कल देर रात से हजारों की तादाद में किसान दिल्ली बॉर्डर पर जुटना शुरू हो चुके हैं. कल दिन भर के नाटकीय घटनाक्रम में शासन-प्रशासन ने किसान आन्दोलन पर जबरदस्त दबाव बनाने की रणनीति के तहत भारी पुलिस व अर्धसैनिक बल तैनात कर दिए गए. 44 किसानों के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया और 33 एफआईआर दर्ज की गयीं. किसान नेताओं को गिरफ्तारी देने और सड़क खाली करने के लिए कहा जाने लगा. इस रस्साकशी का केंद्र बना गाजीपुर बॉर्डर जहाँ भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत धरने पर बैठे हैं. पुलिस प्रशासन ने टिकैत से दिन भर कई दौर की बातचीत में आन्दोलन ख़त्म कर इलाका खाली करने को कहा. कहा यह जा रहा था कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने गाजियाबाद जिला प्रशासन को इस बाबत सख्त आदेश दिए हैं. समूचा इलाका दोपहर बाद छावनी में तब्दील कर दिया गया. (Farmers Gathering Delhi border)
इसी दौरान किसान नेता राकेश टिकैत मीडिया से बातचीत करते हुए भावुक हो गए. वे कानून वापस न होने की शर्त में आत्महत्या करने तक की बात कह गए. बाद में उन्होंने प्रशासन पर बिजली-पानी की आपूर्ति बंद कर देने का आरोप लगाते हुए यहां तक घोषणा कर डाली कि जब तक किसान ट्रैक्टरों से गांवों का पानी नहीं ले आते तब तक वे पानी नहीं पियेंगे. इस पूरे वक़्त में किसान आन्दोलन के समाप्त हो जाने और किसानों के भारी संख्या में लौटने की बात भी कही जाने लगी. जाहिर है 26 जनवरी का मार्च किसान आन्दोलन का एक बड़ा पड़ाव था तो लम्बे समय से डटे कई किसान लौट भी रहे हों. आन्दोलन में पहले से ही किसानों का आना-जाना लगा ही हुआ था.
टिकैत के आंसुओं को भी आन्दोलन की कमजोरी माना जाने लगा. लेकिन देर रात टिकैत के भावुक हुए वीडियो के वायरल होने के बाद अपने रुटीन में घर लौट रहे किसान रास्ते से ही वापस लौटने लगे. अपने नेता को भावुक हुआ देख आसपास के गाँवों से किसान रात में ही दोबारा गाजीपुर बॉर्डर पर जुटना शुरू हो गए. यही नहीं हजारों की संख्या में किसानों के आज सुबह और दोपहर तक गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंच रहे हैं.
टिकैत के वायरल वीडियो का असर सिर्फ पश्चिमी उत्तर प्रदेश और गाजीपुर बॉर्डर पर ही नहीं दिखाई दिया. बल्कि सिंघु और टीकरी बॉर्डर में भी इसका व्यापक असर दिखाई दिया. एक ब्रेक के लिए अपने गांवों को लौट रहे किसान हरियाणा और पंजाब से वापस बॉर्डर लौटने लगे.
इस तरह शाम को पस्त होता दिखाई दे रहा गाजीपुर बॉर्डर देर रात तक गुलजार हो गया. कल रात प्रशासन और राजनीतिक दल के गुंडों द्वारा धरनास्थल खाली कराने की आशंका जताते हुए किसान ट्रैक्टर ट्रॉलियों के बजाय मोर्चे के पास खुले में सोये. रात भर किसानों के गाजीपुर, टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर आना लगा रहा. इस तरह कल शाम तक दिखाई दे रही आन्दोलन की तस्वीर देर रात बदल गयी. किसानों का जमावड़ा बढ़ गया और पुलिस और अर्धसैनिक बलों की संख्या कम हो गयी.
दिलीप मंडल अपनी फेसबुक वाल पर लिखते हैं “टीवी चैनलों ने किसान आंदोलन ख़त्म होने की ख़ुशी में आज शाम शैंपेन की बोतलें भी खोल ली थीं. लेकिन बाज़ी पलट चुकी है. हरियाणा और यूपी में किसान रात में सड़क पर आ गया. किसान आंदोलन जारी है. किसान क़ानून कोमा में हैं. उन क़ानूनों की मृत्यु की घोषणा होना बाक़ी है” (Farmers Gathering Delhi border)
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