द लीडर डेस्क।
फ़िल्म पीके के तपस्वी महाराज, सत्या के कल्लू मामा, जॉली एल एल बी के जज सुदरलाल त्रिपाठी और भी कई पहचान हैं इनकी। जी हां, अदाकार, पटकथा लेखक, फ़िल्म निर्देशक सौरभ शुक्ला की बात हो रही है कल अल्मोड़ा में मोटरसाइकिल पर घूमते हुए और टहलते हुए दिख रहे थे।
कोरोनाकाल में और भी कई फिल्मी हस्तियां उत्तराखंड में दिख रही हैं लेकिन सौरभ एक खास मिशन पर आए हैं।आजकल वह अल्मोड़ा और आसपास अपनी नई फिल्म की शूटिंग के लिए लोकेशन तलाश रहे हैं। उत्तराखंड की सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा की सड़कों पर ऐसे घूमते हुए जिसने भी देखा वही हैरान रह गया।
वह चंद्र राजाओं के महल कलेक्ट्रेट यानि मल्ला महल को भी देखने गए। बगल में रानी महल भी देखा। अंदर बाहर बारीकी से मुआयना कर रहे सौरभ आम अलमोडियों और अफसरों की आवभगत से अभिभूत थे। बोले ये तो अद्भुत जगह है। यहां अंग्रेजों के जमाने के भवन तो हैं ही उससे पहले के भवन भी वास्तुकला का नमूना हैं। शनिवार को उन्होंने मल्ला महल के अलावा अल्मोड़ा के अंग्रेजों को जमाने के राजकीय इंटर कॉलेज व डायट भवन तथा पुराने बाजार का भी भ्रमण किया।
अल्मोड़ा फोर्ट ट्रस्ट के सदस्य वरिष्ठ छायाकार जयमित्र बिष्ट ने बताया कि सौरभ शुक्ला अपने साथियों के साथ पहाड़ में लोकेशन की तलाश में पहुंचे हैं। उन्होंने इसके लिए जानकारी चाही थी। इसको देखते हुए उनको ऐतिहासिक मल्ला महल का दौरा करवाया गया। जहां जिलाधिकारी नितिन भदौरिया से भी उनकी मुलाकात हुई। सौरभ को लोकेशन पसंद आई है।
इस दौरान जयमित्र बिष्ट के साथ बाइक से उन्होंने कई स्थानों पर फिल्म शूटिंग के लिए लोकेशन देखी। दौरा करने के बाद वह अपनी टीम के साथ रानीखेत रवाना हुए। डीएम से मुलाकात कर उन्होंने शूटिंग करने की बात रखी। इस पर जिलाधिकारी ने प्रशासन की ओर से पूरा सहयोग करने का आश्वासन दिया।
बता दें कि कलाकार सौरभ शुक्ल पीके, जॉली एलएलबी, सत्या, बर्फी, किक जैसी मशहूर फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं। कई फिल्मों में बेहतरीन कलाकारी का अभियान करने पर उन्हें कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
उन्होंने कहा कि इससे खूबसूरत स्थल और कहीं नहीं है। सौरभ अल्मोड़ा नगर में अपनी फिल्म के दृश्य फिल्माने के लिए सितंबर में आएंगे। उनका यह दौरा इसी सिलसिले में रहा। बाद में वह धार्मिक पर्यटन के मशहूर कसारदेवी भी पहुंचे। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की नैसर्गिक खूबसूरती देख यहां फिल्मांकन के लिए तमाम फिल्म निर्माता मन बना रहे हैं। सौरभ बताते हैं सिनेमा का शौक हमें बचपन से ही लग गया था। पिता जी शत्रुघ्न शुक्ला आगरा घराने के मशहूर गायक और मां जोगमाया शुक्ला तबला वादक थीं। दोनों को फिल्म देखने का बड़ा शौक था। हम चार लोग, मैं, मेरा बड़ा भाई, मां और बाबा, हर संडे को सुबह मॉर्निंग शो में अंग्रेजी फिल्म जरूर देखते थे। फिर घर आकर खाना वगैरह खाकर शाम को छह बजे एक हिंदी फिल्म का शो भी जरूर देखते थे। ये हमारा तय साप्ताहिक कार्यक्रम था। महीने में आठ फिल्में तो हम देखते ही देखते थे। फिल्में देखते ही देखते अभिनय का सुरूर चढ़ गया।