ट्रैक्टर परेड हिंसा में 200 किसान हिरासत में, दर्शनपाल समेत कई बड़े किसान नेताओं पर एफआइआर

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200 Farmers Detained Tractor Parade Violence

नई दिल्ली : 26 जनवरी को किसान टैक्टर यात्रा में हुई हिंसा के आरोप में दिल्ली पुलिस ने करीब 200 किसानों को हिरासत में लिया है. इसके साथ ही किसान आंदोलन के अगुवा किसान नेता डॉ. दर्शनपाल सिंह, राजिंदर सिंह, बलवीर सिंह राजेवाल, बूटा सिंह बुर्जगिल और जोगिंदर सिंह उग्राह और राकेश टिकैत के नाम भी एफआआर में शामिल हैं. दिल्ली पुलिस की एक एफआइआर में इन नेताओं पर यात्रा के लिए दी गई एनओएसी के उल्लंघन का आरोप है. (200 Farmers Detained Tractor Parade Violence)

मंगलवार को किसानों ने दिल्ली में गणतंत्र यात्रा निकाली थी. इसमें लाखों की संख्या में ट्रैक्टर दिल्ली में प्रवेश किए थे. यात्रा के दौरान हिंसा भड़क गई थी. इसमें कई जगह पर तोड़फोड़ और पुलिस के झड़पें हुईं. दिल्ली पुलिस के मुताबिक इसमें करीब 300 लोग घायल हुए हैं, जिसमें पुलिसकर्मियों की तादाद ज्यादा बताई जा रही है. घटना में एक युवा किसान की मौत भी हो गई थी.


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एक समाचार एजेंसी के मुताबिक दिल्ली पुलिस ने हिंसा को लेकर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है. इसमें आइपीसी की धारा 395-डकैती, 397-लूट, मारने या चोट पहुंचाने, 120-आपराधिक साजिश रचने समेत अन्य धाराएं शामिल हैं. कुछ और किसान नेताओं पर भी कार्रवाई हो सकती है.

मंगलवार को गृहमंत्रालय ने दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के साथ बैठक की थी. इसके बाद कार्रवाई का ये सिलसिला शुरू हुआ है. दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में कई एफआइआर दर्ज की गई हैं. बुधवार को सुबह दिल्ली पुलिस के कमिश्नर ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की. हिंसा मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी गई है.

पर्यटन मंत्री ने बुधवार को लाल किले का दौरा किया और सांस्कृतिक मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट बनाने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि ये रिपोर्ट गृहमंत्राय को सौंपी जाएगी.

जिसके आधार पर कार्रवाई होगी. इसके अलावा दिल्ली पुलिस ने भी लाल किले का दौरा किया है. यात्रा में शामिल एक समूह ने लाल किले पर कब्जा कर धार्मिक झंडा फहराया था. इसका मुख्य आरोपी दीप सिद्धू है, जो भाजपा सांसद सन्नी देवल का करीबी बताया जा रहा है.

वहीं, दूसरी तरफ किसान नेताओं से हिंसा को साजिश बताया है. संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने एक बयान में इसकी निंदा की करते हुए दोहराया है कि जब तक कानून वापस नहीं होंगे, शांतिपूर्वक आंदोलन जारी रहेगा.

 

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