गंगा किनारे लाशों के अंबार पर उठते सवाल, क्या भारत अपने नागरिकों का सम्मानजनक तरीके से अंतिम संस्कार भी नहीं कर सकता

यूपी में मां गंगा अपने जीवन का सबसे खौफनाक मंजर देख रही हैं. उन्नाव में गंगा किनारे सैकड़ों शव बिखरे हैं. भयानक मंजर है. अखबार लिखते हैं कि गंगा के घाट पर ये सदी का सबसे खौफनाक मंजर है. उन्नाव के बक्सर में गंगा किनारे रेत में महज 500 मीटर में अनगिनत लाशें दफन हैं. रेत हटने से कई शव बाहर आ गए हैं. चारों तरफ मानव अंग बिखरे पड़े हैं. लाशों को कुत्ते नोच रहे हैं. 1918 के स्पैनिश फ्लू से भी बदतर हालात हैं.

उन्नाव के ही बीघापुर में लोगों ने बताया है कि हर रोज कुत्ते घाट से लाशें खींचकर बस्ती तक ले आते हैं. सामान्य दिनों में हर दिन 8 से 10 लाशों का ही अंतिम संस्कार होता था, लेकिन अब हर रोज 100 से 150 लाशें पहुंच रही हैं. ज्यादातर लोग शवों को दफन करके चले जाते हैं. प्रशासन ने कहा है कि वह इसकी जांच करेगा. अदभुत मासूम प्रशासन है कि उसे सैकड़ों मौतों के बारे में पता ही नहीं है.

उन्नाव के शुक्लागंज घाट पर 800 मीटर के दायरे में 1200 से ज्यादा लाशें दफन की गई हैं. ग्रामीण बताते हैं कि बड़ी संख्या में लोग ऐसे आ रहे हैं, जिनके पास अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियां खरीदने की क्षमता नहीं है. वे घाट किनारे शव दफन करके चले जाते हैं. घाट पीपीई किट, मास्क, डेडबॉडी कवर से पट गए हैं.


फिलिस्तीन : गाजा में इजराइल के हमले जारी, जॉर्डन से मदद को दौड़े सैकड़ों नागरिक


 

1918 में फैले स्पैनिश फ्लू के दौरान भी भारत में करीब 1.7 करोड़ लोग मारे गए थे. तब भी शवों के अंतिम संस्कार के लिए जगहें कम पड़ गई थीं. लोग शवों को नदियों के किनारे फेंककर चले जाते थे. उन लाशों को कुत्ते और पक्षी नोंचकर खाते थे.

भारत की जीवन रेखा गंगा सदी की सबसे बड़े तबाही की गवाह बन रही है. जो गंगा लाखों भारतीयों को जीवन देती है, रोजगार देती है, उसी गंगा के दामन में आज सैकड़ों शव बिखरे हैं या उफना रहे हैं.

हिंदुओं को विश्वगुरु बनाना था. धर्म और संस्कृति की रक्षा करनी थी. नारों में यही कहा गया था. लेकिन इस तबाही ने हिंदुओं से उनकी परंपरा छीन ली है.

वे शवों को जलाने की जगह रेत में दफना रहे हैं. नेता की आलोचना पर आहत हो जाने वाले चुनाव के जरिये लाई गई इस त्रासदी से आहत नहीं हो रहे हैं. अपने अनगिनत बेटों की लाशों के लिए गंगा मां का दामन छोटा पड़ गया है. ज्यादातर लोगों की मौत रिकॉर्ड में नहीं है क्योंकि उन्हें न अस्पताल मिला, न जांच हुई.


WHO के प्रमुख डॉ टेड्रोस एडनोम गेब्रिएसेस ने कहा कि भारत में कोरोना के नए मामले थम नहीं रहे


 

क्या भारत 1918 की गुलामी से भी बुरे हालात में हैं? आंकड़ों में 4 हजार मौतें हैं. क्या भारत अपने 4 हजार नागरिकों के शव ​सम्मानजनक ढंग से ठिकाने नहीं लगा सकता? क्या सैकड़ों, हजारों मौतें छुपाई जा रही हैं? क्या भारत अपनी राजधानी में प्रधानमंत्री की खोपड़ी पर ही किसी अस्पताल में आक्सीजन से मरने वाले को आक्सीजन नहीं दे सकता?

भारत इतना मजबूर कब हो गया? हो गया या बना दिया गया? जिस तरह के वीडियो और तस्वीरें आई हैं, वे शेयर करने लायक नहीं हैं. लेकिन उससे भी ज्यादा खौफनाक वह सरकारी झूठ, षडयंत्र और सत्तालोभ है जो हम पर मौतों के रूप में थोपा गया है.

यूपी के विभिन्न हिस्सों में अकेले गंगा में या उसके किनारों पर करीब 2000 शवों की जानकारी सामने आई है. ये या तो गंगा में तैरकर आए या फिर उन्हें नदी के तटों पर दफनाया गया. सबसे दर्दनाक पहलू ये है कि लोगों के पास इतने पैसे नहीं हैं कि वे अपनों का अंतिम संस्कार कर सकें. मजबूरन उन्हें शवों को दफनाना पड़ रहा है. तट पर सैकड़ों शवों की कब्रें सामने आने के बाद ये अंतरराष्ट्रीय मीडिया इसे प्रमुखता से कवर रहा है.

(लेखक कृष्णकांत वरिष्ठ पत्रकार हैं. ये लेकर उनके सोशल एकाउंट से यहां यहां साभार प्रकाशित है.)

Ateeq Khan

Related Posts

Bareilly News:  बरेली डीएम मरीज बनकर पहुंचे जिला अस्पताल, लाइन में लगकर जाना अल्ट्रासाउंड का हाल 

बरेली: बरेली के जिलाधिकारी अविनाश कुमार ने बुधवार सुबह जिला अस्पताल का औचक निरीक्षण किया, लेकिन इस बार कुछ हटकर अंदाज में डीएम खुद मरीज बनकर अस्पताल पहुंचे और अपनी पहचान…

मणिपुर में 3 बार भूकंप के झटकों से दहला इलाका, लोग दहशत में घरों से बाहर भागे

National News : मणिपुर में एक बार फिर धरती कांप उठी। बुधवार की तड़के मणिपुर के कई इलाकों में तीन बार भूकंप के झटके महसूस किए गए। इन झटकों ने लोगों…