आखिर क्या है पंजाब कांग्रेस विवाद जो बना हुआ है सुर्खियों में? क्लिक कर पढ़े

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नई दिल्ली: पंजाब कांग्रेस में इन दिनों संग्राम छिड़ा है. उसके समाधान के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह आज (शुक्रवार, 4 जून) दिल्ली में तीन सदस्यीय समिति के सामने पेश हुए हैं.

बाकी नेता और विधायक, सांसद और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष पहले ही कमेटी से मुलाकात कर चुके हैं. राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता वाली समिति ने पिछले चार दिनों में पंजाब से ताल्लुक रखने वाले 100 से अधिक नेताओं से उनकी राय ली है.

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इनमें अधिकतर विधायक हैं. इस समिति में खड़गे के अलावा कांग्रेस महासचिव और पंजाब प्रभारी हरीश रावत और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जेपी अग्रवाल शामिल हैं. कमेटी कांग्रेस आलाकमान को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.

पंजाब कांग्रेस में विवाद क्या है?

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ पार्टी के ही आधे से ज्यादा विधायक बागी रुख अख्तियार किए हुए हैं. इनमें सबसे पहला नाम पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू का है.

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वो पिछले कुछ हफ्ते से मुख्यमंत्री पर सोशल मीडिया के जरिए हमलावर बने हुए हैं. 2015 के बेअदबी कांड पर सरकार के रुख और 2017 की चुनावी घोषणाओं को लागू नहीं करने का आरोप लगा सिद्धू अमरिंदर सिंह पर हमलावर हैं.

उन्होंने सीएम पर बादल परिवार के लिए भी काम करने के आरोप लगाए हैं. माना जाता है कि पार्टी आलाकमान का रुख सिद्धू के प्रति नरम है. इसलिए सिद्धू सीएम पर हमलावर बने हुए हैं.

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सीएम पर सिद्धू हमलावर क्यों?

सिद्धू करीब सालभर से ज्यादा समय से कैप्टन से नाराज चल रहे हैं. 2019 के संसदीय चुनावों में राज्य के शहरी क्षेत्रों में पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए पूर्व क्रिकेटर सिद्धू को जिम्मेदार ठहराए जाने और उन्हें राज्य सरकार में प्रमुख विभागों से वंचित कर दिया गया था.

इसके विरोध में सिद्धू ने कैप्टन के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था. बेअदबी कांड की जांच की निगरानी में विफल रहने पर पिछले महीने सिद्धू ने सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री की खूब आलोचना की.

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उनके इस मुहिम को पार्टी के भीतर कई लोगों ने समर्थन दिया और कैप्टन के खिलाफ अपनी नाराजगी जताई. सिद्धू के इस दांव पर कैप्टन समर्थक आधा दर्जन मंत्री सिद्धू के खिलाफ हो गए और उनके समर्थकों के खिलाफ विजिलेंस फाइलें खोलनी शुरू कर दीं.

इसके बाद सिद्धू ने अमरिंदर सिंह पर हमले तेज कर दिए. सिद्धू कभी कोटकपुरा कांड का वीडियो तो कभी पुराने भाषणों की क्लिपिंग सोशल मीडिया पर साझा करने लगे और सीएम को चुनौती देने लगे.

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दोनों नेताओं के बीच चल रही खींचतान और शीतयुद्ध से पार्टी आलाकमान अनजान बना रहा और न तो प्रदेश प्रभारी हरीश रावत और न ही प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने दोनों नेताओं से बात की.

इससे मामला और आगे बढ़ गया. सीएम ने भी दो टीवी इंटरव्यू में सीधे-सीधे आरोप लगाया कि अगले साल विधान सभा चुनाव को देखते हुए सिद्धू कांग्रेस छोड़कर आम आदमी पार्टी (आप) के साथ जाना चाहते हैं और उनकी बात अरविंद केजरीवाल से चल रही है.

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प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी विवाद की जड़

सुनील जाखड़ फिलहाल पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष हैं लेकिन चर्चा है कि पार्टी नेतृत्व विधान सभा चुनाव से पहले नवजोत सिंह सिद्धू को इस पर काबिज करना चाहता है लेकिन अमरिंदर सिंह इसका विरोध कर रहे हैं.

उनका तर्क है कि इस पद पर दलित वर्ग से या हिन्दू समुदाय का कोई व्यक्ति बैठे क्योंकि सिख समुदाय से पहले ही सीएम पद पर तैनात है.

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विधान सभा चुनावों से पहले सिद्धू को उप मुख्यमंत्री बनाए जाने की भी चर्चा है. ताकि उनकी लोकप्रियता का फायदा चुनावों में पार्टी को मिल सके.

लेकिन अमरिंदर सिंह ने यहां भी पेंच फंसा दिया है. उनका तर्क है कि इस पद पर भी किसी दलित चेहरे को बिठाया जाना चाहिए ताकि उसका फायदा चुनावों में मिल सके.

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सिद्धू के साथ कौन-कौन?

सिद्धू ने पिछले दिनों पंचकुला में अमरिंदर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले कांग्रेस नेताओं के साथ गुप्त स्थान पर बैठक की थी.

माना जा रहा है कि इसमें 2015 के बेअदबी कांड पर SIT गठन करने और मुख्यमंत्री के क्रियाकलाप पर न केवल चर्चा हुई बल्कि उनके खिलाफ लड़ाई भी तेज करने पर बात हुई.

इस बैठक में जालंधर से विधायक परगट सिंह भी शामिल हुए जो सिद्धू के दोस्त रहे हैं.

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इनके अलावा राज्य के जेल मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा, जिन्होंने बेअदबी कांड में हाईकोर्ट के फैसले के मद्देनजर कैबिनेट से इस्तीफा देने की पेशकश की थी, भी बैठक का हिस्सा थे.

सिद्धू से मिलने वाले अन्य लोगों में फरीदकोट विधायक कुशलदीप सिंह किक्की ढिल्लों, श्री हरगोबिंदपुर विधायक बलविंदर सिंह लाडी, गुरदासपुर विधायक बरिंदरमीत सिंह पाहरा और कादियां विधायक फतेहजंग सिंह बाजवा भी शामिल थे. माना जा रहा है कि  पार्टी के 77 विधायकों में से 47 विधायक सिद्धू के साथ हैं.

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