द लीडर : पश्चिम बंगाल का नंदीग्राम जो पिछले कुछ दिनों से ममता बनर्जी और भाजपा के बीच सियासी अखाड़े का केंद्र बना है. उसमें किसान नेताओं की भी एंट्री हो गई है. शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा के नेता नंदीग्राम में रैली निकाल रहे हैं, इसमें राकेश टिकैत, बलवीर सिंह राजेवाल जैसे बड़े किसान नेता शामिल हैं. नंदीग्राम की सड़कों पर एक नारा गूंज रहा है-लड़ेंगे, जीतेंगे. (Farmer Leaders Bngal Campaign Bjp)
किसान नेताओं ने साफ किया है कि वे किसी राजनीतिक दल के लिए वोट नहीं मांगेंगे. बल्कि जनता से ये अपील करने आए हैं कि भाजपा को वोट न दें. राकेश टिकैत ने विपक्ष को भी निशाने पर लिया है. ये कहते हुए कि विपक्ष ने किसान आंदोलन को उतनी ताकत के साथ समर्थन नहीं दिया, जितना उसे देना चाहिए था.
केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर पिछले करीब 108 दिनों से किसान अांदोलन जारी है. सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर हजारों किसान डेरा डाले हुए हैं. वे तीनों कृषि कानूनों को रद किए जाने की मांग उठाए हैं.
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दूसरी तरफ बजट सत्र से ही सरकार ने अपना रुख साफ कर दिया है कि वो इन कानूनों के मुद्दे पर बैकफुट पर नहीं आने वाली. यही वजह है कि सरकार और किसानों के बीच शुरुआत में बातचीत का जो सिलसिला चल रहा था. 11 दौर की बैठक के बाद वो ठप पड़ा है.
सरकार के अड़ियल रुख को देखते हुए किसान नेताओं ने बंगाल में भाजपा के खिलाफ चुनाव प्रचार करने का ऐलान किया था. जिसकी शुरुआत नंदीग्राम से हो गई है. नंदीग्राम जिले से ही बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और शुभेंदु अधिकारी चुनाव मैदान में हैं. ऐसे में किसानों की रैली का प्रत्यक्ष लाभ ममता को मिलने के कयास लगाए जा रहे हैं.
नंदीग्राम में ही ममता पर हुआ था कथित हमला
गत दिनों ममता बनर्जी पर नंदीग्राम में कथित रूप से हमला हुआ था, जिसमें उनके पैर, कंधे और गले में चोटें आईं थी. घटना के दूसरे दिन यानी शुक्रवार की शाम उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया था.