दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन के 71वें दिन एकता मोर्चा ने प्रेस बयान जारी कर कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हस्तियों का समर्थन स्वीकार है। सरकार आम नागरिकों की आंदोलन से हमदर्दी से डर रही है।
किसान नेताओं ने कहा, इसके उलट सरकार का अफसोसनाक रवैया है जो कुछ भी समझने को तैयार नहीं है, बल्कि किसानों को आतंकवादी बताया जा रहा है।
किसान मोर्चा ने बिजली कर्मचारियों की हड़ताल को भी समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिसिटी अमेडमेंड बिल-2020 किसानों और नागरिकों पर हमला है, मोर्चा बिजली क्षेत्र के निजीकरण का पुरजोर विरोध करता है।
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किसान नेताओं ने कहा, मध्यप्रदेश के फूलबाग और डबरा, राजस्थान के मेहंदीपुर और हरियाणा के जींद में हुई महापंचायतों से स्पष्ट है कि बड़ी संख्या में किसान दिल्ली के बॉर्डरों पर चल रहे आंदोलन में शामिल होने जा रहे हैं।
राजस्थान और पंजाब के किसान लगातार दिल्ली के शाहजहांपुर बॉर्डर पर पहुंच रहे हैं और पुलिस के तमाम अत्याचार के बावजूद पलवल में धरना फिर शुरू हो गया है। उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान के किसानों के हौसलों से सरकार भी वाकिफ हो चुकी है। जल्द वे आंदोलन को नई ऊंचाई पर ले जाने में यहां पहुंचने वाले हैं।
किसान मोर्चा ने सिंघु बॉर्डर पर पत्रकारों को कवरेज से रोकने की निंदा की। किसान नेताओं ने कहा कि इंटरनेट बंद करने सरकार आंदोलन की सूचनाओं को रोकने की नाकाम कोशिश कर रही है। ऐसा करके सरकार किसान विरोधी दुष्प्रचार करने के प्रयास में जुटी है, जिसे हरगिज नहीं होने दिया जाएगा।
मोर्चा ने प्रदर्शनकारियों की बिना शर्त तत्काल रिहाई, मुख्य और आंतरिक रास्तों से बैरिकेडिंग हटाने, इंटरनेट बहाल करने और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में बाधा न डालने की मांग की।