दरगाह आला हजरत से उलमा को फरमान, दहेज वाली शादियों में निकाह न पढ़ाएं-काजी

0
896
Dargah Ala Hazrat Marriage Dowry Kazi

 

सुन्नी बरेलवी मुसलमानों के मरकज (Centre) दरगाह आला हजरत से उलमा के लिए अधिकारिक रूप से ये फरमान जारी हो गया है कि बेशुमार खर्च और दहेज वाली शादियों में निकाह, हरगिज न पढ़ाएं. इतना ही नहीं अगर शादी में बैंडबाजा, नाच-गाना, आतिशबाजी और महिलाएं बेपर्दगी की हालत में हों, तब भी निकाह न पढ़ाया जाए. गुरुवार को दरगाह प्रमुख मौलाना सुब्हानी मियां की सरपरस्ती और सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां की अध्यक्षता में उलमा की एक बैठक में ये फैसला लिया गया. (Dargah Ala Hazrat Marriage Dowry Kazi)

दरगाह से सुन्नी-बरेलवी विचारधारा के मानने वाले उलमाओं तक एक विस्तृत गाइडलाइन का पंप्लेट भेजा जा रहा है, जिसमें मुस्लिम समाज में फैली बुराईयों को थामने के लिए कड़ाई बतरने की अपील शामिल है.

ये सारी कवायद अहमदाबाद की उस घटना के बाद शुरू हुई, जिसमें 23 साल की आयशा ने दहेज प्रताड़ना से तंग आकर साबरमती नदी में कूदकर जान दे दी थी. इस घटना ने देश के तमाम संजीदा लोगों के साथ मुस्लिम समाज को भी अंदर से हिला डाला. और देश के विभिन्न हिस्सों से दहेज के खिलाफ आवाजें उठने लगीं. इसी कड़ी में गत दिवस आगरा में उलमा और समाजसेवियों ने दहेज न लेने के पंपलेट बांटे थे.


इसे भी पढ़ें : कैसे आयशा की मौत ने समाज, सरकार और धर्मगुरुओं की असलियत को उजागर कर दिया!


 

गुरुवार को दरगाह पर हुई बैठक में मदरसा मंजरे इस्लाम के प्रधानाचार्य मुफ्ती आकिल रजवी ने बैठक में मौजूद इमाम हजरात से इस बात का संकल्प लिया कि वे जुमे की नमाज में इस बावत जरूर तकरीर करेंगे. बताएंगे कि इस्लाम में शादी-निकाह के अलावा कोई और रस्म, जैसे मंगनी, मेंहदी, दिन-तारीख की कोई जगह नहीं है. तंजीम उलमा-ए-इस्लाम के महासचिव मौलाना शहाबुद्​दीन रजवी ने भरोसा दिलाया कि उनकी टीम देशभर में ये पैगाम लेकर जाएगी.

कारी अब्दुर्रहमान कादरी ने देशभर की दरगाह, खानकाहों से गुजारिश की है कि तमाम मतभेद भूलकर इस मुहिम में शामिल हों. मुफ्ती सलीम नूरी ने कहा कि समाज में फैली बुराईयां खत्म हों. इसके नियम-कायदों पर पहले हमें अमल करना होगा. तभी समाज से इन्हें मिटाने में कामयाबी मिलेगी.


इसे भी पढ़ें : बेशक, आयशा लड़ाई के लिए नहीं बनींं पर इस तरह मरने को भी नहीं! काश ये जान पातीं


 

मुफ्ती खुर्शीद आलम ने कहा कि उनके इलाके में दस-दस लोगों की एक टीम समाज के बीच ये पैगाम लेकर जाएगी. और उम्मीद है कि लोग इस पर अमल करेंगे. इस दौरान मौलाना अहसानुल हक चतुर्वेदी, मुफ्ती कफील हाशमी आदि मौजूद रहे. दरगाह के मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी बताते हैं कि टीटीएस की टीम दरगाह के इस पैगाम को देशभर तक पहुंचाएगी.

समाज के हर फिरके से दहेज के खिलाफ आवाज

मुस्लिम समाज असंख्यक धड़े, फिरके और विचारधाराओं में बंटा है. ये पहला मौका है, जब किसी मुद्​दे पर समाज के सभी धड़े दहेज के खिलाफ खड़े हुए हैं. हालांकि धर्मगुरुओं की आवाजें, समाज पर कितना असर छोड़ पाएंगी. ये देखना होगा. क्योंकि दहेज, महंगी शादियां समाज के एक वर्ग के रुतबे में शुमार हो चुकी हैं. उलमा का मानना है कि अगर काजी साहस दिखाकर दो-चार शादियों में निकाह पढ़ाने से इनकार कर दें, तो यकीनन बदलाव का असर नजर आएगा.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here