उत्तर प्रदेश की तीन लोकसभा सीटों पर बड़े हलचल, आगरा, मैनपुरी, फिरोजाबाद में किसकी पकड़

0
36

दूसरे चरण का मतदान संपन्न हो चुका हैं और अब तीसरे चरण के लिए सभी राजनितक पार्टियों ने दांव पेंच शुरू कर दिए हैं इस चरण में 10 सीटों पर चुनाव होना हैं इनमें से दो सीटें ऐसी हैं जिस पर मुलायम परिवार का कब्जा तो रहा लेकिन फिरोजाबाद जैसी सीट पर भाजपा ने सपा को हरा दिया आज हम यादव कुनबे की मैनपुरी औऱ फिरोजाबाद के बारें में बात करेगें और साथ ही बृज क्षेत्र की आगरा लोकसभा सीट के बारे में भी चर्चा करेंगें और इनके सियासी और जातीय समीकरण के बारे में बात करेगें तो चलिए शुरू करते हैं

पहले हम बात करेगें मैनपुरी लोकसभा सीट की जिस पर पिछले 28 सालों से समाजवादी पार्टी का कब्जा है मुलायम सिंह यादव इस सीट से 5 बार सांसद चुने गए और समाजवादी पार्टी को इस सीट पर 9 बार जीत मिली है मैनपुरी सीट पर प्रत्याशियों की बात की जाए तो सपा ने डिंपल यादव और सपा के इस किलें को भेदने की जिम्मेदारी भाजपा ने यहां से योगी सरकार के मंत्री ठाकुर जयवीर सिंह को दी हैं वहीं बसपा ने यादव वोट बैंक में सेधमारी के लिए शिव प्रसाद यादव को टिकट दिया हैं इस सीट के तहत 5 विधानसभाएं आती हैं जिसमें मैनपुरी, भोंगांव, किशनी, करहल और जसवंतनगर शामिल है साल 2022 विधानसभा चुनाव में 3 सीटों पर समाजवादी पार्टी और 2 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली है जातीय समीकरण की बात की जाए तो मैनपुरी लोकसभा सीट पर पिछड़ी जातियों की बहुलता है इस सीट पर यादव वोटर्स की संख्या 35 लाख है इसके अलावा राजपूत वोटर्स की संख्या 15 लाख है और शाक्य वोटर्स की संख्या 16 लाख है इस सीट पर ब्राह्मण वोटर 12 लाख, जाटव 14 लाख और लोधी राजपूत वोटर्स की संख्या एक लाख है मैनपुरी में मुस्लिम वोटर भी एक लाख के करीब है जबकि कुर्मी मतदाता भी एक लाख हैं वहीं 2019 के परिणाम की बात करें तो समाजवादी पार्टी ने मुलायम सिंह यादव को उम्मीदवार बनाया था औऱ सपा को 5 लाख 24 हजार 926 वोट मिले थे जबकि बीजेपी के उम्मीदवार प्रेम सिंह शाक्य को 4 लाख 30 हजार 537 वोट मिले थे इस सीट पर सपा ने जीत हासिल की थी वहीं सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के देहांत के बाद यहां उपचुनाव हुआ था और उनकी बहू डिंपल यादव ने जीत हासिल की थी वहीं एक बार फिर डिपल यादव मैदान में हैं

वहीं मैनपुरी की तरह ही फिरोजाबाद भी सपा का गढ़ कही जाती हैं मुलायम सिंह की विरासत सहेजने के साथ ही पिछले चुनाव में गंवाई फिरोजाबाद लोकसभा सीट पर वापसी के लिए सपा की छटपटाहट ने भगवा खेमे की जद्दोजद बढ़ा दी है भाजपा ने विश्वदीप सिंह को तो सपा ने अक्षय यादव और बसपा ने चौधरी बशीर को प्रत्याशी बनाया हैं फिरोजाबाद लोक सभा सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां पर यादव और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या काफी अधिक है इस पर यादव मतदाताओं की संख्या करीब ढाई लाख और इतनी ही मुस्लिम मतदाताओं की संख्या है इस सीट पर दलित वोटरों की संख्या भी करीब 3 लाख है जबकि शाक्य वोटरों की संख्या भी 80,000 है फिरोजाबाद लोकसभा सीट पर ठाकुर-ब्राह्मण वोटों की संख्या भी डेढ़ लाख है.

2019 के परिणाम की बात करें तो उस समय सैफई परिवार बिखरा हुआ था तब भी फिरोजाबाद सीट से सपा ने अक्षय यादव को दूसरी बार चुनाव लड़ाया तो उन्हें पटकनी देने के लिए अपनी अलग पार्टी बना चुके शिवपाल यादव ने भी यहीं से चुनाव लड़ा नतीजा ये हुआ कि चाचा-भतीजे दोनों हार गए और कमजोर माने जा रहे भाजपा के डा चंद्रसेन जादौन संसद पहुंच गए लेकिन इस बार सपा अपनी इस सीट पर वापसी के लिए पूरी दम लगाए हुए हैं चाचा शिवपाल के साथ आने से अक्षय की स्थिति पहले से काफी मजबूत मानी जा रही है.

आगरा लोकसभा सीट की बात करें तो यहां की सभी विधानसभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. आगरा के शहरी क्षेत्र में वैश्य वोटर्स की बहुलता है जबकि इस लोकसभा क्षेत्र में 28 लाख दलित वोटर हैं जबकि 27 लाख मुस्लिम मतदाता हैं वहीं इस लोकसभा सीट के शहरी इलाकों में वैश्य वोटर्स की बहुलता है इस सीट पर 315 लाख वैश्य वोटर हैं और 13 लाख बघेल वोटर भी हैं 2019 के आम चुनाव में बीजेपी और बीएसपी उम्मीदवार के बीच मुकाबला था बीजेपी उम्मीदवार प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल ने बीएसपी उम्मीदवार मनोज कुमार सोनी को 2 लाख 11 हजार 546 वोटों से हराया था एसपी बघेल को 6 लाख 46 हजार 875 वोट मिले थे, जबकि बीएसपी उम्मीदवार को 4 लाख 35 हजार 329 वोट मिले थे कांग्रस के उम्मीदवार प्रीता हरित को 45 हजार 149 वोट मिले थे.

बहरहाल अब सपा का गढ़ कहे जाने वाली दोनो लोकसभा सीटों पर अखिलेश यादव अपनी सांख बचा पाएगा या फिर भाजपा सपा के किले में सेंधमारी करने में सफल होगी वहीं आगरा में एसपी बघेल दोबारा कमल खिला पाएंगें क्या होगा क्या नही ये तो आने वाला समय बताएगा.