Thursday, October 17, 2024
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सरकार के साथ बैठक में किसान नेताओं की दो-टूक, कानून रद होने तक घर नहीं लौटेंगे

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नई दिल्ली : केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच सातवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही. किसान प्रतिनिधि मंडल अपने स्पष्ट मत के साथ तीनों कृषि कानूनों (Farm Laws) को रद किए जाने की मांग पर अड़ा रहा. आखिर में साफ किया जब तक कानून वापस नहीं होंगे, किसान घर नहीं जाएंगे. वे दिल्ली (Delhi) की सीमाओं पर ही डटे रहेंगे. बहरहाल, अब आठ जनवरी एक बार फिर से बैठक होगी. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने आठ जनवरी को किसी निष्कर्ष पर पहुंचने की उम्मीद जताई है. (Farmers Leader Government Meeting)

सोमवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में किसान संगठनों के प्रतिनिधि मंडल के साथ कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बैठक की. जो दोपहर दो बजे शुरू हुई. करीब चार घंटे तक वार्ता चली. इससे पहले आंदोलन के दौरान मारे गए करीब 50 किसानों को श्रद्धांजिल देते हुए दो मिनट की शोकसभा हुई.

जैसे कि बैठक से पहले ही किसान नेताओं ने स्पष्ट किया था कि उनकी एक ही मांग है-सरकार कृषि कानूनों को वापस करे और एमएसपी की गारंटी सुनिश्चित करे. वार्ता की मेज पर उन्होंने यही एक मुद्​दा रखा. कृषि मंत्री ने किसान नेताओं से कानून पर चर्चा की पेशकश की. जिस पर किसान राजी नहीं हुए. (Farmers Leader Government Meeting)

किसान नेता हन्नान मोल्लाह, साभार एएनआइ ट्वीटर.

बैठक के बाद अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने समाचार एजेंसी एएनआइ से बातचीत में कहा कि, ‘सरकार काफी दबाव में है. हम सभी ने कहा कि हमारी मांग है, तीनों कानूनों को निरस्त कराना. हम कानूनों को रद करने के अलावा किसी दूसरे विषय पर चर्चा नहीं चाहते हैं. कानून रद किए जाने तक विरोध वापस नहीं लिया जाएगा.’

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एएनआइ से कहा कि, ‘हम चाहते थे कि किसान संगठन तीनों कानूनों पर चर्चा करें. मगर संगठन कानून निरस्त किए जाने पर अड़े रहे. फिर भी आज की चर्चा को देखते हुए मुझे पूरी उम्मीद है कि अगली बैठक में हम एक सार्थक संवाद कर निष्कर्ष पर पहुंचेंगे.’

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर

भारतीय किसान यूनियन के नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि मंत्री चाहते थे कि हम कानूनों पर बिंदुवार चर्चा करें. हमने इसे खारिज कर दिया. कहा कि कानूनों पर चर्चा करने का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि हम कानूनों को रद कराना चाहते हैं. सरकार हमें संशोधन की ओर से ले जाना चाहती है, जो मंजूर नहीं है.


किसान आंदोलन : पंजाब विश्वविद्यालय के छात्रों के खुले पत्र के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने दायर किया मुकदमा


पिछले 39 दिनों से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश समेत विभिन्न राज्यों के हजारों किसान दिल्ली की सीमाअों पर डेरा डाले हैं. वे केंद्र सरकार के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत हैं. इसी क्रम में सरकार और किसान नेताओं के बीच संवाद भी जारी है. बीते 30 दिसंबर को भी दोनों पक्ष वार्ता के पटल पर बैठे थे. (Farmers Leader Government Meeting)

किसान आंदोलन : पंजाब विश्वविद्यालय के छात्रों के खुले पत्र के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने दायर किया मुकदमा

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नई दिल्ली : दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों पर पुलिस और अर्धसैनिक बलों द्वारा कथित रूप से हमले की जांच के लिए सुप्रीमकोर्ट ने मुकदमा दायर किया है. पंजाब यूनिवर्सिटी के छात्रों ने किसानों के विरुद्ध हुई कार्रवाई पर खुला पत्र जारी करते हुए शीर्ष अदालत से हस्तक्षे का अनुरोध किया था. सुप्रीमकोर्ट ने इसी पत्र का संज्ञान लिया है.

बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के अनुसार पत्र में कहा गया है कि अपने गृह राज्य में दो महीनों तक शांतिपूर्ण प्रदर्शन के बाद किसानों को मजबूरन दिल्ली मार्च करना पड़ा. लेकिन कोई हल नहीं निकला. छात्रों का दावा है कि सरकार और पक्षपाती मीडिया संस्थान, किसानों का संकट दूर करने के बजाय प्रदर्शनकारियों को अलगाववादियों के रूप में प्रदर्शित कर रहे हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक छात्रों ने कहा कि, ‘इस गंभीर संकट का हल तलाशने के बजाय और गैर-पक्षपाती मीडिया शांतिपूर्ण आंदोलन को अलगाववाद से जोड़कर धुव्रीकरण की कोशिश कर रहे हैं. यहां तक कि क्रूर हमलों में घायल होने के बावजूद किसान, सांप्रदायिकता मुक्त रसोई और भोजन का बंदोवस्त कर रहे हैं.’ छात्रों ने के इस पत्र में मीडिया चैनलों के विरुद्ध भी कार्रवाई की मांग उठाई गई है.


एमपी : पुलिस बोली, कॉमेडियन फारूकी ने देवताओं का अपमान किया, इसका कोई वीडियो नहीं


हरियाणा में हुआ था लाठीचार्ज

पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के हजारों किसान पिछले 39 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं. आंदोलन के लिए जब पंजाब और हरियाणा के किसान दिल्ली कूच कर रहे थे. उनके विरुद्ध पुलिस कार्रवाई हुई थी. इसमें आंसू गैस के गोले दागने से लेकर लाठीचार्ज तक की कार्रवाई के आरोप लगे थे. बीते रविवार को राजस्थान से दिल्ली आ रहे किसानों पर भी हरियाणा में आंसू गैस के गोले दागने का मामला सामने आ चुका है.

 

एमपी : पुलिस बोली, कॉमेडियन फारूकी ने देवताओं का अपमान किया, इसका कोई वीडियो नहीं

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भोपाल : मध्यप्रदेश के इंदौर में देवी-देवताओं के साथ गृहमंत्री अमित शाह का कथित रूप से उपहास उड़ाने के जिस मामले में कॉमेडियन अनवर फारूकी गिरफ्तार किए गए हैं. उस मामले में अब एक नया मोड़ आ गया है. घटना के दो दिन बाद पुलिस ने कहा है कि शिकायतकर्ता की ओर से जो वीडियो उपलब्ध कराए गए हैं. उनसे ये साबित नहीं होता कि फारूकी ने देवी-देवताओं का अपमान किया है.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ‘तुकागंज पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर कमलेश शर्मा ने बताया कि उनके पास फारूकी के विरुद्ध सीधे कोई सुबूत नहीं है. आयोजक के तौर पर उनके विरुद्ध मामला दर्ज किया गया है.’ इस मामले में फारूकी के साथ एडविन एंथोनी, प्रखर व्यास, प्रियम व्यास और नलिन यादव भी गिरफ्तार हुए हैं.

घटनाक्रम बीते शुक्रवार का है. मुनरो कैफे में एक कॉमेडी-शो का आयोजन रखा गया था. अनवर फारूकी के आने की भनक पर हिंदूवादी नेता सक्रिय हो गए. स्थानीय भाजपा विधायक मालिनी गौड़ के बेटे एकलव्य गौड़ शो में पहुंचे. उन्होंने फारूकी पर देवी-देवताओं का मजाक उड़ाने का आरोप लगाते हुए कार्यक्रम बंद कर दिया.


देवी-देवताओं पर कथित टिप्पणी के आरोप में कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी को जेल


 

घटना का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें फारूकी, एकलव्य को समझाते नजर आ रहे हैं कि किसी की भावना को ठेस पहुंचाने का उनका इरादा नहीं है. बहरहाल, शो बंद हो जाता है और पुलिस फारूकी को गिरफ्तार कर लेती है. आरोप है कि फारूकी के साथ मारपीट भी की गई. सोशल मीडिया पर इसके कुछ वीडियो वायरल हुए हैं.

फारूकी के समर्थन में उतरे कलाकर

घटना के बाद मुंबई के कई हास्य कलाकारों ने अनवरी फारूकी की गिरफ्तारी की निंदा की है. इसमें वरुण ग्रोवर, वीर दास, कनीज सुर्खा, अग्रिमा जोशुआ और रोहन जोशी आदि शामिल हैं.

गुजरात के फारूकी मुंबई में करते कॉमेडी

मूल रूप से गुजरात के जूनागढ़ निवासी मुनव्वर फारूकी, स्टैंड-अप कॉमेडी करते हैं. यू-ट्यूब पर उनके 5.20 लाख फॉलोअर्स हैं. वर्तमान में मुनव्वर मुंबई में रहते हैं एफपीआइ की एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते साल अप्रैल में मुंबई के एक हिंदूवादी नेता रमेश सोलंकी ने भी फारूकी के मुंबई पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. सोलंकी ने भी अपनी शिकायत में देवी-देवताओं के अपमान का आरोप लगाया था. (Comedian Munawwar Farooqui-Jail)

बिहार, केरल और महाराष्ट्र में खुले कक्षा 9 से 12वीं तक के स्कूल

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द लीडर : कोरोना महामारी ने पिछले नौ महीनों से देश के शिक्षण संस्थानों की रंगत ही छीन रखी है. ठीक नौ महीने के बाद सोमवार को कुछ राज्यों में स्कूल-कॉलेज खुले हैं. इसमें महाराष्ट्र, केरल और बिहार शामिल हैं. यहां कक्षा नौ से लेकर इंटरमीडिएट तक के विद्यालयों को सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन कराते हुए शुरू किया गया है.

केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की ओर से बताए गए एक आंकड़े के मुताबिक देश में करीब 33 करोड़ विद्यार्थी हैं. ये संख्या प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षण संस्थानों में अध्ययनरत छात्रों की है. वहीं, करीब 1.15 करोड़ शिक्षक हैं. गत वर्ष मार्च में लॉकडाउन लागू होने के बाद से देश भर के स्कूल-कॉलेज बंदद हो गए. और शिक्षक-छात्रों की ये विशाल आबादी विद्यालयों से दूर हो गई. हालांकि इस अंतराल में ऑनलाइन पढ़ाई जरूर जारी रही.

समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक बांकीपुपर के राजकीय बालिका हायर सेकेंडरी स्कूल में कक्षा नौ से 12वीं तक की छात्राएं सोमवार को विद्याललय पहुंचीं. प्रधानाचार्य ने कहा कि महामारी के सभी प्रोटोकॉल का पालन कराते हुए कक्षाएं संचालित की गई हैं.

वहीं, महाराष्ट्र के नागपुर और केरल के कोच्चि में भी विद्यालय खुले हैं. कोच्चि के सेंट टेरेसा कॉलेज की प्राचार्य डा. लिज्जी मैथ्यू ने एएनआइ से बातचीत में कहा कि, कॉलेज में हैंडवॉश की व्यवस्था की गई है. छात्रों से मास्क और सेनेटाइजर साथ लाने को कहा है. अधिकतम 20 छात्रों को कक्षा में बैठाने की योजना बनी है. जिसका अनुपालन कराया जाएगा.

बिहार के बांकीपुर बालिका इंटर कॉलेज में पहुंची छात्राएं. फोटो, साभार-एएनआइ

24 मई से सीबीएसई की परीक्षा

केंदीय माध्यमिक शिक्षा परिषद आगामी 4 मई से हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा आयोजन की स्कीम घोषित कर चुका है. शिक्षकों का मानना है कि विद्यालय खुलने को लेकर ये भी एक बड़ी वजह है. क्योंकि ऑनलाइन पढ़ाई में छात्रों को वो लाभ नहीं मिल पा रहा है, जो ऑफलाइान में मिलता है. बहरहाल, केंद्र सरकार कोरोना टीकाकरण अभियान की तैयारी में जुटी है. उम्मीद जताई जा रही है कि ये अभियान प्रारंभ होने के बाद विद्यालयों में पठन-पाठन पूरी तरह से पटरी पर आ जाएगा.


4 मई से होंगी सीबीएसई हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं


 

मुरादनगर हादसे में मृतकों की संख्या पहुंची 24 तीन अधिकारी गिरफ्तार-परिजनों ने किया प्रदर्शन

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द लीडर : उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद स्थित मुरादानगर शमशाम स्थल पर रविवार को हुए हादसे में मरने वालों की संख्या 24 हो गई है. करीब 17 से 18 लोग घायल हैं. इस मामले में नगर पालिका की ईओ समेत तीन अधिकारी-कर्मचारियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. जबकि ठेकेदार फरार है. सोमवार को मृतकों के परिजनों ने मुरादनगर में विरोध-प्रदर्शन किया. सुरक्षा-व्यवस्था के लिहाज से भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है.

रविवार दोपहर को मुरादनगर के शमशान घाट पर एक अंत्येष्टि थी. उसी में शामिल होने के लिए ये लोग शामशान घाट पहुंचे थे. वहां पहले से निर्माणाधीन एक भवन का छज्जा अचानक गिर गया. जिससे ये दिल दहलाने वाला हादसे सामने आया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अधिकारी इस पूरे मामले की जांच कर रहे हैं.


गाजियाबाद में शमशान घाट पर बड़ा हादसा, छज्जा गिरने से 21 लोगों की मौत


 

शुरुआती जांच के बाद पालिका की ईओ, इंजीनियर और सुपरवाइजर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है. एसपी ग्रामीण इराज राजा ने पत्रकारों से बातचीत में तीनों की गिरफ्तार की पुष्टि करते हुए कहा कि उन्हें जेल भेजने की तैयारी चल रही है. वहीं, आरोपी ठेकेदार की तलाश जारी है. इस घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत अन्य नेताओं ने दुख प्रकृट किया है.

 

सरकार के साथ किसानों की बातचीत आज, क्या बन पाएगी कोई बात

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द लीडर : केंद्र सरकार के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों के एक प्रतिनिधि मंडल और सरकार के बीच सोमवार यानी आज दोपहर करीब 2 बजे बातचीत होने जा रही है. सातवें दौर की इस बातचीत के लिए किसान नेता विज्ञान भवन की ओर रवाना हो चुके हैं.

ये बैठक ऐसे समय होने जा रही है, जब किसान सर्दी में बारिश की आफत का सामना कर चुके हैं. तो दूसरी तरफ कानून रद न होने की हालत में वे 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर-ट्रॉली से परेड करने की चेतावनी भी दे चुके है. इन दोनों कारणों से ये बैठक काफी अहम मानी जा रही है.

पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान समेत कई राज्यों के हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 39 दिनों से आंदोलनरत हैं. उनकी मांग है कि सरकार तीनों कृषि कानून रद करे और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी रूप दे. बीते 30 दिसंबर को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की मौजूदगी में किसान नेताओं के साथ बातचीत हुई थी. इसमें दो मुद्​दों पर दोनों पक्षों में सहमति बनी थी. दो प्रमुख मुद्​दों पर गतिरोध बना है. इन्हीं दो मामलों पर आज प्रमुखता से बातचीत होगी.

बारिश से बचने के लिए ट्रॉली के नीच कुछ तरह छिपे किसान. हाड़ कंपाने वाली इस सर्दी में किसान दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं.

दो जनवरी को किसान संगठनों की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने प्रेस कांफ्रेंस की थी. इसमें किसानों ने चेताया था कि अगर 26 जनवरी तक कानून रद नहीं किए जाते हैं तो 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर वे ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर दिल्ली में परेड करेंगे. ये सिलसिला 6 जनवरी से ही प्रारंभ कर दिया जाएगा और विभिन्न दिवसों में चलता रहेगा.


किसान मोर्चा का ऐलान, कानून रद नहीं किए तो 26 जनवरी पर ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर दिल्ली में करेंगे परेड


हरियाणा में किसानों पर आंसू गैस के गोले दागे

राजस्थान से हरियाणा होकर दिल्ली आ रहे किसानों पर रविवार की रात हरियाणा में किसानों के एक जत्थे पर आंसू गैस के गोले दागने का मामला सामने आया है. रविवार देर रात ये वीडिया सोशल मीडिया पर वायरल होते रहे. जिन्हें कई राजनेता और अभिनेताओं ने ट्वीट करते हुए किसानों के प्रति ऐसी कार्रवाई को दुख बताया है. इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में हरियाणा पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि बैरिकेड तोड़ने पर आंसू गैस की कार्रवाई की गई है.

 

गाजियाबाद में शमशान घाट पर बड़ा हादसा, छज्जा गिरने से 21 लोगों की मौत

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द लीडर : उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक दिल दहलाने वाले हादसे में कम से कम 21 लोगों की मौत हो गई है. वहीं, मलवे में दबे करीब 38 लोगों को बाहर निकाला जा चुका है. राहत बचाव कार्य जारी है. इस घटना पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर दुख जताया है.

घटना रविवार दोपहर की है. मुरादनगर शमशान स्थल पर निर्माण कर चल रहा था. तेज बाारिश के कारण लिंटर गिरने से ये हादसा हो गया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है. इसके साथ ही डीएम और एसएसपी को प्रभावी ढंग से राहत बचाव अभियान चलाने का निर्देश दिया है.

मेरठ की कमिश्नर अनीता सी मेश्राम ने पत्रकारों से बातचीत में 21 लोगों की मौत की पुष्टि की है. उन्होंने कहा कि हादसा कैसे हुआ. इसकी जांच की जा रही है. दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

 

अंतिम संस्कार में पहुंचे थे शमशाम घाट

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जिस वक्त ये हादसा हुआ. उस समय वहां अंत्येष्टी के लिए लोग पहुंचे थे. इसी में शामिल कई लोगों की मौत हुई है. इस घटना ने निर्माण कार्यों के दौरान बरती जाने वाली लापरवाही को एक बार फिर से उजागर किया है.

 

जिला प्रशासन की ओर से जारी मृतकों की सूची


एमपी : शिवराज सरकार भी बनाएगी सार्वजनिक संपत्ति की वसूली का कानून


 

पाकिस्तान में शिया हाजरा समुदाय के 11 खनिकों की अगवा कर हत्या

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द लीडर : पाकिस्तान के बलूचिस्तान में आतंकवादियों ने 11 कोयला खनिकों को अगवा कर मौत के घाट उतार दिया है. इस हादसे के बाद इमरान सरकार विपक्ष के निशाने पर है. प्रधानमंत्री इमरान खान ने घटना पर अफसोस जताते हुए आतंकियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई किए जाने की बात कही है.

घटनाक्रम रविवार रात का है. पुलिस अधिकारी मोअज्जम अली जटोई ने डॉन अखबार को बताया कि सशस्त्र आतंकवादियों ने खनिकों का अपहरण कर हत्या की है. जेटोई के मुताबिक शुरुआती जांच में ये पता लगा है कि हमलावरों ने खनिकों की पहचान शिया हजारा समुदाय के रूप में की. इसके बाद घटना को अंजाम दिया गया.

क्वेटा के उपायुक्त मुराद कास ने डॉन अखबार से बातचीत में कहा कि अब तक कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है. न ही किसी संगठन ने घटना की जिम्मेदाी ली है. प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक ट्वीट में इसे, ‘आतंकवाद का एक और कायराना व अमानवीय कार्य ‘ करार देते हुए घटना की निंदा की है. उन्होंने कहा कि हत्यारों को पकड़ने और पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने के लिए सरकार साथ है.

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) नेता बिलावल भुट्टो ने घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि निर्देशों की हत्या आतंकवाद से भी जघन्य है.


26/11 मुंबई आतंकी हमले का मास्टरमाइंड जकी-उर-रहमान लखवी पाकिस्तान में गिरफ्तार


 

 

एमपी : शिवराज सरकार भी बनाएगी सार्वजनिक संपत्ति की वसूली का कानून

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द लीडर : उत्तर प्रदेश की तर्ज पर मध्यप्रदेश सरकार भी ‘लोक तथा निजी संपत्ति छति वसूली कानून’ लाने की तैयारी में है. रविवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अपने एक बयान में कहा कि, ‘सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ न सिर्फ कड़ी कार्रवाई करेंगे. बल्कि सजा के साथ संपत्ति की नुकसान की भरपाई भी कराएंगे. मैंने कड़ा कानून बनाने का निर्देश दिया है, जिस पर काम शुरू हो गया है.’

मुख्यमंत्री का ये बयान ऐसे समय आया है, जब पिछले कई दिनों से मध्यप्रदेश सांप्रदायिक तनाव की खबरों के कारण चर्चा बना में बना है. राज्य के सबसे शांत माने जाने वाले उज्जैन, इंदौर और मंदसौर-ये तीन जिले सांप्रदायिकता की लपटों से झुलसे हैं. विवाद की ये घटनाएं अयोध्या राम मंदिर निर्माण निधि संग्रह के लिए आयोजित रैली के दौरान सामने आई हैं. इसमें कथित रूप से पत्थरबाजी के आरोप में उज्जैन के स्थानीय प्रशासन ने अब्दुल हमीद का मकान ढहा दिया है.

सीएए आंदोलन के दौरान यूपी में बना था कानून

पिछले साल नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में देशभर में आंदोलन हुए. 19 दिसंबर को लखनऊ में विरोध-प्रदर्शन हिंसक हो गया था. इसमें निजी और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान भी पहुंचा था. तब लखनऊ प्रशासन ने इस संपत्ति की भरपाई के लिए 57 लोगों को नोटिस जारी किये थे. ये मामला हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीमकोर्ट तक पहुंचा. इसके बाद मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई. जिसमें ‘उत्तर प्रदेश लोक तथ निजी संपत्ति छति वसूली अध्यादेश-2020’ के ड्रॉफ्ट को मंजूरी दी गई. इस तरह संपत्ति रिकवरी का ये कानून बना.


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यूपी के धर्मांतरण कानून से प्रभावित होकर बनाया कानून

यूपी सरकार ने गत वर्ष विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन कानून बनाया था, जो देशभर में काफी चर्चित रहा. ये कानून मध्यप्रदेश सरकार को भी भाया. इसी से प्रभावित होकर शिवराज सरकार हाल ही में धर्मांतरण कानून लेकर आई है.

जस्टिस मुहम्मद रफीक बने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश

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द लीडर : जस्टिस मुहम्मद रफीक मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीय (Chief Justice) नियुक्त हुए हैं. राज्यपाल आनंदीबेन पटेल रविवार को राजभवन में आयोजित एक समारोह में उन्हें पद की शपथ दिलाई. राजस्थान में जन्में जस्टिस मुहम्मद रफीक ने 1984 में राजस्थान हाईकोर्ट से वकालत का सफर शुरू किया था.

15 मई 2006 में वे राजस्थान हाईकोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त हुए थे. बाद में दो बार कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश का दायित्व भी संभाला. इसके बाद 13 नवंबर 2019 को उन्हें मेघायलय हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया. चार महीने बाद वह मेघालय से ओडिशा हाईकोर्ट में बतौर चीफ जस्टिस उनका तबादला हुआ.

जस्टिस मुहम्मद रफीक को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की शपथ ग्रहण करातीं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल-फोटो साभार, ट्वीटर.

सुप्रीमकोर्ट के कोलेजियम ने उनके मध्यप्रदेश स्थानांतरण की अनुशंसा की थी. इसी क्रम में अब उन्हें मध्यप्रदेश का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया है.

राजस्थान के इस कस्बे से ताल्लुक

जस्टिस मुहम्मद रफीक का जन्म चुरू जिले के सुजानगढ़ कस्बे में 25 मई 1960 को हुआ था. 1980 में राजस्थान विश्वविद्यालय से ग्रैैजुएट की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने 1984 में एलएलबी की. एलएलबी की पढ़ाई पूरी करने के बाद राजस्थान हाईकोर्ट में प्रैक्टिस प्रारंभ कर दी. इसके साथ ही आगे की उच्च शिक्षा जारी रखी. अपने इस सफर में वे अतिरिक्त महाद्यिवक्ता की जिम्मेदारी भी निभा चुके हैं.


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शिवराज-कमलानाथ भी पहुंचे

मुख्य न्यायाधीश के शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के अलावा अन्य लोग उपस्थित रहे.