यूपी पुलिस ने पूर्व आइएएस अफसर सूर्य प्रताप के खिलाफ दर्ज किया मुकदमा, गंगा में तैरती लाशों को लेकर भ्रम फैलाने का आरोप

0
497
UP Police Case Former IAS Surya Pratap Corpses Floating In Ganga
प्रयागराज : शव दफनाकर उनके ईद-गिर्द बांस की घेराबंदी कर दी गई है. ताकि लोग ये जान सकें कि यहां शव दफन हैं. साभार मनदीप पूनिया-ट्वीटर.

यूपी : उत्तर प्रदेश (UP) पुलिस ने पूर्व नौकरशाह सूर्य प्रताप सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. इस जुर्म में सूर्य प्रताप सिंह ने गंगा में तैरती लाशों पर जो ट्वीट किया था. वो भ्रामक है. इसलिए धारा-153, 465, 505, 21-54 और आइटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है. मुकदमा दर्ज किए जाने पर सूर्य प्रताप सिंह ने सरकार को फिर निशाने पर लिया है. और कहा कि, योगीजी ने दो दिन में लगातार दो मुकदमें तोहफे में दिए हैं. ये यूपी मॉडल की पोल खोलने का ईनाम है.

सूर्य प्रताप सिंह के मुताबिक बनारस में एक कोविड पैशेंट की लाश नाले में पड़ी होने का सच बताने पर भी एक मुकदमा दर्ज हो चुका है. पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए सूर्य प्रताप कहते हैं कि, क्या उन्नाव में कोई लाशें नहीं तैर रहीं? क्या मुझपर मुकदमा कर देने से सच बदल जाएगा?

उन्होंने कहा कि जल्द ही मुझे हिस्ट्रीशीटर घोषित कर 50 हजार का ईनाम रख दिया जाएगा. वैसे ट्वीट करने से अगर छवि की हत्या हो रही है तो 302 के तहत मुझ पर हत्या का मुकदमा चलाया जा सकता है. संविधान की कठोरतम धाराएं लगाइए. क्रूरता में किसी प्रकार की कमी न रह जाए.


कश्मीरी कलाकार मुदासिर गुल फिलिस्तीन के समर्थन पर क्यों हुए गिरफ्तार: नजरिया


 

सूर्य प्रताप ने एक वीडियो जारी किया है. जिसमें उन्होंने विस्तार से अपनी बात रखी है. और सरकार पर गंभीर सवाल उठाते हुए लोगों की जिंदगी बचाने की अपील की है. उन्होंने कहा-उत्तर प्रदेश में जो लोग सच दिखा रहे हैं. उनके विरुद्ध मुकदमा दर्ज हो रहा है. मुझ पर दो मुकदमे हुए हैं. एक बनारस और दूसरा बलिया का है, जहां 67 शव गंगा में तैर रहे थे. बताइए क्या ये सच नहीं है कि गंगा में हजारों लाशें तैर रही हैं. चाहें बलिया हो गाजीपुर, रायबरेली, उन्नाव, कानपुर और हमीरपुर. हर जगह कितनी लाशें तैर रही हैं. घाटों पर शव दफनाए जा रहे हैं. गरीबी इतनी की लोग अंतिम संस्कार नहीं कर पाते हैं.

आप उसको छुपाना चाहते हैं. डब्ल्यूएचओ के किसी आकलन की आड़ में आप अपनी प्रशंसा कराना चाहते हैं. ये अच्छी बात नहीं है. लोगों की जिंदगी जा रही है. गांव-गांव में बुखार है. लोग मर रहे हैं. लाशें उठ रही हैं. ढेर लगे हैं लाशों के. आप आंकड़े छिपा सकते हैं. लेकिन लाशों के ढेर कैसे छिपाएंगे. श्मशान पर जलती चिताएं न दिखें इसके लिए दीवार बनवा सकते हैं. इससे सच नहीं छिपेगा.

सूर्य प्रताप ने नौकरशाहों को भी निशाने पर लिया है. उन्होंने कहा कि सरकार गलत रास्ते पर है. और नौकरशाह उसे गुमराह कर रहे हैं. ये लोकतंत्र है. उसमें विरोध की आवाज को सुनना चाहिए. मेरे ऊपर एफआइआर दर्ज करके आपको कुछ हासिल नहीं होगा. मैं निवेददन करता हूं कि विरोध की आवाज को सुनों. सरकार का बहुत आभार होगा कि लोगों की जिंदगी बचाने पर ध्यान लगाए न कि सच छिपाने पर.


अयोध्या : हिंदुओं ने हाफिज अजीमुद्दीन को चुना अपना ग्राम प्रधान, जीत के लिए मंदिर में कराया सुंदरकांड-रामायण पाठ


 

सूर्य प्रताप सिंह पूर्व आइएएस अधिकारी रहे हैं. और सरकार के सबसे बड़े आलोचकों में शुमार हैं. महामारी में सरकारी व्यवस्थाओं की वे खुलकर अालोचना करते रहे हैं. महामारी में गंगा में तैरते शव और तटों पर दफनाई गई लाशों का मुद्दा वे लगातार उठाते आ रहे हैं.

दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक गंगा और उसके तटों पर करीब दो हजार लाशें दफन हैं या तैरती पाई गईं. विभिन्न जिलों से घाटों के किनारे से इसके वीडियो सामने आ रहे हैं.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here