लखनऊ पुलिस की बर्बरता : पोस्टमॉर्टम में हुआ खुलासा, बंदी को डंडों से मारने के कारण पैरों में जम गया था खून

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द लीडर | लखनऊ जेल प्रशासन जिस कैदी की मौत को आत्महत्या बता रहा, उसकी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट हत्या की ओर इशारा कर रही है। पोस्टमॉर्टम में एंटीमोर्टम इंजरी पाई गई है। उसका सिर फटा हुआ था और पैरों में डंडे से बेरहमी से पिटाई की गई थी। उसके परिजन भी जेल में हत्या का आरोप लगाकर जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

मिली जानकारी के अनुसार मृतक की पहचान सीतापुर जिले के बिसवां मोहल्ले के 25 वर्षीय रूपेश कुमार के रूप में हुई है। उसे गोसाईंगंज पुलिस ने इसी साल 12 अगस्त को डकैती के एक मामले में जेल भेज दिया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद कई तरह के सवाल जेल की व्यवस्थाओं और कैदियों की सुरक्षा को लेकर खड़े हो गए हैं। जेल मुख्यालय के प्रवक्ता संतोष कुमार के मुताबिक, बंदी की मौत के मामले में विभाग द्वारा डीआईजी स्तर पर एक जांच कमेटी गठित की गई है जो कई बिंदुओं पर जांच करेगी।


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2 कमेटी का किया गया गठन 

वहीं, दूसरी न्यायिक कमेटी गठित करने के लिए मुख्यालय द्वारा न्यायिक विभाग को लिखा गया है। यह कमेटी जिला जज द्वारा गठित की जाएगी। घटना के बाद मृतक के भाई राकेश निवासी सीतापुर बिसवां जलालपुर ने बताया कि भाई के साथ डकैती के मामले में बंद अन्य आरोपितों ने उसकी हत्या की है। राकेश ने जेल प्रशासन पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए रूपेश की हत्या करने की बात कही है। पोस्टमार्टम के बाद राकेश और उसके परिवारीजन शव लेकर अंतिम संस्कार के लिए चले गए।

पुलिस ने केस में झूठा फंसाया, जेल वालों ने मार डाला

बुधवार को बेटे का शव लेने आए परिजनों ने लखनऊ पुलिस और जेल प्रशासन पर बेहद गंभीर आरोप लगाए। मृतक रूपेश के भाई राकेश ने कहा कि बेगुनाह भाई को पुलिस ने केस में झूठा फंसाया। हम उसे छुड़ाने के लिए रात दिन पैरवी कर रहे। इस बीच जेल में उसकी हत्या कर दी गई। राकेश ने बताया कि रूपेश को जिन चार अन्य आरोपियों के साथ गिरफ्तार किया गया था, वह पहले से उसकी जान के दुश्मन थे। बावजूद इसके जेल में उसे उन्हीं के साथ एक ही बैरक में रखा गया था।


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जेल प्रशासन की हड़बड़ी ने घुमा दी शक की सुई

रूपेश की मौत के बाद जेल प्रशासन की हड़बड़ी ने पहले ही उसे संदेह के दायरे में खड़ा कर दिया था। जेल में आत्महत्या के मामलों में अमूमन एक रिपोर्ट मुख्यालय को भेजकर जिम्मेदार खामोश हो जाते हैं। लेकिन, इस घटना के बाद जेल अधीक्षक ने तत्काल न्यायिक जांच की सिफारिश कर दी। अब लखनऊ पुलिस में सुगबुगाहट होने लगी है कि जेल में कैदी की हत्या के बाद पुलिस को फंसाने के लिए सुसाइड नोट लिखा गया। हालांकि नोट रूपेश ने ही लिखा था या लिखकर उसके बैग में रखा गया, यह पता लगाने के लिए नोट को हैंडराइटिंग मिलान के लिए फोरेंसिक लैब भेजा गया है।

पुलिस पर लगाया था डकैती में फर्जी तरीके से फंसाने का आरोप 

रूपेश की बैरक से कपड़ों में एक सुसाइडनोट मिला था। सुसाइडनोट में उसने गोसाईगंज पुलिस पर फर्जी डकैती के केश में फंसाने का आरोप लगाया था। पुलिस ने उसे 17 अगस्त को लोहा व्यवसायी के मुनीम से हुई 35 लाख की लूट के मामले में जेल भेजा था। तब से वह जेल में था। वहीं, रूपेश के भाई राकेश ने बताया कि उसका भाई लुटेरा नहीं है। पुलिस ने लूट के मामले में गलत तरीके से जेल भेजा था।

फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया सुसाइड नोट, उठे सवाल 

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत से पहले बंदी रूपेश की पिटाई की पुष्टि होने के बाद उसकी बैरक मेंं कपड़ों में मिले सुसाइडनोट पर भी सवाल उठ गए हैं। सुसाइड नोट रुपेश ने लिखा अथवा उसे मारने के बाद आत्महत्या का रूप देने के लिए किसी और ने लिखकर उसके बैग में रखा। जेल प्रशासन ने बताया कि सुसाइडनोट को परीक्षण के लिए फोरेंसिक साइंस लैब भेजा जा रहा है। वहां हैंडराइटि‍ंग एक्सपर्ट सुसाइड नोट की जांच करेंगे।


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