वसीम अख्तर
लीजेंड यूसुफ खान उर्फ दिलीप कुमार दिग्गज अभिनेता होने के साथ बेहतरीन स्पीकर थे, यह सब जानते हैं. लेकिन वह गाते भी बहुत अच्छा थे, यह खासियत कम लोगों को पता है. रामपुर स्टेट के आखिरी नवाब रजा अली खां की बहू बेगम नूरबानो बताती हैं-क्या शानदार आवाज थी, जब दिलीप कुमार गाते थे तो उनको टकटकी बांधकर सुनते थे. जिस हारमोनियम को बजाने के बाद वह गजलें पेश करते थे, वह अब भी नूरमहल में महफूज है. दिलीप साहब के अलावा इसे किसी और को बजाने की इजाजत कल थी और न आज है. इसे भी पढ़ें – दिलीप कुमार को आजम खां ने गंगा-जमुना का डाकू, मुगले आजम का बिगड़ैल शहजादा कहा
कांग्रेस की सीनियर लीडर बेगम नूरबानो ने बताया कि दिलीप साहब का जाना उनके लिए व्यक्तिगत सदमा है. सुबह से ही सायरा बानो को फोन लगा रही हैं लेकिन बात नहीं हो पाई है. कुछ घंटे तक फोन लगातार बिजी रहा. दुनियाभर से उनके दोस्तों और चाहने वालों के फोन आ रहे होंगे.
बेगम नूरबानो का कहना है कि दिलीप साहब का जुड़ाव नवाब रजा अली खां से था. इस रिश्ते को बाद में उनके शौहर मरहूम जुल्फिकार अली खां उर्फ मिक्की मियां ने भी कायम रखा.
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मिक्की मियां के हयात रहते दिलीप कुमार नूरमहल आते थे. उनके इंतकाल के बाद वह दो बार मेरे (बेगम नूरबानो) के चुनाव में प्रचार करने के लिए रामपुर आए. वह मेरे मायके पूर्व में जयपुर और अब हरियाणा का हिस्सा बन चुकी लोहारू स्टेट भी जाते थे.
जहां वह सायरा बानो के साथ कभी-कभी तो कई महीने गुजारते थे. सायरा अजमेर में ख्वाजा गरीब नवाब की दरगाह पर हाजिरी देने के लिए जाया करती थीं. सायरा की मां नसीम बानो पश्चिमी उत्तर प्रदेश की रहने वाली थीं.
उस दौर की यादों में खोते हुए बेगम नूरबानो ने बताया कि दिलीप साहब जब नूरमहल आते थे तो मिक्की मियां या उनके खास दोस्त उनसे फिल्मों के बारे में बात नहीं करते थे. दिन में आराम करते और रात में महफिल जमती थी. तब दिलीप कुमार हारमोनियम पर गजलें सुनाया करते थे.
जिस तरह फिल्मों में एक्टिंग करते हुए करेक्टर में डूब जाते थे, उसी तरह नूरमहल में जब गजल गाते थे तो एक-एक मिसरे की क्या शानदार अदायगी होती थी. उर्दू के साथ उनकी हिंदी और अंग्रेजी पर भी शानदार पकड़ थी.
मिक्की मियां विदेश से हारमोनियम दिलीप साहब के लिए ही लेकर आए थे, जिसे बजाना तो दूर किसी को छूने की इजाजत भी नहीं होती थी. मिक्की मियां ने नूरमहल में सभी से कह रखा था कि यह होरमोनियम तभी निकलेगा जब युसूफ खान आएंगे.
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जितने अच्छे एक्टर उससे कहीं ज्यादा शानदार इंसान बेगम नूरबानो बताती हैं कि दिलीप साहब बड़े लोगों के बीच सबसे बड़े और जब गरीबों से मिलते थे तो बहुत छोटे हो जाते थे.
उनसे बात करने वालों को लगता ही नहीं था कि वह इतने बड़े एक्टर से बात कर रहे हैं. वह जमीन पर बैठकर भी बात करने से भी गुरेज नहीं करते थे. गरीबों की मदद वह छुपकर करते थे. कभी दिखावा नहीं किया. ऐसे इंसान बनते नहीं हैं, अल्लाह पैदा करता है.
खुशकिस्मत थे सायरा बानो जैसी बीवी मिली
बेगम नूरबानो ने बताया कि दिलीप साहब बीवी को लेकर बहुत ज्यादा खुशकिस्मत थे. जब बीमार हुए तो सायरा ने बहुत अच्छी तरह देखभाल की. जिस अंदाज में बीमारी से पहले रहते थे, उसी अंदाज में ही रखा. वैसे ही कपड़े पहनाए.
हम भी जब मुंबई में मिलने गए थे तो बीमारी को देखकर अफसोस हुआ लेकिन सायरा की खिदमत के कायल हो गए. वाकई उन्होंने एक अच्छी बीवी होने का हक अदा कर दिया.