी? क्या चार धाम प्रोजेक्ट पर अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप काम होगा? पर्यावरण के मानक, भगीरथी इको सेंसिटिव जोन के प्रावधानों, सड़क परिवन मंत्रालय के अपने कायदे {2018 का नोटिफिकेशन}, इंडियन रोड कांग्रेस और हिल मैनुअल के प्रावधानों को लागू किया जाएगा?


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पिछले साल सरकार ने चारधाम रोड के मामले में सुप्रीमकोर्ट की हाईपावर कमेटी के चैयरमैन रवि चोपड़ा, वैज्ञानिक डा नवीन और डा हेमंत ध्यानी को खलनायक बनाने के लिए जिस तरह मीडिया और सोशल मीडिया में कुछ पेड लोगों ने उनकी छवि धूमिल करने की कोशिश की, उससे तो ऐसा नहीं लगता. चार धाम परियोजना में अब सरकार ने चीन का हौव्वा खड़ा कर रक्षा मंत्रालय को भी मोर्चे पर लगा दिया है, लेफ्टिलेंट जनरल काला जैसे अफसर सेना के बहाने को बेतुका मानते हैं.

उत्तराखंड के सीएम (CM) रह चुके मेजर जनरल खंडूड़ी यह कह कर बात टालते हैं कि यह तो चार धामों की रोड है, जब सेना (Army) के लिए सड़क बनेगी तो सेना की राय ली जाएगी. थल सेनाअध्यक्ष रहते हुए विपिन रावत (Vipin Rawat) ने कह ही दिया था कि सेना को मूव करना होगा तो ऐसे भी कर लेगी साजो सामान तो एयर लिफ्ट हो जाता है. तो फिर कई जगह तीखी ढलान वाले पहाड़ पर 900 किलोमीटर की 12 मीटर चौड़ी सड़क के लिए इतनी जिद क्यों है? इतने आंदोलनों और अदालतों में हार के बाद भी हिमालय पर बांध बनाते जाने की जिद क्यों?

Uttarakhand Disaster 150 People Missing
उत्तराखंड आपदा का दृश्य.

जीडी अग्रवाल अविरल गंगा के लिए 115 दिन के उपवास के बाद दम तोड़ देते हैं, सरकार को फर्क नहीं पड़ता. सरकार को वैज्ञानिकों की बात समझ में नहीं आती है. प्रोफेसर शेखर पाठक हिमालय के इनसाइक्लोपीडिया हैं. उनकी हाल ही में प्रकाशित पुस्तक हरी भरी उम्मीद में तफ्सील से हिमालय की पीड़ा के साथ वो सारे तथ्य़ हैं जिनसे कथित विकासजीवियों की आंखें खुल जाएंगी.

डा नवीन और प्रोफेसर एस पी सती जैसे हिमालय के अध्येता वैज्ञानिकों की लेखमालाएं हैं. चंडी प्रसाद भट्ट जैसे बुजुर्ग अभी हमारे बीच बचे हैं. सरकार इन आवाजों को सुनना ही नहीं चाहती. बांधों के लिए हिमालय के अंदर 700 किलोमीटर से ज्यादा की सुरंगे खोदी गई हैं. दिल्ली में विकास के नक्शे बनाने वालों को इस बात की कोई परवाह नहीं कि हिमालय के लिहाज से भी अत्यधिक संवेदनशील है.

विशाल बांध बनाने की जिद कायम 

विकास की इतनी जल्दी है कि हिमालय को समझने में समय नहीं गंवाना चाहते. पंचेश्वर जैसा विशाल बांध बनाने की जिद कायम है. जन सुनवाई भी फर्जी तरीके से हुई. हिमालय की बात उठाने वालों के साथ बदसलूकी हुई, एक पार्टी के कार्यकर्ता ही आम जनता बन गए. मैंने पिछले साल खुद क्षेत्र का दौरा कर लोगों से बात की. लोग बांध के रूप में तबाही नहीं चाहते, लेकिन सरकार कहती है जनता ने हरी झंडी दे दी है. दरअसल हजारों करोड़ों बिछाने में जिन लोगों का फायदा होता है वे जिस भी खेमे में जिस भी हैसियत में हों, वे बहुत बलवान हैं .


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याद आते हैं कर्नल पलफोर्ट

कर्नल पलफोर्ट अंग्रेजी हुकूमत में रायवाला यानी हरिद्वार के पास तैनात एक सुप्रिंटेडेट इंजीनियर का नाम है. जुलाई 1883 में उन्हें सूचना मिली है सुदूर हिमालय में अलकनंदा का सहायक नदी विरही में एक पहाड़ दरक कर बीच में आ गया है और बड़ी झील बन गई है. इसे गौना झील कहा गया. उन्होंने मौके पर अफसर तैनात किए वहां से रायवाला तक आनन फानन में टेलीफोन लाइन बिछाई ताकि पल पल की खबर मिले.

अध्ययन कर हिसाब लगया कि 15 अगस्त 1984 तक ये झील फट जाएगी. इस बीच झील में फिसिंग भी गई. और जैसे ही समय करीब आया हरिद्वार तक सारे किनारे खाली करा लिए. कुछ पुल भी हटा लिए गए. तय समय के 13 दिन बाद 27 अगस्त को बांध का एक हिस्सा टूटा लेकिन जनहानि शून्य रही. दूसरी बार जब यह झील पूरी तरह टूटी तो अंग्रेज जा चुका था 1970 की इस तबाही में कई लोग मारे गए.

 


(लेखक देहरादून में रहते हैं. हिंदुस्तान और अमर उजाला में संपादक रह चुके हैं.)


 

चेपक में अजेय भारत को इंग्लैंड ने 35 साल बाद किया पराजित

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वसीम अख्तर

द लीडर. इंग्लैंड ने भारतीय टीम को उसी की धरती पर और उस चेन्नई के चेपक यानी एमए चिदंबरम मैदान पर जहां कि वह 35 साल तक अजेय रहा, उसे पराजित कर दिया. पराजय भी 227 रनों के विशाल अंतर से हुई है. तब जबकि विराट कोहली के अलावा सीनियर खिलाड़ी टीम का हिस्सा बन चुके थे. इस बड़ी हार ने ऑस्ट्रेलिया को ऑस्ट्रेलिया में युवा ब्रिगेड के रौंदकर आने का मजा किरकिरा कर दिया.

दूसरी इनिंग में 420 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए टीम 58.1 ओवर खेलकर महज 192 रन ही बना सकी. इंग्लैंड के स्पिनर जैक रीच ने चार, जबकि तेज गेंदबाज जेम्स एडरसन ने तीन विकेट हासिल किए. जोफ्रा आर्चर, बेन स्टोक्स और डोमिनिक बेस ने एक-एक विकेट लेकर भारतीय टीम की कमर तोड़ दी.


भारतीय टीम करेगी नामुमकिन को मुमकिन करने का प्रयास


 

विराट की अगुवाई वाली भारतीय टीम की हालत वैसी ही दिख रही है, जैसी पहले टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के हाथों 36 रन के सबसे कम स्कोर पर आउट होने पर हुई थी. ऑस्ट्रेलिया से पिछली टेस्ट सीरिज में जिस तरह युवाओं ने जीत का परचम गाड़ा था, लग रहा था कि टीम अब पीछे मुड़कर नहीं देखेगी.

मैच के दौरान शॉट खेलते विराट कोहली.

तब तो और भी नहीं, जब कप्तान कोहली पैटरनिटी लीव से लौट आए. इशांत शर्मा और बुमराह की चोट से उबरने के बाद टीम में वापसी हुई. कार्यवाहक कप्तान बनकर टीम को ऑस्ट्रेलिया से विजयी बनाकर लौटे अजिंक्य रहाणे का प्रदर्शन भी इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट में शर्मनाक रहा.

पहली इनिंग में महज एक और दूसरी में शून्य पर आउट हो गए. अजिंक्य की तरह उपकप्तान रोहित शर्मा ने भी निराश किया. दो पारियों में छह और फिर 12 रन का ही योगदान दे सके. टीम की हार का एक बड़ा कारण यह भी रहा. ओपनर शुभमन गिल का प्रदर्शन संतोषजनक कहा जा सकता है लेकिन वह अर्द्धशतक के इर्द-गिर्द ही मंडरा रहे हैं.


ऋषभ पंत और दक्षिण अफ्रीका की शबनम बने जनवरी 2021 में आईसीसी प्लेयर ऑफ द मंथ


 

विराट ने दूसरी पारी में टीम की तरफ से सबसे ज्यादा 72 रन बनाए लेकिन जिस तरह इंग्लैंड टीम के कप्तान जो रूट ने लाजवाब पारी खेलकर दोहरा शतक और फिर दूसरी पारी में भी अपनी टीम की तरफ से सर्वाधिक 40 रन बनाए, ऐसा प्रदर्शन भारतीय कप्तान नहीं कर सके. 35 साल बाद इंग्लैंड चेपक मैदान पर परचम लहराने में कामयाब हो गया.

इंग्लैंड अब से पहले 1985 में यहां विजयी रही थी. खैर सेलेक्टर के लिए यह सोच का विषय है कि वह सीनियर खिलाडि़यों पर युवा ब्रिगेड को तरजीह दें.

अभिनेता राजकपूर के छोटे बेटे राजीव कपूर का निधन, ऋषि कपूर की मौत के बाद दूसरा सदमा

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द लीडर : सिने जगत के लीजेंड अभिनेता रहे राजकपूर के सबसे छोटे बेटे राजीव कपूर का मंगलवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. रणधीर कपूर ने अपने भाई राजीव की मौत की पुष्टि की है. उनके मौत से सिनेमा जगत को एक और बड़ा झटका लगा है. पिछले साल राजीव के भाई ऋषि कपूर और इरफान खान का निधन हो गया था.

25 अगस्त 1965 को जन्में राजीव कपूर को राम तेरी गंगा मैली हो गई-फिल्म से शोहरत मिली. बतौर अभिनेता, उन्होंने इस फिल्म में शानदार अभिनय किया था. राजीव कपूर ने कई फिल्में कीं. एक्टिंग के साथ प्रोड्यूसर के तौर पर भी काम किया.

जिन फिल्मों में प्रोड्यूसर की भूमिका निभाई. वो हैं, प्रेमग्रंथ, आ अब लौट चलें और हेन्ना. इसके अलावा जिम्मेदार, नाग-नागिन, शुक्रिया, हम तो चले परदेस, जलजला, प्रीति, लवर ब्वॉय, लावा, मेरा साथी और आसमान जैसी अन्य फिल्मों में एक्टिंग की है. प्रेमग्रंथ फिल्म का निर्देशन भी राजीव कपूर ने ही किया.

राजीव कपूर को अस्पताल लेकर पहुंचे रणधीर कपूर. फोटो, साभार ट्वीटर

राजकपूर के तीन बेटे हैं-रणधीर कपूर, ऋषि कपूर और राजीव कपूर. ऋषि और राजीव की असमय मौत ने कपूर परिवार को गहरा आघात पहुंचाया है. सिनेमा को नई ऊंचाई देने में कपूर परिवार का अहम रोल माना जाता है.


एक्सक्लूसिव: ग्लेशियर टूटने से नहीं हुआ ऋषि गंगा हादसा, यहां दफ्न है दुनिया का सबसे बड़ा रहस्य


आरती सभरवाल, राजीव कपूर की पत्नी हैं. रणधीर कपूर ने बताया कि सुबह को राजीव की तबीयत खराब हुई थी. वे उन्हें फौरन अस्पताल लेकर गए. डॉक्टरों ने हर संभव कोशिश की, मगर राजीव को बचाया नहीं जा सका. राजीव कपूर के निधन पर कई फिल्मीं सितारों ने शोक जताया है.

धार्मिक बंटवारे से फैलेगी अराजकता, देश को एकजुट रखेगी अकबर की सुलेह-ए-कुल नीति : जस्टिस काटजू

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भारत के बारे में कुछ तत्थ हैं. द्रविड़ भारत के मूल निवासी नहीं थे. वे, आर्यो की तरह ही पश्चिम से भारत आए. लेकिन द्रविड़ पूर्व की जनजातियां-जैसे, भील्स, गोंड, संभाल, टोडा आदि. (भारत ऑनलाइन क्या है-ये मेरा लेख देखें.) ये आज हमारी आबादी का करीब 6 से 7 प्रतिशत ही हैं. (Religious Division Akbars Justice Katju)

इसलिए मोटे तौर पर भारत अप्रवासियों का देश है, जैसे उत्तरी अमेरिका. बस अंतर इतना है कि उत्तरी अमेरिका में मुख्य रूप से यूरोप से अप्रवासी आए. और बाद में अन्य देशों से भी. भारत में वे हजारों वर्षों से अप्रवासी आ रहे हैं.

भारत में लोग क्यों आ रहे हैं? इसलिए क्योंकि, असहज क्षेत्रों से लोग आराम की जगह की तरफ पलायन करना पसंद करते हैं. कोई भारत से अफगाानिस्तान क्यों पलायन करेगा. जोकि ठंडा है, साल के कई महीनों तक बर्फ से ढका रहता है. और चट्टान, पहाड़ियों के से घिरा कठोर, असुविधाजनक इलाका है.


समृद्ध, खुशहाल भारत बनाना है, तो नागरिकों को एक-दूसरे से झगड़ना बंद करना होगा : जस्टिस काटजू


 

औद्योगिक क्रांति से पहले कोई आधुनिक उद्योग नहीं थे. हर जगह कृषि समाज था. खेतीबाड़ी के लिए जो जरूरी है. वो है भूमि, उपजाऊ मिट्टी, सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता का होना. हमारे उपमहाद्वीप में ये सब बहुत बड़े पैमाने पर उपलब्ध था.

ये भारत की विविधता की व्याख्या करता है. अप्रवासियों का प्रत्येक समूह अपने साथ अपनी संस्कृति, धर्म, भाषा आदि लेकर आया. इसलिए केवल एक ही नीति है जो भारत को एकजुट रखकर तरक्की की राह पर ले जा सकती है. वो है, महान मुगल बादशाह अकबर की सुलेह-ए-कुल नीति.


जाटों से जस्टिस काटजू का आह्वान, मुजफ्फरनगर दंगों के लिए मुसलमानों से माफी मांग लें


 

जिसने सभी समुदाय के लोगों को एक जैसा सम्मान दिया. ‘सम्राट अकबर-असली पिता, सत्यम ब्रुयत नामक मेरे ब्लॉग पर लेख देखें.’ इसके सिवा कोई भी दूसरी नीति, जैसे कि आज धार्मिक धुव्रीकरण की नीति का पालन किया जाएगा, निश्चित रूप से अराजकता और आपदा का कारण बनेगी.


राजनेताओं को नहीं मालूम संकट का हल, उन्हें देश की हर समस्‍या के लिए मुसलमानों को बलि का बकरा बनाना है : बजट पर जस्टिस काटजू


 

(लेखक जस्टिस मार्केंडय काटजू हैं, जो सुप्रीमकोर्ट के न्यायाधीश और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रहे हैं. यहां वक्त विचार उनके निजी हैं.)

कांग्रेस नेता गुलामनबी आजाद को अच्छा दोस्त बताते हुए भावुक हुए पीएम मोदी

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द लीडर : कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद का राज्यसभा सांसद का कार्यकाल खत्म हो रहा है. मंगलवार को राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुलाम नबी आजाद की दिलखोलकर तारीफ की है. इस कदर कि उनके साथ अपने रिश्ते, आत्मयीता और सहयोग के भाव को याद करते हुए पीएम मोदी भावुक हो गए.

पीएम ने कहा, ‘जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था और गुलामनबी आजाद जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री थे. हम दोनों की काफी नजदीकी थी. एक बार गुजरात के यात्रियों पर आतंकी हमला हो गया. मुझे, सबसे पहला जो फोन आया, वो गुलाम नबी का था. ये सिर्फ एक फोन नहीं था, बल्कि उनके (गुलामनबी) के अांसू रुक नहीं रहे थे.’ इसी घटना को याद करते हुए पीएम भावुक हो गए.

कांग्रेस नेता गुलामनबी आजाद.

पीएम मोदी ने कहा कि ‘उस वक्त प्रणव मुखर्जी रक्षामंत्री थे. मैंने उनसे कहा कि, मृतकों के शव लाने के लिए सेना का हेलीकॉप्टर मिल जाए, तो उन्होंने कहा चिंता मत करिए. मैं, इंतजाम करता हूं. गुलामनबी उस रात को एयरपोर्ट पर थे. उन्होंने मुझे फोन किया और इस तरह से फिक्र की जैसे कोई परिवार का शख्स करता है. पीएम बोले, सत्ता, पद और प्रतिष्ठता जीवन में आते रहते हैं.


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लेकिन उसे किस तरह पचाना है. कोई गुलामनबी से सीखे. वो पल मेरे लिए बड़ा भावुक था. एक दोस्त और घटनाओं के अनुभव के आधार पर मैं उनका सम्मान करता हूं. मुझे पूरी उम्मीद है कि उनकी सौम्यता, नम्रता और देश की खातिर कुछ कर गुजरने का जज्बा उन्हें चैचन से बैठने नहीं देगा. और देश उनके अनुभवों से लाभान्वित होगा. मुझे ऐसी आशा है.’

प्रधानमंत्री ने कहा कि गुलामनबी आजाद ने अपने सरकारी बंगले को भी बेहद खूबसूरती के साथ संजोकर रखा है. उन्हें एक शौक है, वो बगीचे का. उनके बंगले में बड़ा खूबसूरत बगीजा है. जो हर बार कम्प्टीशन में पहला नंबर पाता रहा है.

भारतीय टीम करेगी नामुमकिन को मुमकिन करने का प्रयास

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वसीम अख्‍तर 

द लीडर : इंग्लैंड के खिलाफ चार टेस्ट की सीरीज का पहला मैच दिलचस्प मोड़ पर आ खड़ा हुआ है. इस मैच को जीतने के लिए भारत को 381 रन और इंग्लैंड को नौ विकेट की दरकार है. अगर भारतीय टीम ये मैच जीत जाती है तो यह रन चेज करने के एतबार से विश्व रिकॉर्ड होगा. अब से पहले किसी भी टीम ने दूसरी पारी में 420 रन बनाकर मैच नहीं जीता है.

टेस्ट में 418 रन चेज करने का रिकॉर्ड वेस्टइंडीज के नाम है, जो 2003 में उसने अपने ही देश की धरती पर ऑस्ट्रेलिया को हराकर बनाया था. भारतीय टीम अपनी ही पिच पर खेल रही है. दूसरे ऑस्ट्रेलिया को ऑस्ट्रेलिया में हराकर आने से उसका मनोबल भी ऊंचा है, जो कारनामा युवा ब्रिगेड ने अजिंक्य रहाणे की अगुवाई में किया था. कप्तान विराट कोहली भी चाहेंगे कि इंग्लैंड को भी उसी अंदाज में हराया जाए.


87 साल में पहली बार रणजी ट्रॉफी रद, घरेलू क्रिकेटरों की उम्मीद पर फिरा पानी


 

अगर भारतीय बल्लेबाजों ने जीत को सामने रखकर खेला तो तय जानिये, चैन्नई टेस्ट के अंतिम दिन दर्शकों को मजा आने  जा रहा है. बहुत ज्यादा रोमांच देखने को मिल सकता है.

दूसरी पारी में इंग्लैंड के 178 रन पर आउट हो जाने के बाद भारत को 420 रन का लक्ष्य मिला है. चौथे दिन के बचे खेल में भारत ने उप-कप्तान रोहित शर्मा का विकेट गवांकर 39 रन बना लिए हैं. रोहित, आक्रामक अंदाज में खेल रहे थे लेकिन स्पिनर जेक लीच ने उन्हें बोल्ड कर दिया.

मैच के दौरान मैदान पर भारतीय खिलाड़ी.

शुभमन गिल 15 और चेतेश्वर पुजारा 12 रन बना चुके हैं. उन्हें, मंगलवार को टिककर खेलना होगा. कप्तान विराट, पहली इनिंग में बड़ा स्कोर नहीं कर पाए थे, दूसरी इनिंग में उन पर बड़ी पारी खेलने का दबाव रहेगा. अगर टॉप अार्डर बेहतर परफॉर्म कर जाता है तो फिर ऋषभ पंत मैच का रुख भारत की तरफ मोड़ने में सक्षम हैं.


उत्तराखण्ड आपदा के लिए क्रिकेटर ऋषभ पंत ने अपनी मैच फीस दान की


 

ऑस्ट्रेलिया में सीरीज जिताने के बाद पंत ने जहां से अपनी पारी खत्म की थी, इंग्लैंड के खिलाफ वह उसी अंदाज में खेलते नजर अाए. भले ही 91 रन पर आउट होने के सबब शतक से चूक गए लेकिन, शानदार बल्लेबाजी से सभी की प्रशंसा के पात्र बने हैं. 420 रन का लक्ष्य मुश्किल जरूर है. लेकिन भारत में भारत के लिए नामुमकिन नहीं है.

पहली पारी में ज्यादा अच्छा नहीं कर पाए भारतीय गेंदबाजों ने दूसरी पारी में इंग्लैंड को सस्ते में समेट दिया. यहां तक कि पहली पारी में दोहरा शतक बनाने वाले इंग्लैंड टीम के कप्तान रूट, दूसरी पारी में 40 रन ही बना सके. अश्विन और बुमराह को तीन-तीन, जबकि इशांत व नदीम ने दो-दो विकेट चटकाए.

सऊदी अरब की जेल में बंद लोकतंत्र समर्थक तीन आंदोलनकारी नाबालिगों को मौत की सजा से राहत

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द लीडर : सऊदी अरब ने सरकार विरोधी और लोकतंत्र समर्थक आंदोलनों में हिस्सा लेने वाले तीन नाबालिगों को मौत की सजा से राहत दे दी है. तीनों, दस साल जेल की सजा काटेंगे. सऊदी, जो मौत की सजा सुनाने के मामले में आगे रहा है. उसके इस ताजा फैसले को मानवाधिकार का रिकॉर्ड सुधारने के तौर पर देखा जा रहा है. (Death Sentence Minors Saudi Arabia)

शिया अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखने वाले अली-अल निम्र, दाऊद अल-मारून और अब्दुल्ला अल-जाहर को 2012 में विरोध-प्रदर्शनों से गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के वक्त तीनों नाबालिग थे. और तब से आज तक जेल में बंद हैं. इन तीनों को मौत की सजा का फरमान सुनाया गया था.


म्यांमार सैन्य तख्तापलट: भारत समेत पड़ोसी देशों के लिए इसका क्या मतलब है


 

सऊदी के मानवाधिकार आयोग (HRC) ने अपने एक बयान में कहा है कि तीनों को दस साल के कारावास की फिर से सजा सुनाई गई थी. जिसमें अधिकांश सजा वे काट चुके हैं. आगामी 2022 में उनकी रिहाई संभव है.

पिछले साल अप्रैल में सऊदी ने एक महत्वपूर्ण फैसला किया था. वो ये कि अपराध के समय जो नाबालिग होंगे. उन्हें मौत की सजा नहीं दी जाएगी. इन तीनों की माफी भी उसी फैसले के संदर्भ में देखी जा रही है.

सऊदी अरब, जो दुनियां में सबसे अधिक मृत्युदंड देने वाले देशों में से एक है. पिछले साल उसके यहां ऐसी सजा में बड़ी कमी देखी गई है. सऊदी के एचआरसी के मुताबिक 2020 में 27 लोगों को मौत की सजा दी गई थी, जो उससे पिछले साल की तुलना में 85 प्रतिशत कम है.

HRC ने पिछले साल अप्रैल में भी कहा था कि सऊदी अरब अदालत के आदेशानुसार झड़पों को समाप्त कर रहा है.

दरअसल, अक्टूबर 2018 में तुर्की की राजधानी इस्तांबुल स्थित अरब के वाणिज्य दूतावास में पत्रकार जमाल खाशोजी की हत्या कर दी गई थी. इस हत्या के छींटे क्राउंस प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान के दामन तक भी पहुंचे थे. और दुनिया भर में इसकी निंदा हुई थी. यहां तक कि सऊदी की राजशाही मानवाधिकारों के मुद्​दे पर जांच के घेरे में आ गई थी.

सैकड़ों रोहिंग्या इंडोनेशिया के ल्होकसुमावे शिविर से लापता

इसलिए क्योंकि सऊदी में पिछले सालों में बड़े पैमाने पर कार्रवाईयां हुई हैं. इसमें शाही परिवार से जुड़े लोगों को भी हिरासत में लिया जा चुका है. हाल ही में अमेरिका के निव-निर्वाचित राष्ट्रपति जो-बिडेन मानवाधिकार को लेकर सऊदी की आलोचना कर चुके हैं.

क्या सरकार के इरादे को बदल पाएगी पंचायतों में उमड़ती किसानों की ये भीड़

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द लीडर : किसान आंदोलन के समर्थन में देश के विभिन्न हिस्सों में पंचायतों का दौर चल रहा है. इनमें किसानों की भारी भीड़ जुट रही है. किसानों की मांग साफ कि तीनों कृषि कानून वापस हों. दूसरी तरफ सरकार के इरादे भी स्पष्ट हैं. वो अपने कानूनों पर पीछे हटने को तैयार नहीं है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ये पंचायतें सरकार के इरादे को हिला पाएंगी. देखिए वीडियो

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किसान आंदोलन पर फिल्मी और क्रिकेट सितारों के ट्वीट की जांच कराएगी महाराष्ट्र सरकार

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द लीडर : किसान आंदोलन के समर्थन में अमेरिकी पॉप सिंगर रिहाना के एक ट्वीट के बाद जिस तरह से भारतीय अभिनेता, क्रिकेटरों ने ट्वीटर पर सरकार का बचाव करते हुए एकजुटता का प्रदर्शन किया था. महाराष्ट्र सरकार ने अपने खुफिया विभाग को उसकी जांच के आदेश दे दिए हैं. इसमें सचिन तेंदुलकर, लता मंगेश्कर, अक्षय कुमार, सुनील शेट्टी आदि के ट्वीट की जांच हो सकती है.

कांग्रेस नेता सचिन सावंत ने समाचार एजेंसी एएनआइ से बातचीत में कहा कि, ‘रिहाना के ट्वीट पर विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया के बाद ट्वीट्स की एक सीरीज चली थी. अगर कोई शख्स अपनी मर्जी से ऐसा करता है, तब तो ठीक है. लेकिन इसमें शक की गुंजाइश है कि इसके पीछे भाजपा हो सकती है. मैंने गृहमंत्री अनिल देशमुख से बात की है. उनहोंने इंटेलिजेंस विभाग को जांच के आदेश दिए हैं.’


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सचिन सावंत ने कहा कि, ‘कुछ ट्वीट की भाषा, पैटर्न बिल्कुल एक जैसा था. एक अभिनेता ने तो भाजपा नेता को टैग भी किया है. इसलिए शक बढ़ जाता है.’

दरअसल, पिछले दिनों पॉप सिंगर रिहाना ने किसानों आंदोलन से जुड़ी सीएनएनएन की एक खबर शेयर करते हुए कहा था कि हम इस पर बात क्यों नहीं करते. इसके बाद स्वीडन की मशहूर पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटाथुनबर्ग भी किसानों के समर्थन में उतर आईं.

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उन्होंने पहले जो ट्वीट किया था, वो टूलकिट का हिस्सा माना जा रहा है, जिसे ग्रेटा डिलीट कर चुकी हैं. और दोबारा से समर्थन में ट्वीट किए. किसानों के समर्थन देने वालों में अमेरिकी उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस की भांजी मीना हैरिस समेत अन्य बड़ी हस्तियों के नाम शामिल हैं.


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इन ट्वीट्स को लेकर दिल्ली पुलिस ने एक केस दर्ज कर रखा है. पहले इसमें ग्रेटाथुनबर्ग को आरोपी बताया गया था. बाद में दिल्ली पुलिस ने साफ किया कि एफआइआर में किसी का नाम नहीं है. पुलिस ने इन ट्वीट्स को टूलकिट मानते हुए जांच करेगी.

वहीं, सचिन तेंदुलकर और लता मंगेश्वर के ट्वीट को लेकर शरद पवार और शिवसेना के नेता लगातार अपनी चिंता व्यक्त करते रहे हैं. इस आरोप के साथ कि सरकार को इन हस्तियों से ट्वीट नहीं करवाने चाहिए थे. महाराष्ट्र सरकार की ओर से जांच के आदेश को इसी दिशा में देखा जा रहा है.