देशभर में कोयले की किल्लत से संकट : आपके घर की बत्ती भी हो सकती है गुल, एक क्लिक में पढ़ें पूरी खबर

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द लीडर । इन दिनों देशभर में कोयले की किल्लत से संकट पैदा हो गया है। अन्य राज्यों की तरह उत्तर प्रदेश में भी कोयले की कमी से पैदा हुआ बिजली संकट बढ़ता ही जा रहा है। ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरों तक में जबरदस्त बिजली कटौती हो रही है। अब जल्द ही आपके घर की बत्ती भी गुल हो सकती है। कोयले की कमी के कारण देश पर ब्लैक आउट का खतरा मंडराने लगा है। पिछले कुछ दिनों से पावर प्लांट्स को जरूरत के मुताबिक कोयला नहीं मिल पा रहा है, जिसके कारण पावर प्लांट बजली कटौती का संकट मंडराने लगा है। महाराष्ट्र में तो कई कोल पावर प्लांट्स को बंद करना पड़ा है। वहीं दिल्ली ने कहा है कि, अगर पावर प्लांट को पर्याप्त कोयला नहीं मिला तो दो दिन बाद से राजधानी में बिजली संकट पैदा हो जाएगी। इसके अलावा पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश समत कई राज्यों में कोल संकट गहराने लगा है। वहीं सरकार का कहना है कि अगले तीन से चार दिनों में इस समस्या को सुलझा लिया जाएगा।


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अगले 5-6 महीने बना रह सकता है संकट

भारत में 135 पावर प्लांट्स ऐसे हैं, जो कोयले से चलते हैं. इनमें से 107 पावर प्लांट ऐसे हैं, जिनके पास अगले 5 दिनों का या उससे भी कम कोयला बचा है. 28 पावर प्लांट्स ऐसे हैं, जिनका कोयला अगले दो दिनों में ही खत्म हो सकता है. शायद यही वजह है कि, आपके घर और दफ्तर की बिजली बार बार कट रही है. फिलहाल सबसे खराब स्थिति उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की है. भारत के बिजली मंत्रालय ने भी साफ कर दिया है कि ये संकट अगले 5 से 6 महीनों तक बना रह सकता है. इसलिए लोगों को तैयार रहना चाहिए. अब क्योंकि भारत में 70 प्रतिशत बिजली का उत्पादन आज भी कोयले से होता है और कोयले की डिमांड ज्यादा और सप्लाई कम है.

2 महीने में 17% बढ़ी बिजली की खपत

भारत की अर्थव्यवस्था कोरोना से हुए नुकसान से तेजी से उभर रही है और मैन्युफैक्चरिंग जैसे सेक्टर्स में पहले के मुकाबले ज्यादा बिजली इस्तेमाल हो रही है. यहां तक कि बिजली की मांग कोविड के पहले वाले दौर से भी ज्यादा हो गई है. अगस्त 2019 में भारत में बिजली की खपत 10 लाख 600 करोड़ यूनिट्स थी, जो इस साल अगस्त में बढ़कर 12 लाख 400 करोड़ यूनिट्स हो गई है. यानी सिर्फ पिछले दो महीनों में ही भारत में बिजली की खपत 17 प्रतिशत तक बढ़ गई है. इससे साफ है कि, भारत को पहले के मुकाबले और भी ज्यादा बिजली चाहिए और इसके लिए पहले से ज्यादा कोयला है. लेकिन इस समय इतना कोयला मिलना आसान नहीं है, क्योंकि भारत की तरह पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही है और फैक्ट्रियों में पहले के मुकाबले ज्यादा प्रोडक्शन होने लगा है. इस वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयले की कीमत 40 प्रतिशत तक बढ़ गई है. इसलिए कोयले के आयात बहुत महंगा पड़ रहा है.


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भारत में कम हो रहा कोयले का उत्पादन

भारत के पास सिर्फ 2 से 5 दिनों तक का कोयला बचा है. भारत में आज भी 70 प्रतिशत बिजली का उत्पादन कोयले से होता है. लेकिन कोयले की डिमांड ज्यादा है और इसकी सप्लाई कम है. इसलिए हो सकता है कि आपको आने वाले कई दिन बिना बिजली के बिताने पड़ें. भारत में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कोयला भंडार है. लेकिन भारत में भी कोयले का उत्पादन पहले के मुकाबले कम हो रहा है. पिछले महीने हुई भारी बारिश की वजह से खदानों में ठीक से काम नहीं हो पाया और भारत का घरेलू कोयला उत्पादन भी घट गया. वहीं पावर प्लांट कोयला जमा नहीं कर पाए. आमतौर पर पावर प्लांट अपने पास कम से कम 2 हफ्ते तक का कोयला सुरक्षित रखते हैं. लेकिन अब ज्यादातर प्लांट्स के पास एक हफ्ते का भी कोयला नहीं बचा है.

कोयले की कमी से बिगड़ेगी अर्थव्यवस्था

भारत को इसका हल ढूंढना होगा क्योंकि इससे सिर्फ भारत के करोड़ों घर ही अंधेरे में नहीं डूब जाएंगे, बल्कि इसका असर दफ्तरों और फैक्ट्रियों पर भी पड़ेगा और हो सकता है कि दफ्तरों और फैक्ट्रियों को कुछ समय के लिए बंद भी करना पड़े. अगर ऐसा हुआ तो भारत की अर्थव्यवस्था की जो हालत कोविड ने की थी. वही कोयले की कमी से हो जाएगी. हालांकि भारत के पक्ष में सिर्फ एक बात है और वो ये कि भारत में सर्दियां आने वाली है और आम तौर पर सर्दियों में भारत में बिजली की खपत कुछ हद तक कम हो जाती है. लेकिन फिर भी डिमांड और सप्लाई का अंतर शायद इतनी जल्दी कम नहीं होगा.


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दुनिया पर मंडरा रहा ब्लैकआउट का खतरा

लेकिन संकट में सिर्फ भारत ही नहीं है. बल्कि पूरी दुनिया अलग-अलग चुनौतियों का सामना कर रही है. ब्रिटेन में सैनिक ऑयल टैंकर्य को पेट्रोल पंप तक पहुंचा रहे हैं. क्योंकि वहां इन टेंकर्स को चलाने वाले ड्राइवर्स की भारी कमी है. बाकी के यूरोप में महंगाई पिछले 13 वर्षों के मुकाबले सबसे उच्चतम स्तर पर है. चीन में भी कोयले की कमी की वजह से कई फैक्ट्रियां बंद हो चुकी हैं और दक्षिण अमेरिका में बिजली का अभूतपूर्व संकट पैदा हो गया है. आप सोच रहे होंगे कि ऐसा क्या हो गया कि सभी देश बिजली संकट से जूझ रहे हैं?

अचानक कैसे कम हुआ कोयले का प्रोडक्शन?

इसके लिए कोरोना के बाद तेजी से सुधरती अर्थव्यवस्था सबसे ज्यादा जिम्मेदार है. 2020 में पूरी दुनिया में फैक्ट्रियां, ट्रांसपोर्ट, दफ्तर सब बंद थे. इसलिए ऊर्जा की डिमांड घट गई थी और ज्यादातर देशों ने कोयले और तेल का उत्पादन कम कर दिया था. लेकिन फिर वैक्सीन्स उपलब्ध हो जाने के बाद आर्थिक गतिविधिया फिर से शुरू हो गईं, और उर्जा की डिमांड तेजी से बढ़ने लगी, लेकिन इसकी सप्लाई नहीं बढ़ी. इसकी दूसरी वजह ये है कि दुनिया के कई देश अब कार्बन एमिशन को कम करने की कोशिश कर रहे हैं और ग्रीन एनर्जी की तरफ जा रहे हैं. लेकिन इसके लिए सही रोड मैप नहीं बनाया गया और जल्दबाजी की वजह से पूरी दुनिया में ये ऊर्जा संकट पैदा हो गया. चीन इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. चीन अपने देश में कार्बन एमिशन में कटौती के लक्ष्य को जल्द से जल्द हासिल करना चाहता है. इसलिए उसने कोयले के इस्तेमाल पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए हैं और आज चीन के करोड़ों घर अंधेरे में डूबे हैं.


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यूपी में त्योहारी सीजन में मंडराया बिजली का संकट

उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वीकार किया है कि कोयले की कमी और उच्च आद्र्रता के स्तर के कारण बढ़ती बिजली की मांग के मद्देनजर बिजली संकट मंड़रा रहा है। राज्य के ऊर्जा विभाग के अनुसार, देश भर में 16 बिजली परियोजनाओं में से आठ के पास केवल छह दिनों के लिए कोयले का भंडार है, जबकि 109 गैर-पिथेड परियोजनाओं में से 25 ने (कोयला हेड से कम से कम 1500 किलोमीटर की दूरी पर स्थित)एक सप्ताह के लिए स्टॉक रखें हैं। त्योहारी सीजन के चलते बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है। 67 परियोजनाओं के पास केवल चार दिनों के लिए कोयला भंडार बचा है। उत्तर प्रदेश के मामले में, संकट का सामना कर रहे बिजली परियोजनाओं में अनपरा (2630 मेगावाट), ओबरा (1000 मेगावाट), परीचा (920 मेगावाट) और हरदुआगंज (610 मेगावाट) शामिल हैं।

क्या है ऊर्जा मंत्री का कहना ?

ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा कि, राज्य भी कोयले की कमी से प्रभावित है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश बिजली उत्पादन कंपनी के अधिकारी स्थिति में सुधार के लिए कोयला मंत्रालय के संपर्क में हैं। शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार शेड्यूल के अनुसार ग्रिड में बिजली देने की पूरी कोशिश कर रही है। उन्होंने स्वीकार किया कि, कोयले की कमी के कारण कुछ केंद्रीय और निजी परियोजनाएं कम लोड पर चल रही थीं। कहा जा रहा है कि यह कमी अत्यधिक वर्षा के कारण हुई है जिससे कई खदानें पानी से भर गई हैं।


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जल्द ठप हो सकते है कई पावर प्लांट

देश में बिजली संकट गहरा सकता है. 72 पॉवर प्लांटों में सिर्फ तीन दिन का ही कोयला बचा है. कोयले की कमी से कई पॉवर प्लांटों के ठप होने का खतरा है. अगर कोयला आपूर्ति जल्द नहीं हुई तो देश के कई पॉवर प्लांट ठप होने का खतरा बढ़ जाएगा. ऊर्जा मंत्रालय के मुताबिक, 135 पावर प्लांट में से 72 प्लांट में 3 या 3 दिन से कम का 50 प्लांट में 4 से 10 दिन का और 13 प्लांट में सिर्फ 10 से ज्यादा दिन का स्टॉक बचा है. यहां देखिए देश में बिजली संकट की 5 बड़ी वजह क्या हैं.

बिजली संकट की 5 बड़ी वजह

  • पिछले दो महीने में भारी बारिश की वजह से घरेलू कोयला उत्पादन प्रभावित रहा मॉनसून की शुरुआत से पहले भी स्टॉक इस साल से देर से शुरू हुआ.

  • महाराष्ट्र, राजस्थान, यूपी, तमिलनाडु, एमपी ने कोयला कंपनियों के बकाए का भुगतान भी नहीं हुआ, जिस वजह से बिजली कंपनियों पर आर्थिक संकट आ गया.

  • अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयले की कीमत बढ़ने से भी आपूर्ति पर असर पड़ा है.

  • देश में कोरोना काल की वजह से बिजली की खपत में भी एकाएक काफी बढोत्तरी हुई.

  • इसके अलावा देश में आए इस बिजली संकट के लिए चीन भी जिम्मेदार है. जिसने अपने यहां बिजली संकट को देखते हुए भारत का 20 लाख टन से अधिक कोयला अपने बंदरगाहों पर रख लिया है. जो ऑस्ट्रेलिया से वाया चीन-भारत आ रहा था.


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बता दें कि, कोयला संकट को लेकर कई कारण सामने आ रहे हैं। कोयला मंत्रालय ने कहा कि, वर्तमान में खदानों में 4 करोड़ टन और बिजली सयंत्रों में 75 लाख टन कोयले का भंडार है। वर्तमान हालात में कोयले को खदान से संयंत्र तक पहुंचाने में परेशानी हो रही है। खदानों में पानी भरा है, जिसके कारण थोड़ा परेशानी हो रही है, लेकिन आन वाले दिनों में इसे निपटा लिया जाएगा।

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