Thursday, October 17, 2024
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गृह मंत्रालय ने किसान आंदोलन स्थलों पर बंद की इंटरनेट सेवाएं

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द लीडर : गृह मंत्रालय ने किसान आंदोलन स्थल-सिंघु बॉर्डर, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर क्षेत्र की इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से बंद कर दी हैं. 31 जनवरी तक ये रोक लागू रहेगी. हरियाणा के कई जिलों में इंटरनेट बंद किया जा चुका है. किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल ने सरकार के इस कदम की निंदा की है. उन्होंने कहा कि कभी बिजली बंद कर देते हैं तो कभी पानी रोक दिया जाता.

केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 66 दिनों से हजारों किसान इन बॉर्डरों पर आंदोलनरत हैं. वे कानूनों को रद किए जाने की मांग उठाए हैं. सरकार और किसानों के बीच 11 दौर की बातचीत बेनतीजा रही है. हालात ये हैं कि अब बॉर्डर स्थलों पर तनाव की घटनाएं सामने आने लगी हैं.


भाजपा किसान आंदोलन को हिंदू-सिख का मसला बनाना चाहती है : किसान मोर्चा


 

सिंघु बॉर्डर पर गुरुवार और शुक्रवार-इन दोनों दिनों में उपद्रवियों की एक भीड़ जबरन आंदोलन हटवाने पहुंची. झड़प के बीच किसान और पुलसकर्मियों को चोटें भी आई हैं. शुक्रवार की रात एक प्रेस कांफ्रेंस में किसान नेताओं ने कहा था कि इंटरनेट सेवाएं बंद करके सरकार हमारी आवाज को नहीं दबा सकती है. ये मांग की थी कि इंटरनेट चालू किया जाए.

वहीं, गाजीपुर बॉर्डर पर किसान नेता राकेश टिकैत की भावुक वीडियो सामने आने के बाद ये आंदोलन और गति पकड़ने लगा है. भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि कल बागपत में पंचायत के बाद हम दिल्ली के लिए कूच करेंगे.

भाजपा किसान आंदोलन को हिंदू-सिख का मसला बनाना चाहती है : किसान मोर्चा

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द लीडर : सिंघु बॉर्डर पर पिछले दो दिनों से जारी तनाव के बीच शुक्रवार की रात संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रेस कांफ्रेंस की. और ये आरोप लगाया है कि भाजपा किसानों की लड़ाई को सिख बनाम हिंदू का मसला बनाना चाहती है, जिससे उसे बाज आना चाहिए. बॉर्डर क्षेत्र पर इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है. मगर वो नहीं जानते कि इंटरनेट बंद करके इंकलाब की आवाज नहीं दबाई जा सकती. (BJP Kisan Movement Hindu Sikhs)

किसान नेता डॉ. दर्शनपाल सिंह ने आंदोलन स्थलों पर नेट बहाल किए जाने की मांग उठाई है. उन्होंने कहा कि जैसा कल गाजीपुर बॉर्डर पर घटा. आज सिंघु बॉर्डर पर भी वही हुआ. भाजपा और आरएसएस के लोग आंदोलन में फूट डालने का षड्यंत्र रच रहे हैं. वो इसमें सफल नहीं होंगे.

26 जनवरी को आंदोलन का जो नजारा था. वैसा फिर हो रहा है. मुहाली, लुधियाना से सैकड़ों वाहन बॉर्डर के लिए रवाना हो चुके हैं. उन्होंने देशवासियों से इस शांतिपूर्ण संघर्ष में शामिल होने का आह्वान किया है.


सिंघु बॉर्डर से जबरन किसानों का आंदोलन खाली कराने पहुंची भीड़ का पथराव, हालात नाजुक


 

किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल ने कहा कि सरकार ने 26 जनवरी को एक साजिश रची थी. जिसमें वो बेनकाब हो चुकी है. हरियाणा से हजारों किसान आंदोलन में शामिल होने आ रहे हैं. अगले दिनों में यहां और किसान आएंगे. और सरकार को मांगें मानने पर मजबूर होना पड़ेगा.

उन्होंने कहा कि आज गुरुद्वारा के सामने भाजपा-आरएसएस के लोगों ने जो प्रदर्शन किया. वो शर्मनाक है. हिंदू-सिख भाई-भाई हैं.

इस देश में सबको शांति से रहने का हक है. सरकार को झूठ, अफवाहें फैलाने से बचा चाहिए. एक अन्य किसान नेता ने कहा कि झूठ की उम्र काफी छोटी होती है. समाज जान चुका है कि सच क्या है. यहां इंटरनेट बंद कर दिया गया है, ताकि लोगों तक सूचनाएं न पहुंच पाएं.

केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 65 दिनों से किसान दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनरत हैं. 26 जनवरी को किसानों ने ट्रैक्टर परेड निकाली थी, जिसमें कई जगहों पर हिंसा भड़क गई थी.

राजदीप पर केस दर्ज हुआ तो इंडिया टुडे ने 15 दिन के लिए कर दिया ऑफ एयर, एक महीने का काटा वेतन

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द लीडर : किसान आंदोलन की ताप मीडिया संस्थान और पत्रकारों तक पहुंचने लगी है. आंदोलन से जुड़ी एक खबर को लेकर इंडिया टुडे समूह ने वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई को न सिर्फ 15 दिन के लिए ऑफ एयर किया है, बल्कि एक महीने का वेतन काटने की कार्रवाई की है. वहीं, यूपी पुलिस ने राजदीप समेत सात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है. जिसकी, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने निंदा कर, केस रद करने की मांग उठाई है.

ये सारी कार्रवाई 26 जनवरी को दिल्ली में किसान ट्रैक्टर परेड से जुड़ी है, जिसमें हिंसा के बीच रामपुर के ट्रैक्टर चालक किसान नवरीत की मौत हो गई थी. राजदीप ने एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने पुलिस की गोली से नवरीत की मौत का दावा किया था. यही जानकारी उन्होंने न्यूज बुलेटिन में भी दी थी. हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नवरीत की मौत में गोली की पुष्टि नहीं हुई. बाद में राजदीप ने अपने ट्वीट को डिलीट कर दिया था.


सिंघु बॉर्डर से जबरन किसानों का आंदोलन खाली कराने पहुंची भीड़ का पथराव, हालात नाजुक


 

इसके बाद इंडिया टुडे ने राजदीप पर ये कार्रवाई की है, जो मीडिया जगत में चर्चा का विषय बनी है. इसी मामले को लेकर यूपी के नोयडा में राजदीप सरदेसाई, कांग्रेस नेता सांसद शशि थरूर, वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पांडेय, पत्रकार जफर आगा, परेशनाथ, अनंतनाथ, विनोद के जोश और एक अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया गया है.

नोएडा के अभिजीत मिश्रा ने नोएडा पुलिस में एक शिकायत दी थी. जिसमें आरोप लगाया था कि उक्त सातों लोगों ने भ्रामक ट्वीट और सूचनाएं प्रसारित की हैं, ये लिखते हुए कि नवरीत की मौत पुलिस कार्रवाई में हुई. शिकयत में एक सुनियोजित साजिश के तहत दंगा भड़काने का आरोप लगाया गया है. जिस पर पुलिस ने केस दर्ज किया है. इसी प्रकरण में मध्यप्रदेश में भी इन पत्रकारों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.

इसे भी पढ़ें: टिकैत के आंसू बने आन्दोलन की ताकत, गाजीपुर, टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर किसानों की भीड़ जुटी

शुक्रवार को एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने एक प्रेस नोट जारी कर पत्रकारों पर केस दर्ज करने की निंदा करते हुए कहा कि केस रद किए जाएं. और मीडिया को पूरी आजादी के साथ स्वतंत्र रिपोर्टिंग करने दी जाए.

 

सिंघु बॉर्डर से जबरन किसानों का आंदोलन खाली कराने पहुंची भीड़ का पथराव, हालात नाजुक

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द लीडर : दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर लगातार दूसरे दिन माहौल तनावपूर्ण है. नरेला और बवाना आदि क्षेत्रों के लोग जबरन आंदोलन खत्म कराने पर आमदा हैं. शुक्रकवार फिर को फिर सैकड़ों लोग आंदोलन स्थल पहुंच गए और नारेबाजी करने लगे. उन्होंने प्रदर्शनकारी किसानों पर पथराव भी किया. इस टकराव में पुलिस, उप्रदवी और किसानों के बीच झड़प हुई. हालात ये हुए कि पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़कर उप्रदवियों को खदेड़ना पड़ा.

इससे पहले गुरुवार को भी करीब 100 लोगों की भीड़ आंदोलन स्थल पर पहुंची थी. जिसने नारेबाजी करते हुए आंदोलन हटाने की मांग की थी. शुक्रवार को दोबारा वही भीड़ पहुंची. उस दौरान आंदोलन स्थल के आसपास भारी संख्या में पुलिस बल तैनात था.

इसके बावजूद ये भीड़ प्रदर्शन स्थल पर पथराव करने में सफल रही. झड़प में किसानों की एक वॉशिंग मशाीन तोड़ दी गई. जबिक कुछ किसानों समेत पुलिसकर्मियों को चोटें आई हैं.

सिंघु बॉर्डर पर झड़प के बीच कार्रवाई करती पुलिस.

इस विवाद के बीच किसान नेता अपने लोगों को प्रदर्शन स्थल के और अंदर करने में लगे थे. किसानों का आरोप है कि ये सरकार की भेजी हुई भीड़ है, जो हिंसा के जरिये आंदोलन को मिटाने में लगी है. उन्होंने पुलिस बल की मौजूदगी में उप्रदवियों के प्रदर्शन स्थल तक पहुंचने पर भी सवाल उठाए हैं.


किसानों ने गाजीपुर बॉर्डर पर पानी की आपूर्ति के लिए बोरिंग शुरू की


 

एक दिन पहले गाजीपुर बॉर्डर पर भी कुछ लोगों की भीड़ पहुंची थी. इसके बाद ही किसान नेता राकेश टिकैत का भावुक वीडियो सामने आया था. जिसमें, उन्होंने आरोप भी लगाया था कि भाजपा के एक विधायक व उनके समर्थक किसानों पर जुल्म करना चाहते हैं.

गाजीपुर बॉर्डर पर पुलिस की जबरदस्त घेराबंदी के बीच किसान नेता टिकैत अड़े

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द लीडर : किसान आंदोलन के रणनीति स्थल-सिंघु बॉर्डर के बजाय अचानक नजरें गाजीपुर बॉर्डर पर आ टिकी हैं. भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत यहीं धरने पर बैठे हैं. उन्होंने मंच से ऐलान किया कि आंदोलन खत्म नहीं होगा. पुलिस-प्रशासन जो चाहें, उनका हश्र कर दे. भावुक होते हुए यहां तक कह गए कि कानून वापस न हुए तो आत्महत्या कर लूंगा. (Farmer Leader Tikait Ghazipur Border)

गाजीपुर बॉर्डर पर गुरुवार की दोपहर से हलचल बढ़ी है. यहां भारी संख्या में पुलिस, पीएससी उतारी गई है. गाजियाबाद प्रशासन ने किसानों से सड़क खाली करने कह दिया है. अफसरों की ये सक्रियता यूपी सरकार के उस आदेश के बाद बढ़ी, जिसमें सरकार ने राज्य के सभी स्थानों से किसान आंदोलन खत्म कराने को कहा है. पुलिस की इस घेराबंदी को देखते हुए किसनों की बेचैनी बढ़ गई है.

गाजीपुर बॉर्डर की ओर जाती यूपी पुलिस. फोटो, साभार ट्वीटर

राकेश टिकैत को 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा को लेकर गुरुवार को लुक आउट नोटिस मिला है. इसके बाद से ही यूपी और दिल्ली पुलिस आंदोलन स्थल के पास तैनात है. परिस्थितयों को देखते हुए राकेश टिकैत ने किसान नेताओं के साथ बैठक की. और आंदोलन खत्म न करने का अपना फैसला सार्वजनिक किया है.

पत्रकारों से बात करते हुए वे भावुक हो गए. सरकार पर आंदोलन को तबाह करने और किसानों के साथ मारपीट किए जाने की आशंका भरा आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस चाहें तो गोली चला दे. वे यहां से हटने वाले नहीं हैं. उन्होंने सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं.


बॉर्डर पर इतनी फोर्स तो, क्या आज की रात किसान आंदोलन की आखिरी रात होगी!


 

इस ताजा घटनाक्रम को लेकर गाजीपुर बॉर्डर ने लोगों का ध्यान खींचा है. इससे पहले बुधवार की रात को इसी आंदोलन स्थल की बिजली काट दी गई थी और पानी की सप्लाई रोकी जा चुकी है.

दो किसान संगठनों का किनारा

बढ़ती सख्ती को देखते हुए भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने आंदोलन समाप्त करने की घोषणा कर दी है. उन्होंने कहा कि गाजीपुर बॉर्डर पर बिजली-पानी जैसी सुविधाएं बंद कर दी गई हैं. अब हम यहां बैठकर क्या करेंगे? उठ ही जाएंगे.

वहीं, किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि जब तक सांस चलेगी, लड़ेंगे. अभी हमारी कोई योजना नहीं है. पता नहीं सरकार क्या-क्या साजिश करती है. दरअसल, तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का आज 64वां दिन है. दिल्ली की सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान कानून वापसी की मांग को लेकर डटे हैं.

बॉर्डर पर इतनी फोर्स तो, क्या आज की रात किसान आंदोलन की आखिरी रात होगी!

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किसान आंदोलन का हश्र, क्या होगा? कम से कम अब तक तो ये साफ हो चुका है. दिल्ली पुलिस ने सिंघु बॉर्डर सील कर दिया है. गाजीपुर बॉर्डर पर बेहिसाब पुलिस बल तैनात है. उत्तर प्रदेश सरकार का हुक्म है कि पूरे राज्य से किसान आंदोलन खत्म कराए जाएं. अफसर एक्टिव हैं. तो क्या आज की रात किसान आंदोलन की आखिरी रात होगी! गुरुवार को किसान नेता राकेश टिकैत का फूट-फूटकर रोना और आंदोलन से न हटने की उनकी चुनौती कुछ संकेत देती है.

राकेश टिकैत ने देर शाम मंच से ऐलान किया कि न आंदोलन खत्म होगा और न ही मैं सरेंडर करूंगा. कानून वापस न हुए तो आत्महत्या कर लूंगा. चूंकि धरना स्थल की बिजली काट दी गई और पानी बंद कर दिया गया है. इसलिए जब तक गांव से पानी नहीं आएगा. प्यासा रहूंगा. उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि सरकार किसानों को मारकर भगाना चाहती है. ये सब सरकार की साजिश है.


बंगाल विधानसभा में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित, राष्ट्रपति के अभिभाषण के बहिष्कार का ऐलान


 

जोर-जोर से रोते हुए नजर आ रहे राकेश टिकैत ये सब ऐसे नहीं बोले रहे हैं. बल्कि उन्हें सरकार और प्रशासन के अगले कदम का आभास हो चुका है. खैर, उनके साथ कि किसान अभी गाजीपुर बॉर्डर पर डटे हैं. हालात के मद्​देनजर दूसरे किसान संगठन अपने तंबू समेटकर भाग चुके हैं. बॉर्डर पर सैकड़ों की संख्या में तैनात पुलिस बल को अफसरों के अगले आदेश का इंतजार है.

सीए-एनआरसी आंदोलन के हश्र से सबक नहीं लिया

ये वही किसान आंदोलन है, जो पिछले 2 महीनें से अपने अनुशासन और शांति के दम पर दुनिया भर में छाया रहा. मगर किसान नेताओं के 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड निकालने के एक गलत फैसले ने इसे तबाह कर दिया है. शायद, उन्होंने पिछले साल सीएए-एनआरसी के खिलाफ हुए आंदोलनों के हश्र से सबक नहीं सीखा.

मसलन, जब तक एक निश्चित स्थान पर आंदोलन चलता रहा, जैसे शाहीन बाग. उसमें हिंसा की गुंजाइश कम रही. जैसे ही आंदोलन शाहीन बाग से निकल दिल्ली के दूसरे स्थानों की तरफ बढ़ा. तबाह हो गया. ठीक, वैसा ही किसान आंदोलन के साथ हुआ.


सिंघु बॉर्डर पर किसानों के खिलाफ प्रदर्शन, गाजीपुर बॉर्डर पर उतरी पीएसी, सड़क खाली करने को कहा


 

स्वराज इंडिया के योगेंद्र यादव, डॉ. दर्शनपाल सिंह, हन्ना मोल्लाह जैसे अनुभवी आंदोलनकारी इस बात को कैसे भूल गए कि जब लाखों की संख्या में दिल्ली में ट्रैक्टर आएंगे. और उसमें कोई हिंसा नहीं होगी. बेशक ये प्रायोजित ही सही. जैसा कि अब किसान नेता सरकार पर इल्जाम मढ़ रहे हैं.

जबकि सबसे शांतिपूर्वक और 6 साल में मोदी सरकार को पहली बार हिलाकर रख देने वाले इस आंदोलन का सत्यानाश करने का श्रेय किसान नेताओं के अति-उत्साह को ही जाता है. खैर, बनाया भी उन्होंने ही था.

चूंकि, सरकार के साथ किसान नेताओं की 11 दौर की बातचीत हुई. जिसमें हर बार सरकार ने साफ किया कि वो कानून वापस नहीं लेगी. किसान चाहें तो संशोधन की गुंजाइश है. किसान नेताओं को यह समझ लेना चाहिए था कि ऐसे हालात में खुली भीड़ को आमंत्रित करना खतरनाक होगा, जैसा हुआ भी.


किसान नेताओं को लुक आउट नोटिस, दर्शनपाल से पुलिस का सवाल, समझौता तोड़ने पर क्यों न की जाए कार्रवाई


 

बाकी कसर मीडिया ने पूरी कर दी. हिंसा का पुट मिलते ही वो आंदोलन पर आक्रामक हो गया. राष्ट्रवाद का छौंका लगाकर जनभावनओं को किसानों के खिलाफ कर दिया. जबकि अभी ये जांच का विषय है कि हिंसा कैसे भड़की. दीप सिद्धू, जिसने लाल किले पर धार्मिक झंडा फहराया. वो विवादित है. सोशल मीडिया पर उसकी नेताओं के साथ तमात तस्वीरें सामने आई हैं.

बहराहल, 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड में भड़की हिंसा में सभी प्रमुख किसान नेताओं पर केस दर्ज किया जा चुका हैै. और उन्हें लुक आउट नोटिस भी जारी हो गया है. यानी किसान आंदोलन अब सरकार के चंगुल में फंस गया है. इससे बचकर जीवित रहने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है. हां, राकेश टिकैत के आंसू कितना कमाल कर पाते हैं. ये देखना होगा. बहरहाल, किसान अभी डटे हैं. संयुक्त किसान मोर्चा पहले ही साफ कर चुका है कि आंदोलन जारी रहेगा. राकेश टिकैत भी अड़े हैं. यूपी सरकार भी अड़ती द‍िख रही है.

(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

बंगाल विधानसभा में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित, राष्ट्रपति के अभिभाषण के बहिष्कार का ऐलान

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नई दिल्ली : केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ पंश्चिम बंगाल की विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया है. बंगाल ऐसा छठा राज्य है जो इन कानूनों के को रद किए जाने का प्रस्ताव लाया है. इससे पहले पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान, केरल और दिल्ली विधानसभा से ये प्रस्ताव पारित हो चुके हैं.

गुरुवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस ने विधानसभा में प्रस्ताव रखा था. भाजपा विधायक विरोध के बीच सदन से बॉयकाट कर गए. मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार को इन तीनों कानूनों को वापस लेना चाहिए या सत्ता छोड़ देनी चाहिए.

दूसरी तरफ संसद के बजट सत्र से पहले विपक्षी दलों ने कृषि कानूनों के विरोध में राष्ट्रपति के अभिभाषण के बहिष्कार का ऐलान किया है. इसमें कांग्रेस, नैशनल कांफ्रेंस, डीएमके, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, सपा, शिवसेना, टीएमसी, राजद, माकपा, आरएसपी, पीडीपी, एमडीएमके, केरल कांग्रेस-एम आदि करीब 17 दल शामिल हैं.


सिंघु बॉर्डर पर किसानों के खिलाफ प्रदर्शन, गाजीपुर बॉर्डर पर उतरी पीएसी, सड़क खाली करने को कहा


 

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि हमने कृषि कानूनों का विरोध किया है और आगे भी करते रहेंगे. उन्होंने कहा कि हम यानी अपनी पार्टी के तीनों सांसद राष्ट्रपति के अभिभाषण कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे.

बता दें कि कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 64 दिनों से किसानों का आंदोलन चल रही है. देश भर के हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं. 26 जनवरी को किसानों ने ट्रैक्टर परेड निकाली थी, जो हिंसा का शिकार हो गई. इसके बाद इस आंदोलन की धार कुंद होती जा रही है.

इसलिए क्योंकि आंदोलन के अगुवाकार सभी प्रमुख नेताओं पर गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया है. उन्हें लुकआउट नोटिस जारी हो चुके हैं.

इसी बीच गाजीपुर बॉर्डर से आंदोलन खत्म कराने की तैयारी की खबरें सामने आ रही हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरे राज्य से किसान आंदोलनों को खत्म कराने का निर्देश दिया है. इसी क्रम में गाजियाबाद के डीएम ने प्रदर्शनकारी किसानों को सड़क खाली करने का अल्टीमेटम दिया है.

सिंघु बॉर्डर पर किसानों के खिलाफ प्रदर्शन, गाजीपुर बॉर्डर पर उतरी पीएसी, सड़क खाली करने को कहा

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नई दिल्ली : गणतंत्र दिवस पर किसान ट्रैक्टर परेड में हिंसा के बाद किसान आंदोलन के वजूद पर संकट पैदा हो गया है. गुरुवार को सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन के विरोध में सैकड़ों लोग पहुंच गए. और बॉर्डर खाली कराने को लेकर प्रदर्शन करने लगे. दूसरी तरफ गॉजीपुर बॉर्डर पर भारी संख्या में पुलिस और पीएसी तैनात की गई है. इससे पहले बुधवार की रात को बागपत से प्रदर्शनकारी किसानों को हटा दिया गया है. इस सबके बीच किसान कब तक टिके रह पाएंगे. ये प्रश्न बना है.

26 जनवरी को दिल्ली में किसान ट्रैक्टर परेड हिंसा का शिकार हो गई थी. दीप सिद्धू ने लाल किला पर धार्मिक झंडा फहराकर इस आंदोलन के वजूद में आखिरी कील ठोक दी. सिद्धू की इस करतूत ने किसानों के समर्थन में चल रही लहर को उनके खिलाफ कर दिया. लिहाजा, आंदोलन को लेकर सरकार अब सख्त हो गई है.

गाजीपुर बॉर्डर पर जिस संख्या में पुलिस बल भेज गया है. उससे सरकार का रुख पता लगता है. एनडीटीवी की खबर के मुताबिक बॉर्डर पर पुलिस के आला अधिकारी भी पहुंचे हैं. बुधवार की रात आंदोलन स्थल की लाइट काट दी गई थी. अब सड़क खाली करने को कहा है.


किसान नेताओं को लुक आउट नोटिस, दर्शनपाल से पुलिस का सवाल, समझौता तोड़ने पर क्यों न की जाए कार्रवाई


 

सिंघु बॉर्डर पर किसानों के खिलाफ प्रदर्शन की घटना के बीच बॉर्डर के अधिकांश रास्ते बंद कर दिए गए हैं और यहां भी पुलिस की संख्या बढ़ाई जा रही है. किसानों के प्रदर्शन स्थल के बाहरी इलाकों को बंद करने की तैयारी है.

तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ बीते 64 दिनों से किसान दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनरत हैं. सरकार के साथ 11 दौर की बातचीत भी हुई. जिसमें कोई हल नहीं निकला. इसी बीच किसानों ने 26 जनवरी को किसान ट्रैक्टर परेड निकाली थी. जिसमें हिंसा हो गई. संयुक्त किसान मोर्चा ने इस हिंसा के लिए सरकार पर साजिश का आरोप लगाया है.


किसानों को बदनाम करने की सरकारी साजिश बेनकाब, जारी रहेगा आंदोलन: संयुक्त किसान मोर्चा


 

किसान नेताओं को लुक आउट नोटिस, दर्शनपाल से पुलिस का सवाल, समझौता तोड़ने पर क्यों न की जाए कार्रवाई

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द लीडर : 26 जनवरी को दिल्ली में किसान ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा के खिलाफ पुलिस कार्रवाई का सिलसिला शुरू हो गया है. गुरुवार को किसान नेताओं को लुक आउट नोटिस जारी किया गया है. उनके पासपोर्ट जब्त किए जाएंगे. यानी किसी भी हालत में वे देश नहीं छोड़ सकेंगे. पुलिस ने किसान नेता डॉ. दर्शनपाल सिंह को एक नोटिस भेजकर पूछा है कि, ‘पुलिस के साथ आपका जो समझौता हुआ था, उसे तोड़ा गया. क्यों न आपके खिलाफ कार्रवाई की जाए.’ तीन दिन के अंदर अपना जवाब देना है.

गणतंत्र दिवस पर मंगलवार को किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाली थी. जिसमें कई जगहों पर हिंसा हुई. लाल किले पर धार्मिक झंडा फहराया गया था. दिल्ली पुलिस के मुताबिक घटना में करीब 300 से अधिक लोग घायल हुए हैं. इसमें पुलिसकर्मी भी शामिल हैं. इस मामले में पुलिस ने करीब 200 किसानों को हिरासत में लिया है.


किसानों को बदनाम करने की सरकारी साजिश बेनकाब, जारी रहेगा आंदोलन: संयुक्त किसान मोर्चा


 

दिल्ली के विभिन्न थानों में दर्जनों एफआइआर दर्ज की गई हैं. एक एफआइआर में योगेंद्र यादव, राकेश टिकैत, बलवीर सिंह राजेवाल, मेधा पाटेकर समेत करीब 37 प्रमुख किसान नेताओं के नाम शामिल हैं. ये ऐसे नेता हैं जो संयुक्त किसान मोर्चा और पूरे किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं. इसी बीच राकेश टिकैत ने कहा कि जांच में वे पुलिस का पूरा सहयोग करेंगे.

दिल्ली पुलिस ने साफ किया कि हिंसा में शामिल कोई भी आरोपी बख्शा नहीं जाएगा. लाल किले पर झंडा फहराने वाले दीप सिद्धू का नाम भी एफआइआर में है. इन सभी के खिलाफ दंगा, आपराधिक साजिश, हत्या, डकैती जैसी गंभीर धाराओं में कस दर्ज किए गए हैं.

गाजीपुर बॉर्डर पर काटी की गई बिजली

यूपी गेट गाजीपुर बॉर्डर पर बुधवार की रात बिजली काट दी गई. इससे आंदोलनकारी किसानों में पुलिस कार्रवाई की आशंका पैदा हुई तो वे सक्रिय हो गए. किसासों के मुताबिक रातभर ट्रैक्टर और मोबाइल से लाइट की व्यवस्था रखी गई.

वहीं, गृहमंत्री अमित शाह ने किसान परेड हिंसा में घायल पुलिसकर्मियों से गुरुवार को अस्पताल पहुंचकर मुलाकात की है.

किसानों को बदनाम करने की सरकारी साजिश बेनकाब, जारी रहेगा आंदोलन: संयुक्त किसान मोर्चा

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द लीडर : 26 जनवरी को किसान गणतंत्र परेड में जो कुछ भी हुआ. संयुक्त किसान मोर्चा ने उसके लिए सरकार को दोषी ठहराया है. ये कहते हुए कि सरकार ने किसानों को बदनाम करने की एक साजिश (Conspiracy) रची थी. जो लाल किले (Red Fort ) पर धार्मिक झंडा फराहने वाले दीप सिद्धू की करतूत से बेनकाब हो चुकी है. किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल ने दीप सिद्धू पर आरएसएस और भाजपा का एजेंट होने का आरोप लगाते हुए कहा कि कानून वापस न होने तक आंदोलन जारी रहेगा. (Government Conspiracy Defame Farmers Movement)

बुधवार, रात को संयुक्त किसान मोर्चा ने एक प्रेस कांफ्रेंस में ये बातें कहीं. डॉ. दर्शनपाल सिंह ने संचालन किया. और बलवीर सिंह राजेवाल ने मोर्चा की बैठक के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि परेड सफल रही. इसमें 2 लाख से ज्यादा ट्रैक्टर आए. लाखों लोगों ने शामिल होकर इसे ऐतिहासिक बनाया. दुनिया की नजरें परेड पर थीं, फिर भी ये सरकारी साजिश का शिकार हो गई.

राजेवाल ने कहा, जिस तरह से आंदोलन को तोड़ने की कोशिशें हुईं. उसके बीच परेड 99.9 प्रतिशत शांतिपूर्वक रही. बल्कि सरकार की साजिश उजागर हो गई. क्योंकि सरकार ने पहले से ही एक पैरलर किसान संगठन बिठा रखा था. जिसे सारी सुविधाएं दी गईं.

ट्रैक्टर परेड के लिए हमने पुलिस के साथ जो पांच रूट तय किए. हमारी परेड उन्हीं रूटों पर गई. जबकि साजिश में शामिल पंजाब मजदूर संघर्ष समिति ने दिल्ली में प्रवेश कर लाल किले पर झंडा फहराने की बात कही थी. उसने ऐसा ही किया. जिसे पूरे देश ने देखा.


आंदोलन को बदनाम करने की साजिश कामयाब, किसान नेता बोले-सरकार बताए दीप सिद्धू लाल किला कैसे पहुंचे


 

उन्होंने आरोप लगाया कि दीप सिद्धू जो, गृहमंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री मोदी का खास एजेंट है. उसने लाल किले पर सारा कांड किया. सवाल उठाया कि देश के सबसे प्रमुख स्थान लाल किले से सभी पुलिस वाले चौकी छोड़कर चले गए. और 4 घंटे तक उप्रदवियों को अंदर छोड़ दिया गया. उन लोगों ने राष्ट्रध्वज के बराबर में धार्मिक झंडा फहराया और आराम से चले गए. पुलिस ने कुछ नहीं किया.

इससे देश की भावनाएं आह्त हुई हैं. किसान मोर्चा का इस कृत्य से कोई वास्ता नहीं है. चूंकि हमने परेड बुलाई थी. इसलिए हम खेद प्रकट करते हैं. 30 जनवरी को किसान एक दिन की अनशान करेंगे. 1 फरवरी का संसद मार्च स्थगति किया जाता है. अगला कार्यक्रम फिर तय करेंगे.


दिल्ली में बेकाबू ट्रैक्टर परेड में भड़की हिंसा का जिम्मेदार कौन, किसान नेताओं का किनारा


 

किसान नेता योगेंद्र याद ने कहा कि शांति हमारी सबसे बड़ी ताकत है. जो घटनाएं हुईं हम उनकी निंदा करते हैं. दीप सिद्धू और पंजाब संघर्ष समिति ने ये सारा कांड किया है. दीप की पीएम और गृहमंत्री के साथ तस्वीरें हैं. सन्नी देवल से उनके रिश्ते साफ हैं. ये सब योजनाबद्ध था.

हम देश से दीप सिद्धू के बहिष्कार की अपील करते हैं. क्योंकि लाल किले पर हम तिरंगे के अलावा कोई दूसर झंडा फहराया जाना बर्दाश्त नहीं करेंगे.


दिल्ली हिंसा पर कांग्रेस की गृहमंत्री को बर्खास्त करने की मांग और सुब्रमण्यम स्वामी के सवाल


पूरे घटनाक्रम के लिए पुलिस दोषी : टिकैत

किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि नौजवानों को हताश होने की जरूरत नहीं है. कमेटी ने शांतिपूर्वक आंदोलन किया. इसके लिए सभी किसान बधाई के पात्र हैं. हिंसा के रूप में जो कुछ भी घटनाक्रम हुआ, उसके लिए पुलिस प्रशासन दोषी है. किसान संगठन को बदनाम करने की ये साजिश थी. खासकर पंजाब को. ये आंदोलन पूरे देश का है. कानून वापस न होने तक जारी रहेगा.

दो महीने से जारी आंदोलन

केंद्र सरकार तीन नए कृषि कानूनों को लेकर किसान पिछले 2 महीने से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं. सरकार के साथ 11 दौर की बातचीत भी हो चुकी, जिसमें कोई हल नहीं निकला. किसान कानून रद करने तो सरकार अपने फैसले से पीछे हटने को तैयार नहीं है.