गुवाहाटी के कॉटन कॉलेज से छात्र राजनीति शुरू करने वाले हेमंत बिस्वा सरमा होंगे असम के 14वें मुख्यमंत्री

0
394

द लीडर : गुवाहाटी के कॉटन कॉलेज से छात्र राजनीति की शुरुआत करने वाले हेमंत बिस्वा सरमा असम के 14वें मुख्यमंत्री होंगे. रविवार को भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें विधायक दल का नेता चुन लिया है. वहीं, दोबारा असम के मुख्यमंत्री पद की शपथ की हसरत पाले बैठे पूर्व मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनेवाल के हिस्से मायूसी आई है. हालांकि ये उम्मीद जताई जा रही है कि सोनेवाल की अगली भूमिका केंदीय राजनीति में होगी. (Himanta Biswa Sharma 14th Chief Minister Assam )

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रविवार को ये घोषणा की कि मैं सर्वसम्मति से असम राज्य विधानमंडल के नेता के रूप में हेमंत बिस्वा सरमा को विधायक दल का घोषित करता हूं. रविवार को जब विधायक दल की बैठक शुरू हुई तो हेमंत बिस्वा सरमा और पूर्व मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनेवाल एक साथ बैठक में पहुंचे थे. इसके कुछ देर बाद ही सर्वानंद के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिए जाने की सूचना सामने आई. तभी ये साफ हो गया था कि हेमंत बिस्वा सरमा ही अगले मुख्यमंत्री होंगे.


फिलिस्तीन : अल अक्सा मस्जिद में इजरायली सैनिकों की बर्बरता के बाद भी नमाज को जुटे सैकड़ों फिलिस्तीनी नागरिक


 

असम विधानसभा की 126 सीटों में भाजपा के मित्रजोत गठबंधन ने 75 सीटों पर जीत दर्ज की थी. जबकि कांग्रेस के महाजोत गठबंधन के हिस्से में 50 सीटें आई थीं. इसमें क्षेत्रीय दल पूरी ताकत के साथ लड़े थे और विष्लेषण में ये सामने आ रहा है कि कांग्रेस को क्षेत्रीय दलों से नुकसान पहुंचा है. क्योंकि कई सीटों पर काफी कम अंतर से हार-जीत हुई थी.

कांग्रेस का दामन छोड़कर पांच साल में सीएम की कुर्सी तक पहुंचे

52 वर्षीय हेमंत बिस्वा सरमा असम में कांग्रेस का मजबूत चेहरा हुआ करते थे. साल 1996 से 2015 तक वे कांग्रेस का अंग रहे. बिस्वा पहली बार 2001 में विधायक चुने गए थे. तब उन्होंने असोम गण परिषद के नेता भ्रिगी कुमार पुखन को पराजित किया था.

करीब 19 साल तक कांग्रेस के सिपाही के रूप में काम करने वाले बिस्वा ने 2015 में अमित शाह से मुलाकात के बाद कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद भाजपा ने उन्हें असम में चुनाव समिति में शामिल किया था. बिस्वा पर अमित शाह का दांव कारगार साबित हुआ और चुनाव में भाजपा को जीत मिली. बाद में बिस्वा अमस सरकार में मंत्री बने.


क्या नीतीश सरकार, बिहार के दौलतमंद नेताओं ने अपनी गैरत बेच डाली, मां को गड्ढे में दफनाती बेटी के मन में जरूर उठा होगा ये सवाल


 

हेमंत बिस्वा सरमा कई बार विवादित बयानों को लेकर भी सुर्खियों में रहे हैं. साल 2020 में उन्होंने एआइयूडीएफ के नेता और सांसद बदरुद्दीन अजमल पर पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाजी का आरोप लगाया था. तब ये मुद्दा खूब मीडिया की उछला था. हालांकि बाद में ये बिस्वा के आरोप गलत साबित हुए थे. इस मामले में बदरुद्दीन ने बिस्वा के विरुद्ध एनसीआर भी दर्ज कराई थी.

52 वर्षीय हेमंत बिस्वा सरमा असम में कांग्रेस का मजबूत चेहरा हुआ करते थे. साल 1996 से 2015 तक वे कांग्रेस का अंग रहे. बिस्वा पहली बार 2001 में विधायक चुने गए थे. तब उन्होंने असोम गण परिषद के नेता भ्रिगी कुमार पुखन को पराजित किया था.

करीब 19 साल तक कांग्रेस के सिपाही के रूप में काम करने वाले बिस्वा ने 2015 में अमित शाह से मुलाकात के बाद कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद भाजपा ने उन्हें असम में चुनाव समिति में शामिल किया था. बिस्वा पर अमित शाह का दांव कारगार साबित हुआ और चुनाव में भाजपा को जीत मिली. बाद में बिस्वा अमस सरकार में मंत्री बने.


फौजी को यूपी पुलिस ने इतनी क्रूर यातनाएं दीं, सीमा पार का दुश्मन भी ऐसा जुल्म न करता, आरोपी पुलिसवालों पर मामला दर्ज


 

बिस्वा असम बैडमिंटन परिषद और अमस क्रिकेट परिषद के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. एक फरवरी 1969 को गुवाहाटी की गांधी बस्ती उलूबारी में कैलाश नाथ शर्मा और मृणाली नाथ शर्मा के घर जन्में हेमंत ने गुवाहाटी के कॉटन कॉलेज से स्नातक किया. 1991 में कॉटन कॉलेज के छात्रसंघ चुनाव में वह महासचिव निर्वाचित हुए.

हेमंत ने राजनीतिशास्त्र में पोस्ट ग्रैजुएट की डिग्री हासिल करने के बाद गुवाहाटी गर्वंमेंट कॉलेज से एलएलबी की. और बाद में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की. वह गुवाहटी हाईकोर्ट में प्रैक्टिस भी कर चुके हैं. लेकिन हेमंत बिस्वा का पूरा मन राजनीति में लगा था. और बाद में वह सियासत की डगर पर चलकर राज्य के मुख्यमंत्री की गद्दी तक जा पहुंचे हैं.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here