द लीडर : केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों (Farm Laws) पर छिड़े विवाद के बीच शुक्रवार को सरकार और किसान नेताओं के बीच विज्ञान भवन में आयोजित 9वें दौर की बैठक भी बेनतीजा रही. किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tiket) ने कहा कि हम सरकार से ही बात करेंगे. हमारे दो ही बिंदु हैं. तीनों कानून वापस हों और एमएसपी (MSP) पर बात की जाए. उन्होंने कहा कि हम कोर्ट (Court) नहीं जाएंगे. बल्कि सरकार से ही बात करेंगे.
बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि तीनों कानूनों पर चर्चा हुई. आवश्यक वस्तु अधिनियम पर भी बातचीत हुई. किसानों की शंकाओं के समाधान का प्रयास किया गया. यूनियन और सरकार ने तय किया है कि 19 जनवरी को फिर बैठैंगे.
किसान यूनियन के साथ 9वें दौर की वार्ता समाप्त हुई। तीनों क़ानूनों पर चर्चा हुई। आवश्यक वस्तु अधिनियम पर विस्तार से चर्चा हुई। उनकी शंकाओं के समाधान की कोशिश की गई। यूनियन और सरकार ने तय किया की 19 जनवरी को 12 बजे फिर से चर्चा होगी: केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर pic.twitter.com/G4gJzRWcjT
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 15, 2021
कृषि मंत्री के मुताबिक, बैठक के दौरान हमने किसानों से कहा है कि वे अपने बीच एक अनौपचारिक समूह बना लें. ऐसे लोगों को रखें जो ठीक से कृषि कानूनों पर चर्चा कर सकें. एक मसौदा बनाकर सरकार को दें. हम उस पर खुले मन से विचार करने को तैयार हैं.
किसानों ने जब कह दिया कि वो कमेटी के पास नहीं जाएंगे तो फिर कमेटी का कोई मतलब नहीं बचता : भूपेंद्र मान
हमारी प्राथमिकता MSP रहेगी। सरकार MSP से भाग रही है: राकेश टिकैत, किसान नेता #FarmersProstest https://t.co/etZsfY6NCk
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सरकार और किसानों की ये बैठक ऐसे समय हुई है, जब सुप्रीमकोर्ट बातचीत के लिए एक चार सदस्यीय समिति बना चुका है. हालांकि किसान नेताओं ने समिति के सदस्यों पर सवाल उठाए. विवाद के बीच कमेटी के एक सदस्य भूपेंद्र सिंह मान ने इससे खुद को अलग कर लिया है.
बता दें कि पिछले 51 दिनों से किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं. वे तीनों कृषि कानूनों को रद किए जाने की मांग कर रहे हैं. आंदोलन के इस अंतराल में अब तक करीब 50 से अधिक किसानों की मौत हो चुकी है.
किसान आंदोलन : अगले 13 दिन बेहद खास, संभलकर चलाना होगा आंदोलन
गत दिनों सुप्रीमकोर्ट ने कृषि कानूनों से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए किसान आंदोलन में होने वाली मौतों पर चिंता जताई थी. कोर्ट ने नए कानूनों के अमल पर रोक लगाते हुए एक कमेटी का गठन किया था.