द लीडर : उत्तर भारत से लेकर दक्षिण और पूर्वोत्तर तक मॉब लिंचिंग का बेखौफ आपराधिक सिलसिला जारी है. त्रिपुरा में भीड़ के एक झुंड ने तीन जवान लड़कों को केवल गाय चोरी के शक की बुनियाद पर पीट-पीटकर मार डाला. मरने वाले में 18 साल के सैफुल इस्लाम, 28 साल के जायेद हुसैन और 30 साल के बिलाल मियां शामिल हैं.
त्रिपुरा की ये घटना खोवाई जिले के महारानी इलाके की है. सैफुल, जायद और बिलाल. ये तीनों महारानी इलाके में थे. स्थानीय लोगों को शक हुआ कि गाय चोरी करने वाले हैं. भीड़ जुटी. तीनों को घेर हमलावर हो गई. और बेरहमी से पीटा.
इसमें दो की मौके पर मौत हो गई, जबकि एक ने अस्पताल में दम तोड़ दिया.
खोवई जिला त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से बमुश्किल 45 किलोमीटर दूर है. लेकिन हैरत की बात ये कि 20 घंटे बाद भी सरकार और विपक्ष पूरी तरह खामोश है. अब तक दोनों की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है.
https://twitter.com/Dipankar_cpiml/status/1406799953398140930?s=20
नार्थ ईस्ट नाउ ने तेलियामुरा सब डिवीजन के एसडीपीओ-सोना चरण जमातिया के हवाले से अपनी रिपोर्ट में लिखा है-, ‘स्थानीय लोगों ने तीनों को एक वाहन से घूमते देखा. चोरी का शक हुआ. पकड़कर उन्हें पीटा. शुरुआती जांच में पुलिस को पता लगा है कि तीनों ने चंपाहौर से गाय चोरी की हैं.’
एसडीपीओ ने कहा कि सूचना पर कल्याणपुर से दमकल के कर्मचारी मौके पर पहुंचे. उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के बाद मुंगियाकामी पीएचसी में ले गए. बाद में अगरतला के जीबीपंत अस्पताल रेफकर किया गया. जहां उनकी मौत हो गई.
इसे भी पढ़ें – Hariyana : महापंचायत में आसिफ की हत्या का जश्न, हैरान करता तालियों का शोर
एसडीपीओ ने कहा कि कल्याणपुर थाने में अज्ञात हमलावरों के खिलाफ मॉब लिंचिंग का मामला दर्ज किया गया है. और मामले की जांच की जा रही है. हालांकि इस मामले में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हो पाई है.
त्रिपुरा की इस घटना ने एक बार फिर मॉब लिंचिंग पर सख्त कानून के साथ सरकार व प्रशासनिक इच्छाशक्ति की जरूरत जता दी है. जैसे 2018 में सुप्रीमकोर्ट ने बढ़ती मॉब लिंचिंग पर चिंता जाहिर करते हुए राज्य सरकारों को, इससे कड़ाई से निपटने का आदेश दिया था.
Violence by vigilante groups/cow vigilantism: Supreme Court asks Parliament to see whether a new law can be made into the issue. Supreme Court fixed the matter for further hearing on August 28
— ANI (@ANI) July 17, 2018
तब सर्वोच्च न्यायालय मॉब लिंचिंग मामले की सुनवाई कर रहा था. अदालत ने कहा था कि संसद, मॉब लिंचिंग पर सख्त कानून बनाए. क्योंकि कोई भी शख्स खुद में कानून नहीं हो सकता. न ही लोकतंत्र में भीड़तंत्र को स्वीकार किया जा सकता है. शीर्ष अदालत ने राज्य सरकारों को भी आदेशित किया था कि वे संविधान का पालन कराएं.
राज्य सरकारों ऐसी घटनाओं की अनदेखी नहीं कर सकतीं. तब कोर्ट ने मॉल लिंचिंग के मामलों पर रोक लगाने को लेकर एक विस्तृत गाइडलान को चार सप्ताह के अंदर लागू कराए जाने का आदेश दिया था.
इसे भी पढ़ें – जीशान बोले ”जय श्रीराम का नारा लगवाने की खातिर मुझे पीटा, रिपोर्ट लिखी न इलाज मिला”
मॉब लिंचिंग पर सुप्रीमकोर्ट की चिंता के बाद ये तीसरा साल है. लेकिन लिंचिंग जारी हैं. राज्यों में न तो कानून बने हैं और न ही सरकारों इन घटनाओं को रोकने के लिए कोई कड़े कदम उठाती नजर आती हैं.
यहां तक कि मॉब लिंचिंग के पुराने मामले में पुलिस के रवैये पर भी गंभीर सवाल उठते रहे हैं. वो इस बात को लेकर कि कई मामलों में पुलिस ने जांच में शिथिलता दिखाई है. जिससे आरोपियों को सजा से राहत मिली.
हाल में राजस्थान के चर्चित रकबर खान मॉब लिंचिंग के आरोपी हिंदुत्ववादी नेता नवल किशोर शर्मा को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. वह इस हत्याकांड में पांचवां आरोपी है. 3 साल पहले राजस्थान के रामगढ़ में 28 साल के रकबर खान को गौरक्षकों की भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था.
इसे भी पढ़ें – क्रांतिकारियों के परिजनों ने भेजा बरेली के DM को पत्र, लिखी है यह अहम बात
मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं और कथित गौरक्षा के नाम पर मुस्लिम समाज के लोगों को निशाना बनाए जाने से इस वर्ग में नाराजगी और बेचैनी दोनों बढ़ रही है. हाल में लिंचिंग की कई घटनाएं हो चुकी हैं. इसमें हरियाणा में आसिफ की हत्या, मथुरा में शेरा इसका शिकार बने हैं.