क्या नीतीश सरकार, बिहार के दौलतमंद नेताओं ने अपनी गैरत बेच डाली, मां को गड्ढे में दफनाती बेटी के मन में जरूर उठा होगा ये सवाल

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अपनी मां को गड्डा खोदकर दफन करती ये बेटी. फोटो साभार आरजेडी-ट्वीटर

अतीक खान


क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार का जमीर मर चुका है. दौलतमंद एमपी, एमएलए और उद्योगपतियों ने भी अपनी गैरत बेच डाली है. धन, दौलत, रुतबा-इसमें चूर मंत्री, अफसर सबके सब बेपरवाह हो चुके हैं. क्या सत्ता के सुरूर में मदमस्त पूरी मशीनरी संवेदनहीन हो चुकी है? यकीनन अररिया के बिशनपुर पंचायत की उस बेटी के मन में ऐसे कड़वे और वाजिब सवाल जरूर उठ रहे होंगे. जिसको मजबूर होकर अपनी मां को गड्ढे में दफन करना पड़ा. इसलिए क्योंकि उसके पास अंतिम संस्कार करने भर के पैसे नहीं थे. क्या एक सभ्य और राम राज्य की कल्पना वाले समाज-देश में ऐसी घटनाएं आम इंसान की आत्मा को भी नहीं झकझोरती हैं.

घटना अररिया के बिशनपुर पंचायत की है. एक दंपत्ति की कोरोना रिपोर्ट संक्रमित पाई गई. उपचार के लिए उन्हें पूर्णिया ले जाया गया. जहां पहले पति की मौत हो गई और बाद में पत्नी की. हिंदुस्तान की एक रिपोर्ट के मुताबिक बच्चों के पास अंतिम संस्कार भर के पैसे नहीं थे. ग्रामीणों ने भी सहयोग नहीं किया. आखिरकार बच्चों ने मां के अंतिम संस्कार की तैयारियां की और मिलकर गड्डा खोदा. बड़ी बेटी ने पीपीई किट पहनकर मां को गड्ढे में दफनाया. अब इसका फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.


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वरिष्ठ पत्रकार नदीम ने ट्वीटर पर ये फोटो शेयर करते हुए लिखा है-जिस बिहार के 81 फीसदी विधायक करोड़पति हों और जिनकी औसत संपत्ति 4.32 करोड़ है. सबसे अमीर तीन विधायकों की दौलत क्रमश: 68, 43 और 29 करोड़ है. उसी बिहार की ये बेटी अपनी मां के अंतिम संस्कार के लिए पैसों का जुगाड़ नहीं कर पाई. शर्म से डूब मरना चाहिए.

बिहार के विपक्षी दल आरजेडी ने ये फोटो ट्वीट करते हुए लिखा. नीतीश जी ये हिला देने वाला दृश्य आपकी सरकार की संवेदनहीनता, कुव्यवस्था और क्रूरता का एकमात्र कुकर्म नहीं है. लोग अपने परिजनों को सदा के लिए खोने और तिल तिल कर मरते हुए देखने के बीच ऐसा नकर झेल रहे हैं, जिसकी उन्होंने अपने सबसे बदतरीन दु:स्वप्न में भी कल्पना नहीं की होेगी.

जाहिर है कि विपक्ष की आलोचना का नीतीश कुमार या उनकी सरकार पर रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ने वाला. क्योंकि जब पटना हाईकोर्ट ने बिहार की स्वास्थ्य सेवाओं की हालत से दुखी होकर ये कहा कि राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को सेना के हवाले कर देना चाहिए. तब भी सुशासन बाबू ने अपने राज्य के हालात को सुधारने का कोई ठोस प्रयास नहीं किया. अगर किया होता तो शायद अररिया की ये दिल दहलाने वाली तस्वीर सामने नहीं आती.


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बिहार स्वास्थ्य पैमाने पर सबसे खराब हालत में है. इसको लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लगातार सरकार पर हमलावर हैं. लेकिन नीतीश सरकार विपक्ष की आलोचना को पूरी तरह से नजरंदाज किए हुए है. शायद वो बिहार की जनता से उनकी पार्टी जेडीयू को चुनाव में नापसंद किए जाने का बदला ले रहे हों.

बिहार में भाजपा के प्रवक्ता राजीव प्रताप रूड़ी के एक परिसर से करीब 50 एंबुलेंस बरामद की गई हैं, जो खाली खड़ी थीं. बिहार के नेता पप्पू यादव ने एक वीडियो जारी कर घटना का खुलासा किया. तो ये तर्क रखा गया कि एंबुलेंस चलाने के लिए ड्राइवर नहीं है. शनिवार को पप्पू यादव ने ड्राईवरों का बंदोवस्त कर राजीव प्रताप रूड़ी की संवेदनहीनता पर करारा तमाचा जड़ा है. हालांकि शनिवार को ही आरजेडी ने एक वीडिया जारी की है. जिसमें एक एंबुलेंस में रेता-बालू भरते देखा जा रहा है. आरजेडी ने इस एंबुलेंस को राजीव प्रताप रूड़ी का बताया है.


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तो बिहार के ये हालात हैं. और सुशासन बाबू मौन हैं. अस्पतालों में ऑक्सीजन, बेड और दवाओं के अभाव में लोग तिल तिल कर मर रहे हैं. लेकिन सरकार जैसे बेफिक्र है.

बेहतर होगा कि सुशासन बाबू ये बेफिक्री छोड़कर राज्य के लोगों को बचाने में अपनी ऊर्जा लगाएं. ये त्रासदी भी गुजर जाएगी. ये अलग बात है कि अपने पीछे इतने गहरे निशान छोड़ जाएगी, जिसमें निकृष्ट सरकारें और राजनीति उसमें डूब जाएगी. इतनी गहरी कि शायद फिर कभी उबर न पाए.

(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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