राष्ट्रीय बाल पुरस्कार पाने वाले मंत्रा की मुराद पूरी, पीएम ने की बात
- देश के 32 बच्चे सम्मानित
- प्रधानमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिंंग के जरिये दी बधाई
- मंत्रा स्पेशल ओलंंपिक्स के विजेता रहे हैं
- देश के यंग अचीवर, जिन्हें मिला सम्मान
देश के विभिन्न क्षेत्रों में नाम रौशन करने वाले 32 बच्चों को सोमवार को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरूस्कार से नवाजा गया है. राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इन बच्चों को मेडल, सर्टिफिकेट और एक लाख की धनराशि दी प्रदान की. वहींं, प्रधानमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिए विजेताओं से संवाद कर उन्हे बधाई दी. ये पुरस्कार शिक्षा, कला, डिजाइन, बहादुरी, संस्कृति, इनोवेशन, रिसर्च, समाजिक कार्य और खेल में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले 18 वर्ष या उससे कम आयु तक के बच्चों को दिया जाता है.
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इन्हीं 32 होनहारों में एक नाम है मंत्रा जितेंद्र हरखाानी. जो स्पेशल बच्चों के लिए प्रेरणा बनकर सामने आए हैं. इन्हें स्पोर्ट्स में राष्ट्रीय बाल पुरस्कार मिला है. डाउन सिंड्रोम से पीड़ित मंत्रा ने बीमारी को कमजोरी नहीं बनाया, बल्कि उससे जूझते हुए इस मुकाम तक पहुंचे हैं. साल 2019 में स्पेशल ओलंपिक में 50 मीटर तैराकी में उन्होंने दो गोल्ड मेडल झटके थे. आठ साल की उम्र से ही वो तैराकी का अभ्यास कर रहे हैं. उनकी इस कामयाबी के पीछे मां-बीजल और पिता जितेंद्र हरखानी की कड़ी मेहनत भी छिपी है.
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आसान नहीं था बेटे को हौसला देना
राजकोट के रहने हरखानी दंपति के लिए आसान नहीं था कि इकलौते बेटे को इस हालत में तैराकी सिखाएं. इसके बावजूद उन्होंने साहस दिखाया. रजकोट में आयोजित स्पेशल किड्स तैराकी प्रतियोगिता में मंत्रा को प्रतिभाग कराया है. यहीं से मंत्रा की नई दुनिया शुरू हुई.
मंत्रा के पिता बताते हैं कि बेटे की ट्रेनिंग के लिए मुझे अपनी नौकरी भी छोड़नी पड़ गई. उनकी पढ़ाई के लिए विशेष स्कूल भी तलाशना पड़ा. कोच विपुल भट्ट के मुताबिक शुरुआती प्रशिक्षण में काफी मुश्किलें आईं. हालांकि मंत्रा के जज्बे के आगे वे नहीं टिक पाईं. खास बात ये है कि ओलंपिक में गोल्ड जीतने के बाद मंत्रा की दिली ख्वाहिश थी कि वो प्रधानमंत्री से मिलें.
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वाट्सएप की नई पॉलिसी को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को जारी किया नोटिस
नई दिल्ली : पिछले दिनों सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वाट्सएप ने भारतीय यूजर्स के लिए अपनी पॉलिसी में बदली है. इस पर रोक लगाने से जुड़ी एक याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. हालांकि केंद्र ने हाईकोर्ट को बताया कि वाट्सएप भारतीय यूजर्स के साथ दूसरा व्यवहार कर रहा है. और इस मामले को देखा जा रहा है. केंद्र ने आग्रह किया कि वाट्सएप के जवाब दाखिल करने तक इस प्रकरण की सुनवाई टाल दी जाए.
एडवोकेट सी रोहिल्ला ने ये याचिका दाखिल की है. उन्होंने कहा कि वाट्सएप की नई पॉलिसी न सिर्फ निजिता के अधिकार का उल्लंघन है बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा है. याचिका में इस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की मांग की गई थी. याचिकाकर्ता ने ही कोर्ट से नोटिस जारी करने का आग्रह भी किया.
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केंद्र की ओर से कहा गया कि एप ने यूरोपीय यूजर्स को जो पॉलिसी दी है. वो भारतीयों को नहीं दी गई. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि, ‘दो मुद्दे हैं. अगर ये स्वैच्छिक है. यानी आप नहीं चाहते तो इसे न चुनें. आपको अपडेट डाउनलोड करना अनिवार्य नहीं है.
दूसरा, न केवल ये एप्लीकेशन बल्कि हर दूसरे एप्लिकेशन में समान नियम और शर्ते हैं. ये एप्लिकेशन आपके लिए कैसे पूर्वाग्रह करती है?’ कोर्ट ने कहा कि ये बेहद जटिल है, क्योंकि केंद्र सरकार इस मामले को देख रही है. मामले की अगली सुनवाई एक मार्च को होगी.
क्या है नई पॉलिसी
हाल ही में वाट्सएप की नई पॉलिसी आई है. इसके अंतर्गत यूजर्स को अपना वाट्सएप अपडेट करना होगा. ऐसा करते ही वाट्स-एप फोन में मौजूद तमाम डाटा को हासिल कर सकेगा. इसमें थर्ड पॉर्टी को भी डाटा उपलब्ध कराने की बात कही गई है. ये पॉलिसी आने के बाद से वाट्सएप का जबरदस्त विरोध हो रहा है. लाखों की संख्या में लोगों ने वाट्सएप के स्थान पर दूसरे सोशल मीडिया एप डाउनलोड करने शुरू कर दिए हैं.
लॉकडाउन में दाने-दाने को तरसे गरीब और बिजनेसमैनों की कमाई में 35 प्रतिशत का इजाफा
द लीडर : कोरोना महामारी में गरीबों की हालत देखी होगी. लॉकडाउन में दो वक्त के खाने के लिए उनकी छटपटाहट भी. ठीक इसी दरम्यान में देश के उद्योगपतियों की आमदनी तेज रफ्तार से बढ़ रही थी. ऑक्सफैम की एक रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन में भारत के अरबतियों की दौलत में 35 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है. जबकि इसी बीच 84 प्रतिशत परिवारों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा. इस रिपोर्ट को एनडीटीवी ने प्रकाशित किया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020 के अप्रैल महीन में ही 1.7 लाख लोगों की नौकरियां चल गईं थीं. इसमें कहा गया है कि 2020 में 100 अरबपतियों ने जितनी दौलत बनाई है, उससे देश के 13.8 करोड़ गरीबों को 94,045 रुपये प्रति व्यक्ति-चेक दिया जा सकता है. रिपोर्ट, भारत में बढ़ती आर्थिक असमानता की तस्वीर दर्शाती है.
गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड को किसान मोर्चा ने जारी की ये हिदायतें
इसके मुताबिक, रिलाइंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने एक घंटे में जितनी दौलत कमाई है. देश के एक अकुशल कामगार को उसे कमाने में 10 हजार साल लग जाएंगे.
ऑक्सफैम ने कहा है कि महामारी और लॉकडाउन ने अनौपचारिक मजदूरों को सबसे बुरी तरह से प्रभावित किया है. इस बीच करीब 12.2 करोड़ लोगों के रोजगार चले गए. जिसमें करीब 9.2 करोड़ लोग अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिक थे. महिलाओं पर इसका असर सबसे घातक रहा.
90 साल बाद सबसे बड़ा आर्थिक संकट
ऑक्सफैम ने महामारी को पिछले 100 सालों का सबसे बड़ा स्वास्थ्य संकट बताया है. वर्ष 1930 की महामंदी के बाद से ये सबसे बड़ा आर्थिक संकट भी रहा है. ऑक्सफैम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ बेहर ने कहा कि, रिपोर्ट से पता चलता है कि असमान आर्थिक व्यवस्था ने कैसे सबसे बड़े आर्थिक संकट के दौर में भी कुछ अमीरों ने सबसे ज्यादा दौलत बंटोरी है.
ट्रैक्टर परेड के लिए निकले किसान, डीजल न मिलने पर भड़के टिकैत , राहुल गांधी ने साधा निशाना
द लीडर : कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन तेज होता जा रहा है. पिछले 60 दिनों से किसान दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हैं. 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड निकालेंगे. इसके लिए देश के विभिन्न हिस्सों से किसान ट्रैक्टर लेकर दिल्ली रवाना होने लगे हैं. किसान नेता राकेश सिंह टिकैत के मुताबिक कुछ जगहों पर पेट्रोल पंप किसानों को डीजल देने से मना कर रहे हैं. उन्होंने, चेताते हुए कहा कि वे जान लें कि किसान रुकने वाले नहीं हैं.
ट्रैक्टर परेड के संबंध में किसान नेता और दिल्ली पुलिस के बीच एक दिन पहले ही सहमति बनी थी. दरअसल, पहले दिल्ली पुलिस ने ट्रैक्टर परेड की इजाजत देने से मना कर दिया था और सीमाओं पर सीमेंटेड बैरिकेड लगवा रही थी.
किसानों ने फिर नामंजूर किया कृषि कानूनों को होल्ड पर रखने का सरकारी प्रस्ताव
शनिवार को स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव ने कहा था कि पुलिस बैरिकेड हटाएगी. इस पर सहमति बनी है. यानी अब पुलिस ट्रैक्टर परेड को नहीं रोकेगी.
मुंबई में किसानों का मार्च
मुंबई में किसान पैदल मार्च निकाल रहे हैं. आज यानी 24 जनवरी की रात को किसान आजाद मैदान में रुकेंगे और 25 जनवरी को राजभवन का घेराव करेंगे.
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (TISS)के शोधकर्ता और एक्टिविस्ट फहाद अहमद ने अपने फेसबुक पेज पर ये जानकारी साझा की है.
किसान आंदोलन पर मंडराने लगा हिंसा का साया, जिस युवक को पकड़ा उसने प्रदर्शनकारियों पर ही जड़े गंभीर आरोप
राहुल बोले-हम मिलकर लड़ेंगे
कांग्रेस नेता राहुल गांधी तमिलनाडु के दौरे पर हैं. उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि किसान की परेशानियों को सुनने, समझने के बजाय सरकार उन्हें आतंकवादी कहती है. इन ताकतों से हम मिलकर लड़ेंगे.
राहुल ने कहा कि इतिहास में पहली बार देख रहे हैं कि किसान 26 जनवरी को रैली निकाल कर रहे हैं. क्योंकि वो दुखी हैं और इस बात को समझते हैं कि, जो उनका है, वो उनसे छीना जा रहा है.
देखिए, दुनिया में सबसे पहले कोरोना से छुटकारा पाने वाले देश की कहानी
पलाऊ. ये एक छोटा सा देश है. जिसकी आबादी मात्र 18 हजार के आस-पास है. आजकल ये चर्चा में है. इसलिए क्योंकि दुनिया में सबसे पहले इसने कोरोना महामारी से छुटकारा पा लिया है. देखिए, शब्या सिंह तोमर की रिपोर्ट.
19 साल की सृष्टि एक दिन के लिए बनेंगी उत्तराखंड की मुख्यमंत्री, यूपी में भी अफसर बनेंगी टॉपर छात्राएं
द लीडर : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राष्ट्रीय बालिका दिवस पर एक शानदार पहल की है. उनकी सरकार ने बीएससी कृषि विज्ञान की 19 साल की छात्रा सृष्टि गोस्वामी को एक दिन का मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया है. आज यानी रविवार को ही सृष्टि मुख्यमंत्री बनेंगी. ये अभिनेता अनिल कपूर की फिल्म नायक जैसी ही कहानी है. मगर इसके मूल में महिला सशक्तिकरण का सार है.
इसी बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने भी बालिकाओं को एक दिन के लिए महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर बिठाने का इरादा किया है. मेधावी छात्राओं को कमिश्नर, डीएम, सीडीओ जैसी जिम्मेदारी दी जाएगी.
मूलरूप से हरिद्वार के दौलतपुर गांव के रहने वाली सृष्टि के पिता एक दुकान चलाते हैं, जबकि मां आंगनवाड़ी कार्यकत्री हैं. बीएसएम कॉलेज से बीएससी कृषि विज्ञान के सातवें सेमेस्टर की ये छात्रा सामाजिक कार्यों में बढ़चढ़कर भाग लेती रही हैं. वर्ष 2018 में बाल विधानसभा में उन्हें कानून निर्माता चुना गया था.
जबकि 2019 में वह गर्ल्स इंटरनेशनल लीडरशिप कार्यक्रम के अंतर्गत थाइलैंड में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं. इसके साथ ही वो अपने क्षेत्र में शिक्षा को लेकर अभियान चला रही हैं, जिसमें खासतौर से महिला शिक्षा पर उनका जोर है.
रविवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत, सृष्टि को विधानभवन में बाल विधानसभा सत्र के आयोजन के दौरान सीएम पद की जिम्मेदारी सौंपेंगे.
कश्मीर के पूर्व ब्यूरोक्रेट शाह फैसल ने की मोदी सरकार की जमकर तारीफ
द लीडर : देश की सबसे प्रतिष्ठित IAS सेवा से अचानक इस्तीफा देकर सुर्खियां में छाने वाले पूर्व ब्यूरोक्रेट और राजनेता शाह फैसल (Shah Faisal) एक बार फिर से चर्चा में हैं. इस बार की चर्चा का सबब है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की तारीफ, जो कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर शाह फैसल ने की है. अपने एक ट्वीट में फैसल ने लिखा, ‘ये सिर्फ एक टीकाकरण अभियान नहीं है, बल्कि उससे कहीं ज्यादा है. सुशासन, मानव पूंजी और राष्ट्रनिर्माण के अलावा भारत विश्वगुरु के रूप में वैश्विक नेतृत्व संभाल रहा है.’ फैसल के इस ट्वीट ने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है. (Kashmir Bureaucrat Shah Faisal Modi)
This is more than just a vaccination program.
It's good governance + human capital formation + nation building + India assuming global leadership as a Jagat Guru. https://t.co/g8K6SqKYkK
— Shah Faesal (@shahfaesal) January 22, 2021
उनके इस ट्वीट को दिल्ली के भाजपा (BJP) नेता कपिल मिश्रा ने रि-ट्वीट करते हुए लिखा, 370 स्वाहा. एक न्यूज वेबसाइट से बातचीत में शाह फैसल ने कहा कि मैंने राजनीति छोड़ दी है. मेरा ट्वीट प्रधानमंत्री के 1.3 करोड़ नागरिकों के वैक्सीनेशन को लेकर था. पूरी दुनियां भारत के कोविड प्रबंधन की प्रशंसा कर रही है. पीएम के लिए मेरी तारीफ से हैरत क्यों होनी चाहिए.
जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के रहने वाले शाह फैसल, संघ लोकसेवा आयोग (UPSC) के साल 2009 बैच के टॉपर रहे हैं. 25 साल की उम्र में एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने वाले फैसल यूपीएससी में टॉप करने वाले पहले कश्मीरी भी हैं. करीब दस साल तक प्रशासनिक सेवा के बाद उन्होंने फरवरी 2019 में इस्तीफा दे दिया था. और 4 फरवरी 2019 को जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट पार्टी के गठन की घोषणा की थी.
जब देश की संसद में चर्चा न हो तो जनता को बुलानी चाहिए अपनी संसद : प्रशांत भूषण
इसी बीच केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35-ए खत्म कर दी. 14 अगस्त 2019 को तुर्की जाने के दौरान शाह फैसल को नजरबंद कर लिया गया, जहां वह करीब छह महीने तक बंद रहे. फरवरी 2020 में उनके विरुद्ध यूएपीए के अंतर्गत कार्रवाई हुई.
यूएपीए से रिहा होने के बाद 10 अगस्त 2020 को फैसल ने सियासत को अलविदा कह दिया था. इससे पहले शाह फैसल का नाम जेएनयू की छात्रनेता रहीं शाहिल राशिद के पारिवारिक मामले में घसीटा गया था. हालांकि फैसल ने एक इस विवाद से खुद को अलग रखे जाने की अपील की थी.
जब देश की संसद में चर्चा न हो तो जनता को बुलानी चाहिए अपनी संसद : प्रशांत भूषण
द लीडर : देश के जाने-माने वकील प्रशांत भूषण ने शुक्रवार को दो दिवसीय किसान संसद बुलाई है. इसका मकसद बताते हुए उन्होंने कहा कि जब देश की संसद में कानून और किसानों की समस्याओं पर चर्चा नहीं होने दी जा रही है. तो फिर जनता को एक संसद बुलाकर इस पर चर्चा करनी चाहिए. इसमें मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर, अरुणा रॉय, जस्टिस गोपालन, पी साईनाथ समेत अन्य हस्तियों ने भाग लिया है.
किसान संसद के लिए पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा को भी न्यौता भेजा गया था. स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उन्होंने इसमें शामिल न हो पाने की सूचना ट्वीटर पर साझा की है.
The Kisan Sansad will take place in Delhi for the next two days. I am unable to attend. Here is a letter I wrote to @pbhushan1 saying that I may not be there in person but will be present in spirit. pic.twitter.com/EnfJd2ehgZ
— H D Devegowda (@H_D_Devegowda) January 23, 2021
दिल्ली के गुरु तेग बहादुर स्मारक पर आयोजित किसान संसद को संबोधित करते हुए प्रशांत भूषण ने कहा कि कृषि कानूनों को संसद में बिना वोटिंग के पास कर दिया गया. इससे पहले कोई सलाह-मशविरा भी नहीं हुआ.
न्यूनतम समर्थन मूल्य-जैसी जायज मांगों को भी तवज्जो नहीं दी गई. उल्टे ऐसे काानून पास कर दिए, जिससे किसान बर्बाद हो जाए. इसीलिए आज इतना बड़ा आंदोलन खड़ा हुआ है.
किसान आंदोलन पर मंडराने लगा हिंसा का साया, जिस युवक को पकड़ा उसने प्रदर्शनकारियों पर ही जड़े गंभीर आरोप
उन्होंने कहा, सरकार ने सोचा कि किसानों को भगा देंगे. उन पर वाटर कैनन, टियर गैस के गोले दागे. रास्ते में खाईं खोदी गई. इस सबके बाद भी किसान पहुंचे हैं. दो महीने से शांतिपूर्वक आंदोलन चल रहा है. सरकार ने इनको खालिस्तानी, पाकिस्तानी कहकर बदनाम करने की कोशिश की. अब गणतंत्र दिवस पर आने से रोका जा रहा है.
जबकि किसान कह रहे हैं कि वो गणतंत्र दिवस का जश्न मनाएंगे. ये सब देखते हुए सिविल सोसायट के लोगों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है. हम सबने तय किया कि इस पर चर्चा की जाए. इसके लिए सभी सांसद, पूर्व सांसद, राजनीतिक और किसान नेताओं के अलावा विशेषज्ञों का न्यौता भेजा.
बोले, ये किसान संसद पहली और आखिरी नहीं है. ये तो शुरुआत है जो पूरे देश में चलनी चाहिए. जहां किसान की समस्या और जरूरतों पर खुली चर्चा की जाए.
किसान आंदोलन पर मंडराने लगा हिंसा का साया, जिस युवक को पकड़ा उसने प्रदर्शनकारियों पर ही जड़े गंभीर आरोप
द लीडर : किसान नेता डॉ. दर्शनपाल सिंह ने अपने एक बयान में कहा था कि, ’26 जनवरी तक आंदोलन को बहुत जिम्मेदारी और संभलकर चलाना होगा.’ जाहिर है कि उनके इस मंतव्य के पीछे साजिश जैसी कोई आशंका छिपी थी. जो दिल्ली में ट्रैक्टर परेड की तारीख नजदीक आने तक लगभग साफ होती जा रही है. शुक्रवार को किसानों ने हरियाणा के कुंडली बॉर्डर से सोनीपत के एक युवक को पकड़ा था. जिसने मीडिया के सामने हिंसा उकसाने के लिए भेजे जाने की बात स्वीकारी थी. (Farmer Movement Shadow Violence)
अब उसी युवक का एक और वीडियो सामने आया है. जिसमें वो ये कहते सुना जा रहा है कि, ‘मैं अपने मामा के घर आया था. जहां मुझे पकड़ लिया गया. ट्रॉली में मेरे साथ मारपीट की गई. और मीडिया के सामने झूठा बयान देने को कहा गया. मैंने जो कुछ भी बोला-वो दबाव में कहा था.’ अब दिल्ली पुलिस इस मामले की पड़ताल में जुटी है.
युवक के दोनों आरोप बेहद गंभीर हैं. एक वो, जो शुक्रवार को उसने मीडिया के सामने लगाया था, जिसमें चार किसान नेताओं की हत्या तक की बात शामिल थी. दूसरा-अब जो उसका ताजा वीडियो सामने आया है. इसमें वो प्रदर्शनकारी किसानों के दबाव में झूठे बयान देने की मजबूरी जता रहा है.
पिछले करीब 59 दिनों से किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं. कृषि कानूनों को खिलाफ उनका ये अहिंसक आंदोलन दुनिया के सबसे बड़े प्रदर्शनों में शुमार हो चुका है. सरकार और किसानों के बीच 11 दौर की बातचीत भी हुई. ये अलग बात है कि दोनों पक्ष अपनी बातों पर अड़े रहे. और कोई निष्कर्ष नहीं निकला.
दिल्ली पुलिस टीकरी बॉर्डर को बैरिकेड, मिट्टी और कंटेनर से सील करने में जुटी
अब चूंकि किसानों ने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकालने का ऐलान कर रखा है. जिसके लिए पंजाब, उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों से किसानों के जत्थे ट्रैक्टर लेकर रवाना भी होने लगे हैं. तब आंदोलन में हिंसा की आशंका ने न सिर्फ किसान नेताओं बल्कि दिल्ली पुलिस की बेचैनी बढ़ा दी है.
दिल्ली पुलिस पहले ही किसानों से साफ कह चुकी है कि उन्हें दिल्ली के अंदर ट्रैक्टर परेड की इजाजत नहीं मिलेगी. क्योंकि इससे कानून व्यवस्था की चुनौती पैदा हो सकती है. दूसरी तरफ किसानों का मत साफ है-कि वे दिल्ली के अाउटर रिंग रोड पर ही परेड करेंगे.
किसान आंदोलन : अगले 13 दिन बेहद खास, संभलकर चलाना होगा आंदोलन
किसान ट्रैक्टर लेकर दिल्ली की सीमाओं में न आने पाएं. इसको लेकर बॉर्डर पर सीमेंट और कंटीले तारों के बैरिकेड लगाए जा रहे हैं. जबकि किसान ट्रैक्टर परेड के अभ्यास में लगे हैं. किसान नेताओं पर दबाव अधिक है. वो इस बात कहा कि आंदोलन जारी रखने के साथ उन्हें इसकी साख भी बचाकर रखनी है. क्योंकि ताजा घटनाक्रम ने इस आंदोलन के वजूद पर संकट पैदा कर दिया है.