Thursday, October 17, 2024
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बसपा सुप्रीमो मायावती का दिल्ली, महाराष्ट्र, पंजाब और हरियाणा की सरकारों पर हमला,कहा – सरकारे अपनी कमियां छुपाने के लिए कर रही नाटकबाजी

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लखनऊ । उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने श्रमिकों के पलायन का मुद्दा उठाते हुए दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर हमला बोला है। दिल्ली की सरकार के साथ ही महाराष्ट्र, हरियाणा और पंजाब की सरकारों पर भी निशाना साधा।मायावती ने शनिवार को ट्वीट करते हुए कहा कि ‘हाथ जोड़कर दिल्ली के सीएम का यह कहना कि दिल्ली से लोग पलायन न करें, यही नाटक कोरोना के दौरान पहले भी किया था और इस बार भी।’

बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने शनिवार को एक के बाद एक तीन ट्वीट किए हैं। मायावती ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘केवल हाथ जोड़कर दिल्ली के सीएम का यह कहना कि दिल्ली से लोग पलायन न करें, यही नाटक कोरोना के दौरान पहले भी किया गया था। यह सब अब महाराष्ट्र, हरियाणा व पंजाब आदि राज्यों में भी देखने के लिए मिल रहा है। अब पंजाब में लुधियाना से भी लोग काफी पलायन कर रहे हैं, यह अति-दुःखद।’

‘यदि यहां कि राज्य सरकारें इनमें विश्वास पैदा करके इनकी जरूरतों को समय से पूरा कर देतीं तो फिर ये लोग पलायन नहीं करते और अब यहां कि राज्य सरकारें इस मामले में अपनी कमियों को छिपाने हेतु किस्म-किस्म की नाटकबाजी कर रही हैं, यह किसी से छिपा नहीं है।’ मायावती ने आगे कहा कि, ‘पूरे देश में सर्वसमाज में से खासकर गरीबों, दलितों व आदिवासी समाज के लोगों को ‘फ्री’ में वैक्सीन दी जानी चाहिये। इसके साथ-साथ, ऐसे समय में इनकी आर्थिक मदद भी जरूर की जानी चाहिये। बीएसपी की केन्द्र व सभी राज्य सरकारों से भी पुनः यह मांग।’

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क्या मद्रास हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद चुनाव आयोग को अपने अधिवक्ता मोहित डीराम के इस्तीफे से दूसरा बड़ा आघात लगा

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द लीडर : भारत के चुनाव आयोग के एक अधिवक्ता मोहित डीराम ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. ये कहते हुए कि उनके आदर्श, आयोग की मौजूदा कामकाज की शैली से मेल नहीं खाते हैं. मैं सुप्रीमकोर्ट के सामने आयोग के अधिवक्ता पैनल की जिम्मेदारियों से खुद को आजाद करता हूं. मोहित डीराम सुप्रीमकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं. और लंबे समय से आयोग का कानूनी कामकाज देख रहे थे.

उनका इस्तीफा ऐसे समय आया है, जब निर्वाचन आयोग अपनी प्रतिष्ठा को बरकरार रखने को जूझ रहा है. हाल ही में मद्रास हाईकोर्ट ने इलेक्शन कमीशन पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि विधानसभा चुनाव में कोविड-प्रोटेकॉल का पालन नहीं हुआ है. इसके लिए अयोग के अधिकारियों पर हत्या का हत्या का केस चलाया जाना चाहिए.

भारतीय निर्वाचन प्रक्रिया के इतिहास में चुनाव आयोग पर अब तक की ये सबसे सख्त टिप्पणी मानी जा रही है. यही वजह है कि मद्रास हाईकोर्ट की इस मौखिक टिप्पणी को हटाए जाने के लिए आयोग सुप्रीमकोर्ट पहुंचा. लेकिन सुप्रीमकोर्ट ने हाईकोर्ट की टिप्पणी पर दखल से इनकार कर दिया. ये कहते हुए कि हाईकोर्ट और चुनाव आयोग. दोनों संवैधानिक संस्थाएं हैं.


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हाल ही में पांच राज्यों, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, असम और पुडुचेरी के विधानसभा चुनाव संपन्न हुए हैं. इन चुनावों में राजनैतिक दल आयोग पर लगातार हमलावर रहे. खासतौर से पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस लगातार आयोग की भूमिका पर सवाल उठाती रही. पहले बंगाल में 8 चरणों में चुनाव कराने को लेकर आयोग की आलोचना हुई और मामला कोर्ट तक पहुंचा.

बाद में चुनाव के दौरान हिंसा और बंगाल व असम में मतपेटियां राजनेताओं के वाहनों में पकड़े जाने को लेकर भी आयोग को आलोचना का सामना करना पड़ा था. नंदीग्राम विधानसभा सीट से बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भाजपा के शुभेंदु अधिकारी से हार का सामना करना पड़ा था. इस सीट पर टीएमसी ने मतों की गिनती में भी गड़बड़ी का आरोप लगाया था.

ऐसे माहौल में आयोग के एक अधिवक्ता का अपने पद से इस्तीफा देना और ये कहते हुए कि उनके मूल्य आयोग की कार्यशैली से मेल नहीं खाते हैं. निश्चित रूप से आयोग की साख के लिए गहरा आघात है.


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आज लोग भारत के 10वें चुनाव आयुक्त रहे टीएन शेषन के कार्यकाल को याद कर रहे हैं, जिन्हें भारतीय चुनाव प्रक्रिया में सुधार के नायक के रूप में जाना जाता है. टीएन शेषन के जमाने में राजनैतिक दल चुनाव आयोग के सामने सहमे नजर आते थे. वह पहले ऐसे आयुक्त माने जाते हैं, जिन्होंने आयोग की स्वतंत्र ताकत का भरपूर इस्तेमाल किया था. लेकिन आज आयोग जिस स्थिति में है, उस पर आए दिन बुद्धिजीवियों की चिंताएं सामने आती रहती हैं.

अल अक्सा मस्जिद में नमाज के दौरान इजरायली सैनिकों ने फिलिस्तीनियों पर दागे रबड़ के गोले, 180 नमाजी जख्मी

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द लीडर : फिलिस्तीनियों पर इजरायल का जुल्म जारी है. अलविदा के रोज भड़की हिंसा अल-अक्सा मस्जिद के अंदर तक पहुंच गई. यहां नमाज अदा करने आए करीब 180 फिलिस्तीनी नागरिक इजरायली सैनिकों की कार्रवाई में घायल हुए हैं. जिसमें 18 गंभीर रूप से जख्मी हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. द फिलिस्तीन रेड क्रिसेंट इमरजेंसी सर्विस ने भी अपने नागरिकों के घायल होने की पुष्टि की है.

अल अक्सा मुसलमानों की ऐतिहासिक मस्जिद है. यहां शुक्रवार की शाम को नमाज से पहले विवाद हुआ, जो बाद में मस्जिद तक पहुंच गया. इजरायली सैनिकों ने मस्जिद के अंदर मौजूद फिलिस्तीनियों पर आंसू गैस, रबड़ बुलेट दागे. जिसमें कईयों के आंख, चेहरे पर चोटें पहुंची हैं. अल अक्सा के अंदर झड़प के कुछ वीडियो भी सामने आए हैं.

एसोसिएट प्रेस के मुताबिक हिंसा में इजरायल सेना के छह सैनिक भी घायल हुए हैं. विवाद की शुरुआत शेख जर्राह से हुई्. ये येरुशलम का पूर्वी हिस्सा है. यहां इजरायली और फिलीस्तीनी नागरिकों में झड़प हो गई. यही विवाद क्षेत्र के अन्य हिस्सों तक जा पहुंचा.


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दरअसल, येरुशलम विवादित क्षेत्र है, जो इजरायल के कब्जे में है और फिलिस्तीन अपना हक जता रहा है. इसी हिस्से को लेकर अब तक हजारों बेकसूर लोग मारे जा चुके हैं और जो आए दिन हिंसा का सबब भी बनता रहता है. बहरहाल घटना पर संयुक्त राष्ट्र संघ के अलावा दुनिया के अन्य देशों ने भी संज्ञान लिया और इजरायल व फिलिस्तीन से शांति बनाए रखने की अपील की है.

मिस्र के विदेश मंत्रालय ने मस्जिद के अंदर हिंसा की कड़ी निंदा की है. और उन्होंने इजरायल से फिलिस्तीनी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा किए जाने की अपील की है. मंत्रालय के प्रवक्ता अहमद हफीज ने कहा कि फिलिस्तीन के अधिकार क्षेत्र वाले क्षेत्र में अवैध रूप धमकी दी जा रही है. जो अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करता है और दो राज्यों के समाधान तक पहुंचने को रोकता है. उन्होंने क्षेत्र की सुरक्षा और स्थितरता के प्रति खतरे का अंदेशा भी जताया है.


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अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रविवार को फिर से हिंसा भड़कने की आशंका है. इसलिए क्योंकि ये तारीख इस्लामिक कैलेंडर की महत्वपूर्ण रात है, जिसे डेस्टिनी ऑफ नाइट के रूप में जाना जाता है. इस दिन फिलिस्तीनी नागरिक अल अक्सा मस्जिद में एकत्र होंगे और नमाज अदा करेंगे. ये येरुशलम दिवस की शुरुआत भी है. इसी दिन इजरायल में राष्ट्रीय अवकाश भी है.

फिलिस्तीनियों पर इजरायली सेना की बबर्रता को लेकर दुनिया भर के मुस्लिम जगत से विरोध दर्ज कराया जा रहा है. और कूटनीतिक स्तर पर भी शांति व्यवस्था बनाए रखने की कोशिशें चल रही हैं.

तीन-चार माह में पूरे प्रदेश में टीकाकरण का कार्य पूरा करे सरकार, तभी मिलेगा लाभ : इलाहाबाद हाईकोर्ट

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द लीडर । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से कहा है कि कोराना संक्रमण पर जल्दी काबू पाने के लिए वैक्सीन खरीदने की लंबी टेंडर प्रक्रिया अपनाने के बजाए वैक्सीन निर्माताओं से भारतीय राजनयिक के जरिये सीधा संवाद करे। कोर्ट ने कहा कि पूरे प्रदेश में टीकाकरण का कार्य तीन से चार माह में पूरा कर लिया जाए तभी इसका लाभ मिलेगा। अन्यथा तेजी से फैल रहे संक्रमण और तीसरी लहर की आशंका के बीच अब तक किया गया प्रयास निरर्थक हो जाएगा।

कोर्ट ने अंतरराष्ट्रीय बाजार से टीके खरीदने का रास्ता सुझाया है और पूछा है कि इस प्रक्रिया को सरकार कैसे अंजाम देगी। कोर्ट ने टीकाकरण कार्यक्रम पर भी अगली सुनवाई पर योजना मांगी है। याचिका की सुनवाई 11 मई को होगी।
अदालत ने प्रदेश में जमाखोरों से जब्त किए गए रेमडेसिविर इंजेक्शन और अन्य जीवन रक्षक दवाओं को जल्द रिलीज करने के लिए प्रदेश के सभी न्यायिक मजिस्ट्रेट को मामलों का तीन दिन में निस्तारण करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने डीजीपी यूपी को भी निर्देश दिया है कि वह सर्कुलर जारी कर सभी पुलिस अधिकारियों को निर्देश दें कि जब्त की गई दवाओं को रिलीज कराने के लिए 24 घंटे के भीतर संबंधित मजिस्ट्रेट से संपर्क करें। कोर्ट ने प्रदेश सरकार को नसीहत दी है कि संक्रमण की दर में भले ही कमी आ रही है मगर यह आराम से बैठने का समय नहीं है। तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर स्वास्थ्य ढांचे को और मजबूत करने की जरूरत है।
मेरठ के डीएम ने मौतों के मामले की सही तरीके से नहीं की जांच
कोराना संक्रमण पर स्वप्रेरित जनहित याचिका की सुनवाई कर रही जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजीत कुमार की पीठ ने मेरठ के ट्रॉमा सेंटर में ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई मौतों के मामले में डीएम मेरठ की ओर से पेश रिपोर्ट पर असंतोष जताया है। वीडियो कांफ्रेंसिंग से हाजिर हुए डीएम मेरठ ने कोर्ट को बताया कि मौतें ऑक्सीजन की कमी से नहीं किसी अन्य वजह से हुई हैं। हालांकि वह पीठ के इस सवाल का जवाब नहीं दे सके कि मौतें किस वजह से हुई हैं और उस दिन सेंटर में कितनी ऑक्सीजन उपलब्ध थी। कोर्ट ने कहा कि स्पष्ट है कि डीएम ने सही तरीके से जांच नहीं की है, जबकि मामले पर न्यायिक स्तर से संज्ञान लेने के बाद उनको ऐसा करना चाहिए था। कोर्ट ने डीएम को प्रकरण की विस्तृत जांच कर अगली सुनवाई पर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
लखनऊ के दो अस्पतालों में ऑक्सीजन होने के बावजूद मरीजों को लौटाने के मामले में डीएम लखनऊ ने हलफनामा पेश कर कोर्ट को बताया कि सन हॉस्पिटल की जांच में आरोपों को सही पाया गया है। उन्होंने ऑक्सीजन होने के बावजूद मरीजों को लौटाया। इसके लिए अस्पताल को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। दूसरे अस्पताल हर्ष हास्पिटल ने कोविड अस्पताल न होने के बावजूद गलत तरीके से कोविड मरीजों को भर्ती किया है। कोर्ट ने अगली तारीख पर इन अस्पतालों पर की गई कार्रवाई से अवगत कराने का निर्देश दिया है। डीएम ने बताया कि ऑक्सीजन की आपूर्ति पर नजर रखने के लिए एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की गई है।
प्रदेश में पर्याप्त ऑक्सीजन 
सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया एसवी राजू ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश में ऑक्सीजन का कोई संकट नहीं है। मांग और आपूर्ति की मामूली दिक्कत थी मगर इतनी नहीं कि इसकी कमी से किसी की जान चली जाए। अब यूपी में पर्याप्त ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है। उन्होंने बताया कि मई 2021 में साढ़े आठ करोड़ वैक्सीन उपलब्ध है। केंद्र सरकार के पास वैक्सीन के मद में 35 हजार करोड़ रुपये का बजट उपलब्ध है। को वैक्सीन और कोविडशील्ड के अलावा और वैक्सीन बाहर से खरीदने के लिए सरकार ने वैक्सीनों के इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए नियमों में ढील दी है। वैक्सीन बाजार में उपलब्ध होगी और इसे कोई भी खरीद सकता है। इस पर कोर्ट ने अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल से प्रदेश सरकार का स्टैंड पूछा। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार ने पहले ही ग्लोबल टेंडर जारी कर चुकी है।
जल्दी टीकाकरण न हुुआ तो वैक्सीन होगी बेअसर
कोर्ट ने कहा कि सरकार टेंडर की लंबी प्रक्रिया अपनाने के बजाय सीधे इसकी खरीद का प्रयास करे क्योंकि जिस प्रकार से संक्रमण फैल रहा है और तीसरी लहर आने की आशंका बनी है। वायरस का म्यूटेशन इतना तेज होगा यह वैक्सीन के प्रभाव को निष्प्रभावी कर देगा। ऐसे में अब तक किए गए सभी प्रयासों का इच्छित परिणाम नहीं मिल सकेगा। कोर्ट ने सरकार को वैक्सीन शीघ्र हासिल करने का रास्ता खोजने के लिए कहा है।
चुनाव ड्यूटी में 77 कर्मचारियों की गई जान
निर्वाचन आयोग के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि अब तक प्राप्त 28 जिलों की रिपोर्ट में 77 सरकारी कर्मचारियों की चुनाव ड्यूटी की वजह से मौत की जानकारी प्राप्त हुई है। अन्य जिलों का डाटा अभी प्राप्त नहीं हुआ है। अगली सुनवाई पर पेश किया जाएगा। आयोग की ओर से मतगणना की सीसीटीवी रिकार्डिंग भी पेश की गई। पूरी रिपोर्ट देने के लिए और समय मांगा है। कोर्ट को बताया गया कि कोराना से मरने वाले कर्मचारियों को सरकार ने 30 लाख रुपये मुआवजा देने का निर्णय लिया है।
ग्रामीण इलाकों में संक्रमण रोकने की योजना बताए सरकार
अधिवक्ता अनुज सिंह ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। सरकार का ध्यान बड़े शहरों पर ही केंद्रित है। कोर्ट ने अगली तारीख पर सरकार को ग्रामीण इलाकों और कस्बों में संक्रमण की रोकथाम पर अपनी योजना प्रस्तुत करने के लिए कहा है। दिव्यांग जनों के लिए टीकाकरण कार्यक्रम पर भी अगली सुनवाई पर योजना मांगी है। याचिका की सुनवाई 11 मई को होगी।
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MP सुब्रमण्यम स्वामी की भाजपा को सलाह-कार्यालय को अस्पताल के रूप में बदलें और भारत-चीन सीमा पर रखें चौकसी

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द लीडर : भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी PM नरेंद्र मोदी सरकार के सबसे मुखर आलोचकों में से एक हैं. मोदी-शाह की भाजपा में स्वामी के सिवा कोई दूसरा नेता नहीं है, जो अपनी ही सरकार की नीतियों की खुलकर आलोचना करता हो. उनके बयानों से कई बार पार्टी असहज भी हुई है. शुक्रवार को स्वामी ने एक ऐसी ही खबर का लिंक अपने ट्वीटर हैंडल पर शेयर किया है. जिसका शीर्षक है-”नरेंद्र मोदी द्वारा लाई तबाही भारत को घुटनों पर ले आई”.

इतना ही नहीं उन्होंने लिखा कि पीएमओ को फेक आइडी पर पैसा बहाने के बजाय ऐसी आलोचना का जवाब देना चाहिए. इसके साथ ही स्वामी ने शुक्रवार को पार्टी और सरकार को दो मशविरे दिए हैं. इसमें एक है कि दिल्ली स्थित भाजपा के कार्यालय को कोविड महामारी में उपचार के लिए दे देना चाहिए.


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स्वामी ने कहा कि कोरोना महामारी से पैदा हुए हालात के मद्देनजर मेरा सुझाव है कि दिल्ली में पार्टी के आठ मंजिला भवन के छह फ्लोर को अस्पताल के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है. बीजेपी के पास अभी अशोका रोड स्थित सरकारी बंगलों में पुराने कार्यालय हैं. पार्टी के लिए उनका इस्तेमाल किया जा सकता है.

दरअसल, भाजपा के देश के विभिन्न शहरों और जिलों में पार्टी कार्यालय हैं. कोरोना की दूसरी लहर में लगातार ये बात उठती रही है कि भाजपा को अपने पार्टी कार्यालयों को अस्पताल के रूप में परिवर्तित करना चाहिए. इसी आवाज को अब स्वामी ने उठाया है.


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उनकी दूसरी सलाह है भारत-चीन सीमा सुरक्षा की. स्वामी ने लिखा कि मुझे सूचित करना चाहिए कि संकट की इस घड़ी में चीन ने निकट भविष्य में हमले के लिए एलएसी के पार लद्दाख में अतिरिक्त पीएलए सैनिकों को भेजा है. हमारी सेना भी पूरी तरह से मुस्तैदा है और हम भी तैयार हैं. लेकिन हमें चीनी निकासी के बिना कैलाश रेंज को कभी नहीं छोड़ना चाहिए.

स्वामी ने अपने इस सुझाव के साथ एक खबर का लिंक भी साझा किया है. जिसमें भारत-चीन सीमा पर चीनी सैनिकों की सक्रियता का जिक्र किया गया है. इससे एक दिन पहले स्वामी ने पीएमओ के अधिकारियों को निशाने पर लिया था. और उन्हें सनकी तक कह दिया था.

सुब्रमण्यम स्वामी पीएमओ के अधिकारियों पर लगातार हमलवार हैं. पहले भी वे पीएमओं के अधिकारियों की मिलीभगत से अपनी छवि को खराब किए जाने का आरोप लगा चुके हैं.

 

 

शासन से तय शुल्क से कई गुना ज्यादा शुल्क लेन वाले निजी अस्पतालों को ब्याज सहित करना पड़ेगा वापस : सीएम योगी

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लखनऊ। कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बढ़ते प्रकोप को कम करने के प्रयास में लगे सीएम योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को अपने सरकारी आवास पर टीम-9 के सदस्यों के साथ समीक्षा बैठक की। सीएम योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को वर्चुअल बैठक नहीं की, बल्कि अधिकारियों के साथ बैठे और बचाव के एक-एक बिंदु पर विस्तार से चर्चा भी की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार कोरोना वायरस से संक्रमित सभी लोगों को अपेक्षित सुविधा प्रदान करने में लगी है। मेडिकल ऑक्सीजन के साथ ही दवा और अस्पतालों में कोविड बेड का भी इंतजाम किया गया है। इसके बाद भी इन सुविधाओं में बाधा बनने वालों के खिलाफ सरकार बेहद ही सख्त कार्रवाई करेगी। उन्होंने कहा कि पता चला है कि विभिन्न जनपदों में कतिपय निजी अस्पतालों ने बेड के साथ ही दवा तथा ऑक्सीजन आदि का कृत्रिम अभाव पैदा करने का प्रयास किया है। इनके खिलाफ बेहद ही सख्त कार्रवाई की जा रही है। कुछ निजी अस्पतालों ने शासन से तय शुल्क दर से कई गुना अधिक की वसूली की है। इनको तो मरीज और तीमारदार को अब ब्याज के साथ पैसा वापस करना ही पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि इस बीच में जो हो रहा है यह कतई उचित नहीं है। इस प्रकार की गतिविधियां आपराधिक हैं। कुछ जिलों में इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है। इसके साथ ही सभी डीएम/सीएमओ ऐसे अस्पतालों पर नजर रखें और सख्ती के साथ यथोचित कार्रवाई करें। मरीज और उसके परिवार के लोगों का किसी भी प्रकार उत्पीडऩ स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं शासन के स्पष्ट निर्देशों के बाद भी कई कोविड अस्पताल न तो संक्रमित के स्वजन को उनके स्वास्थ्य की दैनिक जानकारी दे रहे हैं और न ही खाली बेड्स की संख्या सार्वजनिक कर रहे हैं। डीएम/सीएमओ ऐसे अस्पतालों से वार्ता कर व्यवस्था ठीक कराएं अन्यथा की दशा में कार्रवाई सुनिश्चित करें। चिकित्सा शिक्षा मंत्री स्तर से ऐसे अस्पतालों की निगरानी की जाए। अब तो एल-01 एल-02 एल-03 बेड्स की जनपदवार समीक्षा की जाए।

 

कहीं भी कम न हो मेडिकल ऑक्सीजन: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोविड-19 प्रबंधन के लिए गठित टीम को निर्देश दिया कि प्रदेश में सभी जिलों को जरूरत के अनुसार ऑक्सीजन की आपूॢत सुनिश्चित कराने के लिए सभी आवश्यक प्रबन्ध किये जा रहे हैं। भारत सरकार से हमें लगातार सहयोग प्राप्त हो रहा है। छह मई को दिन पहले 1032 मीट्रिक टन का वितरण किया गया। इसमें केवल रीफलर के माध्यम से ही 612 एमटी की आपूॢत प्रदेश में की गई। अब वाराणसी में जल्द क्रियाशील हो रहे डीआरडीओ के कोविड अस्पताल को ट्रायल के लिए 10 एमटी ऑक्सीजन उपलब्ध कराई गई। इनकी अन्य आवश्यकताओं की भी पूॢत की जाए। कल तक जामनगर (गुजरात) से 80 टन ऑक्सीजन के प्रदेश में और जायेगा।

दो ऑक्सीजन एक्सप्रेस आज रात्रि तक और आ रही हैं। अपर मुख्य सचिव गृह के स्तर से सभी जिलों की जरूरत को देखते हुए एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की जाए। ऑक्सिजन वेस्टेज को न्यून्तम रखने और आपूॢत बढाने के लिये सभी जरूरी प्रयास किए जाएं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में 89 टैंकर ऑक्सीजन से सम्बंधित कार्य में क्रियाशील हैं। भारत सरकार ने प्रदेश को 400 मीट्रिक टन के टैंकर दिए हैं। रिलायंस और अडानी जैसे निजी औद्योगिक समूहों की ओर से हमको टैंकर उपलब्ध कराए गए हैं। ऑक्सीजन के संबंध में टैंकरों की संख्या और बढ़ाये जाने की जरूरत है। इसके साथ ही अब तो क्रायोजेनिक टैंकरों के संबंध में ग्लोबल टेंडर जारी करने की कार्यवाही कल तक पूरी कर ली जाए।

प्रभावित न हो होम आइसोलेशन वाले संक्रमित व नॉन कोविड मरीज: मुख्यमंत्री ने कहा कि अब वरीयता पर होम आइसोलेशन व नॉन कोविड मरीजों को भी ऑक्सीजन की आपूॢत आवश्यकतानुसार सुनिश्चित कराई जाए। कई जिलों ने इस दिशा में अच्छा काम किया है। ऐसे ही सभी जिलों में होम आइसोलेशन के मरीजों को ऑन डिमांड ऑक्सीजन की आपूॢत की व्यवस्था कराई जाए। इसके लिए एक सिस्टम तैयार करें।

 

लगातार बढ़ रही ऑक्सीजन की उपलब्धता: सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ाने के लिए सभी जरूरी प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें हम सफल भी हैं। अब भविष्य की जरूरतों के दृष्टिगत प्रदेश के सभी जिलों में ऑक्सीजन की उपलब्धता के लिए ऑक्सीजन प्लांट स्थापित हो रहे हैं। भारत सरकार, राज्य सरकार और निजी क्षेत्र ऑक्सीजन प्लांट स्थापित कर रहे हैं। विभिन्न पीएसयू भी अपने स्तर पर प्लांट स्थापित करा रही हैं। गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग और आबकारी विभाग भी ऑक्सीजन जेनरेशन की दिशा में विशेष प्रयास कर रहे हैं। एमएसएमई इकाइयों की ओर से भी सहयोग मिल रहा है। यह सभी कार्य यथासंभव तेजी से पूरे किए जाएं। इनकी हर दिन समीक्षा होनी चाहिए।

 

ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध: मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में अब तो सीएचसी स्तर से लेकर बड़े अस्पतालों तक में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध कराए गए हैं। इस दौरान सभी जिलों में वेंटिलेटर की सुविधा दी गई है। यह सभी क्रियाशील रहें, इसे सुनिश्चित करें। जिलों की जरूरतों के अनुसार और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदें जाएं। निजी औद्योगिक/वाणिज्यिक कंपनियों से हमें ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का सहयोग प्राप्त हो रहा है।

 

आगरा में भी सेना की मदद से तैयार हो रहा है कोविड हॉस्पिटल : सीएम योगी आदित्यनाथ ने बताया कि लखनऊ व वाराणसी के बाद अब आगरा में भी भारतीय सेना की मदद से एल-2 श्रेणी का 500 बेड का कोविड अस्पताल तैयार किया जा रहा है। इसके साथ लखनऊ में संजय गांधी पीजीआई व केजीएमयू में बेड विस्तार की कार्यवाही हो रही है। हमें मिशन मोड में कार्य करते हुए बेड की वर्तमान क्षमता को दोगुना करने की जरूरत है। सभी जिलों में इस कार्य को शीर्ष प्राथमिकता दी जाए।

 

जिलों में बढ़ाई जाएं कमांड सेंटर की फोन लाइन्स:मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी जिलों में इंट्रीगेटेड कमांड कंट्रोल सेंटर (आईसीसीसी) में फोन लाइन्स बढ़ाई जाए। हर जिले में न्यूनतम दस फोन लाइन हों। इनमें तीन शिफ्ट में 24 घंटे काम कराना सुनिश्चित करें। हर जिले में कम से कम तीन शिफ्ट में काम हो। एडमिशन, आइसोलेशन मरीजों से संवाद आदि कार्यों के लिए अलग-अलग फोन लाइन होनी चाहिए। स्वास्थ्य राज्य मंत्री स्तर से इसकी दैनिक मॉनीटरिंग की जाए।

विकास के सभी काम जारी: सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कोरोना संक्रमण काल में भी प्रदेश में विकास के काम जारी है। यहां पर तो तेजी से एक्सप्रेस-वे, हाई-वे, मेडिकल कॉलेज सहित निर्माण की बड़ी परियोजनाएं सतत जारी है। यह समयबद्ध रूप से पूरी हों। जिन परियोजनाओं में न्यूनतम 50 लोग तक कार्यरत हों, वहां कोविड केयर सेंटर स्थापित कराया जाए। इसके साथ ही सात पुलिस लाइंस में भी कोविड केयर सेंटर की स्थापना की कार्यवाही की जाए।

जिला पंचायत अध्यक्ष व क्षेत्र पंचायत प्रमुखों का चुनाव इसी महीने कराने का प्रस्ताव,मई में ही हो सकते है चुनाव

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लखनऊ।प्रदेश सरकार इसी महीने जिला पंचायत अध्यक्ष व क्षेत्र पंचायत प्रमुखों का चुनाव कराने की तैयारी कर रही है। ब्लॉक प्रमुख के चुनाव संबंधी प्रक्रिया 14 मई से व जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव संबंधी कार्यवाही 20 मई से शुरू करने का प्रस्ताव है।त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की आचार संहिता समाप्त होने की अधिसूचना जारी होने के बाद पंचायतीराज विभाग ने क्षेत्र पंचायत प्रमुखों व जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव कराने का प्रस्ताव तैयार किया है। ब्लॉक प्रमुख के चुनाव 14 से 17 मई के बीच कराने की योजना है।
इसमें नवनिर्वाचित क्षेत्र पंचायत सदस्य मतदाता होंगे। इसी तरह जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव 20 से 27 मई के बीच कराए जा सकते हैं। इसमें नवनिर्वाचित जिला पंचायत सदस्य मतदान करेंगे। इस पर उच्च स्तर से सहमति मिलने के बाद क्षेत्र पंचायत प्रमुख व जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के लिए प्रस्तावित तिथियों को राज्य निर्वाचन आयोग को भेजा जाएगा। आयोग चुनाव का विस्तृत कार्यक्रम जारी करेगा।
उधर, कुछ जनप्रतिनिधियों ने सुझाव दिया है कि जिला पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव क्षेत्र पंचायत प्रमुख के चुनाव पहले कराया जाए। पर, यह उच्च स्तर पर तय होना है कि कौन सा चुनाव पहले हो। अगर सुझावों पर विचार कर कार्यक्रम को आगे-पीछे करने पर सहमति बनी तो प्रस्तावित कार्यक्रम बदल सकता है।
जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत सदस्यों का जोड़तोड़ शुरू
जिला पंचायत अध्यक्ष व क्षेत्र पंचायत प्रमुख के चुनाव को लेकर सक्रियता बढ़ गई है। सांसद, विधायक व पार्टियां विधानसभा चुनाव से पहले अपना दबदबा दिखाने के लिए ज्यादा से ज्यादा पदों पर कब्जे के प्रयास में हैं। क्षेत्र पंचायत सदस्यों का चुनाव पूरी तरह गैरदलीय व्यवस्था में लड़ा गया। अब क्षेत्र पंचायत प्रमुख पदों के लिए दावेदारों ने अधिकतम क्षेत्र पंचायत सदस्यों को अपने पाले में करने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। इसके लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं।
इसमें किसी भी कीमत पर निर्वाचन प्रमाणपत्र अपने पास मंगाकर रखने से लेकर विजयी सदस्यों को अपने पक्ष में करने के प्रयास किए जा रहे हैं। दूसरी ओर, प्रमुख राजनीतिक दलों ने जिला पंचायत सदस्यों का चुनाव बिना पार्टी सिंबल के दलीय आधार पर लड़ा। जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव का महत्व सबसे ज्यादा है। जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में सर्वाधिक सदस्य निर्दलीय जीते हैं। ऐसे में निर्दलीय सदस्यों को अपने पाले में खींचने के लिए भी विभिन्न स्तर के प्रयास तेज हो गए हैं।
प्रधानों का शपथ 12 से, पहली बैठक 15 मई को संभव
शासन ने नवनिर्वाचित ग्राम प्रधानों व ग्राम पंचायत सदस्यों के शपथ ग्रहण और पहली बैठक कराने का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। 12 से 14 मई तक शपथ ग्रहण कराने की योजना है। 15 मई को पूरे प्रदेश में एक साथ ग्राम सभा की पहली बैठक कराने का प्रस्ताव है। इसी दिन से नवनिर्वाचित ग्राम पंचायतों के कार्यकाल की शुरुआत मानी जाएगी। उच्च स्तर से सहमति मिलते ही ग्राम प्रधानों व ग्राम पंचायत सदस्यों के शपथ ग्रहण व पहली बैठक संबंधी दिशा निर्देश जारी करने की तैयारी है।
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UP : ऑक्सीजन की कमी के कारण गांवों में लगातार लोग मर रहे हैं-भाजपा विधायक की मुख्यमंत्री से मदद की गुहार

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द लीडर : उत्तर प्रदेश के गांवों के हालात खराब हैं. पंचायत चुनाव के बाद संक्रमण का खतरा बढ़ गया है. गांवों के हर दूसरे-तीसरे घर में खांसी, बुखार और जुकाम के मरीज हैं. लखीमपुर के मोहम्मदी विधानसभा सीट से भाजपा के विधायक लोकेंद्र प्रताप सिंह अपने जिले के गांवों के हालात ज्यादा खराब मानते हैं. उनका कहना है कि गांवों में ऑक्सीजन की कमी के कारण लगातार मौतें हो रही हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखे पत्र में उन्होंने जिले की स्थिति बयां करते हुए मदद मांगी है.

विधायक लोकेंद्र प्रताप सिंह के मुताबिक, कोरोना थमने का नाम नहीं ले रहा है. हम असहाय हैं और लोगों को मरता हुआ देख रहे हैं. पत्रकार, नेता, शिक्षक, वकील, समाजसेवी और आम इंसान. सब इसका शिकार बन रहे हैं. ऐसा कोई गांव नहीं है, जो कोरोना की चपेट में न हो.

लखीमपुर जिले में ऑक्सीजन की भारी कमी है. इसी के अभाव में ज्यादा मौतें हो रही हैं. तहसीलों के सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं हो पा रही है. जिस कारण ग्रामीण क्षेत्रों में लोग मरते जा रहे हैं.


लखीमपुर : भाजपा विधायक की डीएम से हाथ जोड़कर गुहार, ऑक्सीजन के अभाव में लोगों को मरता मत छोड़िए


सभी विधायकों द्वारा अपनी विधायक निधि से विधानसभाओं में 10-10 कंसंट्रेटर्स की मांग की जा चुकी है. लेकिन वो भी उपलब्ध नहीं हुई. सरकार और प्रशासन की लाख कोशिशों के बाद भी ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं हो पा रही है. इसमें सहयेाग करें.

इससे पहले गोला विधानसभा सीट से विधायक अरविंद गिरि भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर जिले में हो रहीं मौतें से अवगत करा चुके हैं. उन्होंने डीएम से हाथ जोड़कर विनती की थी कि गोला में 25-30 बेड, ऑक्सीजन का इंतजाम करा दें. और उनके लोगों को इस तरह मरता हुआ न छोड़ें.

 

बीते गुरुवार को डीएम को लिखे पत्र में विधायक अरविंद गिरी ने कहा था कि ऑक्सीजन की कमी के चलते उनके दर्जनों परिचितों की मौत हो चुकी है. और ये क्रम लगातार बना है.


वरिष्ठ पत्रकार शेष नारायण सिंह के निधन पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने जताया शोक, अब तक 130 से अधिक पत्रकारों की मौत, नहीं मिला फ्रंट लाइन वर्कर का दर्जा


 

लखीमपुर के विधायक लगातार जिला प्रशासन और शासन से अपने क्षेत्र के लिए मदद मांग रहे हैं. जिससे जिले की स्वास्थ्य सेवाओं की हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है. अरविंद गिरी के बाद अब लोकेंद्र प्रताप सिंह का पत्र भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. और लोग राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रश्न उठा रहे हैं. इस तर्क के साथ कि जब विधायकों को इस तरह गुहार लगानी पड़ रही है तो आम जनता का हाल क्या होगा.

सुप्रीमकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एमवाई इकबाल का निधन, 2016 में हुए थे रिटायर

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द लीडर : सुप्रीमकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एमवाई इकबाल का शुक्रवार को निधन (इंतकाल) हो गया. वह फरवरी 2016 में सर्वोच्च न्यायालय से रिटायर हुए थे. उनके निधन पर वरिष्ठ अधिवक्ता, न्यायाधीशों ने दुख जताया है. (Justice MY Iqbal Former Supreme Court Judge Passed Away)

13 फरवरी 1951 को जन्में न्यायमूर्ति इकबाल मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश भी रह चुके हैं. रांची यूनिवर्सिटी से 1970 में बीएससी की. और इसके बाद 1974 में एलएलबी की, जिसमें गोल्ड मेडलिस्ट रहे थे. 1975 में अधिवक्ता के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की. रांची के सिविल कोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे. वे सिविल क्रिमनल, संवैधानिक और टैक्स मामलों को देखते थे. कई बैंक और बीमा कंपनी, हाउसिंग बोर्ड, इलेक्ट्रिक बोर्ड, यूनिवर्सिटी और सरकारी संस्थाओं के कानूनी सलाहाकार के रूप में भी काम करते रहे.


वरिष्ठ पत्रकार शेष नारायण सिंह के निधन पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने जताया शोक, अब तक 130 से अधिक पत्रकारों की मौत, नहीं मिला फ्रंट लाइन वर्कर का दर्जा


 

9 मई 1996 को वह पटना हाईकोर्ट में स्थायी जज नियुक्त हुए थे. बाद में जब झारखंड राज्य बना. तब वह 14 नवंबर 2000 झारखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश बने. 11 जून 2010 से 21 दिसंबर 2012 तक मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहे. और 24 दिसंबर 2012 को सुप्रीमकोर्ट के न्यायमूर्ति नियुक्त किए गए. उनके भाई भी रांची की एक स्थानीय अदालत में जज हैं. (Justice MY Iqbal Former Supreme Court Judge Passed Away)

 

वरिष्ठ पत्रकार शेष नारायण सिंह के निधन पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने जताया शोक, अब तक 130 से अधिक पत्रकारों की मौत, नहीं मिला फ्रंट लाइन वर्कर का दर्जा

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द लीडर : मेडिकल स्टॉफ, पुलिसबल, सफाईकर्मी और प्रशासनिक अधिकारी, जो महामारी में फ्रंट लाइन पर काम कर रहे हैं. उन पर संक्रमण का संकट गहरा है. बावजूद इसके वे अपनी जान जोखिम में डालकर काम पर डटे हैं. अब तक 130 से अधिक पत्रकारों की कोविड-संक्रमण के कारण मौत हो चुकी है. शुक्रवार को वरिष्ठ पत्रकार शेष नारायण सिंह की मौत हो गई. संक्रमित होने के बाद नोयडा के एक अस्पताल में उनका उपचार चल रहा था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद समेत अन्य नेता और पत्रकारों ने उनके निधन पर शोक जताया है. (President Prime Minister Journalist Shesh Narayan Singh)

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शेष नारायण के निधन पर शोक प्रकट करते हुए लिखा, सुलझे विचार, स्पष्ट अभिव्यक्ति औश्र आत्मीय व्यवहार के लिए प्रसिद्ध वरिष्ठ पत्रकार शेष नारायण सिंह के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है. उनका जाना हिंदी पत्रकारिता के लिए बहुत बड़ी क्षति है. उनके शोकाकुल परिजनों और शुभचिंतकों के प्रति मेरी संवेदनाएं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शोक जताया है. उन्होंने लिखा, वरिष्ठ पत्रकार शेष नारायण सिंह जी का निधन अत्यंत दुखद है. पत्रकारिता जगत में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए वे हमेशा जाने जाएंगे. दुख की इस घड़ी में उनके परिजनों के लिए मेरी संवेदनाएं.

पिछले एक साल में, जब से कोरोनाकाल चल रहा है. करीब 130 पत्रकारों की मौत हो चुकी है. हैरत की बात ये है कि केंद्र सरकार ने पत्रकारों को फ्रंट लाइन वर्कर घोषित नहीं किया है. हालांकि विभिन्न राज्यों ने पत्रकारों को फ्रंट लाइन वर्कर मानते हुए उनके निधन पर परिवार को मुआवजा देने की प्रक्रिया प्रारंभ की है. मुआवजे की कवायद केंद्र के स्तर से भी चल रही है. लेकिन पत्रकार फ्रंट लाइन वर्कर का दर्जा मांग रहे हैं, जो उन्हें नहीं मिल रहा है.

पत्रकारों की कोविड से मौत को लेकर इंस्टीट्यूट ऑफ परसेप्शन स्टडीज की संस्था रेट द डिबेट एक अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार कर रही है. अप्रैल तक की रिपोर्ट में 128 पत्रकारों के माने जाने की रिपोर्ट दर्ज की गई थी. ये आंकड़ा हर दिन बढ़ता जा रहा है.

शेष नारायण यूपी के सुल्तानपुर के रहने वाले थे. और लंबे समय से हिंदी पत्रकारिता में सक्रिय थे.


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वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने शेष नारायण की मदद के लिए सोशल मीडिया पर गुहार लगाई थी. हालांकि तब उन्हें प्लाज्मा मिल गया था. लेकिन वे बच नहीं सके. शुक्रवार को उनके निधन पर रवीश कुमार ने उन्हें याद करते हुए लिखा है, शेष जी…ज़िंदगी की इमारत अनेक लोगों के दम पर टिकी होती है. अलग अलग समय में कुछ लोग आपकी बुनियाद में खाद-पानी डाल जाते हैं.

हरा कर जाते हैं. मेरी ज़िंदगी में वो इतनी तरह से शामिल हैं, इस हद तक मेरी ज़िंदगी में भरे हुए हैं कि उनके नहीं रहने की ख़बर के लिए कोई जगह नहीं बची है. उनके बग़ैर इन स्मृतियों की गठरी बंद हो गई है. अचानक कुछ याद नहीं आता या फिर इतना कुछ याद आ जाता है. पतंग की डोर जैसे अचानक कट गई है. देर तक उस पतंग को ओझल होते देख रहा हूं.


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इतना कुछ था कि रोज़ या कई महीनों तक मुलाकात की ज़रूरत ही नहीं रही. यह तब होता है जब आप होने को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हो जाते हैं. हर दिन किसी के नहीं रहने की इतनी ख़बरें आती हैं कि शोक अब भीतर गहरे बैठने लगा है. बाहर नहीं छलकता है. उसके बाहर आने का जैसे ही वक्त होता है, फिर किसी के चले जाने की ख़बर आ जाती है. किसी को बुढ़ापे में नौजवान की तरह देखना हो तो आप शेष जी से मिल सकते हैं. अब नहीं मिल पाएंगे. वो हमेशा नौजवान ही रहे. शेष जी, बहुत मिस कर रहा हूं.