Thursday, October 17, 2024
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कविता : मंटो की बेटियां

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मशहूर लेखक व कहानीकार सआदत हसन ‘मंटो’ की बेटियों के भारत आगमन के दौरान विख्यात लेखक सुधीर विद्यार्थी ने ‘मंटाे की बेटियां’ शीर्षक से कविता लिखी, जिसमें भारत पाक बंटवारे के दर्द काे महसूस किया जा सकता है. इसी शीर्षक से जल्द सुधीर विद्यार्थी का कविता संकलन भी प्रकाशित होने जा रहा है। ये कविता पहली बार किसी मंच पर प्रस्तुत की जा रही है.

प्रधानमंत्री मोदी ने नहीं दिया नेपाल विदेशमंत्री को मिलने का समय

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  • नेपाल के विदेशमंत्री तीन दिन के दौरे पर भारत आए 
  • राजनाथ सिंह और जयशंकर से हुई मुलाकात 
  • रिश्तों में फिर से गर्माहट लाने की कवायद

    वार्ता के दाैरान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और नेपाल के विदेशमंत्री पी के ग्वाली :सभार ट्विटर

भारत दौरा

नेपाल के विदेशमंत्री प्रदीप कुमार ज्ञावाली और विदेश सचिव भरत राज पौडयाल बृहस्पतिवार 14 जनवरी को भारत दौरे पर पहुँचे थे।लेकिन इस बार प्रधान मंत्री मोदी से मिले बगैर ही लौटना पड़ा। कहा जा रहा है कि मोदी का न मिलना सीमा विवाद को लेकर नेपाल को भारत की दो टूक है।

वार्ता के दाैरान विदेशमंत्री एस .जयशंकर और नेपाल के विदेशमंत्री पी के ग्वाली: सभार ट्विटर

यह नेपाल के किसी भी मंत्री का भारत से सीमा विवाद के बाद पहला दौरा था। इस तीन दिन की भारत यात्रा पर नेपाली विदेश मंत्री ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और विदेशमंत्री एस.जयशंकर से भेंट की। मुलाकात में दोनों देशों की विकास, कनेक्टिविटी और व्यापार को लेकर बात-चीत हुई। भारत कोरोना वैक्सीन पर नेपाल को पूरा सहयोग देने को भी तैयार है। मुलाकात के बाद राजनाथ सिंह ने कहा “भारत-नेपाल संबंधों में अपार संभावनाएं हैं”।


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सीमा विवाद

नेपाल की ओर से सीमा विवाद को लेकर वार्ता की कोशिश हुई लेकिन भारत अपने रूख पर अडिग बना हुआ है। पिछले वर्ष ही नेपाल द्वारा जारी नए नक्शे पर भारत ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी। कहा था कि नेपाल का यह नक्शा इतिहास के तथ्यों पर खरा नहीं उतरता। नक्शा उस समय आया जब भारत ने अपना लिंक रोड लिपुलेख से होते हुए मानसरोवर तक शुरू किया था। उसके बाद से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ गई जो अब तक जारी है।

और मोदी से न मिल पाना..

कयास लगाए जा रहे हैं कि यही कारण रहा कि मोदी ने नेपाली विदेशमंत्री को मिलने का समय नहीं दिया और काेरोना वैक्सीन लांच प्रोग्राम को न मिल पाने का कारण बताया। नेपाल इस दौरे के जरिए यह साबित करना चाहता है कि दोनों के बीच कुछ हुआ ही नहीं था।

बीते वर्ष 22 मई को नेेपाल के प्रधान मंत्री खडग प्रसाद शर्मा ओली ने संसद में नेपाल के नए नक्शे काे प्रस्तावित किया। जिसमें भारतीय क्षेत्र लिम्पियाधुरा,कालापानी और कालापानी को नेपाल की सीमा का हिस्सा बताया था।


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अमेरिका की बाइडन सरकार के लिए भारतीय मूल की समीरा फाजिली आर्थिक परिषद की उप-निदेशक नामित

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नई दिल्ली : अमेरिका की जो-बाइडन सरकार के लिए समीरा फाजिली को व्हाइट हाउस के प्रमुख पद-राष्ट्रीय आर्थिक परिषद (National Economic Council) का उप-निदेशक (Deputy Director) नामित किया गया है. ये परिषद आर्थिक नीतियां बनाने की प्रक्रिया का समन्वय करती है और अमेरिकी राष्ट्रपति (President) को आर्थिक मामलों पर सलाह भी देती है. (Indian Sameera Fazili Biden)

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फाजिली कश्मीर मूल की भारतीय-अमेरिकी हैं, जो वर्तमान में जो-बाइडन-हैरिस ट्रांजिशन पर आर्थिक एजेंसी का नेतृत्व कर रही हैं.

इससे पहले वे अटलांटा के फेडरल रिजर्व बैंक में तैनात थीं. जहां उन्होंने सामुदायि और आर्थिक विकास के लिए निदेशक के रूप में काम किया है.

एक शोध कार्यक्रम पर संवाद करतीं समीरा फाजिली. फोटो, साभार समीरा फाजिली ट्वीटर.

बाइडन प्रशासन में किसी महत्वपूर्ण पद पर नियुक्ति होने वालों में कश्मीरी मूल की फाजिली ऐसी दूसरी शख्सियत हैं. इससे पहले दिसंबर में आयशा शाह को व्हाइट हाउस ऑफ डिजिटल स्ट्रैटजी में पार्टनरशिप मैनेजर के तौर पर नियुक्त किया गया था.


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रिपोर्ट के मुताबिक फाजिली को ओबामा-बाइडन प्रशासन में भी काम का अनुभव है. तब वे व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय आर्थिक परिषद में बतौर वरिष्ठ नीति सलाहकार और घेरूल वित्त व अंतरराष्ट्रीय मामले, दोनों में अमेरिकी ट्रेजरी विभाग में वरिष्ठ सलाहकार के काम कर चुकी हैं.

अमेरिका के प्रतिष्ठित येल स्कूल में कानून की क्लिनिकल लेक्चरर रह चुकीं फाजिल, प्रतिष्ठित येल लॉ स्कूल व हार्वर्ड से स्नातक हैं. वह बफेले से हैं और अभी शौहर व बच्चों के साथ जॉर्जिया में रहती हैं.

उन्होंने देश के पहले सामुदायिक विकास वित्तीय संस्थान बैंक में भी काम किया है. उनके इस काम से अमेरिका में आवास, लघु व्यवसाय और माइक्रोफाइनेंस को बढ़ावा मिला.

भारत में कोरोना वैक्‍सीन लगाने का आगाज, प्रधानमंत्री बोले-अफवाह और दुष्प्रचार से बचकर लगवाएं टीका

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नई दिल्ली : पिछले सालभर से दुनियां में मौत और खौफ का तांडव मचाने वाली कोरोना महामारी (Corona Pandemic) पर नियंत्रण के लिए भारत (India) में टीकाकरण (Vaccination) अभियान प्रारंभ हो गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra  Modi ) ने शनिवार को इस अभियान को लांच करते हुए इसे दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान बताया है.

उन्होंने कहा कि तमाम अफवाह और दुष्प्रचार से बचें. मेड इन इंडिया वैक्सीन की सुरक्षा और प्रभाव को लेकर वैज्ञानिक व विशेषज्ञ आश्वस्त हैं. इसके बाद ही इसे आपातकाल इस्तेमाल में लाया जा रहा है.

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने भारत के टैलेंट को सराहा. उन्होंने कहा महामारी के संकटकाल में जब कुछ देशों ने अपने नागरिकों को चीन में ही छोड़ दिया था. तब भारन, चीन में फंसे भारतीयों को वापस लाया. दूसरे देशों से नागरिक भी लाए गए.


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बोले, भारतीय वैक्सीन विदेशी की तुलना में बेहद सस्ती है. और इसका उपयोग आसान है. विदेशों में वैक्सीन की एक डोज की कीमत लगभग 5,000 रुपये है. दुनिया के 100 से अधिक देशों की आबादी 3 करोड़ से कम है. जबकि भारत पहले ही चरण में अपने 3 करोड़ नागरिकों को वैक्सीन लगाने जा रहा है. देश के लिए ये गर्व के क्षण हैं.

एम्स में कोरोना वैक्सीनेशन के कार्यक्रम में पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, फोटो-साभार एएनआइ

पीएम ने कहा कि जिसको सबसे अधिक जरूरत होगी. उसे सबसे पहले वैक्सीन मिलेगी. भारत ने जिस एकजुटता और साहस से महामारी का मुकाबला किया है. पूरी दुनिया ने उसका लोहा माना.


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वैक्सीनेशन को लेकर देश के विभिन्न राज्यों में जश्न का माहौल है. अस्पतालों में बेहतरीन सजावट की गई है. दिल्ली के एम्स में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलैरिया की मौजूदगी में टीका लगाया गया है.

वहीं, मुंबई के कॉपर अस्पताल, गुजरात के अहमदाबाद स्थित सिविल अस्पताल के अलावा राजस्थान, उत्तर प्रदेश, केरल समेत अन्य राज्यों में व्यापक तैयारियों के बीच टीकाकरण शुरू हुआ है.

टीकाकरण अभियान के बीच देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 15,158 नए मामले सामने आए हैं. इसके साथ ही संक्रमित मामलों की संख्या 1,05,42, 841 हो गई. जबकि नई 175 मौतों के साथ कुल मौतों का आंकड़ा 1,52,093 हो गया है. अब तक 1,01,79,715 लोग कोरोना पीड़ित स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं.

किसानों के साथ बैठक में बोले कृषि मंत्री-कानूनों पर एक मसौदा बनाकर दें, सरकार चर्चा को तैयार

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द लीडर : केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों (Farm Laws) पर छिड़े विवाद के बीच शुक्रवार को सरकार और किसान नेताओं के बीच विज्ञान भवन में आयोजित 9वें दौर की बैठक भी बेनतीजा रही. किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tiket) ने कहा कि हम सरकार से ही बात करेंगे. हमारे दो ही बिंदु हैं. तीनों कानून वापस हों और एमएसपी (MSP) पर बात की जाए. उन्होंने कहा कि हम कोर्ट (Court) नहीं जाएंगे. बल्कि सरकार से ही बात करेंगे.

बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि तीनों कानूनों पर चर्चा हुई. आवश्यक वस्तु अधिनियम पर भी बातचीत हुई. किसानों की शंकाओं के समाधान का प्रयास किया गया. यूनियन और सरकार ने तय किया है कि 19 जनवरी को फिर बैठैंगे.

कृषि मंत्री के मुताबिक, बैठक के दौरान हमने किसानों से कहा है कि वे अपने बीच एक अनौपचारिक समूह बना लें. ऐसे लोगों को रखें जो ठीक से कृषि कानूनों पर चर्चा कर सकें. एक मसौदा बनाकर सरकार को दें. हम उस पर खुले मन से विचार करने को तैयार हैं.

 


किसानों ने जब कह दिया कि वो कमेटी के पास नहीं जाएंगे तो फिर कमेटी का कोई मतलब नहीं बचता : भूपेंद्र मान


 

सरकार और किसानों की ये बैठक ऐसे समय हुई है, जब सुप्रीमकोर्ट बातचीत के लिए एक चार सदस्यीय समिति बना चुका है. हालांकि किसान नेताओं ने समिति के सदस्यों पर सवाल उठाए. विवाद के बीच कमेटी के एक सदस्य भूपेंद्र सिंह मान ने इससे खुद को अलग कर लिया है.

बता दें कि पिछले 51 दिनों से किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं. वे तीनों कृषि कानूनों को रद किए जाने की मांग कर रहे हैं. आंदोलन के इस अंतराल में अब तक करीब 50 से अधिक किसानों की मौत हो चुकी है.


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गत दिनों सुप्रीमकोर्ट ने कृषि कानूनों से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए किसान आंदोलन में होने वाली मौतों पर चिंता जताई थी. कोर्ट ने नए कानूनों के अमल पर रोक लगाते हुए एक कमेटी का गठन किया था.

राहुल गांधी का केंद्र पर वार, बोले-देश के अन्नदाता अहंकारी सरकार के खिलाफ सत्याग्रह कर रहे

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नई दिल्ली : कृषि कानूनों के बहाने केंद्र सरकार पर हमलावर कांग्रेस ने शुक्रवार को देशभर में ‘किसान अधिकार दिवस’ मनाया. दिल्ली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी कार्यक्रम में शामिल हुए. इस दौरान राहुल गांधी ने अपने संबोधन में कहा कि, ‘जब मोदी किसानों की जमीन छीनने की कोशिश कर रहे थे, तब हमने उन्हें रोका था. मोदी सरकार एक बार फिर से किसानों पर आक्रमण कर रही है. सरकार को ये समझना चाहिए कि किसान पीछे हटने वाले नहीं हैं. ये हिंदुस्तान है, जो पीछे नहीं हटता है. उनको यानी प्रधानमंत्री को आज नहीं तो कल पीछे हटना ही पड़ेगा.’

राहुल गांधी ने कहा कि देश के अन्नदाता अहंकारी सरकार के खिलाफ सत्याग्रह कर रहे हैं. आज पूरा भारत किसानों पर अत्याचारर व पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों के विरुद्ध आवाज बुलंद कर रहा है. उन्होंने लोगों से आंदोलन में जुड़ने का आह्वान किया है.


किसानों ने जब कह दिया कि वो कमेटी के पास नहीं जाएंगे तो फिर कमेटी का कोई मतलब नहीं बचता : भूपेंद्र मान


 

किसान अधिकार दिवस कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस नेताओं ने रैली निकाली और कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन किया. इस दौरान पुलिस ने कांग्रेस नेताओं को रोकने का भी प्रयास किया, जिसमें कांग्रेस नेत्री अल्का लांबा के हाथ में चोट भी लग गई है.

वहीं, राजस्थान, छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्यों में भी कांग्रेस नेताओं ने इस दिवस का आयोजन किया. रैली निकाली और कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग उठाई है.

सेना दिवस : चीन और पाकिस्तान को संदेश-हमारे सब्र का इम्तिहान न लें, कभी कामयाब नहीं होने देंगे नापाक इरादे

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नई दिल्ली : भारतीय सेना (Indian Army) दिवस पर सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे (MM Narvane) ने पड़ोसी चीन और पाकिस्तान को साफ संदेश दिया है. वो ये कि हमारे सब्र का इम्तिहान लें. हम उनके नापाक इरादों को कभी सफल नहीं होने देंगे.

शुक्रवार को सेना प्रमुख ने दिल्ली के करिय्यपा परेड मैदान पर परेड का निरीक्षण किया. और सैनिकों को उनकी बहादुरी के लिए सम्मानित किया. इस दौरान उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि बीता साल हमारे लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा. उत्तरी सीमाओं पर चीन के साथ तनाव से आप सब वाकिफ हैं.

एकतरफा बदलाव की इन साजिशों का हमारे सैनिकों ने मुंहतोड़ जवाब दिया. सेना प्रमुख ने कहा कि मैं देश को भरोसा दिलाना चाहूंगा कि गलवान के शहीदों की शहादत बेकार नहीं जाएगी.

दिल्ली के करिय्यपा परेड मैदान पर परेड का निरीक्षण सेना प्रमुख, फोटो-साभार एएनआइ

उन्होंने कहा कि देश के सम्मान पर भारतीय सेना रत्ती भर भी आंच नहीं आने देगी. हम बातचीत और राजनीतिक कोशिशों से समाधान निकालने को लेकर प्रतिबद्ध रहे हैं. पाकिस्तान का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हम उनके नापाक इरादों को कामयाब नहीं होने देंगे. नियंत्रण रेखा पर भी दुश्मन के हर नापाक इरादे का जवाब दिया जा रहा है.

सीमा पार 300-400 आतंकी घुसपैठ की मंशा पाले बैठे हैं. लेकिन हम उनके इरादे सफल नहीं होने देंगे. पाकिस्तान आतंकियों को शरण देने की अपनी आदत से लाचार है.

शहीदों की शहादत को नमन

सेना प्रमुख एमएम नरवणे ने सरहदों की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त शहीदों को याद किया. उन्होंने कहा कि उनकी शहादत देश और भारतीय सेना के लिए प्रेरणास्रोत है. मैं उनके परिवारों को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि हम उनके साथ हमेशा खड़े हैं.


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इंडियन आर्मी मोबाइल एप

इस दौरान सेना प्रमुख ने इंडियन आर्मी मोबाइल एप लांच किया किया है. इसे देश को समर्पित करते हुए कहा कि ये ऐप भारतीयों को भारतीय सेना के बारे में तमाम जानकारियां देगा.

नेशनल वॉर मेमोरियल पर श्रद्धांजलि

इससे पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ जनरल बिपिन रावत, आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे, इंडियन एफयरफोर्स चीफ, एयर चीफ मार्शल आरके एस भदौरिया और नेवी चीफ एडमिरल करमबीर सिंह ने नेशनल वॉर मेमोरियल पर श्रद्धांजलि दी.

किसानों ने जब कह दिया कि वो कमेटी के पास नहीं जाएंगे तो फिर कमेटी का कोई मतलब नहीं बचता : भूपेंद्र मान

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द लीडर : तीन नए कृषि कानूनों पर सुप्रीमकोर्ट द्वारा गठित कमेटी के सदस्य रहे भूपेंद्र स‍िंह मान ने कहा कि आंदोलन और किसानों के हितों को देखते हुए मैं समझता हूं कि उसमें (कमेटी) में जाने का कोई मतलब नहीं है. दूसरा, जब उन्होंने यानी किसानों ने कह दिया कि वो कमेटी के सामने नहीं जाएंगे तो फिर कमेटी का कोई तुक नहीं रह जाता. इसलिए मैंने कमेटी छोड़ दी है. शुक्रवार को समाचार एजेंसी एएनआइ से बातचीत में उन्होंने ये बातें कही हैं.

सुप्रीमकोर्ट की कमेटी छोड़ने वाले भारतीय किसान यूनियन के नेता भूपेंद्र मान, फोटो, साभार एएनआइ

गत दिनों सुप्रीमकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करने के बाद चार सदस्यीय कमेटी गठित की थी. इस कमेटी को किसानों और सरकार से बातचीत करके हल निकालना था. हालांकि कमेटी गठ‍ित होने के साथ ही उसके वजूद और सदस्यों पर सवाल उठने लगे.

किसान नेताओं ने साफ कर दिया कि वो इसके समक्ष नहीं जाएंगे. इसलिए क्योंकि कमेटी के सभी सदस्य कृषि कानूनों के समर्थक हैं. भूपेंद्र मान भी उसी कमेटी का हिस्सा थे. इसके बाद मान ने गुरुवार को खुद को कमेटी से अलग कर लिया था. भूपेंद्र मान, भारतीय किसान संघ के नेता हैं.


किसान आंदोलन : अगले 13 दिन बेहद खास, संभलकर चलाना होगा आंदोलन


 

केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों को लेकर पिछले 51 दिन से आंदोलन जारी है. हजारों की संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हैं. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक धीरे-धीरे ये आंदोलन दुनियां का सबसे बड़ा आंदोलन बनता जा रहा है.

टीकरी बॉर्डर पर शर्ट उतारकर प्रदर्शन करते किसान, फोटो-साभार एएनआइ

वहीं, किसान और सरकार के बीच संवाद जारी है. शुक्रवार को 9वें दौर की वार्ता होनी है. किसान नेता दिल्ली स्थित विज्ञान भवन के लिए रवाना हो चुके हैं. हालांकि इस बातचीत में भी कोई हल निकलेगा. इसकी गुंजाइश कम ही है. वो यूं कि सरकार कानून वापसी के मूड में नहीं है और किसान भी पीछे हटने को तैयार नहीं.


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शुक्रवार की सुबह टीकरी बॉर्डर पर कड़ाके की ठंड में किसानों ने शर्ट उतारकर प्रदर्शन किया. टीकरी बॉर्डर पर अमूमन हर रोज सुबह को ऐसे प्रदर्शनों का नजारा दिखता है. किसान तीनों कानूनों को रद किए जाने की मांग पर अड़े हैं. लोहड़ी पर कृषि कानूनों की प्रतियां जलाई थीं. और 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकालने का ऐलान कर रखा है. इसकी तैयारियां भी जोर-शोर से चल रही हैं.