क्या देश में फिर लगेगा संपूर्ण लॉकडाउन, SC ने केंद्र और राज्य सरकारों को दिया सुझाव

0
204

नई दिल्ली। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश भयंकर संकट में घिरा हुआ है। देश में कोरोना के रोजाना रिकॉर्ड तोड़ मामले सामने आ रहे हैं। इस बीच कोरोना की रफ्तार पर काबू लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से लॉकडाउन पर विचार करने की बात कही है।

यह भी पढ़े: दिल्ली के डिप्टी सीएम ने रक्षा मंत्री को लिखा पत्र, ऑक्सीजन और ICU बेड के लिए मांगी मदद

वायरस को रोकने के लिए लॉकडाउन पर विचार कर सकते है

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि, हम गंभीर रूप से केंद्र और राज्य सरकारों से सामूहिक समारोहों और सुपर स्प्रेडर घटनाओं पर प्रतिबंध लगाने पर विचार करने का आग्रह करेंगे। वह जन कल्याण के हित में वायरस को रोकने के लिए लॉकडाउन लगाने पर भी विचार कर सकते हैं।

हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए व्यवस्था की जानी चाहिए

कोर्ट के मुताबिक, विशेष रूप से हाशिए पर रहने वाले समुदायों पर लॉकडाउन का असर पड़ सकता है, उनके लिए खास इंतज़ाम किए जाएं। इन समुदायों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पहले से ही व्यवस्था की जानी चाहिए।

यह भी पढ़े: #CoronaVirus: देश में पिछले 24 घंटे में 3.68 लाख से ज्यादा नए केस, 3,417 मरीजों ने तोड़ा दम

कोरोना को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को आदेश दिया कि, दिल्ली में ऑक्सीजन की आपूर्ति 3 मई की मध्यरात्रि या उससे पहले ठीक कर ली जाए। साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि, वह आपात स्थिति से निपटने के लिए राज्यों के साथ मिलकर आक्सीजन का बफर स्टाक तैयार करे और इस आपात स्टाक को अलग अलग जगह रखा जाए।

यह भी पढ़े: यूपी में स्वास्थ्य विभाग के सभी फ्रंटलाइन कोरोना वॉरियर्स के लिए विशेष पैकेज, मानदेय में 25% की बढ़ोतरी

चार दिन में केंद्र को बफर स्टाक तैयार करने का निर्देश

कोर्ट ने केंद्र को चार दिन के भीतर यह बफर स्टाक तैयार करने का निर्देश दिया है। और कहा है कि, इस बफर स्टाक में रोजाना आक्सीजन की उपलब्धता का स्तर बनाए रखा जाए। कोर्ट ने साफ किया है कि आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार किया गया। आक्सीजन का यह बफर स्टाक राज्यों को आवंटित आक्सीजन के कोटे से अलग होगा।

मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने के बारे में राष्ट्रीय नीति बनाने को कहा

कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि, वह मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने के बारे में दो सप्ताह के भीतर एक राष्ट्रीय नीति तैयार करे। सभी राज्य सरकारें उस नीति का पालन करेंगी। कोर्ट ने कहा है कि, जब तक केंद्र सरकार इस बारे में राष्ट्रीय नीति बनाती है, तब तक किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में किसी भी मरीज को स्थानीय निवास या पहचान पत्र के अभाव में अस्पताल में भर्ती करने या जरूरी दवाएं देने से मना नहीं किया जाएगा।

यह भी पढ़े: कर्नाटक में ऑक्सीजन बिना तड़प कर मर गए 24 मरीज,12 दिन में इस तरह मर चुके 110

कोर्ट ने केंद्र से अगली सुनवाई तक जवाब मांगा

कोर्ट ने कहा है कि, केंद्र सरकार किए गए उपायों और प्रोटोकाल की समीक्षा करे। इसमें आक्सीजन की उपलब्धता, वैक्सीन की उपलब्धता और कीमत, जरूरी दवाओं की वहन योग्य कीमत भी शामिल है। कोर्ट ने आदेश में उठाए गए अन्य मुद्दों पर भी केंद्र से अगली सुनवाई तक जवाब मांगा है।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here