#WorldAnimalDay : प्रत्येक जानवर एक अनोखा संवेदनात्मक प्राणी है, भारत में लुप्त होते जा रहे जानवर

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द लीडर। 4 अक्टूबर को दुनियाभर में विश्व पशु दिवस यानी कि वर्ल्ड एनिमल डे मनाया जाता है. वर्ल्ड एनिमल डे का मूल उद्देश्य विलुप्त हुए प्राणियों की रक्षा करना और मानव से उनके संबंधों को मजबूत करना है. बता दें कि, अक्टूबर 4 को असीसी के सेंट फ्रांसिस के सम्मान में चुना गया है. जो जानवरों के लिए पशु प्रेमी और संरक्षक संत थे. पशु अधिकार संगठनों, व्यक्तियों और सामुदायिक समूहों ने इस दिन पर दुनिया भर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया हैं और अब भी किये जा रहे हैं. इस दिन पशुओं के अधिकारों और उनके कल्याण आदि से संबंधित विभिन्न कारणों की समीक्षा की जाती है. अंतरराष्ट्रीय पशु दिवस के अवसर पर जनता को एक चर्चा में शामिल करना और जानवरों के प्रति क्रूरता, पशु अधिकारों के उल्लंघन आदि जैसे विभिन्न मुद्दों पर जागरूकता पैदा करना है.


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विश्व पशु दिवस का महत्व

विश्व पशु दिवस का उद्देश्य पशु कल्याण मानकों में सुधार करना और व्यक्तियों तथा संगठनों का समर्थन प्राप्त करना है. इस दिवस #WorldAnimalDay का मूल उद्देश्य विलुप्त हुए प्राणियों की रक्षा करना और मानव से उनके संबंधों को मजबूत करना है. अंतरराष्ट्रीय पशु दिवस #AnimalDay इस धारणा पर काम करता है कि, प्रत्येक जानवर एक अनोखा संवेदनात्मक प्राणी है और इसलिए वह संवेदना और सामाजिक न्याय पाने के भी योग्य है. किसी प्राकृतिक आपदा के समय भी इन जानवरों के प्रति दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता था और उनकी सुरक्षा के प्रति लापरवाही बरती जाती है जो गलत है.

विश्‍व पशु दिवस का उद्देश्‍य

इस दिन को मनाने का खास उद्देश्य है लोगों में यह जागरुकता फैलाना कि नेचर के इकोलॉजी बैलेंस को बनाए रखने के लिए जानवरों का संरक्षण कितना आवश्‍यक है. इसके तहत आयोजित कार्यक्रमों में जानवरों के लिए फंड इकट्ठा करना, अवेयरनेस फैलाना और जानवरों को बेहतर जीवन देने का प्रयास करना है.


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विश्व पशु दिवस का इतिहास

माना जाता है कि, पहली बार विश्व पशु दिवस का आयोजन हेनरिक जिमरमन ने 24 मार्च, 1925 को जर्मनी के बर्लिन में स्थित स्पोर्ट्स पैलेस में किया था, लेकिन साल 1929 से यह दिवस 4 अक्टूबर को मनाया जाने लगा. शुरू में इस आंदोलन को जर्मनी में मनाया गया और धीरे-धीरे स्विट्ज़रलैंड, ऑस्ट्रिया और चेकोस्लोवाकिया (वर्तमान समय के चेक गणराज्य और स्लोवाकिया) जैसे आसपास के देशों में भी इसकी लोकप्रियता जा पहुंची. 1931 में फ्लोरेंस, इटली में आयोजित अंतररार्ष्ट्रीय पशु संरक्षण सम्मेलन ने अंतररार्ष्ट्रीय पशु दिवस के रूप में 4 अक्टूबर को मनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया और अनुमोदित किया. यूनाइटेड नेशंस ने ‘पशु कल्याण पर एक सार्वभौम घोषणा’ के नियम व निर्देशों के अधीन अनेक अभियानों की शुरुआत की.

भारत में 5 लुप्तप्राय जानवरों पर एक नजर डालें

मनुष्य ग्रह को जानवरों और कई दूसरी प्रजातियों के साथ शेयर करता है जो मिलकर पृथ्वी पर जीवन चक्र बनाते हैं. इन प्रजातियों में से हर एक को दुनिया में जीवन को बनाए रखने में अहम भूमिका निभानी है. इसलिए, उनकी देखभाल करना और शांति से कोएग्जिस्ट की जरूरत है. इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए, जानवरों की दुर्दशा के बारे में जागरूकता बढ़ाने और उनके संरक्षण की दिशा में काम करने के लिए हर साल 4 अक्टूबर को वर्ल्ड एनिमल डे मनाया जाता है. पहली बार 1925 में आयोजित इस दिन का उद्देश्य दुनिया भर में पशु कल्याण के मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करना है. लक्ष्य सभी जानवरों-जंगली या घरेलू- के जीवन को मान्यता और जागरूकता के माध्यम से सुधारना है. वर्ल्ड एनिमल डे 2021 के मौके पर, भारत में 5 लुप्तप्राय जानवरों पर एक नजर डालें, जिन्हें गायब होने से पहले आपको देखना चाहिए.


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1. बंगाल टाइगर

बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है और रॉयल बंगाल टाइगर इसकी सबसे शानदार प्रजातियों में से एक है. ये 10 फीट लंबी काया के साथ सबसे बड़ी जंगली बिल्लियों में से एक है, जिसका वजन 550 पाउंड है. ज्यादातर सुंदरबन नेशनल पार्क में पाया जाता है, इसे रणथंभौर नेशनल पार्क, जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क, बांधवगढ़ नेशनल पार्क में भी देखा जा सकता है.

2. घड़ियाल

घड़ियाल भारत में पाए जाने वाले तीन मगरमच्छों में से एक है. गंगा नदी भारत में घड़ियाल के प्राकृतिक आवासों में से एक है, जो चंबल, इरावदी और ब्रह्मपुत्र नदियों में भी पाई जाती है. घड़ियाल को भारत में सबसे गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों के रूप में लिस्टेड किया गया है, ज्यादातर प्रदूषित नदी के पानी की वजह से उनकी मृत्यु के चलते.


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3. एशियाई शेर

एशियाई शेर दुनिया में शेरों की सबसे बड़ी प्रजातियों में से एक है. प्रजातियों की पूरी आबादी अब केवल भारत में पाई जा सकती है और अब ये गुजरात में गिर राष्ट्रीय उद्यान तक ही सीमित है. आईयूसीएन रेड लिस्ट ने 2010 के बाद से इसकी आबादी में लगातार कमी की वजह से जानवर को लुप्तप्राय घोषित किया है. 2020 के आंकड़ों के मुताबिक, देश में बचे एशियाई शेरों की कुल संख्या अब सिर्फ 674 है.

4. लाल पांडा

एक प्यारे लाल-भूरे, एरबोरियल मैमल, पूर्वी हिमालय के मूल निवासी, लाल पांडा अभी तक एक और प्रजाति है जो अवैध शिकार और निवास स्थान के नुकसान की वजह से तेजी से घट रही है. इसे सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल के खांगचेंदजोंगा और नमदाफा राष्ट्रीय उद्यान में देखा जा सकता है.

5. एक सींग वाला गैंडा

अपने सींगों के औषधीय गुणों के लिए शिकार किए गए, एक सींग वाले गैंडे ने पिछले कुछ वर्षों में एक महत्वपूर्ण गिरावट दिखाई है. इन लुप्तप्राय भारतीय प्रजातियों को ज्यादातर काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, दुधवा टाइगर रिजर्व, पोबितोरा वन्यजीव अभयारण्य में देखा जा सकता है, भारत और नेपाल में हिमालय की तलहटी के अलावा.


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