द लीडर हिंदी : Nobel Prize winning economist अमर्त्य सेन ने कहा कि मोदी सरकार के सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) के कारण भारत में कोविड-19 (Covid-19) का प्रकोप फैला. भारत सरकार ने कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के काम करने बजाय अपने कार्यों का श्रेय लेने में उलझ गई. इससे सिजोफ्रेनिया की स्थिति बन गई.
हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र और दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर सेन ने राष्ट्र सेवा दल की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में ये बातें कही. वह कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर पर अपना संबोधन दे रहे थे. उन्होंने कहा कि देश फार्मा सेक्टर के कौशल और मजबूत इम्युनिटी क्षमता के कारण कोरोना जैसी महामारी से लड़ सकता था.
Nobel laureate Amartya Sen: The government seemed much keener on ensuring credit for what it was doing rather than ensuring that pandemics do not spread in India. The result was a certain amount of schizophrenia. #COVID19
— Press Trust of India (@PTI_News) June 5, 2021
क्या है सिजोफ्रेनिया
सिजोफ्रेनिया एक गंभीर मनोरोग है. इसमें वास्तविक और काल्पनिक संसार में भेद कर पाना मुश्किल हो जाता है. इस रोग में रोगी के विचार, संवेग तथा व्यवहार में आसामान्य बदलाव आ जाते हैं जिनके कारण वह कुछ समय लिए अपनी जिम्मेदारियों तथा अपनी देखभाल करने में असमर्थ हो जाता है.
सरकार श्रेय लेने की इच्छुक नजर आई
अमर्त्य सेन ने कहा कि सरकार ने भ्रम की स्थिति के कारण कोरोना महामारी के संकट से खराब तरीके के निपटना चाहा. इसका नतीजा यह रहा कि भारत अपनी पूरी क्षमताओं के साथ काम नहीं कर पाया. सरकार अपने कार्यों का श्रेय लेने में जुटी रही. जबकि उसका काम यह देखना था कि भारत में कोरोना संक्रमण न फैल सके. सरकार का यह व्यवहार काफी हद तक सिजोफ्रेनिया की तरह था.
एडम स्मिथ के एक लेख का दिया हवाला
नोबेल विजेता ने इसे समझाने के लिए वर्ष 1769 में एडम स्मिथ के लिखे एक लेख का हवाला भी दिया. जिसके अनुसार, अगर कोई भी व्यक्ति अच्छा काम करता है तो उसका श्रेय उसे जरूर मिलता है. कोई व्यक्ति कितना अच्छा काम कर रहा है इस बात साक्ष्य श्रेय होता है. लेकिन सिर्फ श्रेय पाने की कोशिश करना और अच्छा काम न करना बौद्धिक नादानी है. भारत सरकार ने यही नादानी की और श्रेय लेने की कोशिश की.
महामारी के दौरान बढ़ गई बेरोजगारी
अमर्त्य सेन ने कहा कि भारत में कोरोना महामारी के दौरान बेरोजगारी काफी बढ़ गई है. अर्थव्यवस्था और सामाजिक एकजुटता की विफलता के कारण भारत कोविड-19 से निपटने में नाकाम रहा. उन्होंने स्वास्थ्य, शिक्षा, अर्थव्यवस्था और सामाजिक नीतियों के क्षेत्र में बड़े सार्थक बदलाव किए जाने की जरूरत बताई.
बिना नोटिस के लॉकडाउन थोपना गलत
अमर्त्य सेन ने कहा कि कोरोना महामारी से लड़ने के लिए सामाजिक दूरी बनाए रखने की जरूरत के मामले में सरकार सही थी. इससे संक्रमण की रोकथाम में मदद मिली. मगर पिछले साल जिस तरह से मार्च के अंत में बिना किसी नोटिस के लॉकडाउन लगा दिया गया, वह गलत था. इससे लोग बेरोजगार हो गए और प्रवासी श्रमिकों को बड़ी संख्या में घर लौटने काे मजबूर होना पड़ा. भारत में पाकिस्तान के विभाजन के बाद पहली बार इतनी बड़ी संख्या में लोगों ने पलायन किया था.