द लीडर : सऊदी अरब ने सरकार विरोधी और लोकतंत्र समर्थक आंदोलनों में हिस्सा लेने वाले तीन नाबालिगों को मौत की सजा से राहत दे दी है. तीनों, दस साल जेल की सजा काटेंगे. सऊदी, जो मौत की सजा सुनाने के मामले में आगे रहा है. उसके इस ताजा फैसले को मानवाधिकार का रिकॉर्ड सुधारने के तौर पर देखा जा रहा है. (Death Sentence Minors Saudi Arabia)
शिया अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखने वाले अली-अल निम्र, दाऊद अल-मारून और अब्दुल्ला अल-जाहर को 2012 में विरोध-प्रदर्शनों से गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के वक्त तीनों नाबालिग थे. और तब से आज तक जेल में बंद हैं. इन तीनों को मौत की सजा का फरमान सुनाया गया था.
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सऊदी के मानवाधिकार आयोग (HRC) ने अपने एक बयान में कहा है कि तीनों को दस साल के कारावास की फिर से सजा सुनाई गई थी. जिसमें अधिकांश सजा वे काट चुके हैं. आगामी 2022 में उनकी रिहाई संभव है.
The Saudi Human Rights Commission has issued the following statement: pic.twitter.com/OWlKppELjH
— HRC International (@HRCSaudi_EN) February 7, 2021
पिछले साल अप्रैल में सऊदी ने एक महत्वपूर्ण फैसला किया था. वो ये कि अपराध के समय जो नाबालिग होंगे. उन्हें मौत की सजा नहीं दी जाएगी. इन तीनों की माफी भी उसी फैसले के संदर्भ में देखी जा रही है.
सऊदी अरब, जो दुनियां में सबसे अधिक मृत्युदंड देने वाले देशों में से एक है. पिछले साल उसके यहां ऐसी सजा में बड़ी कमी देखी गई है. सऊदी के एचआरसी के मुताबिक 2020 में 27 लोगों को मौत की सजा दी गई थी, जो उससे पिछले साल की तुलना में 85 प्रतिशत कम है.
HRC ने पिछले साल अप्रैल में भी कहा था कि सऊदी अरब अदालत के आदेशानुसार झड़पों को समाप्त कर रहा है.
Breaking news: Ali al Nimr – who was arrested and sentenced to death for attending a pro-democracy protest as a teen in Saudi Arabia – has had his sentence reduced to 10 years by the Specialized Criminal Court today 1/@ESOHumanRightsE pic.twitter.com/iKIgAgGK5N
— Reprieve (@Reprieve) February 7, 2021
दरअसल, अक्टूबर 2018 में तुर्की की राजधानी इस्तांबुल स्थित अरब के वाणिज्य दूतावास में पत्रकार जमाल खाशोजी की हत्या कर दी गई थी. इस हत्या के छींटे क्राउंस प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान के दामन तक भी पहुंचे थे. और दुनिया भर में इसकी निंदा हुई थी. यहां तक कि सऊदी की राजशाही मानवाधिकारों के मुद्दे पर जांच के घेरे में आ गई थी.
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इसलिए क्योंकि सऊदी में पिछले सालों में बड़े पैमाने पर कार्रवाईयां हुई हैं. इसमें शाही परिवार से जुड़े लोगों को भी हिरासत में लिया जा चुका है. हाल ही में अमेरिका के निव-निर्वाचित राष्ट्रपति जो-बिडेन मानवाधिकार को लेकर सऊदी की आलोचना कर चुके हैं.