Wednesday, October 16, 2024
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देवी-देवताओं पर कथित टिप्पणी के आरोप में कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी को जेल

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मध्यप्रदेश : सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म यू-ट्यूब पर चर्चित हास्य कलाकर (कॉमेडियन) मुनव्वर फारूकी को देवी-देवताओं पर कथित टिप्पणी के आरोप में, मध्यप्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा है. घटनाक्रम इंदौर का है. शुक्रवार की रात मुनरो कैफे में कॉमेडी-शो का आयोजन हुआ. जिसमें फारूकी पर अमर्यादित टिप्पणी का आरोप लगा है. स्थानीय भाजपा नेता मालिनी गौड़ के बेटे एकलव्य सिंह गौड़ जोकि हिंदू रक्षक दल से जुड़े हैं-कि शिकायत पर पुलिस ने फारूकी समेत चार अन्य के खिलाफ कार्रवाई की है. (Comedian Munawwar Farooqui-Jail)

गुजरात के जूनागढ़ निवासी मुनव्वर फारूकी, स्टैंड-अप कॉमेडी करते हैं. यू-ट्यूब पर उनके 5.20 लाख फॉलोअर्स हैं. शुक्रवार को वो मध्यप्रदेश में एक शो के लिए पहुंचे थे. जिसका आयोजन एडविन एंथोनी ने किया था. चूंकि फारूकी अपनी कॉमेडी वीडियो में पहले भी भी देवी-देवताओं का जिक्र करते देखे और सुने जाते रहे हैं.

इसी कारण उनके मध्यप्रदेश आगमन की भनक पर हिंदूवादी नेता सक्रिय हो गए. शो देखने के लिए इन नेताओं ने बाकायदा टिकट खरीदे और कार्यक्रम देखने पहुंच गए. आरोप है कि कार्यक्रम के बीच जब फारूकी ने देवी-देवताओं व गृहमंत्री अमित शाह को जोड़कर कथित रूप से टिप्पणी की, तो नेताओं ने हंगामा काटकर शो बंद करा दिया.


किसान मोर्चा का ऐलान, कानून रद नहीं किए तो 26 जनवरी पर ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर दिल्ली में करेंगे परेड


 

मीडिया रिपोर्ट्स में फारूकी के साथ मारपीट किए जाने की बातें भी सामने आई हैं. बाद में उनके विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराई. पुलिस ने फारूकी के साथ आयोजक एडविन एंथोनी, प्रखर व्यास, प्रियम व्यास और नलिन यादव के खिलाफ धार्मिक भावनाएं भड़काने व महामारी के उल्लंघन की धाराओं में मामला दर्ज किया है. शनिवार को आरोपियों को जेल भेज दिया गया.

मुंबई में रहकर करते कॉमेडी

वर्तमान में मुनव्वर फारूकी मुंबई में रहते हैं और वहीं स्टैंडअप कॉमेडी करते हैं. एफपीआइ की एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते साल अप्रैल में मुंबई के एक हिंदूवादी नेता रमेश सोलंकी ने भी फारूकी के मुंबई पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. सोलंकी ने भी अपनी शिकायत में देवी-देवताओं के अपमान का आरोप लगाया था. (Comedian Munawwar Farooqui-Jail)

किसान मोर्चा का ऐलान, कानून रद नहीं किए तो 26 जनवरी पर ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर दिल्ली में करेंगे परेड

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द लीडर : तीन नये कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ पिछले 38 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों ने बड़ा ऐलान किया है. शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रेस कांफ्रेंस में सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर तीनों कानून रद नहीं हुए तो 26 जनवरी को किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर दिल्ली में परेड करेंगे. आंदोलन का ये व्यापक रूप छह जनवरी से ही शुरू हो जाएगा, जो विभिन्न चरणों में 26 जनवरी तक चलेगा. मोर्चा ने स्पष्ट किया कि कानून रद न होने तक आंदोलन जारी रहेगा. (Kisan 26 January Parade Delhi)

प्रेस कांफ्रेंस में किसान नेता केंद्र सरकार पर हमलावर दिखे. उन्होंने कहा कि, ‘सरकार कॉरपोरेट के दबाव में काम कर रही है.’ अब ये किसान आंदोलन केवल भारत तक सीमित नहीं रहा, बल्कि विश्व भर में पहुंच चुका है. अगर सरकार इसे लंबा खींचती है तो उसे राजनीतिक नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. जैसा कि कुछ शरारती तत्वों को आंदोलन में भेजा जा रहा है. हालांकि किसान नेताओं ने साफ किया कि हमारी मूल मांगें कृषि कानूनों को रद करने की हैं.

मृतक किसानों को शहीद नहीं मानती सरकार

किसान नेताओं ने कहा कि किसान आंदोलन में अब तक करीब 50 किसानों की मौत हो चुकी हैं. ये सभी किसान शहीद हुए हैं, मगर सरकार उन्हें शहीद नहीं मानती. मोर्चा ने कहा कि विभिन्न सरकारों की नव उदारवादी नीति के कारण पिछले 25 सालों में 4 लाख से अधिक किसान आत्महत्या कर चुके हैं. सरकारें वास्तव में किसानों की मौतों का सिलसिला रोकना चाहती है तो उसे एमएसपी की गारंटी देनी चाहिए. (Kisan 26 January Parade Delhi)

पीछे न हटने का भ्रम पैदा कर रखा

किसान नेताओं ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ऐसा भ्रम बना रखा है कि सरकार अपने फैसले से पीछे नहीं हटती है. हालांकि ये सच नहीं है. कई बार सरकार ने अपने फैसले बदले भी हैं. अबकी उसे पीछे हटना ही पड़ेगा.

किसान आंदोलन को लेकर फैलाया जाता झूठ

-किसान आंदोलन से जुड़े प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने कहा कि किसान आंदोलन को लेकर तमाम तरह के झूठ फैलाये जा रहे हैं. यहां स्पष्ट करना चाहता हूं कि ये पूरी तरह से अनुशासनात्मक और व्यवस्थित ढंग से चल रहा है. करीब 32 किसान संगठन के नेताओं की रोजाना बैठक होती है.


किसान आंदोलन में 35 से अधिक मौतें, एक और किसान ने खत्म कर ली जिंदगी


 

26 जनवरी के लिए तैयार रहने की अपील

किसान नेताओं ने आह्वान किया है कि किसान 26 जनवरी के लिए तैयार रहें. कम से कम एक व्यक्ति आंदोलन में शामिल होने दिल्ली आए. जो नहीं आ सकते हैं ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर जिलों में किसान परेड करेंगे. एक प्रश्न के जवाब में किसान नेताओं ने कहा कि इसकी विस्तृत रूपरेखा जारी कर दी जाएगी.

पंचायत चुनाव के बाद होगी यूपी बोर्ड परीक्षा, 14 को फैसला

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द लीडर : उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. सरकार मार्च में चुनाव कराने की तैयारी में है. 15 फरवरी तक चुनाव की अधिसूचना जारी हो जाएगी. राज्य के पंचायती राजमंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी के कहा कि 15 से 30 मार्च के बीच त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होंगे.

हालांकि इस बीच यूपी बोर्ड की परीक्षा भी है. शिक्षा मंत्री डा. दिनेश शर्मा 14 जनवरी को होने वाली बैठक में परीक्षा तिथि पर फैसला करेंगे. चुनाव के लिए मतदाता सूचियां प्रकाशित हो चुकी हैं. फरवरी तक ग्राम प्रधानों के बोर्ड हटाने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी. पंचायती राज विभाग की वेबसाइट पर दर्ज जानकारी के मुताबिक वर्ष 2015 के चुनाव में राज्य में करीब 59,062 ग्राम पंचायतें थीं. इस बार पंचायतों का ये आंकड़ा इस बार बढ़ सकता है.

 

किसान आंदोलन में 35 से अधिक मौतें, एक और किसान ने खत्म कर ली जिंदगी

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द लीडर : दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन (Farmers Protest) बेशक शांतिपूर्ण है. लेकिन उससे दुखद खबरों का सिलसिला जारी है. इस आंदोलन में अब तक करीब 35 से अधिक किसानों की मौत हो चुकी है. शनिवार की सुबह गाजीपुर बॉर्डर पर एक किसान ने शौचालय में फांसी लगाकर जान दे दी. (35 Deaths Farmer Movement)

किसान नेता राकेश टिकैत ने ये जानकारी साझा की है. उन्होंने कहा कि, ‘आज गाजीपुर बॉर्डर पर एक किसान ने आत्महत्या कर जीवन त्याग दिया है. ये किसान बिलासपुर-रामपुर निवासी सरदार कश्मीर सिंह थे. उनकी शहादत पर आंदोलन भूमि से विनम्र श्रद्धांजलि.’

मृतक कश्मीर सिंह के पास से एक सुसाइड नोट भी मिला है. राकेश टिकैत ने कहा कि किसान इस आंदोलन से भावनात्मक रूप से जुड़ चुका है. सरकार सुन नहीं रही. यही वजह है कि ऐसी दुखद घटनाएं सामने आ रही हैं. इससे पहले सिंघु बॉर्डर पर हरियाणा के करनाल के रहने वाले आध्यात्मिक नेता बाबा राम सिंह ने कथित तौर पर खुद को गोली मार ली थी.

मृतक कश्मीर सिंह का फाइल फोटो-साभार,सोशल मीडिया

ठंड से जा रही जानें

दिल्ली में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. आंदोलन में बुजुर्ग, बच्चे और महिलाएं शामिल हैं. आंदोलन स्थल पर कुछ मौतों को ठंड का कारण भी माना गया है. वहीं, कुछ सड़क दुर्घटना और अन्य कारणों से हुई हैं. बहरहाल, जैसे-जैसे आंदोलन में किसानों की मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है. वैसे-वैसे से सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है.

सरकार से बातचीत में नहीं निकल रहा हल

बीते 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर किसान डेरा डाले हैं. वे तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ हैं. उनकी मांग है कि सरकार तीनों कानूनों को रद् करे. अब तक सरकार के साथ किसान नेताओं की छह दौर की बातचीत हो चुकी है. अगली वार्ता 4 जनवरी को प्रस्तावित है.

पिछली बैठक में दो बिंदुओं पर किसान नेता और सरकार के बीच सहमति बनी थी. हालांकि प्रमुख मुद्​दों पर गतिरोध बरकार है. एक दिन पहले ही किसान नेताओं ने बैठक कर स्पष्ट किया था कि 4 जनवरी को मांगें पूरी न हुईं तो आंदोलन को व्यापक रूप दिया जाएगा. (35 Deaths Farmer Movement)


इमरान खान बीजिंग पर फिदा, बोले- दुनिया में जिस देश से सीख सकते हैं, वह चीन है


 

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अपने वजूद की खातिर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के पिता ने मांग ली फ्रांस की नागरिकता

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द लीडर : दुनिया के ताकतवर देशों में शुमार ब्रिटेन गुरुवार की रात यूरोपीय यूनियन से अलग हो गया है. प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के पिता स्टैनली जॉनसन अपने ही बेटे की सरकार के इस फैसले से नाखुश हैं. इस कदर कि उन्होंने फ्रांस की नागरिकता (citizenship) मांगकर दुनिया को चौंका दिया है. (Boris Johnsons Citizenship France)

‘द गार्जियन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक फ्रेंच रेडियो ‘आरटीएल’ के साथ एक साक्षात्कार में स्टैनली ने इस बात की पुष्टि की है कि ब्रिटेन के ब्रेक्जिट संक्रमणकाल की पूर्व संध्या पर एक फ्रांसीसी पासपोर्ट के लिए आवेदन कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘ये फ्रेंच नागरिक बनने का सवाल नहीं है. मैं, अगर ठीक से समझ पाता हूं, तो मैं फ्रेंच ही हूं. मेरी मां फ्रांस में पैदा हुईं. उनकी मां पूरी तरह से फ्रांसीसी हैं, क्योंकि उनके दादा भी थे. मेरे लिये ये वो चीज हासिल करने का सवाल है, जो मैं पहले से हूं. इसको लेकर मैं बेहद खुश हूं. मैं हमेशा यूरोपीय रहूंगा. आप मुझे ब्रितानी नहीं कह सकते.’ (Boris Johnsons Citizenship France)

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन. फोटो, साभार सोशल मीडिया

द गार्जियन के मुताबिक ब्रेक्जिट वोट के बाद से हजारों ब्रिटिशों ने यूरोपीय संघ की नागरिकता हासिल कर ली है. इसके लिए अब तक करीब 3.50 लाख आवेदन हुए हैं.

क्या है ब्रेक्जिट

द्वितीय विश्वयुद्ध खत्म होने के पांच साल बाद फ्रांस और जर्मनी के बीच एक संधि हुई थी. दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ जंग न लड़ने के हस्ताक्षर किये. बाद में यूरोपीय आर्थिक समुदाय का गठन किया गया. इसी को आज यूरोपीय यूनियन के तौर पर जाना जाता है.

साल 1973 में ब्रिटेन इसका सदस्य बना. मौजूदा समय में 27 देश इससे जुड़े हैं. ब्रिटेन में ब्रेेक्जिट को लेकर पिछले कई सालों से कवायद जारी थी. पिछले साल प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इस पर हस्ताक्षर किये थे. इस तरह ब्रिटेन ने संघ से अपना नाता तोड़ लिया है.


भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सदस्य की जिम्मेदारी संभाली


सदस्य देशों में नागरिकता का हक खोया

यूरोपीय संघ के नागरिकों के पास सभी देश 27 देशों में बिना नागरिकता लिये रहने का था. वे वहां काम भी कर सकते थे. संघ से बाहार होने के बाद अब ब्रिटेन के नागरिकों को इन देशों में रहने के लिए नागरिकता की जरूरत पड़ेगी.

ब्रेक्जिट के खिलाफ अभियान चला चुके स्टैनली

बोरिस जॉनसन के पिता स्टैनली यूरोपीय आर्थिक समुदाय ()के लिए बतौर सिविल सेवक काम कर चुके हैं. वर्ष 2016 में वे संघ में बने रहने के लिए ब्रिटेन में अभियान भी चला चुके हैं. हालांकि फ्रांस की नागरिकता लेने के उनके इस फैसले ने एक बार फिर दुनियां का ध्यान इस मुद्​दे की तरफ खींचा है. (Boris Johnsons Citizenship France)

 

भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सदस्य की जिम्मेदारी संभाली

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द लीडर : भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC)में अस्थायी सदस्य की जिम्मेदारी संभाल ली है. दो साल का कार्यकाल होगा. भारत पहली बार 1950 में सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य बना था. तब से लेकर अब तक आठवीं बार ये जिम्मेदारी उठा रहा है. अगस्त में भारत को परिषद की अध्यक्षता मिलने वाली है. (India UN Security Council)

संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) में भारत के स्थायी सदस्य टीएस त्रिमूर्ति ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा, ‘भारत दुनिया भर में आतंकवाद से लड़ने पर जोर देगा. और आतंक को संरक्षण देने वाली ताकतों की साजिश बेनकाब करेगा. उन्होंने एशिया महाद्वीप में चीन की विस्तारवादी नीति पर चर्चा करते हुए कहा कि 21वीं सदी में किसी भी देश का ये रवैया नहीं चल सकता. त्रिमूर्ति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास की अवधारणा के मानव केंद्रित रूप का जिक्र करते हुए कहा कि विकास का फोकस पूरी इंसानियत का कल्याण होना चाहिए. ‘

फरवरी में हुई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक. फाइल फोटो, साभार-अटलांटिक काउंसिल की वेबसाइट.

15 सदस्सीय सुरक्षा परिषद में भारत के अलावा जो देश अस्थायी सदस्य बने हैं. उनमें नार्वे, मेक्सिको, केन्या और आयरलैंड शामिल हैं. संयुक्त राष्ट्र की सबसे शक्तिशाली परिषद के लिए बीते साल हुए चुनाव में भारत को 192 में से 184 वोट मिले थे. जीत के लिए निर्धारित 128 वोटों से ये आंकड़ा कहीं अधिक था. भारत 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य बना था.

चीन के साथ सीमा विवाद में गुजरा साल

चीन अपनी विस्तारवादी नीति की राह पर चल रहा है. बीते 2020 में पूरे साल भारती की सीमाओं में घुसपैठ की कोशिश में लगा रहा. भारतीय सैनिकों के साथ संघर्ष भी हुआ. सुरक्षा परषद में भारत के सदस्य बनने से चीन की चाल थमने का भी अनुमान लगाया जा रहा है.


भीमा कोरेगांव युद्ध, जिसकी यादगार में जश्न पर भड़क उठी थी हिंसा


कितनी ताकतवर है सुरक्षा परिषद

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र संघ के छह प्रमुख घटकों में से एक है. इसका प्रमुख काम दुनिया भर में शांति और सुरक्षा स्थापित करना है. इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र संघ में नये देशों को शामिल करना और चार्टर में बदलाव करना है. ये दुनिया के विभिन्न देशों में शांति मिशन भेजता है. अगर किसी देश में सैन्य कार्रवाई की जरूरत होती है, तो परिषद के प्रस्ताव के बाद वहां सैनिक भेजे जाते हैं. India UN Security Council

दो साल में 7000 घट गई मुख्यमंत्री नितीश कुमार की नकदी, अब बचे केवल 35 हजार रुपये

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बिहार : सुशासन बाबू के नाम से मशहूर बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार के पास मात्र 35 हजार रुपये की नकदी है. खास बात ये है कि उनकी ये नकद धनराशि साल दर साल घटती जा रही है. साल 2018 में जहां नितीश कुमार के पास 42 हजार रुपये थे. वो साल 2019 में घटकर 38,000 हजार रह गए. वर्ष 2020 में नितीश ने अपनी संपत्ति की घोेषणा की है. इसके मुताबिक अब उनके पास केवल 35 हजार रुपये बचे हैं. दिलचस्प बात ये है कि नितीश कुमार की अपेक्षा उनके बेटे निशांत कुमार काफी अमीर हैं.

क्षेत्र में निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री नितीश कुमार. फोटो साभार ट्वीटर

हालांकि निशांत के पास पिता नितीश कुमार की अपेक्षा नकदी कम ही है. उनके पास केवल 28 हजार रुपये नकद हैं. मगर उनके बैंक खातों में एक करोड़ से अधिक की जमा और फिक्सड डिपॉजिट हैं. निशांत के अमीर होने की एक वजह पैतृक संपत्ति का उनके नाम पर होना है.



 

कैबिनेट विभाग की वेबसाइट पर दर्ज विवरण के मुताबिक नितीश कुमार के पास 11.32 लाख रुपये की एक फोर्ड कार है. वहीं, निशांत के पास हुंडाई कार है, जिसकी कीमत 6.40 लाख रुपये है. जेवरात के मामले में भी निशांत पिता से रईस हैं. उनके पास 20,73,500 रुपये के गहने हैं. जबकि नितीश कुमार के पास 98 हजार रुपये की तीन अंगूठियां हैं.

 

4 मई से होंगी सीबीएसई हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं

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नई दिल्ली : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद (सीबीएसई) की 10वीं और 12वीं कक्षा की परीक्षाएं 4 मई से शुरू होकर 10 जून तक चलेंगी. 15 जुलाई तक रिजल्ट घोषित हो जाएगा. गुरुवार को केंद्रीय शिक्षामंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने सीबीएसई की स्कीम जारी कर दी है. परीक्षा ऑफलाइन ही होगी. एक मार्च से प्रैक्टिकल प्रारंभ हो जाएंगे. (CBSE Exam high-school Intermediate)

शिक्षा मंत्री ने बीते सत्र में कोरोना महामारी के बीच परीक्षा कराने को लेकर छात्र, शिक्षक और अभिभावकों की सराहना की है.

उन्होंने कहा कि विकराल महामारी के बावजूद भारत की शैक्षणिक गतिविधियां चरमराई नहीं. बल्कि पूरी ताकत के साथ खड़ी रहीं. सफल परीक्षा आयोजन ने दुनिया के सामने मिसाल पेश की है.

उन्होंने कहा कि देश में 1.10 करोड़ शिक्षक हैं. वहीं, अमेरिका की आबादी के बराबर यानी करीब 35 करोड़ संख्या हमारे छात्रों की है.

बीते सत्र में जब पूरी दुनिया के छात्रों का एक साल खराब हो गया. तब हमारे शिक्षक-छात्र मनोबल और धैर्य से अपने कीमती समय को बचाने में कामयाब रहे.


अयोध्या में छात्रसंघ चुनाव की मांग उठाने वाले छात्रों पर देशद्रोह का मामला दर्ज


25 करोड़ छात्र ऑनलाइन शिक्षा से जुड़े

शिक्षा मंत्री ने डिजिटल इंडिया का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री का ये विजन कोरोनाकाल में काम आया. देश के करीब 25 करोड़ छात्र ऑनलाइन शिक्षा से जुड़े.

हालांकि स्मार्टफोन न होने के कारण कुछ छात्र इससे नहीं जुड़ सके. टीवी-रेडियो के माध्यम से उनकी पढ़ाई का बंदोवस्त किया गया. श्री निशंक ने छात्रों से दीक्षा एप डाउनलोड करने का आह्वान किया है.

इस बार 30 प्रतिशत सिलेबस कम

महामारी में सीबीएसई ने अपने सिलेबस में 30 प्रतिशत की कटौती की थी. यानी परीक्षा में 70 प्रतिशत पाठ्यक्रम से ही प्रश्न पूछे जाएंगे. इससे छात्रों को पाठ्यक्रम कवर करने में सहूलियत होगी. अपने संबोधन में शिक्षा मंत्री ने नई शिक्षा नीति को विश्व में सबसे बड़े सुधार की दिशा में उठाया गया कदम बताया. (CBSE Exam high-school Intermediate)

बंगाल में टीएमसी के युवा नेता के ठिकानों पर सीबीआई का छापा

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बंगाल : पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (TMC)और भारतीय जनता पार्टी (BJP)के बीच छिड़े राजनीतिक घमासान के बीच राज्य में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की एंट्री हो गई है. गुरुवार को सीबीआइ ने टीएमसी युवा संगठन के महासचिव विनय मिश्रा के ठिकानों पर छापा मारा. ये कार्रवाई ऐसे समय सामने आई है, जब टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए शुभेंदु अधिकारी के एक बयान पर पलटवार करते हुए कहा था कि न तो मैं नारद स्टिंग और न ही शारदा घोटाले में शामिल हूं. (Bengal CBI Raids TMC)

अगर आप ये साबित कर दें कि मैं वसूली जैसे कामों में रहा, तो अदालत में किसी भी सजा के लिए तैयार हूं. इतना ही नहीं बनर्जी ने चुनौती देते हु कहा था कि अगर आपमें हिम्मत है, तो मेरे पीछे सीबीआइ और ईडी को लगा दें.

अभिषेक बनर्जी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे हैं. वे डायमंड हर्बर लोकसभा सीट से सांसद हैं. जिस विनय मिश्रा के ठिकानों पर सीबीआइ ने रेड मारी है. वो अभिषेक बनर्जी के करीबियों में माने जाते हैं. विनय मिश्रा पर पशु तस्करी और कोयला चोरी के आरोप समेत अन्य मामलों में सीबीआइ जांच कर रही है. (Bengal CBI Raids TMC)


कृषि कानूनों के खिलाफ केरल विधानसभा में प्रस्ताव पेश, चर्चा जारी


 

भाजपा नेता कैलाश विजवर्गीय ट्वीट किया, ‘बंगाल के पॉवर ब्रोकर विनय मिश्रा के यहां सीबीआइ के छापे के बाद बंगाल के उच्च अधिकारियों की आपातकालीन बैठक और मुख्यमंत्री एवं भाईपों के यहां हलचल, प्रदेश में चर्चा का विषय है.’

बंगाल में भाजपा और टीएमसी के बीच राजनीतिक जंग छिड़ी है. शुभेंदु अधिकारी के भाजपा में शामिल होने के बाद ये और दिलचस्प हो गई है. इसलिए क्योंकि शुभेंदु और अभिषेक के बीच पार्टी में रहते हुए भी मतभेद सामने आते रहे हैं. भाजपा में शामिल होने के बाद से शुभेंदु लगातार टीएमसी पर हमलवार हैं. (Bengal CBI Raids TMC)

राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. ये सारी उठापटक उसी को लेकर जारी है. गत दिनों टीएमसी सांसदों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखा था. सांसदों ने राष्ट्रपति से राज्यपाल को हटाने की मांग की थी.