द लीडर हिंदी, लखनऊ | भारत में केंद्र सरकार यानी कि मोदी सरकार को सत्ता में आए 8 साल पूरे हो चुके हैं. इन आठ सालों में मोदी सरकार ने कई ऐसे फैसले लिए जिससे उनकी आलोचना की गई वहीं कुछ ऐसे भी फैसले थे जिनकी जमकर तारीफ हुई. ज़्यादातर मोदी सरकार पर जो सवाल उठते आए हैं वह सरकारी संपत्तियों को बेचने यानी कि प्राइवेटाइजेशन (Privatization) करने को लेकर उठते हैं. रेल से लेकर हवाई अड्डों तक मोदी सरकार ने लगभग सभी क्षेत्रों को प्राइवेट कर दिया है. आइये जानते हैं कि अपने अभी तक के 8 सालों के शासन में मोदी सरकार ने क्या-क्या प्राइवेट किया है…
केंद्र सरकार घाटे में चल रही सार्वजनिक कंपनियों को बेच रही थी ये जानकारी आपके पास तो पहले से होगी. लेकिन सरकार अब अपनी कमाई के लिए बुनियादी क्षेत्र की परियोजनाएं, जैसे रेल, सड़क, एयरपोर्ट, गैस पाइपलाइन, स्टेडियम, बिजली, गोदाम को निजी क्षेत्रों के बड़े खिलाड़ियों को कुछ समय के लिए देगी और उसके बदले में उनसे मोटा ‘किराया’ वसूल करेगी. आम बोल-चाल की भाषा में आप कह सकते हैं कि इन बड़े प्रोजेक्ट को सरकार ‘किराये’ पर चढ़ाएगी.
आप ने अभी हालही में नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन स्कीम के बारे में सुना होगा. सोमवार को भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस योजना का एलान किया था जिसके बाद से ही एक बार फिर मोदी सरकार चीज़ें बेचने को लेकर चर्चा में आ गई है? आइये जानते हैं कि यह नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन आखिर है क्या है ?
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What is National Monetization pipeline?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जब साल 2021-22 का बजट पेश कर रही थीं तभी उन्होंने नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन की चर्चा की थी. तब वित्त मंत्री ने कहा था कि बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर का खर्च जुगाड़ करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र यानी की सरकारी संपत्तियों का मोनेटाइजेशन मुख्य जरिया होगा. बता दें कि मोनेटाइजेशन का सीधा मतलब है मौद्रिकरण यानी कि पैसा कमाना, पैसा बनाना. यानी कि सरकार बड़ी परियोजनाओं का खर्च निकालने के लिए सरकारी संपत्तियों से पैसा कमाएगी.
अब सवाल उठता है कि सरकार कैसे पैसा कमाएगी? किन सरकारी संपत्तियों से पैसा कमाएगी? नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन के तहत आठ मंत्रालयों की संपत्ति निजी कंपनियों के साथ साझा की जा सकेगी या फिर किराये पर दी जा सकेगी. साझा करने का मतलब यह है कि किसी भी प्रोजेक्ट को सरकारी और निजी कंपनी मिलकर विकसित करेंगी और चलाएंगी जबकि किराये पर दिए जाने का अर्थ यह है कि पूरा प्रोजेक्ट ही निजी कंपनी को दिया जाएगा और सरकार इन कंपनियों से इसके एवज में पैसे लेगी.
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कहां से आएगा कितना पैसा
रेलवे
सरकार के एसेट मोनेटाइजेशन में रेलवे और राजमार्गों का बड़ा रोल रहने वाला है. पीटीआई के अनुसार सरकार रेल सेक्टर से स्टेशन, ट्रैक, पैसेंजर ट्रेन, कोंकण रेलवे को मोनेटाइज करने वाली है. इससे चार साल में सरकार को 1.52 लाख करोड़ मिलेंगे. सरकार अगले चार साल में 400 रेलवे स्टेशन, 90 पैसेंजर ट्रेन, 1400 किलोमीटर रेलवे ट्रैक, 741 किलोमीटर का कोंकण रेलवे, 15 रेलवे स्टेडियम, रेलवे के 265 गोदाम शामिल हैं.
सड़क
सड़कों के मोनेटाइजेशन से केंद्र की तिजोरी सबसे ज्यादा भरेगी. अगले चार साल में सड़कों के मोनेटाइजेशन से केंद्र को 1.60 लाख करोड़ मिलेंगे. इसके लिए केंद्र 26,700 किलोमीटर की मौजूदा सड़क और नई बनने वाली सड़कों को मोनेटाइज करेगी.
बिजली
केंद्र सरकार 28,608 सर्किट किलोमीटर पावर ट्रांसमिशन को मोनेटाइज कर रही है यानी कि निजी कंपनी को देने जा रही है. इससे सरकार को लगभग 45200 करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा, जबकि 6 गीगावाट बिजली उत्पादन करने वाली संपत्तियों के मोनेटाइजेशन से सरकार को 39,832 करोड़ राजस्व की प्राप्ति होगी.
टेलिकॉम सेक्टर
देश की सरकार 2.86 किलोमीटर के भारत नेट फाइबर को मोनेटाइज करने जा रही है. जबकि बीएसएनएल और एमटीएनएल के 14917 टावरों को सरकार निजी कंपनियों को देगी. सरकार को इससे 35100 करोड़ रुपये मिलेंगे.
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कोयला खदान और गोदाम
पीटीआई के अनुसार अगले चार सालों में गोदाम और कोयला खदान के मौद्रिकरण से यानी कि निजी कंपनियों को देने से सरकार को 29000 करोड़ रुपये मिलेंगे.
गैस पाइपलाइन
सरकार 8154 किलोमीटर नैचुरल गैस पाइपलाइन को निजी कंपनियों को देने वाली है. इससे सरकार को 24 हजार 462 करोड़ रुपये की आय होगी और 3930 किलोमीटर प्रोडक्टर पाइपलाइन के मोनेटाइजेशन से सरकार को 22,504 करोड़ रुपये मिलेंगे.
एयरपोर्ट सरकार एयरपोर्ट
अथॉरिटी ऑफ इंडिया के 25 हवाई अड्डों को निजी कंपनियों को देने जा रही है. इनमें से चेन्नई, भोपाल, वाराणसी और वड़ोदरा शामिल हैं. इससे सरकार को 20782 रुपये मिलने वाले हैं. जबकि बंदरगाहों के मोद्रिकरण से सरकार को 12828 करोड़ रुपये मिलेंगे.
स्टेडियम
केंद्र सरकार दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम, बेंगलुरु और जीरकपुर स्थित स्टेडियम को भी निजी हाथों में सौंपने जा रही है. इससे सरकार को 11450 करोड़ रुपये मिलेंगे.
आवासीय कॉलोनियां
सरकार दिल्ली की सात कॉलोनियां का रिडेवलपमेंट करेगी. इनमें से सरोजनी नगर, नरौजी नगर शामिल हैं. इसके अलावा दिल्ली के घिटोरनी में सरकार 240 एकड़ जमीन पर आवासीय और व्यावसायिक घरों का निर्माण करेगी. इससे सरकार को 15000 करोड़ रुपये की आय होगी.
राहुल गांधी ने गिनाया क्या बेच रही है सरकार!
राहुल गांधी ने कहा कि 26700 किलोमीटर नेशनल हाईवे, जिसकी कीमत 1.6 लाख करोड़ है, 42300 पॉवर ट्रांसमिशन, 8 हजार किलोमीटर की गेल की पाइपलाइन, 4 हजार किलोमीटर की पेट्रोलियम पाइपलाइन, 2.86 लाख केबल कनेक्टिविटी, 29 हजार करोड़ की वेयरहाउसिंग और 2.10 एलएमटी फूट स्टोरेज को बेचा जा रहा है.
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साल 2014 से लेकर अब तक क्या-क्या हुआ प्राइवेट ?
वित्त वर्ष 2014-15
कंपनी का नाम | विनिवेश का प्रतिशत(कितना हिस्सा बेचा) | विनिवेश के बाद बची हिस्सेदारी |
नैशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड(NFL) | 0.29% | 89.71% |
सेल(SAIL) | 5% | 75% |
नाल्को लिमिटेड(NALCO) | 0.13% | 80.93% |
एमएमटीसी(MMTC) | 0.073% | 89.9268% |
कोल इंडिया लिमिटेड(CIL) | 10% | 78.65% |
एनटीपीसी(NTPC) | 0.04% | 78.65% |
हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड(HCL) | 0.05164% | 89.95% |
वित्त वर्ष 2015-16 में विनिवेश
कंपनी का नाम | विनिवेश का प्रतिशत(कितना हिस्सा बेचा) | विनिवेश के बाद बची हिस्सेदारी |
रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड(RECL) | 5% | 60.64% |
एनटीपीसी लिमिडेट(NTPC) | 5% | 69.96% |
पावर फाइनैंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (PFC) | 5% | 67.80% |
कन्टेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड(CONCOR) | 5% | 56.80% |
इंडिन ऑइल कॉर्पोरेशन(IOC) | 10% | 58.57% |
इंजिनियर्स इंडिया लिमिटेड(EIL) | 10% | 59.37% |
ड्रेजिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमि़टेड(DCIL) | 5% | 73.56% |
वित्त वर्ष 2017-18 में विनिवेश
कंपनी का नाम | विनिवेश का प्रतिशत | विनिवेश के बाद बची शेयरहोल्डिंग |
इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन(IOCL) | 0.5% | 58.28% |
इंजिनियर्स इंडिया लिमिटेड(EIL) | 0.5% | 59.32% |
नाल्को(NALCO) | 6.36%(बायबैक के जरिए ) | 74.57% |
एनएचपीसी(NHPC) | 11.36% | 74.6% |
हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड(HCL) | 7% | 82.95% |
NTPC | 0.22% | 69.74% |
NMDC | 5.06%(बायबैक के जरिए ) | 74.94% |
मैंगनीज ओर इंडिया लिमिटेड(MOIL) | 5.36% | 66.21% |
NBCC | 15% | 75% |
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड(BEL) | 0.61% | 74.41% |
कोल इंडिया लिमेटेड(CIL) | 1.248% | 79.78% |
NHPC | 0.09% | 74.51% |
ड्रेजिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया(DCIL) | 0.09% | 73.47% |
CONCOR | 0.25% | 56.79% |
मैंगनीज ओर इंडिया लिमिटेड(MOIL) | 10% | 56.21% |
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड(BEL) | 5% | 69.41% |
NHPC | 0.01%(बायबैक के जरिए) | 74.50% |
नइली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन लिमिटेड(NLC) | 0.68%(बायबैक के जरिए) | 89.32% |
वित्त वर्ष 2017-18 में हुआ इन कंपनियों में 10% से ज्यादा विनिवेश
कंपनी का नाम | विनिवेश का प्रतिशत | विनिवेश के बाद बची शेयरहोल्डिंग |
हुडको(HUDCO) | 10.193 (IPO के जरिए) | 82.88% |
नैशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड(NFL) | 15% | 74.71% |
कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड(CSL) | 25% (IPO के जरिए) | 75% |
HSCC इंडिया लिमिटेड | 25%(बायबैक) | 100% |
BDL | 25%(बायबैक) | 100% |
SPMCIL | 10%(बायबैक) | 100% |
ऐन्ट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड | 15%(बायबैक) | 100% |
BDL | 12%(IPO के जरिए) | 88% |
हिंदुस्तान ऐरॉनॉटिक्स लिमिटेड(HAL) | 10%(IPO के जरिए) | 90% |
MDL | 10%(बायबैक) | 100% |
वित्त वर्ष 2018-19 में हुए 10% से ज्यादा विनिवेश
कंपनी | विनिवेश प्रतिशत | विनिवेश के बाद बची हिस्सेदारी |
मिश्रा धातु निगम लिमिटेड(MIDHANI) | 25%(IPO के जरिए) | 75% |
RITES | 12.60(IPO) | 87.40% |
इरकॉन इंटरनैशनल लिमिटेड(IRCON) | 10% | 89.18% |
गार्डन रीच शिपबिल्डर्स ऐंड इंजिनियर्स लिमिटेड(GRSE) | 25.5% | 74.5% |
MSTC Ltd | 25.10% | 64.75% |
वित्त वर्ष 2019-20 में
वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने लिखित जवाब में 28 सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के नाम गिनाए थे, जिनमें विनिवेश यानी हिस्सेदारी बेचने की सैद्धांतिक मंजूरी मिली थी. ये कंपनियां हैं-
1- स्कूटर्स इंडिया लि
2- ब्रिज ऐंड रूफ कंपनी इंडिया लि
3- हिंदुस्तान न्यूज प्रिंट लि
4- भारत पंप्स ऐंड कम्प्रेसर्स लि
5- सीमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लि
6- सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लि
7- भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड
8- फेरो स्क्रैप निगम
9- पवन हंस लिमिटेड
10- एअर इंडिया और उसकी पांच सहायक कंपनियां और एक संयुक्त उद्यम
11- एचएलएल लाइफकेयर
12- हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स लि
13- शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया
14- बंगाल केमिकल्स एंड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड
15- नीलांचल इस्पात निगम लिमिडेट में विनिवेश की सैद्धांतिक मंजूरी बीते आठ जनवरी को दी गई
16- हिंदुस्तान प्रीफैबलिमिटेड (HPL)
17- इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स इंडिया लिमिटेड
18- भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन
19- कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (CONCOR) 20- एनएमडीसी का नागरनकर स्टील प्लांट
20- एनएमडीसी का नागरनकर स्टील प्लांट
21- सेल का दुर्गापुर अलॉय स्टील प्लांट, सलेम स्टील प्लांट और भद्रावती यूनिट
22- टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड (THDCIL)
23- इंडियन मेडिसीन ऐंड फार्मास्यूटिकल्स कॉरपोरेशन लिमिटेड (IMPCL)
24- कर्नाटक एंटीबायोटिक्स
25- इंडियन टूरिज्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (ITDC) की कई ईकाइयां
26- नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (NEEPCO)
27- प्रोजेक्ट ऐंड डेवलपमेंट इंडिया लि
28- कामरजार पोर्ट
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