आखिर क्या छिपाना चाहते है कई ‘ बड़े लोग ’! पार्थ की मौत से सामने आए कई सवाल

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लखनऊ। सीएम योगी की सोशल मीडिया टीम में कार्यरत पार्थ श्रीवास्तव की आत्महत्या का मामला उलझता जा रहा है या उलझाया जा रहा है । पार्थ ने सुसाइड नोट में लिखा है ‘मेरी आत्महत्या एक कत्ल है जिसका जिम्मेदार उसने शैलजा और पुष्पेंद्र सिंह को ठहराया है’।

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रिटायर आईएएस एसपी सिंह बोले, संगठित अपराध

नोट में प्रणय, महेंद्र और अभय का भी जिक्र है। पुष्पेंद्र सिंह पर उत्पीड़न का आरोप है। वहीं सेवानिवृत्त आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने इस मामले में कई ट्वीट करके इसे संगठित अपराध बताया है। रिटायर किए गए आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने भी सवाल उठाते हुए कहा है कि आखिर पार्थ के ट्वीट को किसने और क्यों डिलीट किया ? उन्होंने सवाल किया कि आखिर क्या छिपाना चाहते है कई ‘ बड़े लोग ’।

पार्थ की मौत से सामने आए कई सवाल

वहीं सेवानिवृत्त आईएएस सवाल सूर्य प्रताप सिंह ट्वीट के जरिए पूछते हैं कि, बच्चे का उत्पीड़न करने वाला पुष्पेन्द्र कौन है ? शैलजा कौन है ? अभी भी इस मामले में तमाम सवाल उठ रहे हैं जो सूचना विभाग के पूरे तंत्र पर ही प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं।
रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने सीएम सोशल मीडिया टीम के एक कर्मचारी द्वारा आत्महत्या किए जाने के मामले को लेकर कई ट्वीट किए हैं।

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इनके ट्वीट्स में कुछ सुबूत भी हैं जो महा घोटाले के प्रारंभिक दस्तावेज हैं। सूचना विभाग में अंदरखाने गुपचुप ढंग से चलाए जा रहे एक समानांतर सरकार का पता चलता है। वे लिखते हैं कि सीएम मीडिया टीम के 2 कर्मचारियों को मान्यता प्राप्त संवाददाता किसने और कैसे बना दिया ? उन्होंनेने अपने ट्वीट में कई सवाल उठाए हैं। ट्वीट में कई सारी बातें हैं। इनके ट्वीट्स में कुछ सुबूत भी हैं जो महा घोटाले के प्रारंभिक दस्तावेज हैं। सूचना विभाग में अंदरखाने गुपचुप ढंग से चलाए जा रहे एक समानांतर सरकार का पता चलता है।

बता दें कि, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सोशल मीडिया शाखा में तैनात एक कर्मचारी ने अपने सहयोगियों की कथित प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या कर ली। सुसाइड से पहले कर्मचारी ने दो पन्ने का सुसाइड नोट लिखकर ट्वीट किया था। हालांकि अब वो ट्वीट यूजर के आईडी से डिलीट हो गया है। जिसके बाद कई तरह के सवाल उठने लगे हैं। 28 साल के पार्थ श्रीवास्तव ने अपनी ट्वीट में मुख्यमंत्री योगी को टैग करते हुए कंपनी की राजनीति के बारे में अवगत कराया।

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हालांकि अब ये ट्वीट पार्थ के सोशल मीडिया अकाउंट से डिलीट हो चुका है। जिसके बाद सवाल है कि, आखिर सुसाइड नोट को पार्थ के अकाउंट से डिलीट किसने किया। हालांकि अब उसके दोस्त आशीष पांडे ने सोशल मीडिया पर पार्थ के ट्विटर और फेसबुक पोस्ट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए जस्टिसफॉरपार्थ कैंपेन शुरू किया है।

मामले में मिली जानकारी के मुताबिक, पार्थ ने बुधवार सुबह अपने घर पर फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया। जब पिता रविंद्र नाथ श्रीवास्तव की नजर घर में लटके बेटे के शव पर पड़ी तो वो आनन फानन में पार्थ को लेकर राम मनोहर लोहिया अस्पताल पहुंचे, जहां पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस बारे में पार्थ के दोस्त ने जानकारी दी है।

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ये लिखा था सोसाइड नोट में

प्रणय भैया ने मुझसे कहा था कि, मुझसे बात करेंगे पर उन्होंने पुष्पेंद्र भैया से रात 12:40 पर क्रॉस कॉल करके उनसे अपनी सफाई दिलवाई। पुष्पेंद्र भैया ने जानबूझकर व्हाट्सएप कॉल किया ताकि उनकी बातें रिकॉर्ड न हो सकें। कॉल करके भी उन्होंने सारा दोष संतोष भैया पर डाला और इस बात का यकीन दिलाया कि वह मेरे शुभचिंतक ही रहे हैं।

जबकि सत्य तो यह है कि, वह सिर्फ और सिर्फ शैलजा जी के शुभचिंतक रहे हैं। हमेशा से पुष्पेंद्र भैया शैलजा जी के अलावा कभी और किसी के लिए चिंतित नहीं रहे। बाकियों की छोटी से छोटी गलती पर पुष्पेंद्र भैया हमेशा नाराज होते रहे। शैलजा जी और महेंद्र भैया सिर्फ उनका गुणगान करते रहें। मुझे आश्चर्य प्रणय भैया पर होता है कि वह यह सब देखने समझने के बावजूद पुष्पेंद्र भैया का साथ कैसे व क्यों देते रहे।

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मैंने जब से यह कार्य शुरू किया तब से सबसे ज्यादा इज्जत प्रणय भैया को ही दी। मैंने उनसे सीखा कि सिर्फ काम बोलता है और इंसान को उसका काम ही पहचान दिलाता है। एक तरफ पुष्पेंद्र भैया जो सिर्फ दूसरों की कमियां निकालते दिखे तो दूसरी तरफ प्रणय भैया दिखे जो अपनी कार्य से अपना नाम बताते दिखे।

मैंने प्रणय भैया को अपना आदर्श माना और सिर्फ काम के द्वारा अपना नाम बनाना चाहा, मुझसे गलतियां भी हुई पर वह गलतियां न दोहराने की पूरी कोशिश की। परंतु शैलजा जी जो सिर्फ चाटुकारिता कर अपनी जगह पर थीं, उन्होंने मेरी छोटी से छोटी गलती को सबके सामने उजागर कर मुझे नकारा साबित कर दिया। शैलजा जी को बहुत-बहुत बधाई। मेरी आत्महत्या एक कत्ल है जिसके जिम्मेदार और सिर्फ राजनीति करने वाली शैलजा और उनका साथ देने वाले पुष्पेंद्र सिंह हैं।

अभय भैया और महेंद्र भैया को इस बात का हल्का सा ज्ञान भी नहीं कि लखनऊ वाले कार्यालय में क्या चल रहा था। मैं आज भी मरते दम तक महेंद्र भैया और अभय भैया की अपने माता-पिता जितनी इज्जत करता हूं।आपका नाकारा कर्मचारी, पार्थ श्रीवास्तव

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वहीं इस मामले में अब कहा जा रहा है कि, सीएम योगी के सोशल मीडिया हब में तैनात पार्थ सीएम के सोशल मीडिया हब में चल रही आंतरिक राजनीति का शिकार हुआ। सोशल मीडिया हब के पुष्पेंद्र सिंह द्वारा प्रताड़ित किए जाने का है आरोप… बताया जा रहा है कि पार्थ ने कई बार ऊपर के अधिकारियों को मौखिक रूप से दी थी जानकारी…।

अब ये भी कहा जा रहा है अपने सीनियर पुष्पेंद्र द्वारा लगातार की जा रही प्रताड़ना की शिकायत की थी… कार्यवाही ना होने पर आत्महत्या को मजबूर हुआ CM सोशल मीडिया का कर्मचारी। कई बार पुष्पेंद्र ने कार्यालय में ही की थी सार्वजनिक बेइज्जती! पुष्पेंद्र सिंह नौकरी से निकलवाने की देता था धमकी।

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दोनों के बीच की whatsapp चैट और फ़ोन पर हुई बातचीत से खुल सकते हैं राज। पार्थ के फ़ोन में दफ़न हैं सारे राज। पुष्पेंद्र सिंह सूचना निदेशक शिशिर सिंह के काफ़ी करीबी बताए जाते हैं। पुष्पेंद्र अपनी इन्ही हरकतों को लेकर कई बार और भी चर्चा में रहा है।

 

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