जस्टिस काटजू ने खारिज किया पॉप सिंगर रिहाना पर सरकार का तर्क, बोले-ऐसे तो जर्मनी में यहूदियों के उत्पीड़न की भी चर्चा नहीं होनी चाहिए थी

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द लीडर : अमेरिकी पॉप सिंगर रिहाना, मशहूर पर्यावरणविद ग्रेटाथुनबर्ग और अमेरिका की उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस की भांजी मीना हैरिस ने किसान आंदोलन को लेकर अपना समर्थन जताया है. इससे ये आंदोलन दुनिया भर में चर्चा के केंद्र में आ गया है. विदेशियों के समर्थन जताने पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि ये भारत का आंतरिक मामला है.

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किसान आंदोलन को लेकर हुई पंचायत.

विदेश मंत्रालय के बचाव के बाद बॉलीवुड की कई जानमानी हस्तियों के साथ क्रिकेटर भी सरकार के समर्थन में खड़े हुए हैं. इसमें क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, अभिनेता अक्षय कुमार, अजय देवगन आदि शामिल हैं.

विदेश मंत्रालय, अभिनेता और क्रिकेेटरों की विदेशियों के आंदोलन को समर्थन देने की निंदा के बीच सुप्रीमकोर्ट के न्यायाधीश रहे जस्टिस मार्केंडय काटजू ने इस मुद्​दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. और पूर्व में दुनिया भर में हुए रंगभेद, जनसंहार, नस्लवाद की घटनाओं की समूचे विश्व में की गई आलोचनाओं के प्रति ध्यान खींचा है.


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उन्होंने कुछ सवाल भी उठाए हैं. जस्टिस काटजू ने कहा कि ‘भारतीय विदेश मंत्रालय के तर्क से देखें तो फिर नाजी युग के दौरान जर्मनी में यहूदियों के उत्पीड़न पर जर्मनी के बाहर किसी को आलोचना नहीं करनी चाहिए थी.’

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किसान आंदोलन को लेकर दिल्ली की सीमा पर सरकार की तैयारी.

‘उस तर्क के आधार पर पाकिस्तान में अहमदियों, हिंदू, सिख और इसाईयों के उत्पीड़न की पाकिस्तान के बाहर आलोचना नहीं की जानी चाहिए थी. भारत में मुस्लिमों पर लिंचिंग और अत्याचारों की भारत के बाहर आलोचना नहीं होनी चाहिए या 1984 के सिंखों के नरसंहार की.


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उन्होंने अमेरिका के नस्लवाद, अश्वेतों के प्रति बुरे व्यवहार, चीन में उइगर मुस्लिम अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न, दक्षिण अफ्रीका के रंगभेद का हवाला देते हुए कहा कि तो उस तर्क के मुताबिक किसी दूसरे देश में इनकी आलोचना नहीं की जानी चाहिए थी. बर्मा में रोहिंग्या के उत्पीड़न की चर्चा भी नहीं होनी चाहिए थी. आखिर ये सब भी तो उन देशों के आंतरिक मामले ही थे. ‘

केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले 70 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हैं. केंद्र सरकार ने किसानों को दिल्ली में प्रवेश से रोकने के लिए राहों में कीले बिछाए हैं. बैरिकेड के अलावा भारी संख्या में पुलिस और सशस्त्र बल तैनात किया है. आंदोलन स्थलों की इंटरनेट सेवा, बिजली, पानी भी रोकने की कार्रवाईयां हो चुकी हैं.

वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने भी इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. किसानों के बजाय सरकार के साथ खड़े होने वाले कलाकार और खिलाड़ियों को उन्होंने रीढ़विहीन बताया है.

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