Thursday, October 17, 2024
Home Blog Page 3325

किसान आंदोलन पर सुप्रीमकोर्ट ने जताई चिंता, कोई बदलाव नजर नहीं आ रहा

0

नई दिल्ली : सुप्रीमकोर्ट ने इस बात पर चिंता जताई है कि तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनरत किसानों और सरकार के बीच जमीनी स्तर पर कोई बदलाव नजर नहीं आया है. चीफ जस्टिस एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीश पीठ ने टिप्पणी में कहा कि अदालत का मकसद किसानों और सरकार के बीच संवाद को प्रोत्साहित करना और सुविधाजनक बनाना है. (Supreme Court Farmers Protest )

अदालत नए कृषि कानूनों की वैधानिकता (legality)को चुनौती देने वाले अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. बेंच में जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्य शामिल थे. हालांकि सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत (Court) में कहा कि किसानों के साथ सरकार की बातचीत जारी है.

विवादित कृषि कानूनों को चुनौती देने के अलावा अदालत दिल्ली-एनसीआर के बाहरी हिस्सों में जारी किसानों के विरोध प्रदर्शन को खत्म करने संबंधी याचिका भी सुन रही है. जिसमें सड़कें बंद किए जाने से नागरिकों को असुविधा का हवाला दिया गया है. ये याचिका विधि के छात्र ऋषभ शर्मा की ओर से दायर की गई है.

क‍िसान आंदोलन की फाइल फोटो

सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कृषि कानून और किसान आंदोलन के मामले में सुनवाई की आवश्यकता नहीं है. क्योंकि अभी दोनों पक्षों के बीच संवाद चल रहा है. ‘आज तक’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस पर चीफ जस्टिस (Chief Justice)ने कहा कि हम सोमवार को मामले को देखेंगे. अगर बातचीत सकारात्मक रही तो सुनवाई टाल देंगे.

इसे भी पढ़ें : किसान मोर्चा का ऐलान, कानून रद नहीं किए तो 26 जनवरी पर ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर दिल्ली में करेंगे परेड

दिल्ली (Delhi)की सीमाओं पर पिछले 41 दिनों से किसानों का धरना-प्रदर्शन (Protest) जारी है. किसान, तीनों कानूनों (Laws)को रद किए जाने की मांग पर डटे हैं. सरकार और किसान नेताओं के बीच सात दौर की बातचीत हो चुकी है, जो बेनतीजा रही है. अगली बातचीत 8 जनवरी को तय है.

इस बीच किसान आंदोलन को और तेज करने का ऐलान कर चुके हैं. सरकार के साथ बातचीत में कोई हल न निकलने की सूरत में गणतंत्र दिवस पर 26 जनवरी को किसानों ने दिल्ली में ट्रैक्टर-ट्रॉली से परेड की घोषणा कर रखी है. इस बीच किसान नेताओं ने दिल्ली राजभवन के बाहर भी प्रदर्शन की योजना बनाई है.

बीते रविवार से दिल्ली का मौसम खराब है. कड़ाके की ठंड के बीच लगातार बारिश हो रही है. इससे आंदोलनरत किसान बेहाल है. बिस्तर, राशन भीगने और ठंड के कारण उनकी मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. किसान नेताओं के मुताबिक आंदोलन के दौरान अब तक 50 से अधिक किसानों की जानें (Death)जा चुकी हैं.

उमर खालिद समेत यूएपीए के तहत बंद अन्य आरोपियों को जेल में मिलेगी चार्जशीट की सॉफ्ट कॉपी

0

नई दिल्ली : गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम-2020 (UAPA) के तहत जेल में बंद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद (Umar Khalid) समेत अन्य आरोपियों को चार्जशीट (Charge Sheet)की सॉफ्ट कॉपी जेल में मुहैया कराई जाएगी. दिल्ली की एक अदालत (Court)ने आरोपी उमर खालिद द्वारा दिए गए आवेदन के बाद ये आदेश पारित किया है. (Umar UAPA JNU Delhi )

इसके साथ ही आरोपी उमर खालिद, शरजील इमाम, देवांगना कालिता, नताशा नरवाल समेत अन्य आरोपियों की न्यायिक हिरासत 19 जनवरी तक के लिए बढ़ा दी गई है.

पिछले साल नागरिकता संशोधन कानून (CAA)को लेकर जारी आंदोलन के दौरान पूर्वी दिल्ली में दंगे भड़क गए थे. इसमें 50 से अधिक नागरिकों की मौत हुई थी. घटना में दिल्ली पुलिस ने 2200 से अधिक गिरफ्तारियां की थीं. जेएनयू, जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के कई छात्र और छात्रनेता भी आरोपी बनाए गए हैं.

प‍िछले साल द‍िल्‍ली में भड़के दंगे के बाद क्षेत्र की एक फाइल फोटो

इसी प्रकरण से जुड़े (राज्य बनाम ताहिर हुसैन) मामले की सुनवाई दिल्ली की एक अदालत कर रही है.

बार एंड बेंच’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक मंगलवार को सुनवाई के दौरान आरोपी उमर खालिद जेल से ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये अदालत के समक्ष हाजिर हुए. उन्होंने अदालत को बताया कि आरोप पत्र की अक्षमता निष्पक्ष सुनवाई के उनके अधिकार का उल्लंघन है. (Umar UAPA JNU Delhi )

इसे भी पढ़ें :  घोटाले में फंसा वो IPS अफसर जिसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने रखा 50 हजार का ईनाम

खालिद की ओर से पेश अधिवक्ता त्रिदीप पाइस ने कोर्ट से अपील करते हुए कहा कि उन्हें दिए गए 30 मिनट के कानूनी साक्षात्कार में, चार्जशीट की सामग्री पर चर्चा करना संभव नहीं था, क्योंकि उनकी कानूनी रणनीति को प्राप्त करने में उसी समय का उपयोग किया जाना था. ये जोड़ा गया था कि चार्जशीट तक पहुंच की अनुमति देने से प्रभावी निर्देश भी मिलेंगे.

अदालत ने अपने आदेश में कहा, देवांगना कालिता को छोड़कर, जिनके लिए पेनड्राइव के रूप में ई-चार्जशीट पहले ही प्रदान की जा चुकी है, सभी आरोपी व्यक्तियों को चार्जशीट की सॉफ्ट कॉपी प्रदान की जाती है.

इससे पहले उमर खालिद ने कोर्ट ये बताया था कि उन्हें चार्जशीट प्राप्त नहीं हुई है, जबकि ये पहले ही मीडिया में लीक हो चुकी है.

पाकिस्तान की सुप्रीमकोर्ट का आदेश, दो सप्‍ताह के अंदर शुरू करें तोड़ी गई समाधि का न‍िर्माण

0

द लीडर : पाकिस्तान की सुप्रीमकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि हिंदू संत श्री परमहंस जी महाराज की तोड़ी गई समाधि का दो हफ्ते के अंदर दोबारा निर्माण शुरू कराया जाए. इसके साथ ही खैबर पख्तूनवाह प्रांत की सरकार को कोर्ट में इसकी रिपोर्ट पेश करने को कहा है. अदालत ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि इस घटना से पूरी दुनिया में मुल्क की छवि खराब करने वाला संदेश गया है.

बीते दिनों कट्टरपंथियों की एक भीड़ ने खैबर पख्तूनवाह प्रांत के करक जिले में स्थित संत श्री परमंस जी की समाधि ढहा दी थी. इस घटना के वायरल वीडियो ने पूरी दुनियां का ध्यान खींचा था. इस पर भारत सरकार ने भी पाकिस्तान के समक्ष कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी.

समाध‍ि स्‍थल का फाइल फोटो,

बहरहाल, पाकिस्तान के सुप्रीमकोर्ट ने घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की. मंगलवार को चीफ जस्टिस गुलजार अहमद की अगुवाई में तीन सदस्यीय बेंच ने मामले को सुना. कोर्ट ने कहा कि समाधि का न सिर्फ पुननिर्माण कराया जाए, बल्कि इसके खर्च की वसूली तोड़ने वालों से की जाए.

इसे भी पढ़ें: पाकिस्तान में शिया हाजरा समुदाय के 11 खनिकों की अगवा कर हत्या

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक सुनवाई के वक्त आइजी सनाउल्ला ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में करीब 92 पुलिसकर्मियों को निलंबित किया जा चुका है. जबकि 109 लोगों की गिरफ्तार की गई है. उन्होंने एक मौली पर हिंसा भड़काने की जानकारी दी है. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि पुलिस अधिकारियों का निलंबन काफी नहीं है. सरकार के आदेश का किसी भी हाल में पालन होना चाहिए.

अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने पर आलोचना

अल्पसंख्यकों को निशाना बनाये जाने को लेकर पाकिस्तान की आलोचना होती रही है. हाल ही में बलूचिस्तान प्रांत में 11 कोयला खनिकों को अगवा कर मौत के घाट उतारने का मामला सामने आ चुका है. मृतक शिया हाजरा समुदाय के थे. इसको लेकर पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन भी हो रहे हैं.

घोटाले में फंसा वो IPS अफसर जिसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने रखा 50 हजार का ईनाम

0

लखनऊ : पुलिस का इकबाल बुलंद रखने की शपथ लेने वाले भारतीय पुलिस सेवा (IPS)के एक अधिकारी आज खुद ही पुलिस से छिपते फिर रहे हैं. ये अफसर हैं अरविंद सेन, जो फिलहाल डीआइजी के पद से निलंबित चल रहे हैं. करीब नौ करोड़ रुपये के एक घोटाले में आरोपी हैं. इनकी धरपकड़ के लिए ईनामी राशि 25 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दी गई है.

उत्तर प्रदेश पशुपालन विभाग में 292 करोड़ रुपये के एक फर्जी टेंडर में सेन फंसे हैं. मध्यप्रदेश के इंदौरी निवासी कारोबारी मंजीत सिंह भाटिया ने 13 जून 2020 को लखनऊ के हजरतगंज थाने में एक एफआइआर दर्ज कराई थी. इसमें आरोप लगाया था कि गेहूं, दाल, चीनी, आटा आदि की सप्लाई का टेंडर दिलाने के नाम उनसे 9.72 करोड़ रुपये ठगी की गई है.

जबिक हकीकत में विभाग की ओर ऐसा कोई टेंडर निकाला ही नहीं गया. शुरुआत में हजरतगंज पुलिस ने मामले की जांच की. बाद में ये प्रकरण एसटीएफ के हवाले कर दिया गया.

मंत्री के प्रधान सचिव समेत 9 को जेल

करीब छह महीने तक चली जांच के बाद पुलिस ने इस मामले में पशुपालन राज्य मंत्री के तत्कालीन प्रधान सचिव समेत 10 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी. करीब 10 हजार पन्नों की इस चार्जशीट में सरकारी गाडियों तक के उपयोग की बात सामने आई थी. बहरहाल, अब तक एसटीएफ नौ आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है.

कोर्ट में हाजिर न होने पर भगौड़ा करार दिये गए सेन

एंटी करप्शन कोर्ट में हाजिर न होने पर अरविंद सेन को भगोड़ा घोषित किया जा चुका है. कोर्ट में उपस्थित न होने की स्थिति में उनकी संपत्ति कुर्क किए जाने के आदेश भी जारी हो चुके हैं. इसी मामले में अब सेन के लखनऊ और अयोध्या स्थित आवास पर नोटिस चस्पा किए गए हैं.


मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट, ‘सेंट्रल विस्टा’ को सुप्रीमकोर्ट कोर्ट की मंजूरी


हाईप्रोफाइल रैकेट ने रची साजिश

इस घोटाले की साजिश अधिकारी-कर्मचारियों के इस हाई प्रोफाइल रैकेट ने रची. इसमें पशुधन राज्यमंत्री के प्रधान सचिव रहे रजनीश दीक्षित, धीरज कुमार, कथित पत्रकार एके राजीव आदि शामिल थे. बहरहाल, अब अरविंद सेन पर शिकंजा कसा जाने लगा है. संभावना जताई जा रही है कि वे जल्द ही आत्मसमर्पण कर देंगे या पुलिस गिरफ्तार कर लेगी.

2003 बैच के अफसर हैं सेन

उत्तर प्रदेश पुलिस की वेबसाइट के मुताबिक अरविंद सेन 2003 बैच के आइपीएस अफसर हैं. मूलरूप से फैजाबाद, अब अयोध्या के निवासी सेन ने एलएलबी के साथ एमए की डिग्री ली है.

मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट, ‘सेंट्रल विस्टा’ को सुप्रीमकोर्ट कोर्ट की मंजूरी

0

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महात्वाकांक्षी ‘सेंट्रल विस्टा‘ परियोजना को सुप्रीमकोर्ट से हरी झंडी मिल गई है. इसके साथ ही संसद की नई और भव्य इमारत बनने का रास्ता लगगभ साफ हो गया है. करीब 20 हजार करोड़ रुपये के लागत वाली इस परियोजना को केंद्र सरकार ने धन की बर्बाद नहीं, बल्कि बचत का माध्यम बताया है. सरकार ने अदालत में कहा कि इस प्रोजेक्ट के तैयार होने के बाद हर साल करीब 1,000 करोड़ की बचत होगी, जो अभी किराये के भवनों पर खर्च होता है. (Supreme Court Central Vista)

केंद्र की परियोजना को लेकर सुप्रीमकोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल हुईं थीं. बीते दिनों कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को इसकी बुनियाद रखने की इजाजत दी थी. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी परियोजना की नींव रख थी.

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने परियोजना पर सुनवाई की. बेंच में जस्टिस एएम खानविल्कर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल थे. कोर्ट ने पर्यावरण समिति की रिपोर्ट को नियमों के अनुरूप माना है.

सेंट्रल विस्ट प्रोजेक्ट का प्रस्तावित नक्शा. फोटो, साभार ट्वीटर

अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि हम सेंट्रल विस्ट परियोजना को मंजूरी देते समय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा दी गई सिफारिशों को बरकरार रखते हैं. इसके साथ ही निर्माण कार्य शुरू करने के लिए हेरिटेज संरक्षण समिति की मंजूरी जरूरी है.

बेंच का ये फैसला दो-एक के बहुमत से है. कुछ बिंदुओं पर जस्टिस संजीव खन्ना का अलग मत रहा. वह लैंड यूज के बदलाव से सहमति नहीं हैं. उन्होंने कहा कि परियोजना की शुरुआत से पहले हेरिटेज संरक्षण समिति की मंजूरी लेनी आवश्यक थी.


कोरोना के खिलाफ ‘रामवाण’ जैसा काम करेगा ये स्वदेशी टीका


किराये के भवनों पर एक हजार करोड़ खर्च

सरकार ने कोर्ट में कहा कि परिजनों पर 20 हजार करोड़ का खर्च धन की बर्बाद नहीं हैं, बल्कि भविष्य में इससे बड़ी बचत होगी. अभी दस इमारतों, जिनमें मंत्रालयों के कार्यालय हैं, उनके सालाना किराये पर करीब एक हजार करोड़ रुपये का खर्च होता है. नई प्रोजेक्ट के बाद ये धन बचेगा. साथ ही मंत्रालयों के बीच समन्वय भी अच्छा होगा.

1927 में बनी था संसद भवन

दिल्ली के लुटियंस जोन में वर्तमान संसद भवन का निर्माण 1927 में हुआ था. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी थी कि जब लोकसभा और राज्यसभा का संयुक्त सत्र बुलाया जाता है. तब सदस्यों के बैठने की जगह और संसाधन दोनों कम पड़ जाते हैं. एक तरह से ये सदस्यों की गरिमा का भी मामला है.

हाड़ कंपाती ठंड और बारिश के बीच ट‍िकरी बॉर्डर पर किसानों का अर्धनग्न होकर प्रदर्शन

0

नई दिल्ली : कड़ाके की ठंड में बारिश ने दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. सिंघु बॉर्डर, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के ठिकानों पर पानी भरा है. बिस्तर, राशन भी भीग चुका है. इस सबके बावजूद उनका हौसला पस्त नहीं है. मंगलवार को रिमझिम फुहारों के बीच टिकरी बॉर्डर पर किसानों ने कमीज (शर्ट) उतारकर विरोध-प्रदर्शन किया. देशभर के हजारों किसान केंद्र सरकार के तीन नये कृषि कानूनों (Farm Laws) को रद करने की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं. (Farmers Protest Scorching Cold)

प्रदर्शन के बीच बॉर्डर पर सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है. किसानों ने स्पष्ट किया है कि बरसात से परेशानी जरूर हो रही है. मगर कानून वापस होने तक वे पीछे नहीं हटेंगे. मंगलवार को आंदोलन का 39वां दिन है. किसान नेता और सरकार के बीच सोमवार को ही 7वें दौर की बातचीत हुई थी, जो बेनतीजा रही है. अगली बैठक 8 जनवरी को तय हुई है.

बार‍िश के बीच अपना रैन बसैरा ठीक करते क‍िसान, फोटो साभार एएनआइ ट़वीटर एकाउंट

इस बीच किसान-मजदूर संघर्ष कमेटी, पंजाब के सुखविंद सिंह सभरा ने समाचार एजेंसी एएनआइ से बातचीत में सरकार की नीयत में खोट की बात कही है. सभरा ने कहा कि आठ जनवरी को 8वें दौर की बात होगी. बातचीत में कुछ निकलता दिखाई नहीं दे रहा है. सरकार एक कदम भी पीछे हटने को तैयार नहीं है. उनका कहना है कि प्रधानमंत्री स्वयं बैठक कर कानूनों को रद करने की बात करें.

गाजीपुर सीमा पर किसानों का प्रदर्शन जारी है. एक प्रदर्शनकारी बताते हैं कि बारिश और ठंड से हमें कोई परेशानी नहीं है. किसान का जीवन ही संघर्ष है. हम यहां से तभी जाएंगे जब सरकार एमएसपी को कानून बना देगी. इससे पहले नहीं जाएंगे.

आंदोलनकारियों पर मौसम की आफत

दिल्ली में मंगलवार को भी बारिश हो रही है. मौसम विभाग के मुताबिक अगले कुछ घंटों तक आस-पास के हिस्सों में हल्की बारिश होने का अनुमान है. वहीं, पिछले दो दिनों से बारिश का सामना कर रहे किसानों के लिए ये मौसम एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आया है. इसलिए क्योंकि पहले से ही दिल्ली में भयंकर ठंड पड़ रही है. आंदोलन में बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे भी हैं, जो इस संकट का सामना कर रहे हैं.


किसान आंदोलन : पंजाब विश्वविद्यालय के छात्रों के खुले पत्र के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने दायर किया मुकदमा


 

मुख्यमंत्री ने मुरादनगर हादसे के आरोपियों पर एनएसए लगाने का दिया आदेश

0

लखनऊ : गाजियाबाद के मुरादानगर हादसे में मुख्यमंत्री (Chief Minister) योगी आदित्यनाथ ने बड़ा एलान करते हुए आरोपियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA)के तहत कार्रवाई का आदेश जारी किया है. इसके साथ ही पीड़ित परिवारों को 10-10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है. बीती तीन जनवरी को मुरादनगर के एक शमशान स्थल पर निर्माणाधीन भवन का छज्जा गिरने से कम से कम 24 लोगों की मौत हो चुकी है. (Chief Minister NSA Muradnagar)

इस दिल दहलाने वाली घटना में 17-18 लोग घायल हो गए थे. जिनका इलाज चल रहा है. मुख्यमंत्री के निर्देश पर स्थानीय प्रशासन पूरे मामले की जांच में जुटा है. इस मामले में ईओ नगर पालिका, इंजीनियर और सुपरवाइज को सोमवार को गिरफ्तार कर लिया गया था. वहीं ठेकेदार फरार था.

मुरादनगर हादसे की फाइल फोटो

जिस पर 25 हजार रुपये का ईनाम रखा गया था. देर रात वो पुलिस की गिरफ्त में आ गया है. गाजियाबाद के एसएसपी ने समाचार एजेंसी एएनआइ से बातचीत में कहा कि ठेकेदार से पूछताछ जारी है. आरोपियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

रविवार को ये हादसा तब हुआ, जब एक अंतयेष्टी में लोग शमशान स्थल पहुंचे थे. दोपहर को अचानक भवन का छज्जा ढह गया और करीब 40 से अधिक लोग उसके नीचे दब गए थे. बाद में व्यापक बचाव अभियान चलाकर लोगों को बाहर निकाला गया था.

परिजनों ने किया था प्रदर्शन

सोमवार को पीड़ित परिजनों ने मुरादनगर में विरोध-प्रदर्शन किया था. चूंकि मुख्यमंत्री पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि इस लापरवाही में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा. इसलिए स्थानीय प्रशासन भी पूरी शिद्दत के साथ कार्रवाई में जुटा है.


मुरादनगर हादसे में मृतकों की संख्या पहुंची 24 तीन अधिकारी गिरफ्तार-परिजनों ने किया प्रदर्शन


 

उवैसी के बंगाल में चुनाव लड़ने के एलान पर यूपी से मौलाना तौकीर का बड़ा एलान

0

वसीम अख्‍तर

द लीडर. पश्चिम बंगाल बंगाल के विधानसभा चुनाव इसी साल होने हैं. उसके लिए राजनीतिक घमासान शिद्​दत इख्तेयार कर रहा है. हालांकि बिहार चुनाव के बाद ही यह तय हो गया था कि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लेमीन (एआइएमआइएम) के मुखिया असदुद्​दीन उवैसी का अगला पड़ाव पश्चिम बंगाल होगा, जिसका उन्होंने रविवार को कोलकाता पहुंचकर विधिवत एलान कर दिया. (Maulana Tauqeer Owaisi Bengal)

उनके इस एलान के कुछ घंटे बाद ही एक और एलान दरगाह आला हजरत खानदान की अहम शख्सियत मौलाना तौकीर रजा खां की तरफ से हुआ है. ऑल इंडिया इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के नाम से राजनीतिक पार्टी चलाने वाले मौलाना तौकीर ने धमकी भरे लहजे में कहा है कि अगर उवैसी बंगाल जाते हैं तो हम भी वहां जाएंगे.

उन्हें (उवैसी) सांप्रदायिक दलों से सांठगांठ की बुनियाद पर मुस्लिम वोटों का बंटवारा नहीं करने देंगे. बंगाल चुनाव के बाद हैदराबाद जाकर भी उवैसी को चुनौती पेश की जाएगी

बंगाल में तृणमूल और भाजपा के बीच मचे घमासान के बीच उवैसी ने कोलकाता से सीधे हुगली जिले के श्रीरामपुर क्षेत्र के फुरफुरा शरीफ मजार पहुंचकर हाजरी दी. पीरजादा अब्बास सिद्दीकी के साथ बैठक के बाद बंगाल के विधानसभा चुनाव में उतरने का एलान कर दिया. (Maulana Tauqeer Owaisi Bengal)

फुरफुरा शरीफ दरगाह, फोटो

उनके ऐसा करते ही तृणमूल कांग्रेस के साथ कांग्रेस ने भी उन्हें आड़े हाथों लिया है. सबसे खास बात यह कि इस खींचतान में आइएमसी के मुखिया मौलाना तौकीर रजा खां भी कूद आए हैं. वह एआइएमआइएम सुप्रीमो उवैसी को चेतावनी पहले ही दे चुके थे.

कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश के बरेली शहर स्थित आवास आवास पर प्रेस कांफ्रेंस में कहा था-अगर उवैसी बंगाल गए तो फिर हम हैदराबाद जाएंगे. उनके खिलाफ कंडीडेट उतारेंगे. सोमवार को मौलाना ने द लीडर से बातचीत में कहा-सांप्रदायिक दलों को फायदा पहुंचाने के लिए मुस्लिम वोटों के बंटवारे की कोशिश नाकाबिले कुबूल है. (Maulana Tauqeer Owaisi Bengal)

उवैसी ही नहीं हम भी बंगाल जाएंगे. वहां मुसलमानों के बीच एआइएमआइएम की असलियत बयां करेंगे. बताएंगे कि भाजपा से मिलकर उवैसी कौम को कितना बड़ा नुकसान पहुंचाने की कोशिश रहे हैं.

बंगाच पहुंचे सांसद असदुद्दीन उवैसी. फोटो, साभार-एएनआइ ट्वीटर

अपनी इस कोशिश को कामयाब बनाने के लिए हम मुहिम छेड़ेंगे. किसी के बहकावे में आकर चुनाव में बंटें नहीं, मुसलमानों को समझाएंगे. मौलाना ने कहा कि बात यहीं खत्म नहीं होगी. बंगाल का हिसाब हैदराबाद में भी चुकता किया जाएगा. वहां लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी-आइएमसी, उवैसी के खिलाफ मजबूत उम्मीदवार लड़ाएगी. (Maulana Tauqeer Owaisi Bengal)



दोस्ती में खटास

एआइएमआइएम के मुखिया असदुद्दीन उवैसी बरेली में दरगाह आला हजरत पर हाजरी देने भी आ चुके हैं. पिछले साल वह बरेली में मौलाना तौकीर रजा खां के मेहमान बने थे. साथ मिलकर सांप्रदायिक दलों के खिलाफ लड़ने का एलान किया था. संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में दोनों ही ने एक दूसरे की तारीफ की थी.

उस वक्त की बातचीत में साफ संकेत मिले थे कि दोनों मुस्लिम शख्सियत साथ मिलकर चुनावी रण में कूदेंगी.

उवैसी के बरेली आने पर हुई दोस्ती बंगाल चुनाव से पहले टूटती दिख रही है. वहां के चुनाव में दोनों के रास्ते अलग होंगे. उवैसी तृणमूल कांग्रेस की मुखिया एवं बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ ताल ठोकेंगे तो इसके जवाब में मौलाना तौकीर एआइएमआइएम की मुखालेफत करते दिखाई देंगे. यानी दोनों के रास्ते अलग होंगे. दोस्ती सियासी दुश्मनी में तब्दील हो जाएगी. (Maulana Tauqeer Owaisi Bengal)

दरगाह आला हजरत

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में आला हजरत की दरगाह है, जो देश में सुन्नी-बरेलवी मुसलमानों का मरकज (केंद्र) मानी जाती है. मौलाना तौकीर रजा खां का ताल्लुक इसी घराने है. यूपी, बिहार, बंगाल समेत देशभर से सुन्नी मुसलमानों की दरगाह आला हजरत से अकीदत है. ऐसे में अगर मौलाना तौकीर रजा खां बंगाल का रुख करते हैं, तो उवैसी को चुनौती मिल सकती है. (Maulana Tauqeer Owaisi Bengal)

सरकार के साथ बैठक में किसान नेताओं की दो-टूक, कानून रद होने तक घर नहीं लौटेंगे

0

नई दिल्ली : केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच सातवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही. किसान प्रतिनिधि मंडल अपने स्पष्ट मत के साथ तीनों कृषि कानूनों (Farm Laws) को रद किए जाने की मांग पर अड़ा रहा. आखिर में साफ किया जब तक कानून वापस नहीं होंगे, किसान घर नहीं जाएंगे. वे दिल्ली (Delhi) की सीमाओं पर ही डटे रहेंगे. बहरहाल, अब आठ जनवरी एक बार फिर से बैठक होगी. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने आठ जनवरी को किसी निष्कर्ष पर पहुंचने की उम्मीद जताई है. (Farmers Leader Government Meeting)

सोमवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में किसान संगठनों के प्रतिनिधि मंडल के साथ कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बैठक की. जो दोपहर दो बजे शुरू हुई. करीब चार घंटे तक वार्ता चली. इससे पहले आंदोलन के दौरान मारे गए करीब 50 किसानों को श्रद्धांजिल देते हुए दो मिनट की शोकसभा हुई.

जैसे कि बैठक से पहले ही किसान नेताओं ने स्पष्ट किया था कि उनकी एक ही मांग है-सरकार कृषि कानूनों को वापस करे और एमएसपी की गारंटी सुनिश्चित करे. वार्ता की मेज पर उन्होंने यही एक मुद्​दा रखा. कृषि मंत्री ने किसान नेताओं से कानून पर चर्चा की पेशकश की. जिस पर किसान राजी नहीं हुए. (Farmers Leader Government Meeting)

किसान नेता हन्नान मोल्लाह, साभार एएनआइ ट्वीटर.

बैठक के बाद अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने समाचार एजेंसी एएनआइ से बातचीत में कहा कि, ‘सरकार काफी दबाव में है. हम सभी ने कहा कि हमारी मांग है, तीनों कानूनों को निरस्त कराना. हम कानूनों को रद करने के अलावा किसी दूसरे विषय पर चर्चा नहीं चाहते हैं. कानून रद किए जाने तक विरोध वापस नहीं लिया जाएगा.’

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एएनआइ से कहा कि, ‘हम चाहते थे कि किसान संगठन तीनों कानूनों पर चर्चा करें. मगर संगठन कानून निरस्त किए जाने पर अड़े रहे. फिर भी आज की चर्चा को देखते हुए मुझे पूरी उम्मीद है कि अगली बैठक में हम एक सार्थक संवाद कर निष्कर्ष पर पहुंचेंगे.’

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर

भारतीय किसान यूनियन के नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि मंत्री चाहते थे कि हम कानूनों पर बिंदुवार चर्चा करें. हमने इसे खारिज कर दिया. कहा कि कानूनों पर चर्चा करने का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि हम कानूनों को रद कराना चाहते हैं. सरकार हमें संशोधन की ओर से ले जाना चाहती है, जो मंजूर नहीं है.


किसान आंदोलन : पंजाब विश्वविद्यालय के छात्रों के खुले पत्र के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने दायर किया मुकदमा


पिछले 39 दिनों से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश समेत विभिन्न राज्यों के हजारों किसान दिल्ली की सीमाअों पर डेरा डाले हैं. वे केंद्र सरकार के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत हैं. इसी क्रम में सरकार और किसान नेताओं के बीच संवाद भी जारी है. बीते 30 दिसंबर को भी दोनों पक्ष वार्ता के पटल पर बैठे थे. (Farmers Leader Government Meeting)

किसान आंदोलन : पंजाब विश्वविद्यालय के छात्रों के खुले पत्र के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने दायर किया मुकदमा

0

नई दिल्ली : दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों पर पुलिस और अर्धसैनिक बलों द्वारा कथित रूप से हमले की जांच के लिए सुप्रीमकोर्ट ने मुकदमा दायर किया है. पंजाब यूनिवर्सिटी के छात्रों ने किसानों के विरुद्ध हुई कार्रवाई पर खुला पत्र जारी करते हुए शीर्ष अदालत से हस्तक्षे का अनुरोध किया था. सुप्रीमकोर्ट ने इसी पत्र का संज्ञान लिया है.

बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के अनुसार पत्र में कहा गया है कि अपने गृह राज्य में दो महीनों तक शांतिपूर्ण प्रदर्शन के बाद किसानों को मजबूरन दिल्ली मार्च करना पड़ा. लेकिन कोई हल नहीं निकला. छात्रों का दावा है कि सरकार और पक्षपाती मीडिया संस्थान, किसानों का संकट दूर करने के बजाय प्रदर्शनकारियों को अलगाववादियों के रूप में प्रदर्शित कर रहे हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक छात्रों ने कहा कि, ‘इस गंभीर संकट का हल तलाशने के बजाय और गैर-पक्षपाती मीडिया शांतिपूर्ण आंदोलन को अलगाववाद से जोड़कर धुव्रीकरण की कोशिश कर रहे हैं. यहां तक कि क्रूर हमलों में घायल होने के बावजूद किसान, सांप्रदायिकता मुक्त रसोई और भोजन का बंदोवस्त कर रहे हैं.’ छात्रों ने के इस पत्र में मीडिया चैनलों के विरुद्ध भी कार्रवाई की मांग उठाई गई है.


एमपी : पुलिस बोली, कॉमेडियन फारूकी ने देवताओं का अपमान किया, इसका कोई वीडियो नहीं


हरियाणा में हुआ था लाठीचार्ज

पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के हजारों किसान पिछले 39 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं. आंदोलन के लिए जब पंजाब और हरियाणा के किसान दिल्ली कूच कर रहे थे. उनके विरुद्ध पुलिस कार्रवाई हुई थी. इसमें आंसू गैस के गोले दागने से लेकर लाठीचार्ज तक की कार्रवाई के आरोप लगे थे. बीते रविवार को राजस्थान से दिल्ली आ रहे किसानों पर भी हरियाणा में आंसू गैस के गोले दागने का मामला सामने आ चुका है.