Thursday, October 17, 2024
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भारतीय टीम करेगी नामुमकिन को मुमकिन करने का प्रयास

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वसीम अख्‍तर 

द लीडर : इंग्लैंड के खिलाफ चार टेस्ट की सीरीज का पहला मैच दिलचस्प मोड़ पर आ खड़ा हुआ है. इस मैच को जीतने के लिए भारत को 381 रन और इंग्लैंड को नौ विकेट की दरकार है. अगर भारतीय टीम ये मैच जीत जाती है तो यह रन चेज करने के एतबार से विश्व रिकॉर्ड होगा. अब से पहले किसी भी टीम ने दूसरी पारी में 420 रन बनाकर मैच नहीं जीता है.

टेस्ट में 418 रन चेज करने का रिकॉर्ड वेस्टइंडीज के नाम है, जो 2003 में उसने अपने ही देश की धरती पर ऑस्ट्रेलिया को हराकर बनाया था. भारतीय टीम अपनी ही पिच पर खेल रही है. दूसरे ऑस्ट्रेलिया को ऑस्ट्रेलिया में हराकर आने से उसका मनोबल भी ऊंचा है, जो कारनामा युवा ब्रिगेड ने अजिंक्य रहाणे की अगुवाई में किया था. कप्तान विराट कोहली भी चाहेंगे कि इंग्लैंड को भी उसी अंदाज में हराया जाए.


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अगर भारतीय बल्लेबाजों ने जीत को सामने रखकर खेला तो तय जानिये, चैन्नई टेस्ट के अंतिम दिन दर्शकों को मजा आने  जा रहा है. बहुत ज्यादा रोमांच देखने को मिल सकता है.

दूसरी पारी में इंग्लैंड के 178 रन पर आउट हो जाने के बाद भारत को 420 रन का लक्ष्य मिला है. चौथे दिन के बचे खेल में भारत ने उप-कप्तान रोहित शर्मा का विकेट गवांकर 39 रन बना लिए हैं. रोहित, आक्रामक अंदाज में खेल रहे थे लेकिन स्पिनर जेक लीच ने उन्हें बोल्ड कर दिया.

मैच के दौरान मैदान पर भारतीय खिलाड़ी.

शुभमन गिल 15 और चेतेश्वर पुजारा 12 रन बना चुके हैं. उन्हें, मंगलवार को टिककर खेलना होगा. कप्तान विराट, पहली इनिंग में बड़ा स्कोर नहीं कर पाए थे, दूसरी इनिंग में उन पर बड़ी पारी खेलने का दबाव रहेगा. अगर टॉप अार्डर बेहतर परफॉर्म कर जाता है तो फिर ऋषभ पंत मैच का रुख भारत की तरफ मोड़ने में सक्षम हैं.


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ऑस्ट्रेलिया में सीरीज जिताने के बाद पंत ने जहां से अपनी पारी खत्म की थी, इंग्लैंड के खिलाफ वह उसी अंदाज में खेलते नजर अाए. भले ही 91 रन पर आउट होने के सबब शतक से चूक गए लेकिन, शानदार बल्लेबाजी से सभी की प्रशंसा के पात्र बने हैं. 420 रन का लक्ष्य मुश्किल जरूर है. लेकिन भारत में भारत के लिए नामुमकिन नहीं है.

पहली पारी में ज्यादा अच्छा नहीं कर पाए भारतीय गेंदबाजों ने दूसरी पारी में इंग्लैंड को सस्ते में समेट दिया. यहां तक कि पहली पारी में दोहरा शतक बनाने वाले इंग्लैंड टीम के कप्तान रूट, दूसरी पारी में 40 रन ही बना सके. अश्विन और बुमराह को तीन-तीन, जबकि इशांत व नदीम ने दो-दो विकेट चटकाए.

सऊदी अरब की जेल में बंद लोकतंत्र समर्थक तीन आंदोलनकारी नाबालिगों को मौत की सजा से राहत

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द लीडर : सऊदी अरब ने सरकार विरोधी और लोकतंत्र समर्थक आंदोलनों में हिस्सा लेने वाले तीन नाबालिगों को मौत की सजा से राहत दे दी है. तीनों, दस साल जेल की सजा काटेंगे. सऊदी, जो मौत की सजा सुनाने के मामले में आगे रहा है. उसके इस ताजा फैसले को मानवाधिकार का रिकॉर्ड सुधारने के तौर पर देखा जा रहा है. (Death Sentence Minors Saudi Arabia)

शिया अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखने वाले अली-अल निम्र, दाऊद अल-मारून और अब्दुल्ला अल-जाहर को 2012 में विरोध-प्रदर्शनों से गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के वक्त तीनों नाबालिग थे. और तब से आज तक जेल में बंद हैं. इन तीनों को मौत की सजा का फरमान सुनाया गया था.


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सऊदी के मानवाधिकार आयोग (HRC) ने अपने एक बयान में कहा है कि तीनों को दस साल के कारावास की फिर से सजा सुनाई गई थी. जिसमें अधिकांश सजा वे काट चुके हैं. आगामी 2022 में उनकी रिहाई संभव है.

पिछले साल अप्रैल में सऊदी ने एक महत्वपूर्ण फैसला किया था. वो ये कि अपराध के समय जो नाबालिग होंगे. उन्हें मौत की सजा नहीं दी जाएगी. इन तीनों की माफी भी उसी फैसले के संदर्भ में देखी जा रही है.

सऊदी अरब, जो दुनियां में सबसे अधिक मृत्युदंड देने वाले देशों में से एक है. पिछले साल उसके यहां ऐसी सजा में बड़ी कमी देखी गई है. सऊदी के एचआरसी के मुताबिक 2020 में 27 लोगों को मौत की सजा दी गई थी, जो उससे पिछले साल की तुलना में 85 प्रतिशत कम है.

HRC ने पिछले साल अप्रैल में भी कहा था कि सऊदी अरब अदालत के आदेशानुसार झड़पों को समाप्त कर रहा है.

दरअसल, अक्टूबर 2018 में तुर्की की राजधानी इस्तांबुल स्थित अरब के वाणिज्य दूतावास में पत्रकार जमाल खाशोजी की हत्या कर दी गई थी. इस हत्या के छींटे क्राउंस प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान के दामन तक भी पहुंचे थे. और दुनिया भर में इसकी निंदा हुई थी. यहां तक कि सऊदी की राजशाही मानवाधिकारों के मुद्​दे पर जांच के घेरे में आ गई थी.

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इसलिए क्योंकि सऊदी में पिछले सालों में बड़े पैमाने पर कार्रवाईयां हुई हैं. इसमें शाही परिवार से जुड़े लोगों को भी हिरासत में लिया जा चुका है. हाल ही में अमेरिका के निव-निर्वाचित राष्ट्रपति जो-बिडेन मानवाधिकार को लेकर सऊदी की आलोचना कर चुके हैं.

क्या सरकार के इरादे को बदल पाएगी पंचायतों में उमड़ती किसानों की ये भीड़

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द लीडर : किसान आंदोलन के समर्थन में देश के विभिन्न हिस्सों में पंचायतों का दौर चल रहा है. इनमें किसानों की भारी भीड़ जुट रही है. किसानों की मांग साफ कि तीनों कृषि कानून वापस हों. दूसरी तरफ सरकार के इरादे भी स्पष्ट हैं. वो अपने कानूनों पर पीछे हटने को तैयार नहीं है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ये पंचायतें सरकार के इरादे को हिला पाएंगी. देखिए वीडियो

संसद में प्रधानमंत्री मोदी, विपक्ष पर क्यों इतने आक्रामक दिखे

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंदोलनकारियों को आंदोलनजीव और परिजीवी क्यों कहा. राष्ट्रवाद पर चौतरफा हमलों पर आगाह करने की जरूरत क्यों समझी. राज्यसभा में उन्होंने और क्या कुछ कहा. सुनिए

किसान आंदोलन पर फिल्मी और क्रिकेट सितारों के ट्वीट की जांच कराएगी महाराष्ट्र सरकार

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द लीडर : किसान आंदोलन के समर्थन में अमेरिकी पॉप सिंगर रिहाना के एक ट्वीट के बाद जिस तरह से भारतीय अभिनेता, क्रिकेटरों ने ट्वीटर पर सरकार का बचाव करते हुए एकजुटता का प्रदर्शन किया था. महाराष्ट्र सरकार ने अपने खुफिया विभाग को उसकी जांच के आदेश दे दिए हैं. इसमें सचिन तेंदुलकर, लता मंगेश्कर, अक्षय कुमार, सुनील शेट्टी आदि के ट्वीट की जांच हो सकती है.

कांग्रेस नेता सचिन सावंत ने समाचार एजेंसी एएनआइ से बातचीत में कहा कि, ‘रिहाना के ट्वीट पर विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया के बाद ट्वीट्स की एक सीरीज चली थी. अगर कोई शख्स अपनी मर्जी से ऐसा करता है, तब तो ठीक है. लेकिन इसमें शक की गुंजाइश है कि इसके पीछे भाजपा हो सकती है. मैंने गृहमंत्री अनिल देशमुख से बात की है. उनहोंने इंटेलिजेंस विभाग को जांच के आदेश दिए हैं.’


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सचिन सावंत ने कहा कि, ‘कुछ ट्वीट की भाषा, पैटर्न बिल्कुल एक जैसा था. एक अभिनेता ने तो भाजपा नेता को टैग भी किया है. इसलिए शक बढ़ जाता है.’

दरअसल, पिछले दिनों पॉप सिंगर रिहाना ने किसानों आंदोलन से जुड़ी सीएनएनएन की एक खबर शेयर करते हुए कहा था कि हम इस पर बात क्यों नहीं करते. इसके बाद स्वीडन की मशहूर पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटाथुनबर्ग भी किसानों के समर्थन में उतर आईं.

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उन्होंने पहले जो ट्वीट किया था, वो टूलकिट का हिस्सा माना जा रहा है, जिसे ग्रेटा डिलीट कर चुकी हैं. और दोबारा से समर्थन में ट्वीट किए. किसानों के समर्थन देने वालों में अमेरिकी उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस की भांजी मीना हैरिस समेत अन्य बड़ी हस्तियों के नाम शामिल हैं.


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इन ट्वीट्स को लेकर दिल्ली पुलिस ने एक केस दर्ज कर रखा है. पहले इसमें ग्रेटाथुनबर्ग को आरोपी बताया गया था. बाद में दिल्ली पुलिस ने साफ किया कि एफआइआर में किसी का नाम नहीं है. पुलिस ने इन ट्वीट्स को टूलकिट मानते हुए जांच करेगी.

वहीं, सचिन तेंदुलकर और लता मंगेश्वर के ट्वीट को लेकर शरद पवार और शिवसेना के नेता लगातार अपनी चिंता व्यक्त करते रहे हैं. इस आरोप के साथ कि सरकार को इन हस्तियों से ट्वीट नहीं करवाने चाहिए थे. महाराष्ट्र सरकार की ओर से जांच के आदेश को इसी दिशा में देखा जा रहा है.

प्रधानमंत्री मोदी ने क्यों कहा कि भारत के राष्ट्रवाद पर चौतरफा हमलों से देशवासियों को आगाह करना जरूरी

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द लीडर : ‘हमारा लोकतंत्र (Democracy) वेस्टर्न इंस्टीट्यूशन नहीं है. यह मानव संस्थान है. भारत का इतिहास लोकतांत्रिक संस्थानों के उदहारणों से भरा है. प्राचीन भारत में 81 गणतंत्रों का जिक्र मिलता है. आज देशवासियों को भारत के राष्ट्रवाद पर चौतरफा हो रहे हमलों से आगह करना जरूरी है. भारत का राष्ट्रवाद न तो संकीर्ण है, न स्वार्थी और नही आक्रामक है. ये सत्यम, शिवम, सुंदरम के मूल्यों से प्रेरित है.’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को संसद में अपने संबोधन में ये बातें कहीं. (Modi Countrymen Attacks India’s Nationalism)

किसान आंदोलन : किसान दिल्ली में प्रवेश न कर पाएं, इसको लेकर सिंघु बॉर्डर पर सरकार की तैयारी का दृश्य

दरअसल, पिछले दिनों दुनिया के दुनिया बड़े लोकतांत्रिक देशों में दो बड़ी घटनाएं घटीं. पहली अमेरिका के कैपिटल हिल्स में, जहां तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समर्थकों ने धावा बोल दिया था. इसमें चार लोग मारे गए थे. इस घटना ने सबसे ताकतवर लोकतंत्र का एक दूसरा चेहरा उजागर किया था. जिस पर पूरे विश्व ने दुख जताया.


देश में एक नई जमात पैदा हुई जो आंदोलन के बिना जी नहीं सकती : प्रधानमंत्री


 

दूसरी घटना 26 जनवरी को दिल्ली में घटी. हालांकि इसकी तुलना अमेरिका की घटना से करना उचित नहीं होगा. फिर भी भारत में अब तक की ये सबसे शर्मनाक घटनाओं में शुमार की जा रही है. किसानों की ट्रैक्टर परेड में शामिल एक भीड़ ने लाल किले पर धावा बोलकर वहां धार्मिक झंडे लगा दिए. कुछ जगहों पर हिंसा भी हुई, जिसमें सैकड़ों लोगों को चोटें आईं.

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चूंकि वर्तमान में किसान आंदोलन चल रहा है. दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 73 दिनों से हजारों किसान धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. गाजीपुर, सिंघु और टीकरी बॉर्डर से किसान दिल्ली में न घुस पाएं. उन्हों रोकने के लिए सरकार ने जबरदस्त बैरिकेडिंग कर रखी है.

दिल्ली बॉर्डर पर सरकार द्वारा की गई तैयारी. फोटो, साभार-राहुल गांधी ट्वीटर

रास्ते में कीले गाड़ दिए. सरहदों पर लगाए जाने वाले तार लगवाकर सशस्त्र बल तैनात कर दिया. और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दीं थीं. एक लोकतांत्रिक देश में आंदोलन से निपटने की सरकार की इन तैयारियों ने पूरी दुनिया का ध्यान, भारत की ओर खींचा.

अमेरिका की उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस की भांजी मीना हैरिस, पॉप सिंगर रिहाना, मशहूर पर्यावरण कार्याकर्ता ग्रेटाथुनबर्ग समेत कई लोगों ने किसान आंदोलन का समर्थन किया. इस बीच संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार संघ ने भी किसानों के शांतिपूर्ण आंदोलन के अधिकार हिमायत की.

इससे पहले भी वैश्विक मीडिया में भारत के लोकतांत्रिक भविष्य को लेकर लगातार सवाल उठाए जाते रहे हैं. राष्ट्रवाद पर चौतरफा हो रहे हमलों के प्रधानमंत्री के बयान को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है.

देश में एक नई जमात पैदा हुई जो आंदोलन के बिना जी नहीं सकती : प्रधानमंत्री

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नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के जवाब में संबोधन किया. इसमें विपक्ष उनके निशाने पर रहा. पीएम ने कहा, ‘मैं देख रहा हूं कि पिछले कुछ समय से देश में एक नई जमात पैदा हुई है. वो है ‘आंदोलनकारी.’ छात्र, मजदूर या वकील. हर आंदोलन में ये जमात नजर आती है. ये पूरी टोली है, जो आंदोलन के बिना जी नहीं सकती. और आंदोलन से जीने के नए रास्ते तलाशते रहते हैं.’

कृषि आंदोलन के संदर्भ में पंजाब के सिखों पर खलिस्तानी समर्थक होने की जो बयानबाजी की गई थी. प्रधानमंत्री ने सिखों के योगदान को याद करते हुए उसे भी ढकने की कोशिश की है.

उन्होंने कहा, ‘कुछ लोग खासकर पंजाब के सिख भाईयों के दिमाग में गलत चीजें भरने में लगे हैं. देश, हर सिख के लिए गर्व करता है. कुछ उनको गुमराह करने की कोशिश करते हैं. इससे देश का कभी भला नहीं होगा.’


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प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अस्थिर और अशांत रहे. कुछ लोग लगातार ये कोशिश कर रहे हैं. हमें, इन लोगों को ठीक से जानना होगा. हम ये भी न भूलें कि जब बंटवारा हुआ था, तो पंजाब इसका सबसे ज्यादा भुक्तभोगी बना. 1984 के दंगों में सबसे ज्यादा आंसू भी पंजाब के ही बहे.

कृषि कानूनों को लेकर प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर जोरदार कटाक्ष किया. उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी ने किसानों को उपज बेचने की आजादी दिलाने और भारत को कृषि बाजार दिलाने का इरादा जाहिर किया था. वो काम हम कर रहे हैं. आप लोग (कांग्रेस) को गर्व होना चाहिए. कहिए, देखिए मनमोहन सिंह जी ने कहा था वो मोदी को करना पड़ रहा है.


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बोले शरद पवार, कांग्रेस और हर सरकार ने कृषि सुधारों की वकालत की है. कोई पीछे नहीं है. मैं हैरान हूं कि अचानक इन्होंने यूटर्न ले लिया. आप आंदोलन के मुद्​दों को लेकर इस सरकार को घेर लेते हैं. लेकिन साथ में किसानों को ये भी कहते हैं कि बदलाव बहुत जरूरी है. इससे देश आगे बढ़ता है.

कृषि क्षेत्र में विकास को लेकर प्रधानमंत्री ने कहा कि दूध उत्पादन किन्हीं बंधनों में नहीं बंधा है. दूध के क्षेत्र में निजी और कॉपरेटिव-दोनों मिलकर काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पशु पालकों जैसी आजादी, अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को क्यों नहीं मिलनी चाहिए.

इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है. हर भारतीय, चाहे वे कहीं भी हों. इसे पूरे गर्व के साथ मनाएं.

 

उत्तराखंड : शाम तक सात शव बरामद, सेना के जवान पहुंचे, ग्रामीणों को रेस्कयू के लिए हेलीकॉप्टर तैयार

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द लीडर : उत्तराखंड के जोशीमठ के पास ग्लेशियर टूटने से बड़ी तबाही की आशंका है. शाम आठ बजे तक करीब सात मृतकों के शव बरामद किए जा चुके हैं. सेना, आइटीबीपी, एनडीआरएफ की टीमें राहत बचाव के कार्य में जुटी हैं. आपदा में 150 लोग लापता बताए जा रहे हैं. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया है.

रविवार की शाम को मुख्यमंत्री ने प्रेस कांफ्रेंस की. उन्होंने कहा कि, थल सेना, वायुसेना के हेलीकॉप्टर पहुंच चुके हैं. हमारी पहली प्राथमिकता है कि कम से कम जनहानि हो. इसके लिए युद्धस्तर पर बचाव कार्य चल रहा है. दिल्ली से 60 सदस्यीय एनडीआरएफ का दल भी पहुंच चुका है. कुछ सदस्य सोमवार तक पहुंच जाएंगे.

मुख्यमंत्री के मुताबिक हादसा सुबह करीब 9:30 से दस बजे के बीच का है. करीब 11 बजे मुझे इसकी सूचना मिली. घटनास्थल की जानकारी साझा करते हुए बताया कि ऋषिगंगा रेणु गांव के दो भाग हैं. वहीं पर करीब 13 मेगावाट का ऋषि गंगा पॉवर प्रोजेक्ट है.


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जोकि 2020 में ही स्वीकृत हुआ था. यहां पर 35 लोग काम करते थे. इसमें चार पुलिस के जवान थे. हादसे के वक्त दो अवकाश पर थे. दो पुलिस कर्मी भी लापता हैं. इस प्रोजेक्ट से पांच किलोमीटर की दूरी पर तपोवन है-जहां एनटीपीसी का एक अन्य निर्माणाधीन प्रोजेक्ट है. इस प्रोजेक्ट में काम के लिए करीब 176 मजदूर निकले थे.

वहां दो टनल हैं. एक में 15 लोग थे, जो मोबाइल से संपर्क में आ गए. उन्हें सुरक्षित निकाल लिया गया. जबकि दूसरे टनल में करीब 30 से 35 लोग थे. घटना हुई तो आस-पास के गांवों से शोर मचाने पर उन्हें भी बचाने में सफलता मिली है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि यहीं एक 250 मीटर लंबी सुरंग है, जिसमें मलबा भरा है. आइटीबीपी के जवान रस्सी के सहारे सुरंग में घुसे हैं. हालांकि अंदर किसी मजदूर से संपर्क नहीं हो सका. इस बीच सेना के लोग भी पहुंच चुके हैं.


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स्वास्थ्य सेवाओं के लिए पैरामिलिट्री फोर्सेज के साथ राज्य के अधिकारी भी कैंप किए हैं. डीआइजी और कमिश्नर गढ़वाल के साथ मैंने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया है.

पुल टूटने से ऋषि गंगा और धौली गंगा करीब 11 गांवों से संपर्क टूट गया है. उस क्षेत्र में कुल 17 गांव हैं. हालांकि आवश्यकता के लिए सेना के हेलीकॉप्टर तैनात हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के अलावा कई राज्यों के मुख्यमंत्री ने फोन पर बात कर हर संभव सहयोग देने की बात कही है.

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कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी हादसे पर दुख जताया है.

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे भीषण त्रासदी बताते हुए अपनी संवेदना प्रकट की है.

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तराखंड के लोगों से राहत बचाव कार्य में जुटने का आग्रह किया है.

ग्लेशियर टूटने से बिजली परियोजना में काम करने वाले 150 मजदूर लापता, राहत बचाव की पल-पल की अपडेट ले रहे प्रधानमंत्री

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