Friday, October 18, 2024
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किसान आंदोलन : अगले 13 दिन बेहद खास, संभलकर चलाना होगा आंदोलन

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नई दिल्ली : किसान आंदोलन पर सुप्रीमकोर्ट ने जो चार सदस्यीय कमेटी बनाई है. किसान नेताओं ने उससे बातचीत करने से साफ इनकार कर दिया है. स्पष्ट किया है कि अगर हम कमेटी बनाए जाने के पक्षधर होते, तो भी इन सदस्यों से किसी भी सूरत में बात नहीं करते, जिन्हें कमेटी में रखा गया है. किसान नेता दर्शनपाल सिंह ने ‘द लीडर’ से खास बातचीत में कमेटी के गठन पर ही आपत्ति जाहिर की है.

क्या इस पर सुप्रीमकोर्ट की अवमानना का कुछ मामला बन सकता है? इसके जवाब में दर्शनपाल सिंह कहते हैं कि नहीं, ऐसा नहीं लगता. क्योंकि कमेटी बनाने के लिए हमने कोई सहमति नहीं दी थी.

कुछ आता है तो देखेंगे. किसान नेताओं ने 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर परेड को लेकर साफ किया है कि ये कार्यक्रम होगा. इस बीच उन्होंने आंदोलन को बेहद संभालकर चलाए जाने की चिंता भी जाहिर की है.

कानून होल्ड करेंगे इसकी उम्मीद नहीं थी

दर्शनपाल सिंह कहते हैं कि सुप्रीमकोर्ट कमेटी बनाएगा. ऐसा तो लगता था, पर कानूनों को कुछ देर के लिए होल्ड कर दिया जाएगा. ये उम्मीद नहीं थी. मेरे ख्याल से कमेटी नहीं बनानी चाहिए थी. फिर उसमें भी चारों लोग कानून बनाने वाले या उसके पक्ष में हैं जो उन्हें लागू भी कराना चाहते हैं. उन्हें रखा गया है. इसका मतलब है कि जानबूझकर ऐसा किया गया है.

15 जनवरी को बातचीत क संभावना कम

केंद्र सरकार और किसानों के बीच 8 दौर की बातचीत हो चुकी है. 9वें दौर की बात 15 जनवरी को प्रस्तावित है. क्या अब ये बातचीत हो पाएगी? दर्शनपाल सिंह कहते हैं कि इसकी संभावना कम है. सरकार कहेगी कि सुप्रीमकोर्ट की कमेटी के पास जाओ.


सुप्रीमकोर्ट ने जो कमेटी बनाई है, उसके सभी सदस्य कृषि कानूनों को सही मानते : किसान नेता


 

26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड को लेकर वे कहते हैं कि जिला मुख्यालयों पर इसका अभ्यास चल रहा है. हजारों की संख्या में ट्रैक्टर शामिल हो रहे हैं. परेड में बड़ी तादाद में किसान आएंगे. किसान नेताओं को 26 जनवरी तक ये आंदोलन बहुत संभलकर और संभालकर चलाना होगा. इसके बाद ये और बड़ा होगा. ऐसी उम्मीद जताते हैं. उन्‍होंने दोहराया क‍ि तीनों कृषि कानून वापस न होने तक आंदोलन जारी रहेगा.

असम से लेकर यूपी तक जहरीली शराब का धंधा, मध्यप्रदेश में 20 लोगों की मौत से हरकत में शिवराज सरकार

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द लीडर : अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद ड्रग्स को लेकर जिस तरह का शोर मचा था. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB)ने मुंबई में ताबड़तोड़ छापेमारी की. अभिनेत्री रिया चक्रवती (Riya Chakravarty) और उनके भाई शौविक चक्रवती को जेल जाना पड़ा. क्या, जहरीली शराब की बिक्री पर ऐसी ही किसी सक्रिय अभियान की दरकार नहीं? खासकर मध्यप्रदेश (MP) और उत्तर प्रदेश (UP) में, जहां आए दिन जहरीली शराब से मौतों का तांडव जारी है. मध्यप्रदेश में एक बार फिर इसी जहरीली शराब से 20 लोगों की मौत हो गई है.

ताजा घटनाक्रम मुरैना के छेरा मानपुर और पहवाली गांव का है. गांवों के 20 लोग जहरीली शराब पीकर मर गए हैं. घटना से लोगों में आक्रोश है. उन्होंने विरोध-प्रदर्शन भी किया है. दूसरी तरफ विपक्ष सरकार पर हमलावर है. इस सबके बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shiv Raj Singh) ने एक उच्च स्तरीय बैठक की है. उन्होंने स्पष्ट किया है कि घटना की जांच कर आरोपियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी. बहरहाल, जिलाधिकारी और एसपी ग्रामीण को उनके पद से हटा दिया गया है.


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उज्जैन में हो चुकीं 12 मौतें

मध्यप्रदेश के ही उज्जैन में ही पिछले साल जहरीली शराब पीकर 12 लोग मर गए थे. तब पुलिस आरक्षक सुदेश खोड़े, शेख अनवर और नवाज शरीफ को बर्खास्त किया गया था. घटना से जुड़े 18 आरोपियों को जेल हुई थी.

बुलंदशहर में मारे गए 5 लोग

हाल ही में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के जीतगढ़ी गांव में जहरीली शराब 5 लोगों की जिंदगियां लील चुकी है. इसमें 19 लोगों को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गयाथा. घटना के मुख्य आरोपी कुलदीप की गिरफ्तारी हुई थी.


सुप्रीमकोर्ट ने जो कमेटी बनाई है, उसके सभी सदस्य कृषि कानूनों को सही मानते : किसान नेता


यूपी में एनएसए के तहत कार्रवाई के आदेश

राज्य में जहरीली शराब से लगातार मौत की घटनाएं सामने आने पर जब हंगामा बरपा. तब मुख्यमंत्र योगी आदित्यनाथ ने आरोपियों के विरुद्ध एनएसए के तहत कार्रवाई के निर्देश जारी किए. स्पष्ट किया कि आरोपियों की संपत्ति भी जब्त की जाएगी. इसे नीलाम कर पीड़ित परिवारों को मुआवजे के रूप में दिया जाएगा. उस समय भी लखनऊ, फिरोजाबाद, प्रयागज और मथुरा में जहरीली शराब से 6 मौतें सामने आई थीं.

असम में 120 लोगों की मौत से भी सबक नहीं

पूर्वोत्तर के राज्य, असम में साल 2019 में जहरीली शराब से एक बड़ा हादसा हुआ था. इसमें करीब 120 लोगों की मौत हो गई थी. इतनी बड़ी घटना से भी राज्य सरकारों और प्रशासन ने जहरीली शराब के खिलाफ कार्रवाई का सबक नहीं लिया.

सुप्रीमकोर्ट ने जो कमेटी बनाई है, उसके सभी सदस्य कृषि कानूनों को सही मानते : किसान नेता

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द लीडर : नए कृषि कानूनों (Farm Laws) पर सुप्रीमकोर्ट से कमेटी (Committee) गठित होने के बाद भी किसानों का मत साफ है. वो ये कि जब तक कानून रद नहीं होंगे, आंदोलन जारी रहेगा. किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल (Balveer Singh Rajewal) ने समाचार एजेंसी एएनआइ से बातचीत में कहा कि सरकार अपने ऊपर से दबाव कम करने के लिए सुप्रीमकोर्ट के माध्यम से कमेटी लाई है. कमेटी के सभी सदस्य कानूनों को सही ठहराते हैं. इसलिए हमने कल ही इसका विरोध किया था. प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हम कमेटी को नहीं मानते हैं.

कृषि कानूनों से जुड़ी एक याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीमकोर्ट ने कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है. सरकार और किसानों के बीच बना गतिरोध खत्म हो. इसके लिए कोर्ट ने एक कमेटी बनाई है. इस पर स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा पहले ही बयान जारी कर साफ कर चुका है कि वो कमेटी की प्रक्रिया में भाग नहीं लेंगे.

दिल्ली के टीकरी बॉर्डर पर जारी आंदोलन में शामिल किसान. फोटो द लीडर

यादव ने कहा कि कमेटी में शामिल तीन सदस्य कृषि कानूनों के जबरदस्त पैरोकार हैं. उन्होंने इसे सरकारी समिति बताते हुए कहा कि इसके गठन के साथ ही सारी आशंकाएं साफ हो गई हैं. योगेंद्र यादव के मुताबिक समिति में शामिल अशोक गुलाटी की कृषि कानूनों को लाने में अहम भूमिका रही है. दूसरा, सभी चारों सदस्यों का आंदोलन से कोई संबंध भी नहीं है.


किसान आंदोलन : सुप्रीमकोर्ट ने नए कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगाई


 

ऐसे भ्रम फैला रहे जैसे दुश्मन देश पर हमला करना

किसान नेता बलवीर सिंह पुंज ने कहा कि 26 जनवरी को किसान परेड कार्यक्रम शांतिपूर्ण रहेगा. इसको लेकर ऐसे भ्रम फैलाया जा रहा है कि जैसे किसी दुश्मन देश पर हमला करना हो. ऐसी गैर जिम्मेदार बातें संयुक्त किसान मोर्चा की नहीं हैं. 15 जनवरी के बाद ट्रैक्टर परेड कार्यक्रम की रूपरेखा तय करेंगे.

 

Farmers Commits Suicide Singhu Border
दिल्ली की सीमाओं पर ट्रैक्टर परेड करते किसान. फाइल फोटो

लोहड़ी पर कृषि कानूनों की प्रति जलाएंगे किसान

किसान नेता दर्शनपाल सिंह ने कहा कि कल हम लोहड़ी मना रहे हैं, जिसमें तीनों कृषि कानूनों को जलाएंगे. 18 जनवरी को महिला दिवस है और 20 जनवरी को गुरु गोविंद सिंह जी का प्रकाश उत्सव.


किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट के रुख के निहितार्थ क्या हैं


कमेटी के सदस्यों के बहाने कांग्रेस का निशाना

कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने सुप्रीमकोर्ट द्वारा गठित कमेटी में सुझाए गए सदस्यों के नाम पर आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा कि कमेटी में शामिल 4 लोगों ने सार्वजनिक रूप से पहले निर्णय कर रखा है कि ये कानून सही हैं. और कह दिया है कि किसान भटके हुए हैं. ऐसी कमेटी किसानों के साथ न्याय कैसे करेगी?

किसान आंदोलन : सुप्रीमकोर्ट ने नए कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगाई

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द लीडर : सुप्रीमकोर्ट ने नए कृषि कानूनों पर बड़ा फैसला सुनाते हुए इन्हें लागू किए जाने पर रोक लगा दी है. साथ ही कानूनों पर बातचीत के लिए एक कमेटी गठित की है. इसमें हरसिमरत मान, अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी, राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व निदेशश्क डॉ. प्रमोद कुमार जोशी और अनिल धनवत के नाम बतौर सदस्य सुझाए हैं. स्पष्ट है कि कोर्ट के अगले आदेश तक अब ये कानून लागू नहीं होंगे.

सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद किसान संगठन के वकील एमएल शर्मा ने कोर्ट को बताया कि किसान समिति गठित करने के पक्ष में नहीं हैं. वे समिति के सामने नहीं जाएंगे. इस पर कोर्ट ने कहा कि ‘अगर किसान सरकार के समक्ष जा सकते हैं तो कमेटी के सामने क्यों नहीं. अगर वो समस्या का हल चाहते हैं तो हम ये नहीं सुनना चाहते कि किसान कमेटी के सामने पेश नहीं होंगे.’

एनडीटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि, ‘हमें कमेटी बनाने का हक है. जो लोग वास्त में हल चाहते हैं, वो कमेटी के पास जा सकते हैं. समिति हम अपने लिए बना रहे हैं वो हमें रिपोर्ट देगी.’ सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कुछ और महत्वपूर्ण बातें कही हैं.



सोमवार को दिए थे संकते

इससे पहले सोमवार को कृषि कानूनों पर सुनवाई करते हुए सुप्रीमकोर्ट ने कानून लागू करने पर रोक के संकेत दिए थे. इसके बाद कई किसान नेताओं ने अपने बयान में ये मांग दोहराई थी कि कानूनों को रद किया जाए. किसान नेता मंजीत राय ने मंगलवार को ही कहा कि हम चाहते हैं कि कानून निरस्त हो. कोर्ट से यही हमारी मांग है.

दिल्ली की सीमाओं पर जुटे हैं किसान

कृषि कानूनों को रद किए जाने की मांग को लेकर किसान नेता दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनरत हैं. पिछले 47 दिन से उनका धरना-प्रदर्शन चल रहा है. इस बीच सरकार और किसान नेताओं के बीच 8 दौर की बातचीत हो चुकी है. जिसमें कोई हल नहीं निकला. सोमवार को कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि सरकार ने इस मामले को ठीक से हल नहीं किया.

राहुल गांधी बोले, सरकार के इरादे समझते हैं अन्नदाता, कानून वापस लो

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द लीडर : नए कृषि कानूनों (Farm Laws) पर सरकार और किसानों के बीच गतिरोध बरकरार है. एक दिन पहले ही सुप्रीमकोर्ट ने कानून के अमल पर होल्ड के संकेत दिए हैं. हालांकि किसान नेताओं का स्पष्ट मत है कि कानून वापस लिए जाएं. मंगलवार को इस मामले में सुप्रीमकोर्ट में फिर सुनवाई प्रस्तावित है. इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा, ‘सत्याग्रही किसानों को इधर-उधर की बातों में उलझाने की सरकार की हर कोशिश बेकार है. अन्नदाता सरकार के इरादों को समझता है. उनकी मांग साफ है-कृषि विरोधी कानून वापस लो, बस.’ (Rahul Gandhi Government Law)

किसान नेता मंजीत राय ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा है कि, किसानों ने साफ बोल दिया कि वे कमेटी के सामने नहीं जाएंगे. किसान समिति बनाने के पक्षधर नहीं हैं. सरकार ने पहले ही समिति में आने के लिए कहा था, पर हमने मना कर दिया. उन्होंने सुप्रीमकोर्ट से कानूनों को रद करने के आदेश की मांग की है.

द‍िल्‍ली के टीकरी बॉर्डर पर धरने पर बैठे क‍िसान, फोटो द लीडर

दरअसल, सोमवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीमकोर्ट ने सरकार पर कड़ी टिप्पणियां की थीं. कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि अगर आप-सरकार कानून पर रोक नहीं लगा सकती है तो हम लगा दें. इसके साथ ही रिटायर चीफ जस्टिस की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाने की बात कही थी. इस8 मामले में मंगलवार यानी आज सुप्रीमकोर्ट का फैसला आ सकता है.


किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट के रुख के निहितार्थ क्या हैं


 

दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 47 दिनों से किसानों का धरना-प्रदर्शन जारी है. सिंघु बॉर्डर, टीकरी बॉर्डर और यूपी गेट पर हजारों की संख्या में किसान जमा हैं. एक मांग के साथ कि कानून रद किए जाएं. सरकार और किसानों के बीच 8 दौर की बातचीत हो चुकी है, जिसमें कोई हल नहीं निकला. आंदोलन के इस अंतराल में अब तक करीब 50 से अधिक मौतें हो चुकी हैं. सोमवार को भी एक किसान ने आत्महत्या की कोशिश की थी.

घायल भारतीय शेरों के सामने नतमस्तक दिखे कंगारू

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वसीम अख्‍तर

द लीडर : टेस्ट क्रिकेट में ऐसे मैच कम ही देखने को मिले हैं. जब कमजोर आंकी जाने वाली टीम के खिलाड़ियों ने अपने हौसले और दिलेरी से मजबूत टीम को पस्त कर दिया हो. सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर मेजबान ऑस्ट्रेलिया तीसरे टेस्ट के अंतिम का खेल शुरू होने से पहले जीत की दहलीज पर खड़ी दिख रही थी. भारतीय टीम के आठ विकेट शेष थे.

रोहित शर्मा और शुभमन गिल तीसरे दिन ही पवेलियन लौट चुके थे. पांचवे दिन उसे 407 रन का विशाल स्कोर चेज करना था. ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाद पहली इनिंग से ही चढ़े हुए थे. उस पर सितम ये कि भारत के चार प्रमुख खिलाड़ी चोटिल थे. ऐसे में मैच का नतीजा क्या आने वाला है, साफ नजर आ रहा था. लेकिन भारतीय बल्लेबाजों ने तो कुछ और ही ठान रखा था.

उन्होंने अपने खेल से दिखा दिया कि तमाम विपरीत परिस्थितियों में भी वे हार मानने वाले नहीं हैं. जब हारा हुआ मैच बराबरी पर खत्म हुआ तो टीम के प्रशंसक खुशी से उछल पड़े और समीक्षक घायल भारतीय शेरों को सेल्यूट करने में लग गए. यकीनन विदेशी धरती पर ये ऐसा प्रदर्शन था, जो भारत के खेल प्रेमियों का सीना लंबे वक्त तक चौड़ा करता रहेगा.


शून्य के बाद स्मिथ का शानदार शतक, मुश्किल में भारत


 

सोमवार की सुबह जब पांचवें दिन का खेल शुरू हुआ तो जिन कार्यवाहक कप्तान अजिंक्य रहाणे से लंबी और करिश्माई पारी की उम्मीद की जा रही थी. वह अपने स्कोर में एक भी रन जोड़े ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज लियन का शिकार बनकर पवेलियन लौट आए. सारी जिम्मेदारी चेतेश्वर पुजारा के कांधों पर आ गई.

अजिंक्य के आउट होने पर घायल ऋषभ पंत मैदान पर आए तो दर्शकों के साथ टीवी पर मैच देख रहे लोग भी अचंभे से भर गए. ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को उम्मीद थी कि घायल पंत उनका सामना ज्यादा देर तक नहीं कर पाएंगे. पहली इनिंग में गेंद लगने से उनकी कलाई में चोट लगी थी, जिसकी वजह से वह ऑस्ट्रेलिया की दूसरी इनिंग में विकेट कीपिंग के लिए मैदान पर नहीं आ सके थे.

ये जिम्मेदारी साहा को संभालनी पड़ी थी. इस सबके बावजूद पंत कुछ और ही कर गुजरने की तैयारी में थे. मैदान पर आने के बाद पंत ने अाक्रामक रुख दिखाते हुए जबर्दस्त शाट खेले. दूसरे छोर पर पुजारा संभलकर खेलते रहे. पंत ने तीन छक्के और 12 चौकों की मदद से जब 97 रन बनाए तो ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को भी लगने लगा कि मैच उनके पंजे से निकलकर भारत की झोली में पहुंच गया है.


ऑस्ट्रेलिया में क्रिकेटर मुहम्मद सिराज पर एक बार फ‍िर नस्लीय टिप्पणी, आइसीसी ने निंदा कर मांगी रिपोर्ट


 

अगर पंत थोड़े और जोश के साथ हौसला दिखा जाते तो नतीजा भारत के पक्ष में आ जाता. पंत और पुजारा के बीच 148 रन की साझेदारी से यह लग भी रहा था लेकिन पंत के आउट होते ही ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज फिर से रंग में आ गए. पंत के बाद पुजारा भी 77 रन पर आउट हो गए.

जब भारतीय टीम पर हार का खतरा मंडरा रहा था तो मांसपेशियों में खिंचाव के बावजूद हनुमा विहारी और रविचंद्रन अश्विन पिच पर ऐसे जमे कि कंगारू गेदबाज पसीना-पसीना हो गए. विहारी और अश्विन मिलकर 48 ओवर खेल गए. इस तरह दोनों संभावित हार को टालकर टेस्ट ड्रा कराने में कामयाब हो गए.

मैच खत्म होने पर पृथी ने ट्वीट कर बताया कि उनके पति अश्विन से सुबह सोकर उठने पर खड़ा नहीं हुआ जा रहा था. उन्हीं अश्विन ने पिच पर खड़े रहकर 128 गेंद यानी 21 से ज्यादा ओवर तक बल्लेबाजी की.

मैच खत्म होने पर दुनियाभर में भारतीय बल्लेबाजों के खेल को सराहा जाने लगा. क्रिकेट के महान खिलाड़ियों ने पंत के साथ पुजारा, विहारी, अश्विन की खूब तारीफ की है. सिडनी ग्राउंड पर खेले गए इस मैच में खराब और अच्छे सभी तरह के रंग दिखाई दिए. यह मैच ऑस्ट्रेलियाई दर्शकों की मुहम्मद सिराज पर नस्लीय टिप्पणी को लेकर भी याद किया जाएगा, जिसके लिए आइसीसी ने कड़ा रुख अपनाया और ऑस्ट्रेलियाई पुलिस को कार्रवाई करना पड़ी.


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अब शुक्रवार को ब्रिस्बेन में सीरीज का निर्णाक मैच खेला जाएगा. चार टेस्ट मैच की सीरीज में दोनों टीम 1-1 से बराबरी पर हैं. भारत अगर अंतिम मैच भी ड्रा कराने में कामयाब रहा तो गावस्कर-बार्डर ट्राफी उसी के पास रहेगी. वैसे तीसरा टेस्ट ड्रा होने के साथ ही ऑस्ट्रेलिया और भारत दोनों ने ही टेस्ट रैंकिंग में अपने स्थान बनाए रखे हैं.

 

कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा सकते हैं : सुप्रीमकोर्ट

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द लीडर : सुप्रीमकोर्ट ने इस बात पर निराशा जताई है कि केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ जारी आंदोलन (Protest) को ढंग से हैंडल नहीं किया है. सोमवार को चीफ जस्टिस एसए बोबड़े की अगुवाई वाली बेंच कृषि कानूनों से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी. सरकार के रुख को देखते हुए कोर्ट ने कानून के अमल पर रोक लगाने का संकेत दिया है. दूसरा, कानून पर बने गतिरोध का हल तलाशने के लिए रिटायर चीफ जस्टिस की अध्यक्षता में समिति गठित करने की बात कही है. सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने सरकार पर कुछ कड़ी टिप्पणी भी की हैं. (Supreme Court Agricultural Laws)

‘एनबीटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल की एपीएमसी से जुड़ी एक दलील पर चीफ जस्टिस ने कहा कि ये आपको समाधान की ओर नहीं ले जाएगा. आप क्या बातचीत कर रहे हैं और उसका क्या हल निकला है? हम बातचीत से हल चाहते हैं. यही हमारा मकसद है. पिछली बार भी बातचीत के लिए कहा था. आप क्यों नहीं कानून के अमल को होल्ड कर देते हैं. हम कमेटी बनाएंगे और वो तय करेगी किस तरह से सभी को सुना जाए. मगर आप ऐसा जता रहे हैं कि जैसे कानून हर हाल में लागू होगा.’

अदालत में इन वकीलों ने रखे पक्ष

केंद्र सरकार की ओर से इस मामले में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, किसान संगठन की ओर से एपी सिंह, दुष्यंत दवे पेश हुए. जबकि कानून का समर्थन करने वाले राज्य की ओर से हरीश साल्वे पेश हुए.

कड़ाके की ठंड में आंदोलन पर डटे किसान

पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों के हजारों किसान पिछले 47 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनरत हैं. विरोध-प्रदर्शन के दौरान अब तक करीब 50 से अधिक मौतें हो चुकी हैं, जिसमें कुछ आत्महत्याएं भी शामिल हैं. सुप्रीमकोर्ट ने सुनवाई के दौरान इन आत्महत्याओं पर चिंता जताई है.


किसान आंदोलन पर सुप्रीमकोर्ट ने जताई चिंता, कोई बदलाव नजर नहीं आ रहा


26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड की चेतावनी

सरकार और किसान नेताओं के बीच अब तक 8वें दौर की बातचीत हो चुकी है. जिसमें कोई हल नहीं निकला है. दूसरी ओर से किसानों ने ये चेतावनी दे रखी कि कानून रद न होने पर वे 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर परेड करेंगे. केंद्र सरकार की ओर इस मुद्​दे को भी एक दलील के रूप में अदालत के समक्ष रखा गया है. अदालत ने एक और महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. वो ये कि किसी नागरिक के विरोध-प्रदर्शन करने के अधिकार पर रोक नहीं लगा सकते.

ऑस्ट्रेलिया से पार पाने को रहाणे से एक और करिश्माई इनिंग की उम्मीद

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वसीम अख्‍तर

द लीडर : भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच तीसरा टेस्ट निर्णायक मोड़ पर खड़ा हो गया है. खेल के पांचवें दिन सोमवार को एक टीम की हार तय है. हां, मैच में पड़ला ऑस्ट्रेलिया का भारी दिख रहा है. एक तो उसके बल्लेबाजों ने अपने शानदार प्रदर्शन की बदौलत भारत को चेज करने के लिए 407 रन का मजबूत लक्ष्य दिया है.

दूसरे भारतीय टीम के दो महत्वपूर्ण बल्लेबाज चोटिल हैं. विकेट कीपर ऋषभ पंत और रविंद्र जडेजा का बल्लेबाजी करना मुश्किल दिख रहा है. दोनों ही पहली इनिंग में बल्लेबाजी के दौरान घायल हो गए थे. तेज गेंदबाज पैट कमिंस के बाउंसर से पंत की कलाई में चोट लगी थी. मिशेल स्टार्क की गेंदबाजी का सामना करते समय जडेजा का बाएं हाथ का अंगूठा जख्मी हो गया था.


ऑस्ट्रेलिया में क्रिकेटर मुहम्मद सिराज पर एक बार फ‍िर नस्लीय टिप्पणी, आइसीसी ने निंदा कर मांगी रिपोर्ट


 

दोनों ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी के दौरान मैदान पर भी नहीं उतर पाए. कीपिंग के लिए साहा को मैदान पर आना पड़ा. ऐसे में अगर दोनों बल्लेबाजी के लिए भी नहीं आ पाते तो भारत के लिए मुश्किल की घड़ी है. हार को टालने या जीत तक पहुंचने का दारोमदार कप्तान अजिंक्य रहाणे और चेतेश्वर पुजारा की जोड़ी पर रहेगा. चौथे दिन का खेल खत्म होने पर रहाणे चार और पुजारा नौ रन बना चुके थे.

स‍िडनी टेस्‍ट सीरीज के दौरान टीम इंड‍िया के ख‍िलाड़ी, फाइल फोटो

दोनों के बीच लंबी साझेदारी हो, तभी भारतीय टीम हार से बच पाएगी. वरना मध्यक्रम में हनुमा विहारी को छोड़कर अन्य बल्लेबाजों से ज्यादा उम्मीद रखना बेमानी है. उपकप्तान रोहित शर्मा और शुभमन गिल पवेलियन लौट चुके हैं. दोनों ने भारत को अच्छी शुरुआत भले ही दी लेकिन जिताऊ पारी नहीं खेल सके.


शून्य के बाद स्मिथ का शानदार शतक, मुश्किल में भारत


 

रोहित 52 और गिल 31 रन ही बना सके. जोश हेजलवुड और पैट कमिंस को दूसरी पारी में एक-एक विकेट मिला है. इससे पहले ऑस्ट्रेलिया ने अपनी दूसरी पारी छह विकेट खोने के बाद 312 रन पर घोषित कर दी. इस तरह भारत को जीत के लिए 407 रन का लक्ष्य मिला है, जिसमें अभी सिर्फ 98 रन ही बन पाए हैं.

ऑस्ट्रेलिया जीत से आठ विकेट दूर है. भारत को टेस्ट सीरीज में आगे निकलने के लिए 309 रन दरकार हैं. सीरीज के इस तीसरे टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया स्टीव स्मिथ के शतक और फिर दूसरी इनिंग में 81 रन के सबब मजबूत स्थिति में पहुंच गई है. दूसरी पारी में सर्वाधकि 84 रन कैमरन ग्रीन ने बनाए. जसप्रीत बुमराह की अगुवाई में भारतीय गेंदबाज ऑस्ट्रेलिया को बड़े लक्ष्य से रोकने में नाकाम रहे.

चार टेस्ट मैचों की सीरीज में दोनों टीमें एक-एक की बराबरी पर हैं. सिडनी के बाद दोनों टीम के बीच सीरीज का आखिरी टेस्ट ब्रिस्बेन में 15 जनवरी को खेला जाएगा। एडिलेड में खेल गए पहले डे-नाइट टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया ने 8 विकेट से जीत दर्ज की थी. मेलबर्न में बॉक्सिंग-डे टेस्ट भारत ने आठ विकेट से जीतकर सीरीज में बराबरी हासिल की थी.

नेपाल के प्रधानमंत्री ओली ने भारत से कालापानी समेत दो अन्य क्षेत्र वापस लेने का लिया संकल्प

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द लीडर : नेपाल (Nepal) में राजनीतिक अस्थिरता के बावजूद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली भारत-विरोधी आचरण से बाज नहीं आ रहे हैं. रविवार को नैशनल असेंबली (National Assembly ) की बैठक में ओली ने भारत से कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख क्षेत्र अपने कब्जे में लेने का संकल्प दोहराया है. पिछले साल भी ओली सरकार में भारत विरोधी स्वर सामने आए थे. (Nepal Pm Kalapani India)

नैशनल असेंबली की बैठक में उठाया गया ओली सरकार का ये कदम इसलिए भी चौंकाता है क्योंकि नेपाल में सियासी भूचला मचा है. पीएम ओली की सिफारिश पर राष्ट्रपति ने दिसंबर में संसद (Parliament) भंग कर दी थी. जिसका-विपक्ष (Opposition) ही नहीं, बल्कि ओली के नेतृत्व वाले सत्ताधारी दल का एक धड़ा विरोध में खड़ा है.

नैशनल असेंबली की बैठक करते प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली, फोटो साभार ट़वीटर

माई रिपब्लिका की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ‘ओली ने दावा किया है कि सुगौली समझौते के अनुसार महाकाली नदी के पूर्व स्थित ये तीनों क्षेत्र नेपाल के हैं. कूटनीतिक संवाद के जरिये इन्हें भारत से वापस लिया जाएगा. रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया कि 1962 में भारत-चीन जंग के बाद से भारतीय सैनिक जहां तैनात हुए, नेपाल शासकों ने उन क्षेत्रों को कभी हासिल करने का प्रयास नहीं किया.’

चीन के पाले में झुकते ओली

नेपाल में चीन (China) के बढ़ते दखल के कारण प्रधानमंत्री ओली की जबरदस्त आलोचना हो रही है. नेपाल के राजनीतिक हालात पर चीन लगातार नजर बनाए है. वो पीएम ओली और दूसरे धड़े के बीच सुलह के प्रयास में जुटा है. समझौते के लिए पहुंचे चीन के दूत के खिलाफ नेपाल में विरोध-प्रदर्शन किए गए हैं.


नेपाल की संसद भंग, मध्यावधि चुनाव के ऐलान से सियासी भूचाल


नेपाल ने जारी किया था नक्शा

पिछले साल 2020 में नेपाल-भारत के बीच सीमा विवाद सामने आया था. ओली सरकार ने इसे सुलझाए बिना ही एक नया नक्शा जारी कर दिया था, जिसमें भारत के कुछ हिस्सों को नेपाल में दर्शाया गया था. इस सबसे बावजूद ओली सरकार का दावा है कि उनकी सरकार ने भारत-चीन दोनों के साथ द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करने पर जोर दिया है. ये अलग बात है कि अपने कार्यकाल में ओली चीन के ज्यादा निकट रहे हैं.

ऑस्ट्रेलिया में क्रिकेटर मुहम्मद सिराज पर एक बार फ‍िर नस्लीय टिप्पणी, आइसीसी ने निंदा कर मांगी रिपोर्ट

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द लीडर : ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में जारी टेस्ट सीरीज के दरम्यान भारतीय खिलाड़ियों पर नस्लीय भेदभाव से जुड़ी टिप्पणियों का सिलसिला बरकरार है. रविवार को एक बार फिर से गेंदबाज मुहम्मद सिराज को ऐसी ही टिप्पणी का सामना करना पड़ा. सिराज की शिकायत पर कुछ देर के लिए मैच रुक गया. सिडनी में लगातार घटित हो रहीं इन घिनौनी घटनाओं पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC)ने संज्ञान लिया है. आइसीसी ने नस्लीय टिप्पणी की निंदा करते हुए ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट से पूरे मामले की कार्रवाई समेत रिपोर्ट तलब की है. (Racist Comments Siraj Australia)

आइसीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मनु साहनी ने कहा कि, ‘हम क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया और संबंधित अधिकारियों को किसी भी आगामी जांच में पूर्ण समर्थन प्रदान करेंगे. क्योंकि हम अपने खेल में किसी भी तरह के नस्लवाद को बर्दाश्त नहीं करेंगे.’ उन्होंने कहा, हमारे खेल में भेदभाव के लिए कोई स्थान नहीं है. अगर प्रशंसकों को लगता है कि ये घिनौना व्यवहार स्वीकार्य होगा तो वो गलत हैं.

रविवार को ये घटना उस वक्त घटी जब मुहम्मद सिराज स्क्वायर लेग बाउंड्री पर खड़े थे. दर्शक दीर्घा में बैठे ऑस्ट्रेलियाई दर्शकों के बीच से उन पर ये नस्लीय टिप्पणी की गई. सिराज ने इसकी शिकायत साथी खिलाड़ियों से की. इसके बाद सुरक्षाकर्मी दर्शक दीर्घा में गए और टिप्पणी करने वाले व्यक्ति को तलाशने लगे.

बाद में सुरक्षाकर्मियों ने दर्शकों के एक पूरे समूह को बाहर कर दिया. इससे पहले भी इसी सीरीज में सिराज ऐसी टिप्पणियों का सामना कर चुके हैं.

कोच लैंगर बोले शर्मनाक है नस्लीय घटना

ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटरों ने भी इस घटना की निंदा की है. कोच लैंगर ने नस्लीय टिप्पणी को शर्मनाक बताया. वहीं, ऑस्ट्रेलिया की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि यदि आप नस्लवादी दुरुपयोग में शामिल हैं तो ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट में आपका स्वागत नहीं है.


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