नई दिल्ली : दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों पर पुलिस और अर्धसैनिक बलों द्वारा कथित रूप से हमले की जांच के लिए सुप्रीमकोर्ट ने मुकदमा दायर किया है. पंजाब यूनिवर्सिटी के छात्रों ने किसानों के विरुद्ध हुई कार्रवाई पर खुला पत्र जारी करते हुए शीर्ष अदालत से हस्तक्षे का अनुरोध किया था. सुप्रीमकोर्ट ने इसी पत्र का संज्ञान लिया है.
बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के अनुसार पत्र में कहा गया है कि अपने गृह राज्य में दो महीनों तक शांतिपूर्ण प्रदर्शन के बाद किसानों को मजबूरन दिल्ली मार्च करना पड़ा. लेकिन कोई हल नहीं निकला. छात्रों का दावा है कि सरकार और पक्षपाती मीडिया संस्थान, किसानों का संकट दूर करने के बजाय प्रदर्शनकारियों को अलगाववादियों के रूप में प्रदर्शित कर रहे हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक छात्रों ने कहा कि, ‘इस गंभीर संकट का हल तलाशने के बजाय और गैर-पक्षपाती मीडिया शांतिपूर्ण आंदोलन को अलगाववाद से जोड़कर धुव्रीकरण की कोशिश कर रहे हैं. यहां तक कि क्रूर हमलों में घायल होने के बावजूद किसान, सांप्रदायिकता मुक्त रसोई और भोजन का बंदोवस्त कर रहे हैं.’ छात्रों ने के इस पत्र में मीडिया चैनलों के विरुद्ध भी कार्रवाई की मांग उठाई गई है.
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हरियाणा में हुआ था लाठीचार्ज
पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के हजारों किसान पिछले 39 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं. आंदोलन के लिए जब पंजाब और हरियाणा के किसान दिल्ली कूच कर रहे थे. उनके विरुद्ध पुलिस कार्रवाई हुई थी. इसमें आंसू गैस के गोले दागने से लेकर लाठीचार्ज तक की कार्रवाई के आरोप लगे थे. बीते रविवार को राजस्थान से दिल्ली आ रहे किसानों पर भी हरियाणा में आंसू गैस के गोले दागने का मामला सामने आ चुका है.