काशीपुर : आंदोलन खत्म कर घर लौटे किसानों का जोरदार स्वागत, शहीद किसानों को दी गई श्रद्धांजलि

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द लीडर। देश का अन्नदाता सवा एक साल बाद अपने खेतों से बिछड़ कर घर वापस लौटा है, किसानों के आंदोलन को स्थगित कर वापस लौटे किसानों का मिनी पंजाब कहे जाने वाले काशीपुर में भव्य रूप से फूल मालाओं के साथ स्वागत किया गया। केन्द्र सरकार द्वारा किसान बिल को लेकर वापस लिये गये निर्णय से किसानों की जीत का बिगुल बजाते हुए किसानों की शानदार वापसी पर ठोल नगाड़ों से जनता के साथ ही जनप्रतिनिधियों ने भी उनका जोरदार स्वागत किया।


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आंदोलन की रणभूमि से लौटे किसानों का स्वागत

दिल्ली बॉर्डर पर सवा एक साल से अपने खेतों से दूर देश का अन्नदाता सड़कों पर डट कर अपने हक-हकूक की लड़ाई लड़ रहा था, न जाने कितने ही संघर्ष और बलिदान देने के बाद किसानों के दर्द की आह सरकार के कानों तक पहुंची और किसानों के हक में फैसला सुनाते हुए केंद्र की भाजपा सरकार अपने निर्णय से बैक फूक पर हुई, आखिर देश का किसान जिस तरह से अपने खेतों पर कठिन परिश्रम करते हुए डट कर धरती का सीना चीर फसल उगाता है, उसी तरह से सड़कों पर डट कर किसान ने सरकार के फैसले को बदलने पर मजबूर कर ये साबित कर दिया है कि, ये देश किसानों का है, आज आंदोलन की रणभूमि से लौटे किसानों का काशीपुर की भूमि पर भव्य स्वागत किया गया। जहां आंदोलनकारी किसानों का फूल मालाओं के साथ स्वागत तो किया गया, साथ ही आंदोलन में शहीद हुए किसानों को भी इस मौके पर श्रद्धांजलि दी गई। वहीं किसानों ने जहां जीत का जश्न मनाया वहीं केन्द्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि, आंदोलन स्थगित किया गया है, ना की खत्म हुआ है। अगर जल्द ही उनकी मांगों को पूरी तरह से अमल में नहीं लाया गया तो, बॉर्डर पर आंदोलन के लिए देश का किसान वापस बैठने को तैयार है।

शहीद किसानों को दी गई सच्ची श्रद्धांजलि

डोल नगाड़ों के साथ फूल मालाओं से लदे आंदोलनकारी किसान जब अपनी कर्म और जन्म भूमि पर पहुंचे तो जिस जोश के साथ उनका फूल मालाओं से स्वागत हुआ उसे देख कर निश्चित तौर पर अंदाजा लगाया जा सकता है कि, किसान आंदोलन के साथ हर वर्ग जुड़ा था, और किसी न किसी रूप में अपना सहयोग दे रहा था, भले ही घर वापसी पर आंदोलन में शहीद हुए कुछ लाल अपने घरों की चौखट नहीं देख पाये। लेकिन आंदोलन की जीत ने उनकी शहादत को व्यर्थ नहीं जाने दिया, और जीत का जश्न ही उन किसानों के लिए सच्ची श्रद्धांजलि के तौर पर अर्पित की गई।


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