लखनऊ | कोरोना वायरस महामारी के बीच देश में एक नया जानलेवा रोग कहर बरपा रहा है. लोगों की जान का दुश्मन बन रही ब्लैक फंगस (Black Fungus) यानी म्युकरमाइकोसिस की बीमारी देश में लगातार पैर फैला रही है. महाराष्ट्र, दिल्ली और गुजरात के बाद अब इस बीमारी ने उत्तर प्रदेश में दस्तक दे दी है. लखनऊ के 8 कोविड पेशेंट में म्युकरमाइकोसिस नाम का जानलेवा फंगस पाया गया है. लखनऊ के लोहिया संस्थान में 4, लोकबंधु अस्पताल का एक मरीज औक केजीएमयू के तीन मरीज घातक फंगस की चपेट में आए हैं, जो अब जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं.
यूपी के इन जिलों में मिले मरीज
लखनऊ के अलावा वाराणसी और मेरठ में भी ब्लैक फंगस के मामलों की बात कही जा रही है. वाराणसी में ब्लैक फंगस या म्युकरमाइकोसिस से पीड़ित एक महिला मरीज मिली. ब्लैक फंगस की पहली शिकार महिला कोविड संक्रमित थीं. कोविड रिपोर्ट नेगेटिव आने के दो दिन पहले तनिमा मित्रा की एक आंख लाल होने लगी. जबकि मेरठ में ब्लैक फंगस से पीड़ित दो कोविड मरीज मिले. ये मरीज मुजफ्फरनगर और बिजनौर जिले के रहने वाले बताए जा रहे हैं.
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कानपुर में 50 से ज्यादा ब्लैक फंगस के पेशेंट
कानपुर में ब्लैक फंगस के शिकार पेशेंट विशेषज्ञों के पास पहुंच रहे हैं. शहर में 50 से ज्यादा ब्लैक फंगस के पेशेंट सामने आए हैं. डायबिटीज के पेशेंट पर ब्लैक फंगस सबसे तेज अटैक करता है. इसके शिकार सबसे अधिक डायबिटीज के पेशेंट हैं. आंखों में सूजन के दौरान कई पेशेंट की रोशनी पर भी प्रभाव पड़ा है.
ब्लैक फंगस का इलाज काफी महंगा होता है
अभी तक मरीज़ो के इलाज में पाया गया है की नार्मल कोरोना के इलाज से तुलना करी जाए तो ब्लैक फंगस का इलाज काफी महंगा होता है. इससे लड़ने वाला एक इंजेक्शन 5 हजार रु का मार्किट में आता है और यह इंजेक्शन मरीज़ के लिए तीन माह तक चलता है. मोटा मोटा देखा जाए तो एक दिन के इलाज में करीब 60 से 80 हजार रु खर्चा होते है जो की नार्मल कोरोना के इलाज से कई ज़्यादा है.
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इन राज्यों में फैल चुका है ब्लैक फंगस
उत्तर प्रदेश से पहले महाराष्ट्र, दिल्ली और गुजरात में भी ब्लैक फंगस के मामले देखने को मिले. शुक्रवार को मिली जानकारी के अनुसार, दिल्ली में म्युकरमाइकोसिस के छह केस आ चुके हैं. जबकि गुजरात में ब्लैक फंगस के 40 मामले सामने आ चुके हैं. कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों में ब्लैक फंगस देखा गया, सूरत में ब्लैक फंगस की वजह से 8 मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई. हाल ही में मुंबई में भी 29 वर्षीय शख्स में म्युकरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) का संक्रमण देखा गया. यह शख्स कोरोना से ठीक हो चुका था.
क्या है ब्लैक फंगस रोग
अब तक कोरोना संक्रमित मरीज या कोरोना से स्वस्थ हुए मरीजों में ब्लैक फंगस इंफेक्शन देखा गया है. यह इंफेक्शन आमतौर पर उन लोगों में पाया गया है, जिनका शरीर किसी बीमारी से लड़ने में कमजोर होता है. सुगर पेशेंट में ये फंगस ज्यादा फैलता है. आंख, नाक के रास्ते ये फंगस दिमाग तक पहुंचता है और इस दौरान रास्ते में आने वाली हड्डी और त्वचा को नष्ट कर देता है और इसमें मृत्यु दर काफी ज्यादा है.
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लखनऊ के सीवीओ हॉस्पिटल के वरिष्ठ डॉक्टर एमबी सिंह इस फंगस को घातक तो मानते हैं, लेकिन इससे डरने की जरूरत नहीं मानते हैं. डॉक्टर का कहना है कि जो पेशेंट बहुत ज्यादा दिन तक ऑक्सीजन और वेन्टीलेटर्स के स्पोर्ट पर रहते हैं और जिनका सुगर अनकंट्रोल है, उनमें से भी किसी किसी को ही ये फंगस अपना शिकार बना रहा है.
जानलेवा है ब्लैक फंगस
लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के रेस्पिरेटरी विभाग के प्रमुख डॉ सूर्यकांत के अनुसार कोरोना संक्रमण के बाद पहले नौ दिन बहुत अहम हैं. संक्रमण के साथ अगर मरीज में ब्लैक फंगस की शिकायत हुई तो उसकी जान पर खतरा बढ़ सकता है. यह फंगस त्वचा के साथ नाक, फेफड़ों और मस्तिष्क तक को नुकसान पहुंचा सकता है.
अस्पतालों में ज्यादा खतरा!
डॉ सूर्यकांत ने बताया कि ब्लैक फंगस पहले से ही हवा और जमीन में मौजूद है. जैसे ही कोई कमजोर इम्युनिटी वाला व्यक्ति इसके संपर्क में आता है, तो उसके चपेट में आने की संभावना ज्यादा रहती है. डॉ सूर्यकांत के मुताबिक जो मरीज जितने लंबे समय तक अस्पताल में रहेगा, उसमें खतरा ज्यादा रहेगा. उन्होंने बताया कि फंगस पहले नाक से शरीर में प्रवेश करता है और फिर फेफड़ों से रक्त के साथ मस्तिष्क में पहुंच जाता है. संक्रमण जितना ज्यादा होगा, लक्षण भी उतना ही गंभीर होगा.
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ब्लैक फंगस से बचाव के उपाय
- कोरोना संक्रमित डॉक्टरों के परामर्श बना रहे
- कुशल चिकित्सक के परामर्श के बिना खुद से स्टेरॉयड नहीं लें
- नियमित शुगर स्तर की जांच कराते रहें
- कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले विशेष सावधानी बरतें
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- डेक्सोना जैसी दवाओं के हाई डोज का इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह पर करें
- AC कल्चर से तत्काल दूर हो जाएं
- नमी और डस्ट वाली जगहों पर नहीं जाएं
- ऑक्सीजन पर होने से पाइप बदलते रहें
- मास्क के साथ पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहने
कोरोना संक्रमित मरीज इस रोग से बचाव को लेकर ज्यादा सतर्क रहें. शरीर में होने वाले किसी घाव के उपचार को लेकर लापरवाही नहीं बरतें. हवा में मौजूद फंगस ऐसे रोगी को नुकसान पहुंचा सकता है. नाक से काला पानी या खून बहने के बाद बुखार आना, सिरदर्द, आंखों का सूजना, नाक की चमड़ी का काला पड़ने के अलावा खांसी के साथ खून आना और दांतों के एकाएक हिलने जैसी स्थिति इसके लक्षण होते हैं.
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