Friday, October 18, 2024
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जम्मू-कश्मीर में 551 दिन बाद इंटरनेट 4-जी सेवा बहाल, उमर अब्दुल्ला ने दी मुबारकबाद

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द लीडर : जम्मू-कश्मीर में 18 महीने बाद इंटरनेट की 4-जी सेवा बहाल हो गई है. अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया गया था. तब से ही घाटी में 4-जी सेवा बंद थी. शुक्रवार को नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्लाह ने इंटरनेट सेवा बहाली पर एक ट्वीट कर मुबारकबाद दी है. करीब 551 दिनों तक जम्मू-कश्मीर को इंटरनेट की हाईस्पीड सेवा से वंचित होकर 2-जी पर आश्रित रहना पड़ा है. (Internet 4g Service Jammu Kashmir)

जम्मू-कश्मीर प्रशासन के प्रवक्ता रोहित कंसल ने शुक्रवार की रात एक ट्वीट के माध्यम से इसकी जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में 4-जी इंटरनेट सेवा बहाल की जा रही है. हालांकि इससे पहले घाटी में इंटरनेट सेवा बहाली का ट्रायल होता रहा है.

घाटी का एक दृश्य

कोविड-19 के समय पूरा देश लॉकडाउन था. और पढ़ाई-लिखाई, ऑफिस के सारे कामकाज सब ऑनलाइन पर टिक गए. उस वक्त जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट बंद का मुद्​दा उठा था. इसको लेकर विपक्षी दल लगातार सरकार की आलोचना करते हुए इंटरनेट बहाली की मांग उठाते रहे हैं.

अब जबकि दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन जारी है. सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर सरकार ने अस्थायी रूप से इंटरनेट सेवा बंद कर रखी है. हरियाणा के कई जिलों में भी इंटरनेट बंद है. इन क्षेत्रों में इंटरनेट बंदी की आलोचना के बीच घाटी का मुद्​दा भी उठता रहा है.


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हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला ने राज्य में 4-जी इंटरनेट सेवा को लेकर प्रधानमंत्री पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि जल्द ही भारत में 5-जी इंंटरनेट सेवा शुरू होने की की बात हो रही है. जबकि जम्मू-कश्मीर के बाशिंदों को 4-जी भी नहीं दिया जा रहा. उन्होंने कहा था कि कुछ दिन प्रधानमंत्री जम्मू-कश्मीर में रहें तो शायद जान सकें कि 2-जी सेवा से काम में किस तरह की मुश्किलें आ रही हैं.

पूर्व नौकरशाह और राजनेता शाह फैसल ने घाटी में इंटरनेट सेवा बहाली को एक बड़ी सकारात्मक पहल बताया है.

सुन्नी-बरेलवी उलमा ने भारतीय राजदूत म्हात्रे की याद में आतंकवाद विरोध दिवस मनाया

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द लीडर : पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के खिलाफ सुन्नी-बरेलवी मसलक के उलमा ने एक बड़ा फैसला लेते हुए 5 फरवरी को आतंकवाद विरोध दिवस मनाया है. उत्तर प्रदेश के बरेली शहर में दरगाह आला हजरत परिसर स्थित इस्लामिक रिसर्च सेंटर पर ऑल इंडिया तंजीम उलमा-ए-इस्लाम के नेतृत्व में एक कार्यक्रम हुआ. तंजीम के महासचिव मौलाना शहाबुद्​दीन रजवी ने इस्लामिक इदारों (संस्थानों) में पाकिस्तान द्वारा आतंक को शह दिए जाने की निंदा की है.

मौलाना ने कहा कि, रविंद्र हरेश्वर म्हात्रे, जोकि ब्रिटेन में भारत के राजदूत थे. 6 फरवरी 1984 को ब्रिटेन में उन्हें अगवा कर मौत के घाट उतार दिया गया था. इस घटना को पाकिस्तान समर्थित आतंकियों के सहयोग से अंजाम दिया गया था.  म्हात्रे को याद करते हुए हम आतंक के खात्मे के लिए एकजुटता की अपील करते हैं.

उलमा ने पाकिस्तान को नसीहत देते हुए कहा कि उसे भारत में आतंकी गतिविधियां संचालित करने से बाज आना चाहिए. पूर्व में उसकी ओर से ऐसी जितनी भी कोशिशें हुईं हैं, भारत ने उन सबको नाकाम किया है. इस बात की जरूरत जताई कि सभी को मिलकर पाकिस्तान के इस नापाक इरादे को दुनिया के सामने उजागर करना चाहिए.

मुफ्ती कमर रजा खा ने अपने संबोधन में कहा कि इस्लाम अमन-शांति का पैगाम लेकर आया. पैगंबर-ए-इस्लाम ने किसी शख्स को तकलीफ नहीं पहुंचाई. मौलाना मुजाहिद हुसैन बोले, आतंकी संगठनों के कारण पूरी दुनिया में मुसलमानों की छवि खराब हुई है.


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इसलिए मुसलमानों को इसके खिलाफ पूरी ताकत से आवाज उठानी चाहिए. मौलाना ताहिर रजा फरीदी ने भारत सरकार से मांग की है कि आतंक को पालने वाले संगठनों के विरुद्ध सख्त कदम उठाए जाएं. इस दौरान मुफ्ती हाशिम रजा खां, मुफ्ती तौकीर अहमद, मौलाना फाईक आलम, मौलाना खुर्शीद अहमद, आरिफ अंसारी आदि ने अपने विचार रखे.

किसानों के चक्का जाम से एक दिन पहले दिल्ली पुलिस अलर्ट, दिल्ली सीमाओं की सुरक्षा सख्त

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द लीडर : संयुक्त किसान मोर्चा के 6 फरवरी को तीन घंटे का चक्का जाम करने के आह्वान पर दिल्ली पुलिस ने सीमाओं पर सुरक्षा-व्यवस्था और सख्त कर दी है. शुक्रवार को दिल्ली पुलिस ने चक्का जाम को लेकर बैठक की. हालांकि किसान नेताओं ने साफ किया है कि दिल्ली में चक्का जाम नहीं होगा. इसलिए क्योंकि यहां पहले से ही सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन चल रहा है. (Delhi Police Borders Tightens Farmers)

बैठक के दिल्ली पुलिस ने पत्रकारों से बातचीत में 6 फरवरी की सुरक्षा कड़ी करने की बात कही गई है. कृषि कानूनों को लेकर टीकरी बॉर्डर पर पिछले 72 दिनों से किसान धरने पर बैठे हैं. सिंघु और गाजीपुर बॉर्डर का भी यही हाल है. तीनों बॉर्डर क्षेत्रों पर भारी बैरिकेड, कीलें, खांई लगाने के साथ बड़ी संख्या में सशस्त्र बल तैनात हैं.

इसे भी पढ़ें : अमेरिका की भारत से अपील, प्रदर्शनकारी किसानों के साथ ‘बातचीत’ करे

Kisan Agitation Shut Down Internet
आंदोलन में शामिल किसान

सिंघु बॉर्डर से किसान नेता जगतार सिंह बाजवा ने कहा, सभी राज्य और जिलों के हाईवे पर शनिवार को दोपहर 12 से 3 बजे तक चक्का जाम किया जाएगा. दिल्ली में पहले से ही किसान बैठे हैं. इसलिए यहां चक्का जाम वाली स्थिति नहीं है.

इस बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को संसद में दोहराया कि, भारत सरकार कानूनों में किसी भी संशोधन के लिए तैयार है. इसका मतलब ये नहीं कि कानूनों में कोई गलती है. उन्होंने कहा कि पूरे एक राज्य में लोग गलतफहमी का शिकार हैं. किसानों को इस बात के लिए बरगलाया जा रहा है कि ये कानून आपकी जमीन ले जाएंगे.


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उन्होंने कांग्रेस पर बड़ा पलटवार करते हुए कहा कि दुनिया जानती है कि पानी से खेती होती है. खून से खेती सिर्फ कांग्रेस ही कर सकती है, भारतीय जनता पार्टी खून से खेती नहीं करती है.

बीती 26 जनवरी को किसानों ने दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकाली थी, जिसमें हिंसा हो गई थी. यहां तक कि दीप सिद्धू के नेतृत्व में बेकाबू भीड़ लाल किला पहुंची और वहां धार्मिक झंडा फहराया था. इस परेड में एक किसान की नवरीत की मौत हो गई थी. किसान आंदोलन को लेकर अब तक करीब 190 मौतें हो चुकी हैं.

ग्रेटाथुनबर्ग पर दिल्ली पुलिस की सफाई-एफआइआर टूलकिट बनाने वालों के खिलाफ, कन्हैया कुमार का तंज क्यूं थू-थू करवा रहे हो भाई

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द लीडर : किसान आंदोलन का समर्थन जताने वाली स्वीडिश पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटाथुनबर्ग पर एफआइआर मामले में दिल्ली पुलिस ने सफाई दी है. विशेष आयुक्त प्रवीर रंजन ने कहा कि एफआइआर में किसी का नाम नहीं है. ये कवल टूलकिट बनाने वालों के खिलाफ है, जो जांच का विषय है. दिल्ली पुलिस उस मामले की जांच करेगी. इस सफाई पर जेएनयू के छात्रनेता रहे कन्हैया कुमार ने तंज कसा है.

कन्हैया कुमार ने एक ट्वीट में कहा कि, ‘अब दिल्ली पुलिस कह रही है कि स्कूल-किड पर नहीं टूलकिट पर एफआइआर की है. भाई, क्यूं दुनिया में भारत की थू-थू करवा रहे हो. अगर सचमुच देश को बचाना है तो ट्वीटर से ज्यादा फॉर्मर को प्रमुखता देनी होगी.’

ग्रेटा बोलीं, कोई धमकी डिगा नहीं सकती

ग्रेटाथुनबर्ग विश्व की जानमानी पर्यावरण कार्यकर्ता हैं. किसानों के आंदोलन पर उन्होंने एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने शांतिपूर्ण किसान आंदोलन को समर्थन दिया था. गुरुवार को उनके विरुद्ध जब एफआइआर की खबर सामने आई. तो ग्रेटा ने एक और ट्वीट किया. इसमें दोहराया कि मानवाधिकार के मुद्​दे पर कोई भी धमकी उन्हें डिगा नहीं सकती है.


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भारत को बदनाम करने की विदेशी साजिश : जावड़ेकर

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि जो टूलकिट का मामला है. बेहद गंभीर है. साफ होता है कि कुछ विदेशी ताकतें भारत को बदनाम करने की साजिश कर रही हैं.

इससे पहले अमेरिकी पॉप स्टार रिहाना ने किसान आंदोलन से जुड़ी सीएनएन की खबर को रि-ट्वीट करते हुए कहा था कि हम इस पर बात क्यों नहीं करते? उनके इस ट्वीट के बाद से पूरी दुनिया में आंदोलन पर चर्चा होनी लगी. बाद में भारतीय विदेश मंत्रालय ने रिहाना के इस ट्वीट की आलोचना की थी.

किसान ट्रैक्टर परेड में मारे गए नवरीत के दादा से प्रियंका गांधी का वादा, देखिए

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प्रियंका गांधी ने कहा कि, ‘ये एक शहीद का परिवार है. मुझे अपने अनुभव से मालूम है. इस शहादत को हम कभी भूल नहीं सकते. उसे दिल में रखना होगा.’ नवरीत को याद करते हुए कहा कि वह मात्र 25 साल के थे. मेरा बेटा 20 साल का है. आप सबके बच्चे हैं. उत्साह में वे किसानों के साथ खड़े होने चले गए. एक ऐसा हादसा हुआ कि वापस नहीं आए. आखिर वे क्यों गए थे वहां. ये कोई राजनीतिक साजिश नहीं थी.

ट्रैक्टर परेड में मारे गए नवरीत के घर पहुंचीं प्रियंका गांधी, बोलीं-परिवार चाहता न्यायिक जांच

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द लीडर : कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने 26 जनवरी को दिल्ली में हुई ट्रैक्टर परेड में मारे गए किसान नवरीत सिंह को शहीद बताते हुए उनके दादा हरदीप सिंह से वादा कि आपके पोते की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी. जब तक सरकार तीनों काले कानूनों को वापस नहीं लेती. किसानों की लड़ाई जारी रहेगी. देश का हर किसान, नौजवान आपके साथ खड़ा है.

पत्रकारों से बातचीत में प्रियंका गांधी ने कहा कि मैंने परिवार से बात की है. उनका साफ कहना है कि न्यायिक जांच होनी चाहिए. अगर आप उस बॉर्डर (गाजीपुर) की फोटो देखें तो ऐसा लगता है कि देश बॉर्डर पर है.

प्रियंका गांधी गुरुवार को उत्तर प्रदेश के रामपुर जिला स्थित मृतक नवरीत के घर पहुंचीं. और उनके परिवार से मुलाकात की. प्रियंका गांधी ने कहा कि, ‘ये एक शहीद का परिवार है. मुझे अपने अनुभव से मालूम है. इस शहादत को हम कभी भूल नहीं सकते. उसे दिल में रखना होगा.’

नवरीत को याद करते हुए कहा कि वह मात्र 25 साल के थे. मेरा बेटा 20 साल का है. आप सबके बच्चे हैं. उत्साह में वे किसानों के साथ खड़े होने चले गए. एक ऐसा हादसा हुआ कि वापस नहीं आए. आखिर वे क्यों गए थे वहां. ये कोई राजनीतिक साजिश नहीं थी.


संयुक्त किसान मोर्चा ने समर्थन के लिए दुनिया भर के सेलेब्रिटीज का आभार जताया


 

बल्कि उनके दिल में पीड़ा थी कि किसानों पर जुल्म हो रहा है. गुरु गोविंद सिंह जी ने कहा है कि जुल्म करना पाप है, लेकिन जुल्म सहना उससे भी बड़ा पाप है. शायद इसी सोच के के साथ नवरीत किसानों का साथ देने दिल्ली गए थे. उम्मीद लेकर कि सरकार उनकी बात सुनेगी.

प्रियंका ने दोहराया कि ये किसानों की लड़ाई है, कोई राजनीतिक आंदोलन नहीं. मैं इस परिवार को कहने आई हूं कि आप अकेले नहीं हो. देश का हर किसान आपके साथ है. मैं आपके साथ हूं. इस दौरान मशहूर शायर और कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी समेत अन्य कांग्रेसी रहे.

26 जनवरी को हुई थी मौत

किसान आंदोलन के बीच 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर परेड हुई थी. इसमें नवरीत की मौत हो गई थी. उनकी मौत पर अभी भी असमंजस बना है. परिवार के दावे के उलट जो पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई है. उसमें ट्रैक्टर पलटने से नवरीत की मौत बताई गई है. नवरीत ऑस्ट्रेलिया में रहते थे और कुछ दिन पहले ही घर आए थे.

चौरी-चौरा के शहीदों को नमन कर बोले पीएम मोदी- आग थाने में नहीं, भारतीयों के दिल में धधकी थी

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द लीडर : आजादी की लड़ाई की ऐतिहासिक घटना, चौरी-चौरा के शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि चौरी-चौरा में सौ साल पहले जो हुआ. वो केवल एक थाने में आग लगाने भर की घटना नहीं थी. बल्कि ये आग जन-जन के दिलों में प्रज्ज्वलित हुई थी. ये बहुत बड़ा संदेश था. इसमें शामिल सभी वीरों को नमन करता हूं.

गोरखपुर में आयोजित इस समारोह को प्रधानमंत्री ने ऑनलाइन संबोधित किया. उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से इस घटना को इतिहास में सही स्थान नहीं दिया गया. मगर इस ऐतिहासिक संग्राम को आज देश के इतिहास में समुचित जगह दी जा रही है. इस प्रयास के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की टीम को बधाई देता हूं. इस दौरान प्रधानमंत्री ने एक विशेष डाक टिकट जारी किया.

अपने संबोधन में कहा कि आज देश जब आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है. ऐसे समारोह का होना जरूरी है. चौरी-चौरा एक स्वत: स्फूर्त आंअदोल था. उन शहीदों की जितनी चर्चा होनी चाहिए थी, उतनी नहीं हुई. बोले, क्रांतिकारियों को इतिहास के पन्नों में भले प्रमुख जगह न दी गई पर आज देश उनके बलिदान पर नमन कर रहा है.

भारत के शिक्षा मंत्रालय ने युवाओं से आह्वान किया है कि वे आजादी के वीर जवानों का इतिहास सामने लाएं. इसी तरह चौरी-चौरा के जितने भी वीर सेनानी हैं. आप उन्हें देश के सामने लाइए. उन वीरों के प्रति यही हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी.


समृद्ध, खुशहाल भारत बनाना है, तो नागरिकों को एक-दूसरे से झगड़ना बंद करना होगा : जस्टिस काटजू


 

प्रधानमंत्री ने भारत की सामूहिकता की शक्ति का हवाला देते हुए कहा कि इसी से गुलामी की बेड़ियां टूटी थीं. सामूहिकता ही भारत को बड़ी ताकत बनाएगी. ये आत्मनिर्भर भारत का मूल आधार है. जिससे 130 करोड़ भारतीयों को आत्मनिर्भर बना रहे हैं.

कोरोना संकटकाल को याद करते हुए कहा कि इस चुनौती के बावजूद भारत ने 150 से अधिक देशों को जरूरी दवाईयां उपलब्ध कराईं. अपने नागरिकों को विदेशों से घर बुलाया और विदेशियों को उनके घर भेजा.

हाल ही में आए बजट की सराहना करते हुए कहा कि लोगों को लग रहा था कि कोरोना संकटकाल में सरकार नागरिकों पर टैक्स का बोझ डालेगी. पर ऐसा नहीं किया गया. देश को आगे बढ़ाने के लिए सरकार ने ज्यादा से ज्यादा खर्च करने का फैसला किया है.

जस्टिस काटजू ने खारिज किया पॉप सिंगर रिहाना पर सरकार का तर्क, बोले-ऐसे तो जर्मनी में यहूदियों के उत्पीड़न की भी चर्चा नहीं होनी चाहिए थी

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द लीडर : अमेरिकी पॉप सिंगर रिहाना, मशहूर पर्यावरणविद ग्रेटाथुनबर्ग और अमेरिका की उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस की भांजी मीना हैरिस ने किसान आंदोलन को लेकर अपना समर्थन जताया है. इससे ये आंदोलन दुनिया भर में चर्चा के केंद्र में आ गया है. विदेशियों के समर्थन जताने पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि ये भारत का आंतरिक मामला है.

Goodwill Day farmers
किसान आंदोलन को लेकर हुई पंचायत.

विदेश मंत्रालय के बचाव के बाद बॉलीवुड की कई जानमानी हस्तियों के साथ क्रिकेटर भी सरकार के समर्थन में खड़े हुए हैं. इसमें क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, अभिनेता अक्षय कुमार, अजय देवगन आदि शामिल हैं.

विदेश मंत्रालय, अभिनेता और क्रिकेेटरों की विदेशियों के आंदोलन को समर्थन देने की निंदा के बीच सुप्रीमकोर्ट के न्यायाधीश रहे जस्टिस मार्केंडय काटजू ने इस मुद्​दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. और पूर्व में दुनिया भर में हुए रंगभेद, जनसंहार, नस्लवाद की घटनाओं की समूचे विश्व में की गई आलोचनाओं के प्रति ध्यान खींचा है.


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उन्होंने कुछ सवाल भी उठाए हैं. जस्टिस काटजू ने कहा कि ‘भारतीय विदेश मंत्रालय के तर्क से देखें तो फिर नाजी युग के दौरान जर्मनी में यहूदियों के उत्पीड़न पर जर्मनी के बाहर किसी को आलोचना नहीं करनी चाहिए थी.’

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किसान आंदोलन को लेकर दिल्ली की सीमा पर सरकार की तैयारी.

‘उस तर्क के आधार पर पाकिस्तान में अहमदियों, हिंदू, सिख और इसाईयों के उत्पीड़न की पाकिस्तान के बाहर आलोचना नहीं की जानी चाहिए थी. भारत में मुस्लिमों पर लिंचिंग और अत्याचारों की भारत के बाहर आलोचना नहीं होनी चाहिए या 1984 के सिंखों के नरसंहार की.


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उन्होंने अमेरिका के नस्लवाद, अश्वेतों के प्रति बुरे व्यवहार, चीन में उइगर मुस्लिम अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न, दक्षिण अफ्रीका के रंगभेद का हवाला देते हुए कहा कि तो उस तर्क के मुताबिक किसी दूसरे देश में इनकी आलोचना नहीं की जानी चाहिए थी. बर्मा में रोहिंग्या के उत्पीड़न की चर्चा भी नहीं होनी चाहिए थी. आखिर ये सब भी तो उन देशों के आंतरिक मामले ही थे. ‘

केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले 70 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हैं. केंद्र सरकार ने किसानों को दिल्ली में प्रवेश से रोकने के लिए राहों में कीले बिछाए हैं. बैरिकेड के अलावा भारी संख्या में पुलिस और सशस्त्र बल तैनात किया है. आंदोलन स्थलों की इंटरनेट सेवा, बिजली, पानी भी रोकने की कार्रवाईयां हो चुकी हैं.

वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने भी इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. किसानों के बजाय सरकार के साथ खड़े होने वाले कलाकार और खिलाड़ियों को उन्होंने रीढ़विहीन बताया है.

दिल्ली सीमाओं की किलाबंदी क्यों करा रही सरकार, क्या किसानों से डर लगता : राहुल गांधी

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द लीडर : कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने किसान आंदोलन को लेकर एक बार फिर सरकार को घेरा है. उन्होंने कहा कि ”देश एक खतरनाक स्थिति से गुजर रहा है. जो किसान, सरकार से लड़ रहा, उसे आतंकवादी कहा जा रहा. क्या, आरएसएस को छोड़कर देश में बाकी सब किसान आतंकवादी हैं?” किसान आंदोलन को लेकर आ रहीं अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि इससे भारत की छवि को धक्का लगा है. बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस में राहुल ने ये कहा.

26 जनवरी को दिल्ली में किसान ‘ट्रैक्टर परेड’ से जुड़े एक सवाल पर राहुल गांधी ने कहा, ‘लाल किले में जो लोग घुसे. उसका जवाब गृह मंत्रालय को देना होगा. सरकार दिल्ली सीमाओं की किलाबंदी क्यों कर रही है. क्या किसानों से डरते हैं? क्या किसान देश के दुश्मन हैं. मैंने कहा कि किसान हिंदुस्तान की ताकत हैं. और इसको दबाना, मारना, धमकाना, सरकार का काम नहीं है. बल्कि उसे समाधान तलाशाना चाहिए. ये किसान पीछे नहीं हटेंगे. आखिर में सरकार को ही हटना होगा.’

बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ये देश के एक प्रतिशत लोगों का बजट है. एमएसएमई, किसान, मजदूर और सेनाओं के हिस्से का पैसा देश के उन्हीं 10-15 लोगों की जेब में डाल दिया गया है. निजीकरण का लाभ भी उन्हें ही मिलेगा. इससे देश की अर्थव्यवस्था में सुधार नहीं होने वाला. सरकार को चाहिए कि सप्लाई साइड के बजाय खपत साइड पर ध्यान दे.


राहुल गांधी का सरकार पर तंज, पूछा-इतने सारे तानाशाहों के नाम एम से ही क्यों शुरू होते?


 

राहुल गांधी बोले, चीन भारत के अंदर आकर हमारी जमीन कब्जा लेता है. और बजट में सरकार, चाइना को क्या संदेश देती है, कि हम सुरक्षा खर्च नहीं बढ़ाएंगे. तीन-चार हजार करोड़ रुपये ही बढ़ाए हैं. ऐसा करके चाइना को क्या संदेश दिया कि आप अंदर आ सकते हैं.

आपको जो करना है करो, हम सेना को सपोर्ट नहीं करेंगे. लद्दाखर में हमारे जो जवान हैं. उन्हें कैसा लग रहा हो कि इस संकट में सरकार पैसा नहीं दे रही. हम कहते हैं कि हमारी सेनाओं को जो भी चाहिए वो देना चाहिए. सवाल उठाया ये कौन सी देशभक्ति है. सेना लद्​दाख में खड़ी है और उन्हें पैसा नहीं दे रहे.

राहुल गांधी का सरकार पर तंज, पूछा-इतने सारे तानाशाहों के नाम एम से ही क्यों शुरू होते?

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द लीडर : किसान आंदोलन से निपटने को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर पुलिस और सशस्त्र बलों की नाकाबंदी, दुनिया भर में सरकार की आलोचना का सबब बनती जा रही है. इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार पर बड़ा निशान साधा है. उन्होंने दुनिया के कुछ नेताओं के नाम गिनाए हैं. और ये सवाल किया है कि इतने सारे तानाशाहों के नाम एम से ही क्यों शुरू होते हैं?


किसान आंदोलन : प्रियंका का सवाल-प्रधानमंत्री जी, अपने किसानों से ही युद्ध? राहुल गांधी बोले, पुल बनवाइए, दीवारें नहीं!


 

राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में जो नाम लिखे हैं-उनमें, मार्कोस, मुसोलिनी, मिलोसेविक, मुबारक, मोबुतु और पाकिस्तान के जनरल रहे मुशर्रफ का नाम शामिल है. केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों को लेकर राहुल, मोदी सरकार पर लगातार हमलावर हैं. इससे पहले बुधवार को उन्होंने एक ट्वीट कर आरोप लगाया था कि मोदी सरकार के राज करने का ये अंदाज है-चुप कराओ और कुचल दो.

उनकी ये प्रतिक्रिया किसान आंदोलन को लेकर किसान नेताओं और कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं के ट्वीटर एकाउंट सस्पेंड किए जाने के बाद सामने आई थी. उन्होंने एक अन्य ट्वीट में सरकार को ये सलाह दी थी कि, दीवारें नहीं बुल बनवाइए.

सरकार साफ कर चुकी है कि खुले हैं बातचीत के दरवाजे

दिल्ली के सिंघु, गाजीपुर और टीकरी बॉर्डर पर पिछले दो महीने से अधिक से किसानों का आंदोलन जारी है. वे तीन नए कृषि कानूनों को रद किए जाने की मांग कर रहे हैं. सरकार के साथ 11 दौर की बातचीत भी हुई, जो बेनतीजा रही. पिछले दिनों मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि किसानों के लिए वार्ता के दरवाजे खुले हैं और ये मसला केवल संवाद से ही हल होगा.