Thursday, October 17, 2024
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देश में एक नई जमात पैदा हुई जो आंदोलन के बिना जी नहीं सकती : प्रधानमंत्री

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नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के जवाब में संबोधन किया. इसमें विपक्ष उनके निशाने पर रहा. पीएम ने कहा, ‘मैं देख रहा हूं कि पिछले कुछ समय से देश में एक नई जमात पैदा हुई है. वो है ‘आंदोलनकारी.’ छात्र, मजदूर या वकील. हर आंदोलन में ये जमात नजर आती है. ये पूरी टोली है, जो आंदोलन के बिना जी नहीं सकती. और आंदोलन से जीने के नए रास्ते तलाशते रहते हैं.’

कृषि आंदोलन के संदर्भ में पंजाब के सिखों पर खलिस्तानी समर्थक होने की जो बयानबाजी की गई थी. प्रधानमंत्री ने सिखों के योगदान को याद करते हुए उसे भी ढकने की कोशिश की है.

उन्होंने कहा, ‘कुछ लोग खासकर पंजाब के सिख भाईयों के दिमाग में गलत चीजें भरने में लगे हैं. देश, हर सिख के लिए गर्व करता है. कुछ उनको गुमराह करने की कोशिश करते हैं. इससे देश का कभी भला नहीं होगा.’


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प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अस्थिर और अशांत रहे. कुछ लोग लगातार ये कोशिश कर रहे हैं. हमें, इन लोगों को ठीक से जानना होगा. हम ये भी न भूलें कि जब बंटवारा हुआ था, तो पंजाब इसका सबसे ज्यादा भुक्तभोगी बना. 1984 के दंगों में सबसे ज्यादा आंसू भी पंजाब के ही बहे.

कृषि कानूनों को लेकर प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर जोरदार कटाक्ष किया. उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी ने किसानों को उपज बेचने की आजादी दिलाने और भारत को कृषि बाजार दिलाने का इरादा जाहिर किया था. वो काम हम कर रहे हैं. आप लोग (कांग्रेस) को गर्व होना चाहिए. कहिए, देखिए मनमोहन सिंह जी ने कहा था वो मोदी को करना पड़ रहा है.


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बोले शरद पवार, कांग्रेस और हर सरकार ने कृषि सुधारों की वकालत की है. कोई पीछे नहीं है. मैं हैरान हूं कि अचानक इन्होंने यूटर्न ले लिया. आप आंदोलन के मुद्​दों को लेकर इस सरकार को घेर लेते हैं. लेकिन साथ में किसानों को ये भी कहते हैं कि बदलाव बहुत जरूरी है. इससे देश आगे बढ़ता है.

कृषि क्षेत्र में विकास को लेकर प्रधानमंत्री ने कहा कि दूध उत्पादन किन्हीं बंधनों में नहीं बंधा है. दूध के क्षेत्र में निजी और कॉपरेटिव-दोनों मिलकर काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पशु पालकों जैसी आजादी, अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को क्यों नहीं मिलनी चाहिए.

इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है. हर भारतीय, चाहे वे कहीं भी हों. इसे पूरे गर्व के साथ मनाएं.

 

उत्तराखंड : शाम तक सात शव बरामद, सेना के जवान पहुंचे, ग्रामीणों को रेस्कयू के लिए हेलीकॉप्टर तैयार

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द लीडर : उत्तराखंड के जोशीमठ के पास ग्लेशियर टूटने से बड़ी तबाही की आशंका है. शाम आठ बजे तक करीब सात मृतकों के शव बरामद किए जा चुके हैं. सेना, आइटीबीपी, एनडीआरएफ की टीमें राहत बचाव के कार्य में जुटी हैं. आपदा में 150 लोग लापता बताए जा रहे हैं. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया है.

रविवार की शाम को मुख्यमंत्री ने प्रेस कांफ्रेंस की. उन्होंने कहा कि, थल सेना, वायुसेना के हेलीकॉप्टर पहुंच चुके हैं. हमारी पहली प्राथमिकता है कि कम से कम जनहानि हो. इसके लिए युद्धस्तर पर बचाव कार्य चल रहा है. दिल्ली से 60 सदस्यीय एनडीआरएफ का दल भी पहुंच चुका है. कुछ सदस्य सोमवार तक पहुंच जाएंगे.

मुख्यमंत्री के मुताबिक हादसा सुबह करीब 9:30 से दस बजे के बीच का है. करीब 11 बजे मुझे इसकी सूचना मिली. घटनास्थल की जानकारी साझा करते हुए बताया कि ऋषिगंगा रेणु गांव के दो भाग हैं. वहीं पर करीब 13 मेगावाट का ऋषि गंगा पॉवर प्रोजेक्ट है.


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जोकि 2020 में ही स्वीकृत हुआ था. यहां पर 35 लोग काम करते थे. इसमें चार पुलिस के जवान थे. हादसे के वक्त दो अवकाश पर थे. दो पुलिस कर्मी भी लापता हैं. इस प्रोजेक्ट से पांच किलोमीटर की दूरी पर तपोवन है-जहां एनटीपीसी का एक अन्य निर्माणाधीन प्रोजेक्ट है. इस प्रोजेक्ट में काम के लिए करीब 176 मजदूर निकले थे.

वहां दो टनल हैं. एक में 15 लोग थे, जो मोबाइल से संपर्क में आ गए. उन्हें सुरक्षित निकाल लिया गया. जबकि दूसरे टनल में करीब 30 से 35 लोग थे. घटना हुई तो आस-पास के गांवों से शोर मचाने पर उन्हें भी बचाने में सफलता मिली है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि यहीं एक 250 मीटर लंबी सुरंग है, जिसमें मलबा भरा है. आइटीबीपी के जवान रस्सी के सहारे सुरंग में घुसे हैं. हालांकि अंदर किसी मजदूर से संपर्क नहीं हो सका. इस बीच सेना के लोग भी पहुंच चुके हैं.


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स्वास्थ्य सेवाओं के लिए पैरामिलिट्री फोर्सेज के साथ राज्य के अधिकारी भी कैंप किए हैं. डीआइजी और कमिश्नर गढ़वाल के साथ मैंने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया है.

पुल टूटने से ऋषि गंगा और धौली गंगा करीब 11 गांवों से संपर्क टूट गया है. उस क्षेत्र में कुल 17 गांव हैं. हालांकि आवश्यकता के लिए सेना के हेलीकॉप्टर तैनात हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के अलावा कई राज्यों के मुख्यमंत्री ने फोन पर बात कर हर संभव सहयोग देने की बात कही है.

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कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी हादसे पर दुख जताया है.

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे भीषण त्रासदी बताते हुए अपनी संवेदना प्रकट की है.

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तराखंड के लोगों से राहत बचाव कार्य में जुटने का आग्रह किया है.

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मुख्यमंत्री ने लोगों से आह्वान किया है कि वे अफवाहों से बचें. सोशल मीडिया पर कोई पुराना वीडियो साझा न करें, जिससे पैनिक हो. स्थिति से निपटने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं.


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मुख्यमंत्री ने एक अन्य ट्वीट में टोल-फ्री नंबर जारी किया है.

बरेली : सुलह के बाद चंदपुर गांव में दोबारा तामीर होगा धार्मिक स्थल, रखी बुनियाद

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द लीडर : बरेली के बिथरी चैनपुर क्षेत्र के चंदपुर गांव में ध्वस्त किए गए एक धार्मिक स्थल को दोबारा तामीर कराया जा रहा है. शनिवार को दरगाह आला हजरत से जुड़े संगठन जमात रजा-ए-मुस्तफा के प्रतिनिधि मंडल और बीडीए के अधिकारियों की मौजूदगी इसकी बुनियाद रखी गई.

आरोप है कि बीती 7 जनवरी को बरेली विकास प्राधिकरण (बीडीए) की कार्रवाई में धार्मिक स्थल को ढहाया गया था. जमात रजा-ए-मुस्तफा के नेतृत्व में स्थानीय ग्रामीणों ने इसका जबरदस्त विरोध किया. और जिला प्रशासन के आला अधिकारियों के समक्ष अपनी शिकायत दर्ज कराई. लगातार चली बातचीत के बाद धार्मिक स्थल के दोबारा निर्माण का रास्ता साफ हुआ है.

जमात के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सलमान हसन खां ने शनिवार का अपना प्रतिनिध मंडल बीडीए में भेजा था. इसमें दरगाह ताजुश्शरिया के सज्जादानशीन मुफ्ती असजद मियां के दामाद फरमान हसन खान, डॉ. मेंहदी हसन, शमीम अहमद, हैदर अली आदि शामिल थे.


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बीडीए के अधिकारियों से बातचीत के बाद ये प्रतिनिधमंडल चंदपुर गांव गया और धार्मिक स्थल की नींव रखी. इसकी रस्म नूरी मस्जिद के इमाम शारिक रज़ा ने अदा की. फातिहा और दुआ की गई. जमात के उपाध्यक्ष सलमान हसन खां ने प्रशासन के इस कदम का स्वागत किया है. जमात के प्रवक्ता समरान खान ने बताया कि बुनियाद रख दी गई है.

बंगाल : भाजपा की परिवर्तन यात्रा में जेपी नड्डा ने ममता सरकार पर प्रशासन के राजनीतिकरण और पुलिस के अपराधीकरण का आरोप जड़ा

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द लीडर : भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शनिवार को पश्चिम बंगाल में ‘परिवर्तन यात्रा’ प्रारंभ कर दी है. इस दौरान वे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार पर जमकर हमलावर दिखे. जेपी नड्डा ने कहा कि ,’ मां, माटी और मानुष के नाम पर आई इस सरकार ने बंगाल की जनता के साथ धोखा किया है.’ सवाल उठाया कि यहां क्या है, तानशाही. उन्होंने सरकार पर प्रशासन का राजनीतिकरण, पुलिस के अपराधीकरण और सरकारी संस्थाओं के भ्रष्टाचार में आकंड डूबने का आरोप लगाया है. (Bengal Nadda Mamata Government)

बंगाल में इसी साल अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने हैं. यहां कुल 294 सीटें हैं. जिन पर जीत के लिए भाजपा जी-जान से जुटी है. बंगाल, भाजपा की प्रमुखता में किस कदर शामिल है. इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि जब बिहार के विधानसभा चुनाव हो रहे थे. तब, गृहमंत्री अमित शाह बिहार के बजाय बंगाल में पार्टी को मजबूती देने में सक्रिय थे.


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बहरहाल, बंगाल में भाजपा लगातार मजबूत हो रही है. सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (TMC) के कई नेता और विधायक भाजपा का दामन थाम चुके हैं. इसमें ममता सरकार के मंत्री रहे शुभेंदु अधिकारी समेत अन्य नाम हैं. कुछ ज्वॉनइिंग की पाइपलाइन में हैं.

भाजपा नेता ऐसा दावा कर रहे हैं. भाजपा की बढ़ती ताकत ने लगातार तीसरी बार बंगाल की सत्ता पर काबिज होने का अरमान रखने वालीं ममता बनर्जी के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है.

बंगाल के मालदा में भाजपा की परिवर्तन रैली में जुटे समर्थक. फोटो, साभार जेपी नड्डा का ट्वीटर हैंडल.

शनिवार को मालदा में हुई परिवर्तन यात्रा में जेपी नड्डा ने कहा कि जो शुरुआत सबने देखी है. और जनसैलाब के रूप में जिस तरह का समर्थन मिलता दिख रहा है. वो बंगाल में परिवर्तन की नई बहार है.

मालदा में रोड शो के दौरान नड्डा ने कहा कि मैं, देख रहा हूं कि बंगाल की जनता ने टोलाबाजी और भ्रष्टाचार की सरकार को जड़ से उखाड़ फेंकना तय कर लिया है. इस दौरान उन्होंने रवींद्रनाथ टैगोर को श्रद्धांजलि भी अर्पित की.

किसानों के मुद्​दे पर ममता सरकार पर आक्रामक होते हुए कहा कि बंगाल के 25 लाख लोगों ने केंद्र सरकार को पीएम सम्मान निधि योजना के लिए अर्जी भेजी, तो ममता जी कहती हैं कि मैं भी योजना लागू करूंगी.


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बोले, ममता दीदी ने बंगाल में किसानों के साथ बड़ा अन्याय किया है. अपनी जिद के कारण किसानों को छह हजार रुपये की सम्मान निधि योजना का लाभ नहीं मिलने दिया. वह शाहपुर में आयोजित एक कृषि सम्मान-सह भोज में भी शामिल हुए.

जाटों से जस्टिस काटजू का आह्वान, मुजफ्फरनगर दंगों के लिए मुसलमानों से माफी मांग लें

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द लीडर : पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में साल 2013 के दंगों ने हिंदू-मुसलमानों के बीच नफरत की जो गहरी खांई खड़ी कर दी थी. क्या, किसान आंदोलन उस पर मिट्टी डालकर पाटने का काम रहा है? इसका सामाजिक और राजनीतिक विशलेषण जारी है. इस बीच सुप्रीमकोर्ट के न्यायाधीश रहे जस्टिस मार्केंडय काटजू ने जाटों से एक अपील की है. उन्होंने 2013 के उस घटनाक्रम के लिए मुसलमानों से माफी मांगने का आह्वान किया है. (Justice Katju Muzaffarnagar Riots Muslims)

मुफ्फरनगर दंगें में करीब 43 लोगों की मौत हो गई थी. और बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ था. तब से इस क्षेत्र में सामाजिक भाईचारा बहाली की कोशिशें चली आ रही हैं, जो नफरत की उस दरार को भरने में असफल थीं. मगर किसान आंदोलन उन घावों का मरहम बन रहा है.


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शनिवार को जस्टिस काटजू ने कहा कि ‘2013 के दंगों के बाद जाटों को लेकर मेरी राय बदल गई थी. उन्होंने (जाटों ने) क्या किया, और किस तरह से धुव्रीकरण हुआ. सब कुछ साफ है. हालांकि मौजूदा किसान आंदोलन में वे जिस तरह खड़े हो रहे और उनमें मुसलमान भी शामिल हैं. उससे मेरी राय फिर बदली है. ऐसा लगता है कि मुसलमानों से उनकी दुश्मनी खत्म हो चुकी है.’

मुफ्फरनगर की महापंचायत में किसान नेता राकेश टिकैत, जयंत चौधरी के साथ गुलाम मुहम्मद जौला. फोटो, ट्वीटर

जस्टिस काटजू कहते हैं कि ‘स्पष्ट है कि कुछ स्वार्थी राजनेताओं के सांप्रदायिक दुष्प्रचार ने उन्हें गुमराह किया था. हर किसी से गलती होती है. लेकिन समझदार वो है, जो अपनी गलतियों से सबक लेकर माफी मांगता है. इसलिए मैं, जाटों से आह्वान करता हूं कि वे 2013 के लिए मुसलमानों से माफी मांगें.’


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पश्चिम उत्तर प्रदेश को जाट लैंड के तौर पर भी जाना जाता है. किसान नेता महेंद्र सिंह टिकेत, जो कि वर्तमान आंदोलन का बड़ा चेहरा बनकर उभरे राकेश टिकेत कि पता थे. गुलाम मुहम्मद जौला, उनके सबसे करीबी माने जाते थे. यहां तक कि वे महेंद्र सिंह टिकेत के मंचों का संचालन भी किया करते थे. मगर 2013 के दंगों के बाद जौला और टिकेत परिवार अलग हो गए थे.

पश्चिमी यूपी की महापंचायत में उमड़ी भीड़

पिछले दिनों जब गाजीपुर बॉर्डर पर जारी किसान आंदोलन से राकेश टिकेत का एक भावुक वीडियो सामने आया. उसने इस क्षेत्र के सामाजिक तानेबाने को भी बदलकर रख दिया है. नफरतें, आंसुओं में बहने लगीं. इसके बाद पश्चिमी यूपी में महापंचायतें प्रारंभ हुईं. एक मंच पर गुलाम मुहम्मद जौला भी आए. उन्होंने मंच से जाट समुदाय को उनकी 2013 की गलती याद दिलाई. अब पश्चिमी यूपी में नफरत की दीवारें ढह रही हैं.

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सरसों के खेत में मरने को फेंकी गई बेटी ने मौत को हराया

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उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में करीब डेढ़ साल पहले एक बच्ची को मटके में बंद करके जमीन में जिंदा दफनाने का मामला सामने आया था. मौत को हराने वाली वो बेटी आज अच्छी परवरिश पा रही है. अब एक और वैसी ही घटना सामने आई है. जिसमें एक नवजात बच्ची को सरसों के खेत में फेंक दिया गया. लोगों की नजर पड़ी. प्राइवेट चिकित्सक रवि खन्ना के यहां उपचार के बाद उसने भी मौत को हरा दिया है. वे दोनों स्वस्थ हैं. 

चक्का जाम करने को सड़क पर किसान, दिल्ली की सीमाओं पर कड़ा पहरा

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द लीडर : संयुक्त किसान मोर्चा के देशभर में चक्का जाम के आह्वान पर कई राज्यों में किसान सड़कों पर हैं. दिल्ली में पुलिस बल का व्यवस्था कड़ा पहरा है. करीब 50 हजार जवान दिल्ली के अंदर और सीमाओं पर तैनात हैं. कई मेट्रो सेवाएं, प्रमुख स्थल बंद कर दिए गए हैं. हालांकि किसान मोर्चा पहले ही साफ कर चुका है कि दिल्ली में चक्का जाम नहीं होगा. फिर भी दिल्ली पुलिस ने एहतियात के तौर पर अपनी सुरक्षा पुख्ता कर रखी है. (Farmers Road Block Delhi Borders)

केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 73 दिनों से किसानों का आंदोलन जारी है. दिल्ली के सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर हजारों की संख्या में किसान धरने पर बैठे हैं. किसानों की मांग है कि कानून रद किए जाएं. इसी के समर्थन में शनिवार यानी चक्का जाम की अपील की गई थी. इसके अंतर्गत हाईवे को बंद किया जाना है.

दिल्ली में तैनात पुलिस बल

गाजीपुर बॉर्डर पर पत्रकारों से बातचीत में किसान नेता राकेश टिकैत ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में चक्का जाम न किए जाने की बात कही थी. इसलिए यूपी के अधिकांश हिस्सों में जाम का कोई असर नहीं है. पश्चिमी यूपी में जरूर हलचल है.


दिल्ली सीमाओं की किलाबंदी क्यों करा रही सरकार, क्या किसानों से डर लगता : राहुल गांधी


 

किसान नेता दर्शनपाल सिंह के मुताबिक दोपहर 12 बजे से तीन बजे तक किसान हॉर्न बजाकर अपनी एकजुटता का संदेश देंगे. इसके साथ ही ये अपील भी की गई कि जाम शांतिपूर्वक तरीके से किया जाए.

जाम को लेकर मोर्चा की गाइडलाइन
  • देश भर में राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों को दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक जाम किया जाएगा।
  • इमरजेंसी और आवश्यक सेवाओं जैसे एम्बुलेंस, स्कूल बस आदि को नहीं रोका जाएगा।
  •  चक्का जाम पूरी तरह से शांतिपूर्ण और अहिंसक रहेगा। प्रदर्शनकारियों को निर्देश दिए जाते है कि वे इस कार्यक्रम के दौरान किसी भी अधिकारी, कर्मचारियों या आम नागरिकों के साथ किसी भी टकराव में शामिल न हो।
  • दिल्ली NCR में कोई चक्का जाम प्रोग्राम नहीं होगा क्योंकि सभी विरोध स्थल पहले से ही चक्का जाम मोड में हैं। दिल्ली में प्रवेश करने के लिए सभी सड़कें खुली रहेंगी, सिवाय उनके, जहां पहले से ही किसानों के पक्के मोर्चे लगे हुए है।