दीपों की रोशनी से जगमगाएगा अयोध्या, इस बार जलाए जाएंगे 7.50 लाख दीये

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द लीडर हिंदी, अयोध्या। इस साल यूपी सरकार राम नगरी अयोध्या में 7.50 लाख दीये जलाकर अपना ही रिकॉर्ड तोड़ने वाली है. बता दें कि, इस बार रामनगरी अयोध्या और भी जगमग होगी. क्योंकि यूपी सरकार अयोध्या में दीपोत्सव के मौके पर 7.50 लाख दीये जलाएंगी. इस दौरान विशेष रंगों की लाइटों से सजावट के साथ-साथ राम की पैड़ी पर विशेष रंगोली से सजावट की गई.

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अपनी ही रिकॉर्ड तोड़ेगी योगी सरकार

पिछले साल धर्मनगरी अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का काम शुरू होने के बाद पहली दीपावली में 6.06 लाख मिट्टी के दीये जले। इसके साथ ही अयोध्या ने ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में फिर से अपना नाम दर्ज करा लिया था। वहीं अब एक बार फिर योगी सरकार अपनी ही रिकॉर्ड तोड़ेगी और अयोध्या दीपोत्सव के मौके पर 7.50 हजार दीये जलाएगी.

अयोध्या में पहली बार शानदार तरीके से मनाई गई थी दीपवाली

बता दें कि, पिछले साल 29 हजार लीटर तेल और 7.5 लाख किलो रुई का इस्तेमाल हुआ था. लेकिन इस बार एजेंसियों को 3 दिन तक ट्रायल करना होगा. पर्यटन विभाग ने इसकी तैयारियां करते हुए एजेंसियों से प्रस्ताव मांगा है. दीपोत्सव कार्यक्रम में सात हजार से ज्यादा वॉलिंटियर्स लगाए जाएंगे. राम की नगरी अयोध्या में पिछले साल शानदार तरीके से दिवाली मनाई गई. ऐतिहासिक राम मंदिर की नींव पड़ने के बाद पहली बार अयोध्या में दीपावली का त्योहार मना. ऐसे में तैयारी भी खास रही. वहीं सरयू घाट पर 6.06 लाख दीयों को जलाया गया. इसके अलावा झांकी, लाइटिंग समेत अन्य व्यवस्थाएं की गई हैं. इसी के साथ अयोध्या ने सबसे ज्यादा दीए जलाने का रिकॉर्ड बनाया था.

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अयोध्या एक पवित्र भूमि जिसपर खुद भगवान राम ने जन्म लिया. हिंदू पौराणिक इतिहास में पवित्र सप्त पुरियों में अयोध्या, मथुरा, माया (हरिद्वार), काशी, कांची, अवंतिका (उज्जयिनी) और द्वारका को शामिल किया गया है. अथर्ववेद में अयोध्या को ईश्वर का नगर बताया गया है और इसके संपन्नता की तुलना स्वर्ग से की गई है. स्कंदपुराण के अनुसार, अयोध्या शब्द ‘अ’ कार ब्रम्हा, ‘य’ कार विष्णु और ‘ध’ कार रूद्र का स्वरूप है.

कैसे हुई अयोध्या की स्थापना..किसने किया शासन

पवित्र सरयू नदी के तट पर बसी है अयोध्या. बाल्मीकि द्वारा रचित रामायण के अनुसार सूर्य के पुत्र वैवस्वत मनु महाराज द्वारा अयोध्या की स्थापना की गई थी. अयोध्या की स्थापना के बारे में पुराणों और ग्रंथों में विस्तार से बताया गया है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, ब्रम्हा जी से जब मनु ने अपने लिए एक नगर क निर्माण की बात कही तो वे उन्हें विष्णुजी के पास ले गए. विष्णुजी ने उन्हें साकेतधाम में एक उपयुक्त स्थान बताया. भगवान विष्णुजी ने इस नगरी को बसाने के लिए ब्रम्हाजी और मनु के साथ देवशिल्पी विश्वकर्मा को भी भेज दिया. इसके अलावा अपने रामावतार के लिए उपयुक्त स्थान ढूंढने के लिए महर्षि वशिष्ठ को भी उनके साथ भेजा.

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इस बात की भी मान्यता है कि, महर्षि वशिष्ठ द्वारा ही सरयू नदी के तट पर लीलाभूमि का चयन किया गया, जहां विश्वकर्मा ने नगर का निर्माण किया, उत्तर भारत के तमाम हिस्सों में जैसे कौशल, कपिलवस्तु, वैशाली और मिथिला आदि में अयोध्या के इक्ष्वाकु वंश के शासकों ने ही राज्य कायम किए थे. अयोध्या और प्रतिष्ठानपुर (झूंसी) के इतिहास का उद्गम ब्रम्हाजी के मानस पुत्र मनु से ही संबंद्ध है. जैसे प्रतिष्ठानपुर और यहां के चंद्रवंशी शासकों की स्थापना मनु के पुत्र ऐल से जुड़ी है, जिसे शिव के श्राप ने इला बना दिया था, उसी प्रकार अयोध्या और उसका सूर्यवंश मनु के पुत्र इक्ष्वाकु से प्रारंभ हुआ.

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अयोध्या स्थित भगवान श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का पूरा इतिहास शब्दों में समेटना किसी के लिए संभव नहीं है. क्योंकि, इसके ऐतिहासिक और कानूनी महत्त्व को तो फिर भी काफी हद तक समेटा जा सकता है, लेकिन इसके असीमित धार्मिक और पौराणिक मान्यताओं और उनसे जुड़े तथ्यों को शब्दों में सहेजना असंभव है. फिर भी यहां पर हमने इस पवित्र मंदिर के बारे में उसके हर पहलुओं को कुछ गिनती के शब्दों में समेटने की कोशिश की है, जिसकी शुरुआत धार्मिक ग्रंथों और पौराणिक मान्यताओं से की जा रही है.


भगवान राम के पुत्र कुश ने बनवाया था पहला राम मंदिर

पौराणिक कथाओं और धर्म ग्रंथों के आधार पर तय हुई परंपरागत धारणाओं के अनुसार अयोध्या के पवित्र श्री रामजन्मभूमि मंदिर के इतिहास का विवरण कुछ इस प्रकार है. जब भगवान श्रीराम प्रजा सहित बैकुंठ धाम चले गए तो पूरी अयोध्या नगरी (मंदिर-राज महल-घर-द्वार) सरयू में समाहित हो गई. मात्र अयोध्या का भू-भाग ही बच गया और वर्षों तक यह भूमि यूं ही पड़ी रही. बाद में कौशांबी के महाराज कुश ने अयोध्या को फिर से बसाया. इसका वर्णन कालिदास के ग्रंथ ‘रघुवंश’ में मिलने की बात कही जाती है. लोमश रामायण के अनुसार उन्होंने ही सर्वप्रथम पत्थरों के खंभों वाले मंदिर का अपने परम पिता की पूज्य जन्मभूमि पर निर्माण करवाया. वहीं जैन परंपराओं के मुताबिक अयोध्या को ऋषभदेव ने फिर से बसाया था.

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महाराजा विक्रमादित्य ने बनवाया था भव्य राम मंदिर

भविष्य पुराण के अनुसार उज्जैन के महाराज विक्रमादित्य ने ईसा पूर्व में एक बार फिर से (दूसरी बार) उजड़ चुकी अयोध्या का निर्माण करवाया. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार उन्होंने अयोध्या में सरयू नदी के लक्ष्मण घाट को आधार बनाकर 360 मंदिरों का निर्माण करवाया था. वे भगवान विष्णु के परम भक्त थे और इसीलिए उन्होंने ही श्रीराम जन्मभूमि पर एक भव्य मंदिर का निर्माण करवाया था. हिंदू पक्ष का दावा रहा है कि, बाबर से पहले भी 1033 में मुस्लिम आक्रमणकारी सालार मसूद ने जन्मभूमि मंदिर को ध्वस्त कर दिया था. उसके बाद गहड़वाल वंश के राजाओं द्वारा इस पवित्र मंदिर का फिर से निर्माण (तीसरी बार) करवाया गया था.

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दीपोत्सव की तैयारियों में जुटी सरकार

पिछले साल अयोध्या में दीपोत्सव को लेकर व्यापक इंतजाम किए गए थे. मानो पूरी अयोध्या जैसे सिया राम के रंग में रंग गई. वहीं अब इस बार भी योगी आदित्यनाथ सरकार अयोध्या में दीपोत्सव को लेकर पहले से बेहतर तैयारी कर रही है. इसके साथ ही इस बार अयोध्या में 7.50 लाख से ज्यादा दीये जलाने का निर्यण लिया गया है.

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