धार्मिक बंटवारे से फैलेगी अराजकता, देश को एकजुट रखेगी अकबर की सुलेह-ए-कुल नीति : जस्टिस काटजू

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Justice Katju Allahabad University Faiz Ahmed Faiz
जस्टिस काटजू-फोटो, साभार फेसबुक

भारत के बारे में कुछ तत्थ हैं. द्रविड़ भारत के मूल निवासी नहीं थे. वे, आर्यो की तरह ही पश्चिम से भारत आए. लेकिन द्रविड़ पूर्व की जनजातियां-जैसे, भील्स, गोंड, संभाल, टोडा आदि. (भारत ऑनलाइन क्या है-ये मेरा लेख देखें.) ये आज हमारी आबादी का करीब 6 से 7 प्रतिशत ही हैं. (Religious Division Akbars Justice Katju)

इसलिए मोटे तौर पर भारत अप्रवासियों का देश है, जैसे उत्तरी अमेरिका. बस अंतर इतना है कि उत्तरी अमेरिका में मुख्य रूप से यूरोप से अप्रवासी आए. और बाद में अन्य देशों से भी. भारत में वे हजारों वर्षों से अप्रवासी आ रहे हैं.

भारत में लोग क्यों आ रहे हैं? इसलिए क्योंकि, असहज क्षेत्रों से लोग आराम की जगह की तरफ पलायन करना पसंद करते हैं. कोई भारत से अफगाानिस्तान क्यों पलायन करेगा. जोकि ठंडा है, साल के कई महीनों तक बर्फ से ढका रहता है. और चट्टान, पहाड़ियों के से घिरा कठोर, असुविधाजनक इलाका है.


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औद्योगिक क्रांति से पहले कोई आधुनिक उद्योग नहीं थे. हर जगह कृषि समाज था. खेतीबाड़ी के लिए जो जरूरी है. वो है भूमि, उपजाऊ मिट्टी, सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता का होना. हमारे उपमहाद्वीप में ये सब बहुत बड़े पैमाने पर उपलब्ध था.

ये भारत की विविधता की व्याख्या करता है. अप्रवासियों का प्रत्येक समूह अपने साथ अपनी संस्कृति, धर्म, भाषा आदि लेकर आया. इसलिए केवल एक ही नीति है जो भारत को एकजुट रखकर तरक्की की राह पर ले जा सकती है. वो है, महान मुगल बादशाह अकबर की सुलेह-ए-कुल नीति.


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जिसने सभी समुदाय के लोगों को एक जैसा सम्मान दिया. ‘सम्राट अकबर-असली पिता, सत्यम ब्रुयत नामक मेरे ब्लॉग पर लेख देखें.’ इसके सिवा कोई भी दूसरी नीति, जैसे कि आज धार्मिक धुव्रीकरण की नीति का पालन किया जाएगा, निश्चित रूप से अराजकता और आपदा का कारण बनेगी.


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(लेखक जस्टिस मार्केंडय काटजू हैं, जो सुप्रीमकोर्ट के न्यायाधीश और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रहे हैं. यहां वक्त विचार उनके निजी हैं.)

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