अल अक्सा मस्जिद में यहूदियों को प्रार्थना करने की इजाजत नहीं, मुस्लिम जगत के विरोध पर फैसला पलटा

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Al Aqsa Mosque Muslim 
अल अक्सा मस्जिद परिसर में सुरक्षाबल.

द लीडर : अल अक्सा मस्जिद, जोकि दुनियाभर के मुसलमानों के दिल के बेहद करीब है. ये तारीखी मस्जिद है, जिसका ताल्लुक पैगंबर-ए-इस्लाम से है. इसे मुसलमानों के तीसरे सबसे पवित्र स्थल के तौर मान्यता मिलती है. हाल ही में इजरायल की एक कोर्ट ने यहूदियों को मस्जिद परिसर में प्रार्थना (Pray)करने की इजाजत दे दी. जिस पर अरब लीग और ऑग्रेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) समेत पूरे मुस्लिम जगत से कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई. इसके बाद इजरायल की एक उच्च अदालत ने यहूदियों के अल अक्सा में प्रार्थना करने के लोअर कोर्ट के आदेश को रद कर दिया है. कोर्ट ने कहा-यहूदी यानी इजरायली मस्जिद में जा तो सकते हैं-लेकिन प्रे नहीं कर सकते. (Al Aqsa Mosque Muslim)

 

अल अक्सा मस्जिद फिलिस्तीन के पूर्वी येरुशलम में आबाद है. 1967 से इस इलाके पर इजरायल का कब्जा है. जिसे वापसी के लिए फिलिस्तीन के और इजरायल के बीच संघर्ष चलता रहता है. पिछले दिनों एक इजरायली नागरिक रब्बी लिप्पो को मस्जिद परिसर में प्रार्थना करते देखा गया था. इसके बाद ये मामला कोर्ट पहुंचा. जिस पर लोअर कोर्ट ने फैसला सुनाया दिया कि यहूदी मस्जिद में प्रार्थना कर सकते हैं.

इजरायली कोर्ट के इस फैसले से पूरे इस्लामिक जगत के मुसलमानों के बीच से आक्रोश देखने को मिला. जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने फैसले की निंदा की. और इस्लामिक राष्ट्रों से ये आह़्वान किया कि अल अक्सा की सुरक्षा के लिए संयुक्त सुरक्षा बल तैनात किए जाएं.


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समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, फिलिस्तीन के विदेश मंत्रालय ने इजरायल के इस कदम को अल अक्सा मस्जिद के खिलाफ एक बड़ा आक्रामण करार दिया. मंत्रालय ने कहा कि मस्जिद के इलाके को बांटने की दिशा में ये एक अहम कदम है. इससे मस्जिद और उसकी ऐतिहासिक और कानूनी हैसियत पर खतरनाक असर पड़ेगा. फिलिस्तीन इस फैसले का सामना करने के लिए राजनीतिक और कूटनीतिक स्तर पर हर संभव कोशिश करेगा. (Al Aqsa Mosque Muslim)

अरब लीग के महासचिव अहमद अबुल ने भी अदालत के फैसले की निंदा करते हुए इसे खतरनाक करार दिया. उन्होंने कहा कि अदालत के फैसले से इजरायल की नीतियां, फिलिस्तीनियों को भड़काने का जोखिम पैदा करती हैं. इसलिए, क्योंकि ये विशुद्ध रूप से मजहबी भावनाओं से जुड़ा मसला है. फिलिस्तीनियों के साथ ही जॉर्डन, मिस्र, सऊदी अरब के अधिकारियों ने भी इजरायली की निचली अदालत के फैसले की निंदा की थी.

मुस्लिम वर्ल्ड से विरोध के बीच इजरायल की पुलिस ने लोअर कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दायर की. जिस पर सुनवाई करते हुए येरुशलम जिला न्यायालय के न्यायाधीश आर्यह रोमनॉफ ने लोअर कोर्ट के फैसले को पलट दिया. और अल अक्सा मस्जिद में यहूदियों के प्रार्थन करने पर, पहले से लागू प्रतिबंधों यानी रोक को बरकरार रखा है.

ताजा घटनाक्रम को लेकर इजरायल के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री ओमर बार लेव ने कहा कि, यथास्थिति में किसी भी तरह का बदलाव सार्वजनिक शांति को खतरे में डालने वाला होगा.

दरअसल, इसी साल जून में इजरायल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष छिड़ गया था. इजरायली सैनिकों ने अल अक्सा में नमाज अदा कर रहे फिलिस्तीनियों को निशाना बनाया. बाद में ये विवाद बढ़ गया. और इजरायल ने गाजा पट्टी पर हमला कर दिया. जिसमें कई फिलिस्तीनी नागिरक, बच्चे और महिलाओं की मौत हो गई थी.

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