तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग लेकर दिल्ली की सीमाओं पर दो महीने से ज्यादा समय से डेरा जमाए किसानों के आंदोलन में अंतरराष्ट्रीय सेलेब्रिटीज की प्रतिक्रिया दर्ज होने के बाद देसी शख्सियतें भी ट्विटर के मैदान में आ डटी हैं।
अक्षय कुमार, अजय देवगन के बाद अब सचिन तेंदुलकर, रवि शास्त्री, आरपी सिंह, शिखर धवन आदि ने किसान आंदोलन को आंतरिक मामला बताकर देश से एकजुट रहने और दुष्प्रचार में न फंसने की अपील की है।
पूर्व दिग्गज भारतीय क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने बुधवार को प्रशंसकों से किसी भी झूठे प्रचार में न फंसने की अपील की।
तेंदुलकर ने बुधवार को ट्वीट किया, “भारत की संप्रभुता से समझौता नहीं किया जा सकता। बाहरी ताकतें दर्शक हो सकती हैं, लेकिन भागीदार नहीं। भारतीय जानते हैं कि उनको ही भारत के लिए फैसला करना चाहिए। आइए एक राष्ट्र के रूप में एकजुट रहें।”
भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच रवि शास्त्री ने भी ट्वीट किया। उन्होंने लिखा: “कृषि भारतीय आर्थिक प्रणाली का अहम हिस्सा है। किसान देश के पारिस्थितिकी तंत्र की रीढ़ हैं। यह एक आंतरिक मामला है। मुझे यकीन है कि बातचीत के माध्यम से हल किया जाएगा। जय हिंद!”
बल्लेबाज शिखर धवन ने तेंदुलकर और शास्त्री का अनुसरण किया। उन्होंने ट्वीट किया: ” ऐसे समाधान तक पहुंचना है जो हमारे महान राष्ट्र को लाभ पहुंचाता है, यह अभी बहुत महत्व रखता है। एक साथ खड़े हों, बेहतर और उज्जवल भविष्य की दिशा में आगे बढ़ें।”
पूर्व भारतीय गेंदबाज आरपी सिंह ने लिखा: “भारत में हमेशा सभी विषयों पर असहमतियों की एक महान परंपरा है। हम हर समय एक दूसरे के साथ सहमत नहीं हो सकते हैं, हम आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप और टिप्पणी करना पसंद नहीं करते क्योंकि हम शायद ही कभी ऐसा करते हैं।”
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ट्विटर पर 100 मिलियन से अधिक फॉलोअर्स वाली रेहन्ना ने मंगलवार को ट्वीट किया, “हम इस बारे में बात क्यों नहीं कर रहे हैं? #FarmersProtest”, विरोध स्थल के पास इंटरनेट बंद होने पर सीएनएन रिपोर्ट को पोस्ट करते हुए मेगास्टार ने किसान आंदोलन के समर्थन में आवाज बुलंद की।
इसके बाद स्वीडिश पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थुनबर्ग ने भी किसानों के विरोध का समर्थन किया। उन्होंने ट्वीट किया था: “हम भारत में #FarmersProtest के साथ एकजुटता के साथ खड़े हैं।”
यही नहीं, अमेरिका की नवनिर्वाचित उप राष्ट्रपति कमला हैरिस की भांजी मीना हैरिस ने भी किसान आंदोलन को रोकने के लिए इंटरनेट बंद करने या रास्तों को ब्लॉक करने की आलोचना की।
बुधवार को विदेश मंत्रालय (MEA) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर रेहन्ना और थुनबर्ग द्वारा की गई टिप्पणियों के बाद बयान जारी किया। बयान में कहा कि देश के कुछ हिस्सों के किसानों की कृषि सुधारों को लेकर असहमतियां हैं। किसानों के जारी विरोध में कूदने से पहले इस मुद्दे की उचित समझ की आवश्यकता है।
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यहां बता दें, नवंबर 2020 से किसानों को दिल्ली में आने से रोका गया तो वे राजधानी की जिन सीमाओं पर रोके गए, वहीं डेरा जमाकर प्रदर्शन करने लगे और ये प्रदर्शन जारी हैं।
गणतंत्र दिवस के दिन किसान परेड के दौरान लाल किले पर कुछ असामाजिक तत्वों ने धार्मिक ध्वज फहरा दिया और कुछ हिंसक घटनाएं भी हुईं। तब से सैकड़ों प्रदर्शनकारी लापता हैं या पुलिस की गिरफ्त में हैं।
गाजीपुर बॉर्डर खाली कराने की कोशिश नाकाम रहने के बाद आंदोलन और उभार पर आ गया है। इस दौरान भाजपा समर्थकों ने किसान आंदोलन स्थल पर हिंसा करने की कोशिश की। अब दिल्ली पुलिस ने सभी सीमाओं पर पक्की बैरिकेडिंग, कीलें ठुकवाने से लेकर दीवार तक बनवा दी है और इलाकों में इंटरनेट बंद कर दिया है।
वहीं, किसानों ने छह फरवरी को तीन घंटे का देशव्यापी चक्का जाम करने का ऐलान किया है। आंदोलन स्थलों पर सरकार ने सीमा सुरक्षा बल और बीएसएफ तैनात कर दी है। आने वाले दिनों को लेकर पूरे देश में एक बेचैनी का माहाैल है। किसान सरकार से अपनी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी के साथ ही तीन नए कृषि कानून निरस्त करने की मांग कर रहे हैं।