Wednesday, October 16, 2024
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जाटों से जस्टिस काटजू का आह्वान, मुजफ्फरनगर दंगों के लिए मुसलमानों से माफी मांग लें

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द लीडर : पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में साल 2013 के दंगों ने हिंदू-मुसलमानों के बीच नफरत की जो गहरी खांई खड़ी कर दी थी. क्या, किसान आंदोलन उस पर मिट्टी डालकर पाटने का काम रहा है? इसका सामाजिक और राजनीतिक विशलेषण जारी है. इस बीच सुप्रीमकोर्ट के न्यायाधीश रहे जस्टिस मार्केंडय काटजू ने जाटों से एक अपील की है. उन्होंने 2013 के उस घटनाक्रम के लिए मुसलमानों से माफी मांगने का आह्वान किया है. (Justice Katju Muzaffarnagar Riots Muslims)

मुफ्फरनगर दंगें में करीब 43 लोगों की मौत हो गई थी. और बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ था. तब से इस क्षेत्र में सामाजिक भाईचारा बहाली की कोशिशें चली आ रही हैं, जो नफरत की उस दरार को भरने में असफल थीं. मगर किसान आंदोलन उन घावों का मरहम बन रहा है.


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शनिवार को जस्टिस काटजू ने कहा कि ‘2013 के दंगों के बाद जाटों को लेकर मेरी राय बदल गई थी. उन्होंने (जाटों ने) क्या किया, और किस तरह से धुव्रीकरण हुआ. सब कुछ साफ है. हालांकि मौजूदा किसान आंदोलन में वे जिस तरह खड़े हो रहे और उनमें मुसलमान भी शामिल हैं. उससे मेरी राय फिर बदली है. ऐसा लगता है कि मुसलमानों से उनकी दुश्मनी खत्म हो चुकी है.’

मुफ्फरनगर की महापंचायत में किसान नेता राकेश टिकैत, जयंत चौधरी के साथ गुलाम मुहम्मद जौला. फोटो, ट्वीटर

जस्टिस काटजू कहते हैं कि ‘स्पष्ट है कि कुछ स्वार्थी राजनेताओं के सांप्रदायिक दुष्प्रचार ने उन्हें गुमराह किया था. हर किसी से गलती होती है. लेकिन समझदार वो है, जो अपनी गलतियों से सबक लेकर माफी मांगता है. इसलिए मैं, जाटों से आह्वान करता हूं कि वे 2013 के लिए मुसलमानों से माफी मांगें.’


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पश्चिम उत्तर प्रदेश को जाट लैंड के तौर पर भी जाना जाता है. किसान नेता महेंद्र सिंह टिकेत, जो कि वर्तमान आंदोलन का बड़ा चेहरा बनकर उभरे राकेश टिकेत कि पता थे. गुलाम मुहम्मद जौला, उनके सबसे करीबी माने जाते थे. यहां तक कि वे महेंद्र सिंह टिकेत के मंचों का संचालन भी किया करते थे. मगर 2013 के दंगों के बाद जौला और टिकेत परिवार अलग हो गए थे.

पश्चिमी यूपी की महापंचायत में उमड़ी भीड़

पिछले दिनों जब गाजीपुर बॉर्डर पर जारी किसान आंदोलन से राकेश टिकेत का एक भावुक वीडियो सामने आया. उसने इस क्षेत्र के सामाजिक तानेबाने को भी बदलकर रख दिया है. नफरतें, आंसुओं में बहने लगीं. इसके बाद पश्चिमी यूपी में महापंचायतें प्रारंभ हुईं. एक मंच पर गुलाम मुहम्मद जौला भी आए. उन्होंने मंच से जाट समुदाय को उनकी 2013 की गलती याद दिलाई. अब पश्चिमी यूपी में नफरत की दीवारें ढह रही हैं.

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सरसों के खेत में मरने को फेंकी गई बेटी ने मौत को हराया

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उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में करीब डेढ़ साल पहले एक बच्ची को मटके में बंद करके जमीन में जिंदा दफनाने का मामला सामने आया था. मौत को हराने वाली वो बेटी आज अच्छी परवरिश पा रही है. अब एक और वैसी ही घटना सामने आई है. जिसमें एक नवजात बच्ची को सरसों के खेत में फेंक दिया गया. लोगों की नजर पड़ी. प्राइवेट चिकित्सक रवि खन्ना के यहां उपचार के बाद उसने भी मौत को हरा दिया है. वे दोनों स्वस्थ हैं. 

चक्का जाम करने को सड़क पर किसान, दिल्ली की सीमाओं पर कड़ा पहरा

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द लीडर : संयुक्त किसान मोर्चा के देशभर में चक्का जाम के आह्वान पर कई राज्यों में किसान सड़कों पर हैं. दिल्ली में पुलिस बल का व्यवस्था कड़ा पहरा है. करीब 50 हजार जवान दिल्ली के अंदर और सीमाओं पर तैनात हैं. कई मेट्रो सेवाएं, प्रमुख स्थल बंद कर दिए गए हैं. हालांकि किसान मोर्चा पहले ही साफ कर चुका है कि दिल्ली में चक्का जाम नहीं होगा. फिर भी दिल्ली पुलिस ने एहतियात के तौर पर अपनी सुरक्षा पुख्ता कर रखी है. (Farmers Road Block Delhi Borders)

केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 73 दिनों से किसानों का आंदोलन जारी है. दिल्ली के सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर हजारों की संख्या में किसान धरने पर बैठे हैं. किसानों की मांग है कि कानून रद किए जाएं. इसी के समर्थन में शनिवार यानी चक्का जाम की अपील की गई थी. इसके अंतर्गत हाईवे को बंद किया जाना है.

दिल्ली में तैनात पुलिस बल

गाजीपुर बॉर्डर पर पत्रकारों से बातचीत में किसान नेता राकेश टिकैत ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में चक्का जाम न किए जाने की बात कही थी. इसलिए यूपी के अधिकांश हिस्सों में जाम का कोई असर नहीं है. पश्चिमी यूपी में जरूर हलचल है.


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किसान नेता दर्शनपाल सिंह के मुताबिक दोपहर 12 बजे से तीन बजे तक किसान हॉर्न बजाकर अपनी एकजुटता का संदेश देंगे. इसके साथ ही ये अपील भी की गई कि जाम शांतिपूर्वक तरीके से किया जाए.

जाम को लेकर मोर्चा की गाइडलाइन
  • देश भर में राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों को दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक जाम किया जाएगा।
  • इमरजेंसी और आवश्यक सेवाओं जैसे एम्बुलेंस, स्कूल बस आदि को नहीं रोका जाएगा।
  •  चक्का जाम पूरी तरह से शांतिपूर्ण और अहिंसक रहेगा। प्रदर्शनकारियों को निर्देश दिए जाते है कि वे इस कार्यक्रम के दौरान किसी भी अधिकारी, कर्मचारियों या आम नागरिकों के साथ किसी भी टकराव में शामिल न हो।
  • दिल्ली NCR में कोई चक्का जाम प्रोग्राम नहीं होगा क्योंकि सभी विरोध स्थल पहले से ही चक्का जाम मोड में हैं। दिल्ली में प्रवेश करने के लिए सभी सड़कें खुली रहेंगी, सिवाय उनके, जहां पहले से ही किसानों के पक्के मोर्चे लगे हुए है।

जम्मू-कश्मीर में 551 दिन बाद इंटरनेट 4-जी सेवा बहाल, उमर अब्दुल्ला ने दी मुबारकबाद

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द लीडर : जम्मू-कश्मीर में 18 महीने बाद इंटरनेट की 4-जी सेवा बहाल हो गई है. अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया गया था. तब से ही घाटी में 4-जी सेवा बंद थी. शुक्रवार को नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्लाह ने इंटरनेट सेवा बहाली पर एक ट्वीट कर मुबारकबाद दी है. करीब 551 दिनों तक जम्मू-कश्मीर को इंटरनेट की हाईस्पीड सेवा से वंचित होकर 2-जी पर आश्रित रहना पड़ा है. (Internet 4g Service Jammu Kashmir)

जम्मू-कश्मीर प्रशासन के प्रवक्ता रोहित कंसल ने शुक्रवार की रात एक ट्वीट के माध्यम से इसकी जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में 4-जी इंटरनेट सेवा बहाल की जा रही है. हालांकि इससे पहले घाटी में इंटरनेट सेवा बहाली का ट्रायल होता रहा है.

घाटी का एक दृश्य

कोविड-19 के समय पूरा देश लॉकडाउन था. और पढ़ाई-लिखाई, ऑफिस के सारे कामकाज सब ऑनलाइन पर टिक गए. उस वक्त जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट बंद का मुद्​दा उठा था. इसको लेकर विपक्षी दल लगातार सरकार की आलोचना करते हुए इंटरनेट बहाली की मांग उठाते रहे हैं.

अब जबकि दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन जारी है. सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर सरकार ने अस्थायी रूप से इंटरनेट सेवा बंद कर रखी है. हरियाणा के कई जिलों में भी इंटरनेट बंद है. इन क्षेत्रों में इंटरनेट बंदी की आलोचना के बीच घाटी का मुद्​दा भी उठता रहा है.


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हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला ने राज्य में 4-जी इंटरनेट सेवा को लेकर प्रधानमंत्री पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि जल्द ही भारत में 5-जी इंंटरनेट सेवा शुरू होने की की बात हो रही है. जबकि जम्मू-कश्मीर के बाशिंदों को 4-जी भी नहीं दिया जा रहा. उन्होंने कहा था कि कुछ दिन प्रधानमंत्री जम्मू-कश्मीर में रहें तो शायद जान सकें कि 2-जी सेवा से काम में किस तरह की मुश्किलें आ रही हैं.

पूर्व नौकरशाह और राजनेता शाह फैसल ने घाटी में इंटरनेट सेवा बहाली को एक बड़ी सकारात्मक पहल बताया है.

सुन्नी-बरेलवी उलमा ने भारतीय राजदूत म्हात्रे की याद में आतंकवाद विरोध दिवस मनाया

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द लीडर : पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के खिलाफ सुन्नी-बरेलवी मसलक के उलमा ने एक बड़ा फैसला लेते हुए 5 फरवरी को आतंकवाद विरोध दिवस मनाया है. उत्तर प्रदेश के बरेली शहर में दरगाह आला हजरत परिसर स्थित इस्लामिक रिसर्च सेंटर पर ऑल इंडिया तंजीम उलमा-ए-इस्लाम के नेतृत्व में एक कार्यक्रम हुआ. तंजीम के महासचिव मौलाना शहाबुद्​दीन रजवी ने इस्लामिक इदारों (संस्थानों) में पाकिस्तान द्वारा आतंक को शह दिए जाने की निंदा की है.

मौलाना ने कहा कि, रविंद्र हरेश्वर म्हात्रे, जोकि ब्रिटेन में भारत के राजदूत थे. 6 फरवरी 1984 को ब्रिटेन में उन्हें अगवा कर मौत के घाट उतार दिया गया था. इस घटना को पाकिस्तान समर्थित आतंकियों के सहयोग से अंजाम दिया गया था.  म्हात्रे को याद करते हुए हम आतंक के खात्मे के लिए एकजुटता की अपील करते हैं.

उलमा ने पाकिस्तान को नसीहत देते हुए कहा कि उसे भारत में आतंकी गतिविधियां संचालित करने से बाज आना चाहिए. पूर्व में उसकी ओर से ऐसी जितनी भी कोशिशें हुईं हैं, भारत ने उन सबको नाकाम किया है. इस बात की जरूरत जताई कि सभी को मिलकर पाकिस्तान के इस नापाक इरादे को दुनिया के सामने उजागर करना चाहिए.

मुफ्ती कमर रजा खा ने अपने संबोधन में कहा कि इस्लाम अमन-शांति का पैगाम लेकर आया. पैगंबर-ए-इस्लाम ने किसी शख्स को तकलीफ नहीं पहुंचाई. मौलाना मुजाहिद हुसैन बोले, आतंकी संगठनों के कारण पूरी दुनिया में मुसलमानों की छवि खराब हुई है.


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इसलिए मुसलमानों को इसके खिलाफ पूरी ताकत से आवाज उठानी चाहिए. मौलाना ताहिर रजा फरीदी ने भारत सरकार से मांग की है कि आतंक को पालने वाले संगठनों के विरुद्ध सख्त कदम उठाए जाएं. इस दौरान मुफ्ती हाशिम रजा खां, मुफ्ती तौकीर अहमद, मौलाना फाईक आलम, मौलाना खुर्शीद अहमद, आरिफ अंसारी आदि ने अपने विचार रखे.

किसानों के चक्का जाम से एक दिन पहले दिल्ली पुलिस अलर्ट, दिल्ली सीमाओं की सुरक्षा सख्त

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द लीडर : संयुक्त किसान मोर्चा के 6 फरवरी को तीन घंटे का चक्का जाम करने के आह्वान पर दिल्ली पुलिस ने सीमाओं पर सुरक्षा-व्यवस्था और सख्त कर दी है. शुक्रवार को दिल्ली पुलिस ने चक्का जाम को लेकर बैठक की. हालांकि किसान नेताओं ने साफ किया है कि दिल्ली में चक्का जाम नहीं होगा. इसलिए क्योंकि यहां पहले से ही सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन चल रहा है. (Delhi Police Borders Tightens Farmers)

बैठक के दिल्ली पुलिस ने पत्रकारों से बातचीत में 6 फरवरी की सुरक्षा कड़ी करने की बात कही गई है. कृषि कानूनों को लेकर टीकरी बॉर्डर पर पिछले 72 दिनों से किसान धरने पर बैठे हैं. सिंघु और गाजीपुर बॉर्डर का भी यही हाल है. तीनों बॉर्डर क्षेत्रों पर भारी बैरिकेड, कीलें, खांई लगाने के साथ बड़ी संख्या में सशस्त्र बल तैनात हैं.

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Kisan Agitation Shut Down Internet
आंदोलन में शामिल किसान

सिंघु बॉर्डर से किसान नेता जगतार सिंह बाजवा ने कहा, सभी राज्य और जिलों के हाईवे पर शनिवार को दोपहर 12 से 3 बजे तक चक्का जाम किया जाएगा. दिल्ली में पहले से ही किसान बैठे हैं. इसलिए यहां चक्का जाम वाली स्थिति नहीं है.

इस बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को संसद में दोहराया कि, भारत सरकार कानूनों में किसी भी संशोधन के लिए तैयार है. इसका मतलब ये नहीं कि कानूनों में कोई गलती है. उन्होंने कहा कि पूरे एक राज्य में लोग गलतफहमी का शिकार हैं. किसानों को इस बात के लिए बरगलाया जा रहा है कि ये कानून आपकी जमीन ले जाएंगे.


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उन्होंने कांग्रेस पर बड़ा पलटवार करते हुए कहा कि दुनिया जानती है कि पानी से खेती होती है. खून से खेती सिर्फ कांग्रेस ही कर सकती है, भारतीय जनता पार्टी खून से खेती नहीं करती है.

बीती 26 जनवरी को किसानों ने दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकाली थी, जिसमें हिंसा हो गई थी. यहां तक कि दीप सिद्धू के नेतृत्व में बेकाबू भीड़ लाल किला पहुंची और वहां धार्मिक झंडा फहराया था. इस परेड में एक किसान की नवरीत की मौत हो गई थी. किसान आंदोलन को लेकर अब तक करीब 190 मौतें हो चुकी हैं.

ग्रेटाथुनबर्ग पर दिल्ली पुलिस की सफाई-एफआइआर टूलकिट बनाने वालों के खिलाफ, कन्हैया कुमार का तंज क्यूं थू-थू करवा रहे हो भाई

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द लीडर : किसान आंदोलन का समर्थन जताने वाली स्वीडिश पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटाथुनबर्ग पर एफआइआर मामले में दिल्ली पुलिस ने सफाई दी है. विशेष आयुक्त प्रवीर रंजन ने कहा कि एफआइआर में किसी का नाम नहीं है. ये कवल टूलकिट बनाने वालों के खिलाफ है, जो जांच का विषय है. दिल्ली पुलिस उस मामले की जांच करेगी. इस सफाई पर जेएनयू के छात्रनेता रहे कन्हैया कुमार ने तंज कसा है.

कन्हैया कुमार ने एक ट्वीट में कहा कि, ‘अब दिल्ली पुलिस कह रही है कि स्कूल-किड पर नहीं टूलकिट पर एफआइआर की है. भाई, क्यूं दुनिया में भारत की थू-थू करवा रहे हो. अगर सचमुच देश को बचाना है तो ट्वीटर से ज्यादा फॉर्मर को प्रमुखता देनी होगी.’

ग्रेटा बोलीं, कोई धमकी डिगा नहीं सकती

ग्रेटाथुनबर्ग विश्व की जानमानी पर्यावरण कार्यकर्ता हैं. किसानों के आंदोलन पर उन्होंने एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने शांतिपूर्ण किसान आंदोलन को समर्थन दिया था. गुरुवार को उनके विरुद्ध जब एफआइआर की खबर सामने आई. तो ग्रेटा ने एक और ट्वीट किया. इसमें दोहराया कि मानवाधिकार के मुद्​दे पर कोई भी धमकी उन्हें डिगा नहीं सकती है.


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भारत को बदनाम करने की विदेशी साजिश : जावड़ेकर

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि जो टूलकिट का मामला है. बेहद गंभीर है. साफ होता है कि कुछ विदेशी ताकतें भारत को बदनाम करने की साजिश कर रही हैं.

इससे पहले अमेरिकी पॉप स्टार रिहाना ने किसान आंदोलन से जुड़ी सीएनएन की खबर को रि-ट्वीट करते हुए कहा था कि हम इस पर बात क्यों नहीं करते? उनके इस ट्वीट के बाद से पूरी दुनिया में आंदोलन पर चर्चा होनी लगी. बाद में भारतीय विदेश मंत्रालय ने रिहाना के इस ट्वीट की आलोचना की थी.

किसान ट्रैक्टर परेड में मारे गए नवरीत के दादा से प्रियंका गांधी का वादा, देखिए

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प्रियंका गांधी ने कहा कि, ‘ये एक शहीद का परिवार है. मुझे अपने अनुभव से मालूम है. इस शहादत को हम कभी भूल नहीं सकते. उसे दिल में रखना होगा.’ नवरीत को याद करते हुए कहा कि वह मात्र 25 साल के थे. मेरा बेटा 20 साल का है. आप सबके बच्चे हैं. उत्साह में वे किसानों के साथ खड़े होने चले गए. एक ऐसा हादसा हुआ कि वापस नहीं आए. आखिर वे क्यों गए थे वहां. ये कोई राजनीतिक साजिश नहीं थी.

ट्रैक्टर परेड में मारे गए नवरीत के घर पहुंचीं प्रियंका गांधी, बोलीं-परिवार चाहता न्यायिक जांच

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द लीडर : कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने 26 जनवरी को दिल्ली में हुई ट्रैक्टर परेड में मारे गए किसान नवरीत सिंह को शहीद बताते हुए उनके दादा हरदीप सिंह से वादा कि आपके पोते की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी. जब तक सरकार तीनों काले कानूनों को वापस नहीं लेती. किसानों की लड़ाई जारी रहेगी. देश का हर किसान, नौजवान आपके साथ खड़ा है.

पत्रकारों से बातचीत में प्रियंका गांधी ने कहा कि मैंने परिवार से बात की है. उनका साफ कहना है कि न्यायिक जांच होनी चाहिए. अगर आप उस बॉर्डर (गाजीपुर) की फोटो देखें तो ऐसा लगता है कि देश बॉर्डर पर है.

प्रियंका गांधी गुरुवार को उत्तर प्रदेश के रामपुर जिला स्थित मृतक नवरीत के घर पहुंचीं. और उनके परिवार से मुलाकात की. प्रियंका गांधी ने कहा कि, ‘ये एक शहीद का परिवार है. मुझे अपने अनुभव से मालूम है. इस शहादत को हम कभी भूल नहीं सकते. उसे दिल में रखना होगा.’

नवरीत को याद करते हुए कहा कि वह मात्र 25 साल के थे. मेरा बेटा 20 साल का है. आप सबके बच्चे हैं. उत्साह में वे किसानों के साथ खड़े होने चले गए. एक ऐसा हादसा हुआ कि वापस नहीं आए. आखिर वे क्यों गए थे वहां. ये कोई राजनीतिक साजिश नहीं थी.


संयुक्त किसान मोर्चा ने समर्थन के लिए दुनिया भर के सेलेब्रिटीज का आभार जताया


 

बल्कि उनके दिल में पीड़ा थी कि किसानों पर जुल्म हो रहा है. गुरु गोविंद सिंह जी ने कहा है कि जुल्म करना पाप है, लेकिन जुल्म सहना उससे भी बड़ा पाप है. शायद इसी सोच के के साथ नवरीत किसानों का साथ देने दिल्ली गए थे. उम्मीद लेकर कि सरकार उनकी बात सुनेगी.

प्रियंका ने दोहराया कि ये किसानों की लड़ाई है, कोई राजनीतिक आंदोलन नहीं. मैं इस परिवार को कहने आई हूं कि आप अकेले नहीं हो. देश का हर किसान आपके साथ है. मैं आपके साथ हूं. इस दौरान मशहूर शायर और कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी समेत अन्य कांग्रेसी रहे.

26 जनवरी को हुई थी मौत

किसान आंदोलन के बीच 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर परेड हुई थी. इसमें नवरीत की मौत हो गई थी. उनकी मौत पर अभी भी असमंजस बना है. परिवार के दावे के उलट जो पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई है. उसमें ट्रैक्टर पलटने से नवरीत की मौत बताई गई है. नवरीत ऑस्ट्रेलिया में रहते थे और कुछ दिन पहले ही घर आए थे.

चौरी-चौरा के शहीदों को नमन कर बोले पीएम मोदी- आग थाने में नहीं, भारतीयों के दिल में धधकी थी

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द लीडर : आजादी की लड़ाई की ऐतिहासिक घटना, चौरी-चौरा के शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि चौरी-चौरा में सौ साल पहले जो हुआ. वो केवल एक थाने में आग लगाने भर की घटना नहीं थी. बल्कि ये आग जन-जन के दिलों में प्रज्ज्वलित हुई थी. ये बहुत बड़ा संदेश था. इसमें शामिल सभी वीरों को नमन करता हूं.

गोरखपुर में आयोजित इस समारोह को प्रधानमंत्री ने ऑनलाइन संबोधित किया. उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से इस घटना को इतिहास में सही स्थान नहीं दिया गया. मगर इस ऐतिहासिक संग्राम को आज देश के इतिहास में समुचित जगह दी जा रही है. इस प्रयास के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की टीम को बधाई देता हूं. इस दौरान प्रधानमंत्री ने एक विशेष डाक टिकट जारी किया.

अपने संबोधन में कहा कि आज देश जब आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है. ऐसे समारोह का होना जरूरी है. चौरी-चौरा एक स्वत: स्फूर्त आंअदोल था. उन शहीदों की जितनी चर्चा होनी चाहिए थी, उतनी नहीं हुई. बोले, क्रांतिकारियों को इतिहास के पन्नों में भले प्रमुख जगह न दी गई पर आज देश उनके बलिदान पर नमन कर रहा है.

भारत के शिक्षा मंत्रालय ने युवाओं से आह्वान किया है कि वे आजादी के वीर जवानों का इतिहास सामने लाएं. इसी तरह चौरी-चौरा के जितने भी वीर सेनानी हैं. आप उन्हें देश के सामने लाइए. उन वीरों के प्रति यही हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी.


समृद्ध, खुशहाल भारत बनाना है, तो नागरिकों को एक-दूसरे से झगड़ना बंद करना होगा : जस्टिस काटजू


 

प्रधानमंत्री ने भारत की सामूहिकता की शक्ति का हवाला देते हुए कहा कि इसी से गुलामी की बेड़ियां टूटी थीं. सामूहिकता ही भारत को बड़ी ताकत बनाएगी. ये आत्मनिर्भर भारत का मूल आधार है. जिससे 130 करोड़ भारतीयों को आत्मनिर्भर बना रहे हैं.

कोरोना संकटकाल को याद करते हुए कहा कि इस चुनौती के बावजूद भारत ने 150 से अधिक देशों को जरूरी दवाईयां उपलब्ध कराईं. अपने नागरिकों को विदेशों से घर बुलाया और विदेशियों को उनके घर भेजा.

हाल ही में आए बजट की सराहना करते हुए कहा कि लोगों को लग रहा था कि कोरोना संकटकाल में सरकार नागरिकों पर टैक्स का बोझ डालेगी. पर ऐसा नहीं किया गया. देश को आगे बढ़ाने के लिए सरकार ने ज्यादा से ज्यादा खर्च करने का फैसला किया है.