मुस्लिम एक्ट लागू किए जाने, NRC रद्द करने को लेकर मुस्लिम संगठनों ने भरी हुंकार

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द लीडर, देहरादून। उत्तराखंड समेत कई राज्यों में अगले साल चुनाव होने है। वहीं देश में एससी/एसटी एक्ट की भांति मुस्लिम एक्ट लागू किए जाने, एनआरसी को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने और मॉब लिंचिंग पर जल्द से जल्द कानून बनाने समेत 10 सूत्रीय मांगों को लेकर मुस्लिम सेवा संगठन की ओर से जन आक्रोश रैली का निकाली गई। संगठन ने राजभवन कूच का भी एलान किया गया था, लेकिन पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों के अनुरोध पर कूच स्थगित कर दिया गया।


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प्रदर्शन में इन मुद्दों को उठाया गया

इसके साथ ही वक्ताओं ने मौलाना कलीम सिद्दीकी को तत्काल रिहा कराए जाने, मॉब लिंचिंग पर कानून बनाने, गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने, एनआरसी को तत्काल प्रभाव से रद्द करने जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। वक्ताओं ने तबलीगी जमात प्रकरण की जांच कराकर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने, गौहर यूनिवर्सिटी की सुरक्षा एवं निर्वाध पठन-पाठन सुनिश्चित कराने, सच्चर और स्वामी रंगनाथन कमेटी की रिपोर्ट को अक्षरश: लागू किए जाने की मांग को भी पुरजोर तरीके से उठाया। मुस्लिम सेवा संगठन के अध्यक्ष नईम कुरैशी ने कहा कि रैली किसी सरकार या व्यक्ति विशेष के विरुद्ध नहीं है, अपितु संविधान सम्मत अपने अधिकारों की रक्षा के लिए है।

देश के प्रत्येक नागरिक के संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा करें

शहर काजी मौलाना मोहम्मद अहमद कासमी ने कहा कि, यह देश संविधान से चलता है न कि किसी की विचारधारा से। सरकारों का यह कर्तव्य होता है कि, वह देश के प्रत्येक नागरिक के संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा करें। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि, असामाजिक तत्वों को संरक्षण देने वाले लोगों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की जाए। रैली के उपरांत सिटी मजिस्ट्रेट को राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सौंपा गया। रैली में संरक्षक एडवोकेट जावेद खान, महासचिव अर्जेतशा सद्दाम कुरेशी, आसिफ कुरेशी, फरहान पठान, आसिफ हुसैन ने संबोधित किया।


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चेहरे पर राष्ट्रीय ध्वज पेंट कर दिया एकता का संदेश

रैली में सैकड़ों की संख्या में ऐसे युवा शामिल हुए, जिन्होंने अपने चेहरे पर राष्ट्रीय ध्वज पेंट करवाया था। ऐसे युवाओं ने राष्ट्रीय एकता का संदेश दिया। युवाओं का कहना है कि, देश विकास के पथ पर अग्रसर रहे और दुनिया की आर्थिक और सामरिक महाशक्ति बने। इसमें हम सब को एकजुट होकर आगे आना चाहिए। सभी मजहब, धर्म, संप्रदाय के लोगों को मिलकर देश की तरक्की के लिए आगे आना होगा। देश तरक्की करेगा तो हम सब खुशहाल होंगे।

एनआरसी क्या है ?

एनआरसी या नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन बिल का मकसद अवैध रूप से भारत में बसे घुसपैठियों को बाहर निकालना है। देश के गृह मंत्री अमित शाह ये साफ कर चुके हैं कि, एनआरसी को पूरे भारत में लागू किया जाएगा। सरकार यह स्पष्ट कर चुकी है कि, एनआरसी का भारत के किसी धर्म के नागरिकों से कोई लेना देना नहीं है इसका मकसद केवल भारत से अवैध घुसपैठियों को बाहर निकालना है। यहां हम आपको इससे जुड़े अहम सवालों के जवाब दे रहे हैं। नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन बिल एक रजिस्टर है जिसमें भारत में रह रहे सभी वैध नागरिकों का रिकॉर्ड रखा जाएगा। बता दें कि, एनआरसी की शुरुआत 2013 में सुप्रीम कोर्ट की देख-रेख में असम में हुई थी। फिलहाल यह असम के अलावा किसी अन्य राज्य में लागू नहीं है।


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एनआरसी में शामिल होने के लिए क्या जरूरी है

एनआरसी के तहत भारत का नागरिक साबित करने के लिए किसी व्यक्ति को यह साबित करना होगा कि उसके पूर्वज 24 मार्च 1971 से पहले भारत आ गए थे। बता दें कि, अवैध बांग्लादेशियों को निकालने के लिए इसे पहले असम में लागू किया गया है। अगले संसद सत्र में इसे पूरे देश में लागू करने का बिल लाया जा सकता है। पूरे भारत में लागू करने के लिए इसके लिए अलग जरूरतें और मसौदा होगा।

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