द लीडर : गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में किसान ट्रैक्टर यात्रा का जो रूप आज देखा गया. उससे पूरा देश सन्न है. अहिंसक आंदोलन के दामन पर हिंसा का एक बदनुमा दाग लग गया. इसका जिम्मेदार कौन है? ये सवाल से किसान नेता किनारे हो गए. ऐसे हालात कैसे पैदा हुए? इसको लेकर आरोप-प्रत्यारोप के साथ बचाव और सफाई का दौर जारी है. (Delhi Violence Tractor Parade Farmer Leaders)
मंगलवार को लाखों की संख्या में किसानों का हुजूम ट्रैक्टर लेकर दिल्ली में घुसा. तिरंगा लहराते चल रहे ट्रैक्टरों पर देशभक्ति के तराने गूंज रहे थे. गड़बड़ ये हुई कि पुलिस के साथ जो रूट तय हुए थे. यात्रा उन पर नहीं चली, बल्कि मनमाने मार्गों पर चल पड़ी. ऐसा क्यों हुआ? ये प्रश्न है. इसके बाद जो हुआ. उससे पूरा देश आह्त है.
दरअसल, पुलिस और किसान नेताओं के बीच यात्रा को लेकर रूट तय हुए थे. इन्हीं से ट्रैक्टरों को जाना था. पर कुछ उत्साही किसान इससे अलग राह पर चल पड़े. यहां तक कि उत्तेजित भीड़ बैरिकेड हटाने और तोड़ने में जुट गई. रास्तों में बसों को ट्रैक्टर से खदेड़ा गया. कई जगहों पर पुलिस और किसानों में झड़पें हुईं. संघर्ष में कई किसान और पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. एक किसान की मौत भी हुई है.
दिल्ली में किसानों का बवाल, सरकार पर खड़े किए जा रहे सवाल
दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर, सिंघु बॉर्डर, टीकरी बॉर्डर पर पिछले करीब 2 महीने से किसान आंदोलन जारी है. इसमें पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान समेत देश के विभिन्न हिस्सों से हजारों किसान शामिल हैं. इन पर खालिस्तानी, पाकिस्तानी समर्थक होने के आरोप तक लगे. इसके बावजूद अांदोलन शांतिपूर्वक चलता रहा. और दुनिया के सबसे बड़े प्रदर्शनों में शुमार हो गया. मगर एक ट्रैक्टर यात्रा ने इसे दागदार कर दिया. इसके अनुशासन को भी, जो दुनिया भर चर्चा का विषय बन रहा था.
ट्रैक्टर परेड का रूट तोड़कर दिल्ली के लाल किले पर घुसे किसान, अपना झंडा फहराया, एक की मौत
प्रदर्शन स्थल पर पहुंच रहे किसान
दिल्ली पुलिस और किसान नेताओं के आह्वान के बाद किसानों के जत्थे देर रात तक दिल्ली से प्रदर्शन स्थलों के लिए लौट रहे हैं. दूसरी तरफ गृहमंत्रालय ने इस मामले पर आपात बैठक में पुलिस अधिकारियों के साथ चर्चा की है. संभव है कि पुलिस अब और कड़ाई दिखा सकती है.
हमारे सभी प्रयासों के बावजूद कुछ संगठनों और व्यक्तियों द्वारा रूट का उल्लंघन करने का निंदनीय कृत्य किया गया। असामाजिक तत्वों ने शांतिपूर्ण आंदोलन में घुसपैठ की। हमने हमेशा माना है कि शांति हमारी सबसे बड़ी ताकत है और किसी भी उल्लंघन से आंदोलन को नुकसान होगा: संयुक्त किसान मोर्चा
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 26, 2021
क्या पूरी हो पाएगी कानून वापसी की मांग
इस हिंसा के बाद सबसे महत्वूपर्ण सवाल ये है कि क्या अब कृषि कानूनों को वापसी की मांग पूरी हो पाएगी? इसलिए क्योंकि इस घटनाक्रम ने सरकार और किसानों के बीच फासला बढ़ा दिया है. माना जा रहा है कि हिंसा के आरोप में कार्रवाईयां होंगी. जिससे ये आंदोलन ढह सकता है.