बंगाल विधानसभा में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित, राष्ट्रपति के अभिभाषण के बहिष्कार का ऐलान

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नई दिल्ली : केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ पंश्चिम बंगाल की विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया है. बंगाल ऐसा छठा राज्य है जो इन कानूनों के को रद किए जाने का प्रस्ताव लाया है. इससे पहले पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान, केरल और दिल्ली विधानसभा से ये प्रस्ताव पारित हो चुके हैं.

गुरुवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस ने विधानसभा में प्रस्ताव रखा था. भाजपा विधायक विरोध के बीच सदन से बॉयकाट कर गए. मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार को इन तीनों कानूनों को वापस लेना चाहिए या सत्ता छोड़ देनी चाहिए.

दूसरी तरफ संसद के बजट सत्र से पहले विपक्षी दलों ने कृषि कानूनों के विरोध में राष्ट्रपति के अभिभाषण के बहिष्कार का ऐलान किया है. इसमें कांग्रेस, नैशनल कांफ्रेंस, डीएमके, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, सपा, शिवसेना, टीएमसी, राजद, माकपा, आरएसपी, पीडीपी, एमडीएमके, केरल कांग्रेस-एम आदि करीब 17 दल शामिल हैं.


सिंघु बॉर्डर पर किसानों के खिलाफ प्रदर्शन, गाजीपुर बॉर्डर पर उतरी पीएसी, सड़क खाली करने को कहा


 

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि हमने कृषि कानूनों का विरोध किया है और आगे भी करते रहेंगे. उन्होंने कहा कि हम यानी अपनी पार्टी के तीनों सांसद राष्ट्रपति के अभिभाषण कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे.

बता दें कि कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 64 दिनों से किसानों का आंदोलन चल रही है. देश भर के हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं. 26 जनवरी को किसानों ने ट्रैक्टर परेड निकाली थी, जो हिंसा का शिकार हो गई. इसके बाद इस आंदोलन की धार कुंद होती जा रही है.

इसलिए क्योंकि आंदोलन के अगुवाकार सभी प्रमुख नेताओं पर गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया है. उन्हें लुकआउट नोटिस जारी हो चुके हैं.

इसी बीच गाजीपुर बॉर्डर से आंदोलन खत्म कराने की तैयारी की खबरें सामने आ रही हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरे राज्य से किसान आंदोलनों को खत्म कराने का निर्देश दिया है. इसी क्रम में गाजियाबाद के डीएम ने प्रदर्शनकारी किसानों को सड़क खाली करने का अल्टीमेटम दिया है.

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