Hariyana : महापंचायत में आसिफ की हत्या का जश्न, हैरान करता तालियों का शोर

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Hariyana Celebration Asif Murder Mahapanchayat
महापंचायत में संबोधन. Photo by Twitter

अतीक खान


– आसिफ जिम ट्रेनर थे. 16 मई को मेवात में उन्हें भीड़ ने पीटकर मार दिया. मेवात का एक गांव है-इंद्री. इसमें आसिफ के हत्यारों के समर्थन में एक महापंचायत होती है. जिसमें खुलेआम मुसलमानों के खिलाफ हिंसा का आह्वान किया जाता है. 30 मई की इस महापंचायत के कई वीडियो सामने आए हैं. जिसमें सबसे हैरान करने वाला दृश्य, नफरत की हुंकार पर तालियों का शोर है. इसको लेकर हरियाणा सरकार कठघरे में है और डीजीपी से कार्रवाई की मांग की जा रही है.

इंद्री गांव में आयोजित महापंचायत. फोटो-साभार ट्वीटर

आसिफ के साथ ये घटना तब हुई थी, जब वह दवाएं लेकर लौट रहे थे. रास्ते में 15-20 लोगों की भीड़ ने उन्हें घेर लिया और पीटने लगे. इससे उनकी मौत हो गई. इस घटनाक्रम में 8 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है. आसिफ के परिवार के मुताबिक मुख्य आरोपी अभी भी बाहर हैं. परिवार का आरोप है कि उन्हें स्थानीय सत्ताधारी दल के नेताओं का समर्थन हासिल है.


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इंद्री गांव में जो महापंचायत हुई है. उसमें करणी सेना समेत कुछ दूसरे संगठनों के नेताओं के भी शामिल होने का तथ्य सामने आ रहा है. इसमें जुनैद की मॉब लिंचिंग के आरोपी को भी मंच साझा करते देखा गया है.

इस महापंचायत के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए हैं. जिस पर लोगों की तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. पूर्व आइपीएस अधिकारी अब्दुर्रहमान ने कहा, ” जहां निरपराध लोगों की भीड़ द्वारा हत्या कर दी जाए. हत्यारों के समर्थन में महापंचायत हो. वहां इंसाफ मुश्किल है. सिर्फ पुलिस और कोर्ट न्याय नहीं देते. समाज को भी न्यायपूर्ण होना पड़ता है. जब समाज अन्याय का समर्थन करने लग जाए, तो सोचिए कमजोर और वंचित कैसे न्याय की कल्पना करेंगे.” उन्होंने हरियाणा डीजीपी से महापंचायत के बारे में सूचना जुटाकर, उसमें हत्या का महिमा मंडन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है.

विनोद कपाड़ी ने एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा-करणी सेना का सूरजपाल अमु, भीड़ के सामने आसिफ की हत्या को सही ठहरा रहा है. भीड़ तालियां पीट रही है. ये देश बर्बादी के रास्ते पर चल पड़ा है.

मृतक आसिफ. फाइल फोटो-साभार ट्वीटर

देश में मुसलमानों के खिलाफ मॉब लिंचिंग की घटनाओं को महिमा मंडित किए जाने वाली इंद्री गांव की महापंचायत कोई अपवाद नहीं है. पीछे मुड़कर देखने पर ऐसी कई करतूतें नजर आती हैं. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री रहे जयंत सिन्हा ने तो झारखंड में लिंचिंग का शिकार अलीमुद्दीन के हत्यारोपी का जेल से बाहर आने पर फूल-मालाएं पहनाकर स्वागत किया था.


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आज तक की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस घटना में आरोपी की रिहाई के लिए भाजपा नेताओं ने आंदोलन तक किए थे. तब पूर्व विधायक शंकर चौधरी ने प्रेस कांफ्रेंस करके अपनी खुशी बांटी थी.

न्यूज 18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल 2020 तक देश में मॉब लिंचिंग में करीब 145 लोग मारे जा चुके थे. इसके बाद भी लिंचिंग का सिलसिला बना है. हाल ही में मथुरा में गौवंश लेकर जा रहे शेरा भी इसका शिकार बन चुके हैं.

कठुआ गैंगरेप में निकाली गई थी रैली

जम्मू-कश्मीर के कठुआ में एक मुस्लिम बच्ची की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी. इन आरोपियों के समर्थन में विशाल रैली निकाली गई थी. तब भी ये मामला अंतरराष्ट्रीय जगत की सुर्खियां बना था.

अखलाक की घर में घुसकर हत्या

28 सितंबर 2015 को नोयडा में घर में गौवंश का मीट होने के संदेह पर एक भीड़ ने घर में घुसकर अखलाक की हत्या कर दी थी. इस मामले में भी आरोपियों के बचाव में एक बड़ा वर्ग सामने आया था. पहलू खान से लेकर तबरेज अंसारी और जुनैद की मौत तक, यही पैटर्न दिखा था.

देश में मॉब लिंचिंग के बढ़ते चलन से चिंतित देश की बड़ी हस्तियों ने जुलाई 2019 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था. तो इसमें शामिल करीब 45 लोगों के खिलाफ बिहार में राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था. इस कार्रवाई की कला, संस्कृति, न्याय और पूर्व ब्यूरोक्रेट, शिक्षा जगत से जुड़ी 187 बड़ी शख्सियतों ने आलोचना करते हुए कार्रवाई वापस लिए जाने की मांग उठाई थी.

समाज का एक बड़ा हिस्सा भीड़तंत्र की हिंसा से चिंतित है. और वो चाहता है कि सरकारें इसके खिलाफ कठोर कदम उठाएं. लेकिन सरकारों की ओर से ऐसे प्रयास नजर नहीं आते हैं. बल्कि उलटे बुद्धिजीवियों पर ही तमाम लालछन लगाकर उनकी आलोचना देखने को मिलती है.

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